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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 8 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-‘अ’ और ‘ब’।
- खंड ‘अ’ में उपप्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
- दोनों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखिए।
खंड ‘अ’ (वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंथित बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं। जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित गद्यांश
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
साक्षात्कार की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी अभिव्यक्ति की क्षमता कैसी है। यदि आप अपनी बात स्पष्ट रूप से प्रभावशाली तरीके से रख पा रहे हैं, तो निश्चित रूप से उसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए विद्यार्थियों को प्रयास करना चाहिए कि वे अपनी बोलने की शक्ति को बढ़ाएँ। अच्छे शब्दों का चुनाव करें। घटिया एवं द्विअर्थी शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। इसी प्रकार आपके वाक्य जटिल न होकर सरल और सुबोध हों। कठिन शब्दों एवं जटिल वाक्यों का प्रयोग आपकी भाषा को कृत्रिम बना देता है।
इसके अतिरिक्त बोर्ड के समक्ष आपका व्यवहार अत्यंत संतुलित और सौम्य होना चाहिए अर्थात् आपके बोलचाल के लहजे में सौम्यता होनी चाहिए। यदि आप सदस्य की किसी बात से सहमत नहीं हैं, तो पूरी विनम्रता के साथ उसका खंडन करें। यदि आप ऐसे अवसरों पर उग्रता अपनाते हैं, तो वह आपके असंतुलित व्यक्तित्व का परिचायक होगा। यदि आप किसी प्रश्न का उत्तर दे पाने की स्थिति में नहीं हैं, तो उसके लिए अफसोस व्यक्त करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
सदस्य इस बात को समझते हैं कि जरूरी नहीं कि आप सभी प्रश्नों के उत्तर दे सकें। गलत उत्तर देकर सदस्यों को मूर्ख बनाने का प्रयत्न कदापि न करें। इसी तरह साफ एवं स्पष्ट उत्तर न देने पर आप स्वयं फँस सकते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में सदस्य आपसे उस उत्तर का स्पष्टीकरण मागेंगे और आप अनावश्यक उलझते चले जाएँगे। इसलिए बोलना साक्षात्कार की एक आदर्श नीति मानी जाती है। जो जितना अधिक बोलेगा, उसके पकड़ में आने की आशंका उतनी ही अधिक होगी।
(क) साक्षात्कार की सफलता के लिए किस प्रकार की भाषा का अभ्यास आवश्यक माना गया है?
(i) प्रभावशाली वक्तव्य की भाषा का
(ii) क्लिष्ट एवं साहित्यिक भाषा का
(iii) स्पष्ट एवं सरल सुबोध भाषा का
(iv) कृत्रिम भावाभिव्यक्ति की भाषा का
उत्तर :
(iii) स्पष्ट एवं सरल सुवोध भाषा का साक्षात्कार की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है, कि आपकी अभिव्यक्ति की क्षमता कैसी है। यदि आप अपनी बात स्पष्ट रूप से प्रभावशाली तरीके से रख पा रहे हैं, तो निश्चित रूप से उसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है, इसलिए विद्यार्थियों को प्रयास करना चाहिए कि वे अपनी बोलने की शक्ति को बढ़ाएँ। अच्छे शब्दों का चुनाव करें।
(ख) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) साक्षात्कार की सफलता और अभिव्यक्ति की क्षमता का आपस में कोई संबंध नहीं है। कारण (R) ये दोनों मनुष्य जीवन के अलग-अलग पहलू हैं।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iii) कथन (A) तथा करण (R) दोनों गलत हैं साक्षात्कार की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है, कि आपकी अभिव्यक्ति की क्षमता का आपस में संबंध है। ये दोनों ही मनुष्य जीयन के एक जैसे पहलू हैं।
(ग)’ बोर्ड की बात पर असहमत होकर उग्रता अपनाना किस बात का परिचायक है?
