Click here to access the best NCERT Solutions Class 3 Hindi Veena Chapter 18 हम अनेक किंतु एक textbook exercise questions and answers.
हम अनेक किंतु एक NCERT Class 3rd Hindi Veena Chapter 18 Question Answer
हम अनेक किंतु एक Class 3 Question Answer
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास (पृष्ठ 148-153)
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
आप किस देश में रहते हैं? आपका प्रदेश कौन-सा है?
उत्तर-
हम भारत देश में रहते हैं। मेरा प्रदेश दिल्ली है।
प्रश्न 2.
आपके घर में कौन-सी भाषा बोली जाती है?
उत्तर-
मेरे घर में हिंदी बोली जाती है।
प्रश्न 3.
आपके घर के आस-पास के लोग कौन-सी भाषा बोलते हैं?
उत्तर-
हमारे घर के आस-पास लोग हिंदी बोलते हैं।
प्रश्न 4.
सभी प्रदेश अलग हैं, लेकिन सबका देश एक है। आपकी मित्रों की टोली में कौन-कौन हैं?
उत्तर-
मेरे मित्रों की टोली में कई प्रदेशों के बच्चे हैं। जैसे- दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान।
सोचिए और लिखिए
प्रश्न 1.
‘हम अनेक हैं किंतु एक हैं’, उदाहरण देकर इस बात को समझाइए।
उत्तर-
भारत में अनेकों राज्य हैं। सभी राज्यों की भाषा, खान-पान, वेश-भूषा, वातावरण अलग-अलग हैं। परंतु फिर भी हम सब भारतीय हैं। हमारे त्यौहार, सुख-दुख सबके एक हैं।
प्रश्न 2.
कविता में भारत के विविध रूप-रंग के बारे में बताया गया है। विविध रूप-रंग का क्या अर्थ है?
उत्तर-
विविध रूप-रंग का अर्थ है- भाषा, वेश-भूषा, खान-पान, भौगोलिक स्थिति आदि।
प्रश्न 3.
‘चल रहे मिला कदम’ इस पंक्ति में किनके कदम मिलाकर चलने की बात कही गई है?
उत्तर-
भारत के सभी लोग स्त्री-पुरुष, वृद्ध-जवान सभी राज्यों प्रदेशों आदि के लोग एक साथ कदम मिलाकर चलें।
शब्दों का खेल
प्रश्न 1.
कविता से समान ध्वनि वाले शब्द छाँटकर लिखिए-
प्रदेश – _________, ___________
हम – _________, ___________
रंग – _________, ___________
बोलियाँ – _________, ___________
उत्तर-
प्रदेश | देश |
हम | कदम |
रंग | ढंग |
बोलियाँ | टोलियाँ |
प्रश्न 2.
समान ध्वनि वाले कुछ शब्द अपने मन से लिखिए-
बोली – ________________
एक – ________________
राग – ________________
उत्तर-
बोली –
गोली, टोली, झोली, होली
एक –
अनेक, टेक, केक, नेक
राग –
साग, फाग, भाग
प्रश्न 3.
भूमि शब्द जोड़कर नए शब्द बनाइए-
उत्तर-
समझिए और लिखिए
प्रश्न 1.
कविता की पंक्तियाँ पूरी कीजिए-
उत्तर-
हैं कई प्रदेश के,
किंतु एक देश के, विविध रूप-रंग हैं, भारत के अंग हैं। भारतीय वेश एक हम अनेक किंतु एक। |
बोलियाँ हजार हैं,
टोलियाँ हजार हैं, कंठ भी अनेक हैं, राग भी अनेक हैं। किंतु गीत-बोल एक हम अनेक किंतु एक। |
एक मातृभूमि है,
एक पितृभूमि है, एक भारतीय हम चल रहे मिला कदम, लक्ष्य के समक्ष एक हम अनेक किंतु एक। |
प्रश्न 2.
सही अर्थ की जोड़ी बनाकर लिखिए-
उत्तर-
प्रश्न 3.
