मातृभूमि Class 6 Summary Notes in Hindi Chapter 1
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मातृभूमि कविता कवि परिचय
इस कविता को हिंदी के प्रसिद्ध कवियों में से एक सोहनलाल द्विवेदी जी ने लिखा है। उनका जन्म आज से लगभग सवा सौ साल पहले हुआ था। उस समय अंग्रेजों का भारत पर आधिपत्य था। उन्होंने अपनी लेखनी से अंग्रेज़ों का विरोध किया। उनकी लेखनी का सबसे प्रिय विषय था ‘देशभक्ति’। भारत के गौरव का गान करना उन्हें बहुत प्रिय था। उनकी कुछ और चर्चित रचनाएँ हैं— ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’, ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ आदि।
Class 6 Hindi मातृभूमि कविता
ऊँचा खड़ा हिमालय
आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक,
नित सिंधु झूमता है।
गंगा यमुन त्रिवेणी
नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली,
पग पग छहर रही हैं।
वह पुण्य-भूमि मेरी।
वह स्वर्ण-भूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी
वह मातृभूमि मेरी।
झरने अनेक झरते
जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़ियाँ चहक रही हैं,
हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं
कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है,
तन-मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी,
वह कर्मभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी
वह मातृभूमि मेरी।
जन्मे जहाँ थे रघुपति,
जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई,
वंशी पुनीत गीता ।
गौतम ने जन्म लेकर,
जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई,
जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध-भूमि मेरी,
वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी।
– सोहनलाल द्विवेदी