(i) असंतुलित व्यक्तित्व का
(ii) असंतुलित व्यवहार का
(iii) परिवार द्वारा दिए गए आदर्श का
(iv) समाज द्वारा सीखे गए आचरण का
उत्तर :
(i) असंतुलित व्यक्तित्व का बोर्ड की बात पर असहमत होकर उग्रता अपनाना असंतुलित व्यक्तित्व का परिचायक है। यदि आप सदस्य की किसी बात से सहमत नहीं हैं, तो पूरी विनम्रता के साथ उसका खंडन करें। यदि आप ऐसे अवसरों पर उग्रता अपनाते हैं, तो वह आपके असंतुलित व्यक्तित्व का परिचायक होगा।
(घ) गद्यांश के आधार पर बताइए कि साक्षात्कार की आदर्श नीति क्या है?
(i) सरल सुबोध भाषा का प्रयोग
(ii) कथन का स्पष्टीकरण करना
(iii) प्रश्न के उत्तर की जानकारी होना
(iv) ज्यादा न बोलना
उत्तर :
(iv) ज्यादा न बोलना गद्यांश के आधार पर साक्षात्कार की आदर्श नीति ज्यादा न बोलना है। इसी तरह साफ एवं स्पष्ट उत्तर न देने पर आप स्वयं फँस सकते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में सदस्य आपसे उस उत्तर का स्पष्टीकरण माँगेंगे और आप अनावश्यक उलझते चले जाएँगे। इसलिए बोलना साक्षात्कार की एक आदर्श नीति मानी जाती है, जो जितना अधिक बोलेगा, उसके पकड़ में आने की आशंका उतनी ही अधिक होगी।
(ङ) अपनी बात को स्पष्ट एवं प्रभावशाली तरीके से रखने के लिए क्या करना चाहिए?
(i) अपनी बोलने की शक्ति बढ़ानी चाहिए
(ii) अच्छे शब्दों का चुनाव करना चाहिए
(iii) घटिया या द्विअर्थीं शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये समी अपनी बात को स्पष्ट एवं प्रभावशाली तरीके से रखने के लिए अपनी बोलने की शक्ति बढ़ानी चाहिए। अच्छे शब्दों का चुनाव करना चाहिए। धटिया या द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
युगों-युगों से मानव इस धरती पर आसरा लिए हुए हैं। प्रत्येक युग प्रतिक्षण परिवर्तित हुआ है, इसलिए कहा गया है कि समय परिवर्तनशील है, जो आज हमारे साथ नहीं है, कल हमारे साथ होंगे और हम अपने दु:ख और असफलता से मुक्ति पा लेंगे, यह विचार ही हमें सहजता प्रदान कर सकता है। हम दूसरे की संपन्नता, ऊँचा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता देखकर विचलित हो जाते हैं कि यह उसके पास तो है, किंतु हमारे पास नहीं है, वह हमारे विचारों की गरीबी का प्रमाण है और यही बात अंदर विकट असहज भाव का संचालन करती है।
जीवन में सहजता का भाव न होने के कारण से अधिकतर लोग हमेशा ही असफल होते हैं। सहज भाव लाने के लिए हमें नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के साथ-साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए। इसमें हमारे तन-मन और विचारों के विकार बाहर निकलते हैं और तभी हम सहजता के भाव का अनुभव कर सकते हैं। याद रखने की बात है कि हमारे विकार ही हमारे अंदर असहजता का भाव उत्पन्न करते हैं। ईर्ष्या-द्वेष और परनिंदा जैसे गुण हम अनजाने में ही अपना लेते हैं और अंतत: जीवन में हर पल असहज होते हैं। उससे बचने के लिए आवश्यक है कि हम अध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रुझान रखें।
(क) मनुष्य का वैचारिक गरीबी से क्या तात्पर्य है?