सही अर्थ वाले वाक्य पर सही (✓) का चिह्न लगाइए-
(क) ‘भारतीय वेश एक’ का अर्थ है-
• सभी भारतीयों का एक ही पहनावा है।
• भारत में अनेक प्रकार की वेश-भूषा है, लेकिन सभी भारतीय एक हैं।
उत्तर-
• भारत में अनेक प्रकार की वेश-भूषा है, लेकिन सभी भारतीय एक हैं।
(ख) ‘बोलियाँ हजार हैं’ में हजार का अर्थ है-
• बहुत सारी बोलियाँ हैं।
• हजार बोलियाँ हैं।
उत्तर-
• बहुत सारी बोलियाँ हैं।
पता कीजिए
प्रश्न 1.
आप अपने प्रदेश के आस-पास के तीन-चार प्रदेशों की भाषा, खान-पान, वेश-भूषा, तीज-त्यौहारों के बारे में पता कीजिए और साथियों के साथ चर्चा कीजिए।
उत्तर-
विद्यार्थी स्वयं करें।
Class 3 Hindi Chapter 18 हम अनेक किंतु एक काव्यांशों की व्याख्या
1. हैं कई प्रदेश के,
किंतु एक देश के,
विविध रूप-रंग हैं,
भारत के अंग हैं।
भारतीय वेश एक
हम अनेक किंतु एक।
बोलियाँ हजार हैं,
टोलियाँ हजार हैं,
कंठ भी अनेक हैं,
राग भी अनेक हैं,
किंतु गीत-बोल एक
हम अनेक किंतु एक।
एक मातृभूमि है,
एक पितृभूमि है,
एक भारतीय हम
चल रहे मिला कदम,
लक्ष्य के समक्ष एक
हम अनेक किंतु एक। (पृष्ठ 147)
शब्दार्थ : विविध – अनेक। टोलियाँ – लोगों का समूह। कंठ – बोली-भाषा। राग – गीत-संगीत।
प्रसंग – यह कविता हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वीणा भाग-1’ के ‘हम अनेक किंतु एक’ पाठ से ली गई है इसके कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी हैं। कवि ने इस कविता में भारत देश और उसमें रहने वाले लोगों की विभिन्नता और एकता को दर्शाया है।
व्याख्या – कवि कहता है कि हम अलग-अलग राज्य या प्रदेश के हैं परंतु हमारा देश एक है अर्थात भारत है। भारत के लोगों के विविध रूप-रंग हैं और अनेक तरह की वेश-भूषा हैं। फिर भी हम एक हैं। हम अनेक होकर भी एक ही हैं। हजारों तरह की बोलियाँ हैं, अनेकों टोलियाँ हैं, अलग-अलग भाषा गीत-संगीत है, फिर भी हम एक हैं। हमारी मातृभूमि और पितृभूमि दोनों एक हैं। हम सभी भारतीय हैं। किसी भी चुनौती के सामने हम कदम से कदम मिलाकर सामने खड़े हो जाते हैं। हम अनेक होकर भी एक हैं।
Class 3 Hindi Chapter 18 हम अनेक किंतु एक कविता का सार
कविवर द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविता ‘हम अनेक किंतु एक’ का सार इस प्रकार है। हमारे देश में कई राज्य हैं, विविध रंग-रूप और वेश-भूषा हैं परंतु फिर भी यह एक अखंड भारत है। अनेकों तरह की बोलियाँ हैं, अनेकों तरह की सेना है, आवाज और भाषा भी अलग-अलग हैं, गीत-संगीत भी अनेकों तरह के हैं परंतु फिर भी देश अखंड है। सभी देशवासियों की एक मातृभूमि है तथा एक ही कर्मभूमि है। हम सभी अलग होकर भी एक साथ कदम मिलाकर चलते हैं। हमारा लक्ष्य भी एक है। हम दिखते अनेक हैं परंतु हैं एक ही।
- इस कविता को पढ़ने के बाद छात्र भारत की अनेकता में एकता को समझेंगे।
- भारत की विभिन्नता की विशेषता को जान सकेंगे।
- देश और मातृभूमि के प्रति अनुराग जागृत होगा।