(i) दूसरों की संपन्नता से विचलित होना
(ii) दूसरों के ऊँचे पद से विचलित होना
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) योगासन से विचलित होना
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों मनुष्य की वैचारिक गरीबी से तात्पर्य है- मनुष्य का दूसरों की संपन्नता, ऊँचा पद आदि देखकर विचलित हो जाना और यह सोचना कि यह सब उसके पास क्यों नहीं है।
(ख) ‘हमें नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के साथ-साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए।’ पंक्ति के माध्यम से लेखक जीवन में …………………लाने की प्रेरणा दे रहे हैं।
(i) सहज भाव
(ii) असहज भाव
(iii) ईर्ष्या भाव
(iv) द्वेष भाव
उत्तर :
(i) सहज भाव गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जीवन में वहीं लोग सफल होते हैं, जो सहज भाव धारण करते हैं और सहज भावों को धारण करने के लिए हमें नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के साथ-साथ ईश्वर का स्मरण करना चाहिए।
(ग) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. समय परिवर्तनशील होता है।
2. सहजता का भाव रखने वाले लोग जीवन में हमेशा असफल होते हैं।
3. इंख्या, द्वेष और परनिंदा जैसे गुण हमें असहज बनाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/ हैं?
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) 1 और 3
(iv) 2 और 3
उत्तर :
(iii) 1 और 3 गद्यांश के अनुसार, क्थन 1 और 3 सही हैं। समय परिवर्तनशील होता है और यह विचार ही हमें सहजता प्रदान कर सकता है। ईर्था, द्वेष और परनिंदा जैसे गुण हमें असहज बनाते हैं। सहजता का भाव रखने वाले लोग जीवन में हमेशा सफल होते हैं।
(घ) निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द गयांश में दिए गए ‘असहज’ शब्द के सह़ी अर्थ को दर्शाता है?
(i) स्वाभाविक
(ii) विश्रंखल
(iii) अकृच्छ
(iv) निरायास
उत्तर :
(ii) विशृंखल गद्यांश में दिए गए ‘असहज’ शब्द का सही अर्थ है- विश्रृंखल।
(ङ) निम्नलिखित में से किस कथन को गद्यांश की सीख के आधार पर कहा जा सकता है?
(i) संगठन में शक्ति होती है
(ii) जीवन में सहजता का भाव आवश्यक है
(iii) कर भला हो भला
(iv) कोई भी निर्णय लेने से पहले सोचें
उत्तर :
(ii) जीवन में सहजता का भाव आवश्यक है गद्यांश हमें यह सीख देता है कि जीवन में सहजता का भाव आवश्यक है, क्योंकि जीवन में सहजता का भाव न होने के कारण अधिकतर लोग हमेशा असफल हो जाते हैं। इसके लिए अध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रूझान करना चाहिए।
व्यावहारिक व्याकरण
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क)
‘तताँरा
नामक एक युवक को वामीरों से प्रेम हो गया।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) क्रिया-विशेषण पदबंध
(iv) क्रिया पदबंध
उत्तर :
(i) संज्ञा पदबंध
(ख) ‘तीसरी कसम’ फिल्म का निर्माण शैलेंद्र द्वारा किया गया था।’ वाक्य में क्रिया पदबंध है
(i) फिल्म का निर्माण
(ii) तीसरी कसम
(iii) द्वारा
(iv) किया गया था
उत्तर :
(iv) किया गया था
(ग) विशेषण पदबंध का उदाहरण छाँटिए
(i)
वह मनुष्यों के साथ
पशु-पक्षियों की भाषा भी समझता था
(ii) घर में कबूतरों ने घोंसला
बना लिया था
(iii) दिमाग की रफ्तार धीरे-धीरे
धीमी पड़ने लगी
(iv) ‘वजीर अली’ एक
जाँबाज
सिपाही था
उत्तर :
(iv) ‘वजीर अली’ एक
जाँबाज
सिपाही था
(घ)
‘टोपी और इफ़्फन की दादी
अलग-अलग मजहब और जाति की थीं, पर एक अटूट रिश्ते से बँधी थीं।’ रेखांकित पदबंध का भेद है (1)
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) क्रिया पदबंध
(iii) क्रिया-विशेषण पदबंध
(iv) सर्वनाम पदबंध
उत्तर :
(iv) सर्वनाम पदबंध
(ङ)
‘फैलते हुए प्रदूषण
ने मनुष्य के जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएँ पैदा कर दीं।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) सर्वनाम पदबंध
(ii) संज्ञा पदबंध
(iii) विशेषण पदबंध
(iv) क्रिया पदबंध
उत्तर :
(ii) संज्ञा पदबंध
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकत्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ‘फिर तेज कदमों से चलती हुई ततौरारा के सामने आकर ठिठक गई।’ इस वाक्य का संयुक्त वाक्य होगा
(i) फिर तेज कदमों से चलती हुई आई और तताँरा के सामने आकर डिटक गई।
(ii) तेज कदमों से चलती हुई आई फिर तताँरा के सामने आकर ठिठक गई।
(iii) जब तेज कदमों से चलती हुई आई तब्ब तताँरा के सामने आकर विठक गई।
(iv) जैसे ही तेज कदमों से चलती हुई आकर तताँचा के सामने आकर ठिठक गई।
उत्तर :
(i) फिर तेज कदमों से चलती हुई आई और तताँरा के सामने आकर डिटक गई।
(ख) ‘दो सौ आदमियों का जुलूस लाल बाजार जाकर गिरफ्तार हो गया।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिभ्रित वाक्य
(iv) विधानवाचक वाक्य
उत्तर :
(i) सरल वाक्य
(ग) ‘मैं मंदिर भी जाऊँगा और भजन भी सुनूंगा।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्रित वाक्य
(iv) सामान्य वाक्य
उत्तर :
(ii) संयुक्त वाक्य
(घ) ‘रीति के अनुसार, यह आवश्यक था कि दोनो एक ही गाँब के हों।’ इस वाक्व का सरल वाक्य होगा
(i) दोनों एक ही गाँव के हों और रीति के अनुसार यह आवश्वक था।
(ii) रीति के अनुसार, दोनों का एक ही गाँच का होना आवश्यक था।
(iii) जैसे कि रीति के अनुसार, यह आवश्यक था और दोनों एक ही गाँव के हों।
(iv) जहाँ रीति के अनुसार, यह आवश्यक था, वहाँ दोनों एक ही गाँव के हों।
उत्तर :
(ii) रीति के अनुसार, दोनों का एक ही गाँच का होना आवश्यक था।
(ङ) निम्नलिखित वाक्यों में से मिश्र वाक्य है
(i) जीवन में पहली बार ऐसी हुआ कि मैं इस तरह विचलित हो गया।
(ii) भाई साहब उपदेश देने की कला मे निपुण थे।
(iii) नूह ने दु;खी होकर उसकी बात सुनी और मुद्दत तक रोते रहे।
(iv) आपान में चाय पीने की विधि को ‘चा-नो-खू’ कहते हैं।
उत्तर :
(i) जीवन में पहली बार ऐसी हुआ कि मैं इस तरह विचलित हो गया।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं घार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) निम्नलिखित युग्मों पर विधार कीजिए
समस्तपद — समास
1. कृष्ण सर्प — कर्मधारय समास
2. धर्म विमुख — तत्पुरुष समास
3. रातों-राव — बहुलीहि समास
4. गंगात्र — अव्ययी भाव समास
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
(i) 1 और 3
(ii) 3 और 4
(iii) केबल 2
(iv) 1 और 2
उत्तर :
(iv) 1 और 2
(ख) विकारग्रस्त’ शब्द के सही समास-विग्रह का चयन कीजिए
(i) विकार में ग्रस्त है जो-कर्मधारय समास
(ii) विकार से ग्रस्त-तत्पुरुष समास
(iii) ग्रस्त है जो विकार-कर्मधारय समास
(iv) विकार और ग्रस्त-वंद्ध समास
उत्तर :
(ii) विकार से ग्रस्त-तत्पुरुष समास
(ग) ‘भवसागर’ शब्द में कौन-सा समास है?
(i) द्विगु समास
(ii) तत्पुरुष समास
(iii) द्वंद्र समास
(iv) कर्मधारय समास
उत्तर :
(iv) कर्मधारय समास
(घ) ‘शासनपद्धति’ समस्तपद का विग्रह होगा
(i) शासन का पद्धति
(ii) शासन पर पद्धति
(iii) शासन की पद्धति
(iv) शासन से पद्धति
उत्तर :
(iii) शासन की पद्धति
(ङ) ‘ध्यानमगन’ का समास-विग्रह एवं भेद होगा
(i) ध्यान में है जो मग्न-कर्मधारय समास
(ii) ध्यान और मग्न-द्वेद्ध समास
(iii) ध्यान में मग्न-तत्पुरुष समास
(ii) ध्यान के लिए मग्न-अव्ययीभाव समास
उत्तर :
(iii) ध्यान में मग्न-तत्पुरुष समास
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘मुहावरे’ पर आधारित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ब्यापारी एवं बनिए के लिए कार्य करते हैं। उचित मुह़ावरे से रिवत स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) पौ बारह होने
(ii) उड़न छू होने
(iii) उन्नीस बीस होने
(iv) काफूर होने
उत्तर :
(i) पौ बारह होने
(ख) जब रामपाल की करतूतों की पोल खुली तो वह उपयुक्त विकलय द्वारा रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) फरिश्ता हो गया
(ii) पानी-पानी हो गया
(iii) मीठी छुरी हो गया
(iv) राई का पहाइ हो गया
उत्तर :
(ii) पानी-पानी हो गया
(ग) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्य का चयन कीजिए
(i) दाल न गलना-हैरान होना
(ii) लोहे के चने चबाना-मूर्खतापूर्ण कार्य करना
(iii) गाँठ पड़ना-स्थायी रूप से याद रखना
(iv) आड़े हाथों लेना-कठोरता से पेश आना
उत्तर :
(iv) आड़े हाथों लेना-कठोरता से पेश आना
(घ) ‘बना बनाया काम बिगाड़ देना’ अर्थ के लिए सही मुहावरा है
(i) टोंग अड्राना
(ii) आंखों से बोलना
(iii) गुड़ गोबर कर देना
(iv) दो से चार बनाना
उत्तर :
(iii) गुड़ गोबर कर देना
(छ) ‘अनदेखा कर देना’ अर्थ के लिए उपयुक्त मुहावरा है
(i) उल्टी गंगा बहाना
(ii) आंखें चुरा लेना
(iii) आँच न आने देना
(iv) औंखों पर घदां पड़ना
उत्तर :
(ii) आंखें चुरा लेना
(च) सोहन तो निपट मूर्ख है, उसे कितना भी समझा लो उसकी समझ में कुछ नर्ही आता है। रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त करना उचित रहेगा?
(i) लकीर का फकीर
(ii) नाक का बाल
(iii) काठ का उल्लू
(iv) कोल्टू का बैल
उत्तर :
(iii) काठ का उल्लू
पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 5=5)
कर चले हम फिदा जानो-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
साँस थमती गई, नख़्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।
(क) ‘मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों’ से तात्पर्य है
(i) अंतिम साँस तक साहस से शत्रुओं का सामना किया
(ii) मरते-मरते मार्ग से विचलित हो गए
(iii) शरीर में बाँकापन आ गया
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) अंतिम साँस तक साहस से शत्रुओं का सामना किया ‘मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों’ से तात्पर्य मरते समय भी हमारे मन में बलिदान और संघर्ष का जोश बना रहा। अंतिम समय तक भी हमने हिम्मत और साहस से शत्रुओं का सामना किया।
(ख) सैनिकों ने सौसें रुकने और नक्ष जमने पर भी क्या नहीं रोका?
(i) गीत गाना
(ii) अपने कदम आगे बड़ाना
(iii) दुइ्मनों को घोजना
(iv) युद्ध करना
उत्तर :
(ii) अपने कदम आगे बढ़ाना सैनिकों ने साँसें रुकने और नब्ज जमने पर भी अपने कदम को आगे बढ़ने से नहीं रोका। हमने स्वयं को मिटाकर भी हिमालय का मस्तक झुकने से बचाया है।
(ग) युद्ध भूमि में सैनिकों का सिर कट जाने पर भी उन्हें किस बात का गर्व है?
(i) हिमालय पर्वत के सिर को झुकने वहीं दिया
(ii) देश के मान-सम्मान को ठेस नहीं लगने दी
(iii) मरते समय भी मन में बलिदान व संघर्ष का जोश बना रहा
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी युद्ध भूमि में सैनिकों के सिर कटने का गम भारतीय सैनिकों को नहीं है, क्योंकि वह अपनी भारत माता की रक्षा एवं सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। वह अपने कर्त्तव्यों का पालन ईमानदारी के साथ करते हैं। उन्होंने हिमालय का सर नहीं झुकने दिया, देश के मान-सम्मान को ठोस नहीं लगने दी व उनके मरते समय भी मन में बलिदान व संघर्ष का जोश बना रहा। वह अपने धर्म और कर्त्त्य पालन करते समय हमें अपने दुःख का आभास भी नहीं होने देते हैं, बल्कि अपने प्राणों को देश के प्रति समर्पित करके वह गौरान्वित महसूस करते हैं। इसलिए वह देश की रक्षा के लिए हैंसते-हैंसते बलिदान देने को तैयार रहते हैं।
(घ) मरते समय सैनिकों के मन में क्या बना रहा?
(i) भय और आतंक का भाव
(ii) बलिदान और संघर्ष का जोश्ष
(iii) राष्ट्र के गुलाम होने का विचार
(iv) अन्य साथियों से बिछ्डने का दु;ख
उत्तर :
(ii) बलिदान और संघर्ष का जोश मरते समय भी सैनिकों के मन में बलिदान और संघर्ष का जोश आता है। अंतिम समय तक भी सैनिकों ने हिम्मत और साहस से शत्रुओं का सामना किया।
(ङ) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए
1. कवि ने देशहित के लिए बलिदान की भावना को महत्त्व दिया है।
2. देश की रक्षा का भार अन्य साथियों को साँप रहे हैं।
3. बलिदान के पथ पर हमें विजय अवश्य प्राप्त होगी।
4. जवानी में सौदयं, प्रेम और जोश चरमोल्कर्ष पर होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/है?
(i) 1 और 4
(ii) 1,2 और 3
(iii) 1 और 2
(iv) 3 और 4
उत्तर :
(iii) 1 और 2 दिए गए कथनों में से सही कथन हैं-कवि ने देशहित के लिए बलिदान की भावना को महत्त्व दिया है। देश की रक्षा का भार अन्य साथियों को सौंप रहे हैं।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। (1×2=2)
(क) पोथी पढने से व्यक्ति पंडित नहीं बन सकता, क्योंकि
(i) पोधी साधारण व्यक्ति द्वारा लिखी होती है।
(ii) पोदी ज्ञान तो प्रदान करती है, परंतु हमारे आचरण को नहीं बदल सकती।
(iii) पंडित लोगों के मानने से बनते है, पोथी पढ़े से नहीं
(iv) पोधी हमें अच्छा मनुष्य नहीं बनाती
उत्तर :
(ii) पोथी ज्ञान तो प्रदान करती है, परंतु हमारे आचरण को नहीं बदल सकती। संत कबीरदास जी ने अपनी साखी में कहा है कि पोथी पढ़ने से व्यक्ति पंडित नहीं बन सकता, क्योंकि पोथी ज्ञान तो प्रदान करती है, परन्तु हमारे आचरण को नहीं बदल सकती।
(ख) ‘अवलोक रहा है बार-बार नीचे जल में निज महाकार’ से क्या आशय है?
(i) परमाल्मा नीचे उल में बार-बार देख रहा है।
(ii) कवि जल को बार-बार निहार रहा है।
(iii) पर्वत नीचे फैले जल में अपने विशाल आकार को निहार रहा है।
(iv) अवलोक महाकार को बार-बार देख रहा है।
उत्तर :
(iii) पर्वत नीचे फैले जल में अपने विशाल आकार को निहार रहा है। सुमित्रानंदन पंत जी की इस पंक्ति ‘अवलोक रहा है बार-बार नीचे जल में निज महाकार’ से आशय है कि पर्वत नीचे फैले जल में अपने विशाल आकार को निहार रहा है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1×5=5)
ग्वालियर से मुंबई की दूरी ने संसार का काफी कुछ बदल दिया है। वर्सोवा में जहाँ आज मेरा घर है, पहले यहाँ दूर तक जंगल था। पेड़ थे, परिंदे थे और दूसरे जानवर थे। अब यहाँ समंदर के किनारे लंबी-चौड़ी बस्ती बन गई है। इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं, उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है। इनमें से दो कबूतरों ने मेरे फ्लैट के एक मचान में घोंसला बना लिया है।
(क) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) लेखक का पास होने पर भी तिरस्कार हो रहा था।
कारण (R) लेखक नकल करके पास हुआ था।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
उत्तर :
(ii) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) गलत है। लेखक का पास होने पर भी तिरस्कार हो रहा था, लेकिन लेखक जो भी पढ़ता था वह उस विषय को गहराई से समझता था। पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ वह व्यावहारिक ज्ञान का भी अपना विशेष महत्त्व रखता था।
(ख) ग्वालियर से मुंबई की दूरी ने संसार को कैसे बदल दिया है?
(i) बस्तियाँ बसाकर
(ii) पशु-पक्षियों को रहने की जगह देकर
(iii) प्रकृति से संतुलन बनाकर
(iv) जीवन-शैली को सार्थक बनाकर
उत्तर :
(i) बस्तियाँ बसाकर ग्वालियर से मुंबई की दूरी ने संसार को बस्तियाँ बसाकर बदल दिया है। जहाँ पहले दूर-दूर तक जंगल थे, पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों का वास था। वहाँ पर अब बस्तियाँ बसने लगी हैं। इन बस्तियों ने प्राणियों से उनके घर छीन लिए हैं।
(ग) लेखक का घर किस क्षेत्र में था?
(i) ग्वालियर
(ii) दिल्ली
(iii) जंगल
(iv) मुंबई
उत्तर :
(iv) मुंबई लेखक का घर पहले ग्वालियर में था और वर्तमान में मुंबई के वर्सोवा में है।
(घ) गद्यांश के अनुसार ‘डेरा डालने’ से क्या अभिप्राय है?
(i) अस्थायी घरों का निर्माण
(ii) एक जगह से दूसरी जगह जाना
(iii) प्रकृति की दया पर पलना
(iv) अस्थिर रहना
उत्तर :
(i) अस्थायी घरों का निर्माण गद्यांश के अनुसार ‘डेरा डालने’ से अभिप्राय अस्थायी घरों का निर्माण है। शहरों के विस्तार ने पशु-पक्षियों के वास्तविक घर को समाप्त कर दिया है। पेड़-पौधों को काटकर बस्तियों का निर्माण हुआ है। पहले जहाँ दूर तक जंगल थे, परिदे चहचहाते थे, वातावरण में आकर्षण था, वहीं अब परिदे बेधर हो गए हैं।
(ङ) लेखक के घर पर किसने डेरा डाल लिया था?
(i) बिल्डरों ने
(ii) कबूतरों ने
(iii) चिड़ियों ने
(iv) सरकारी अधिकारियों ने
उत्तर :
(ii) कबूतरों ने लेखक के घर पर कबूतरों ने डेरा डाल लिया था। लेखक के मकान के रोशनदान में कबूतर के एक जोड़े ने घोंसला बना लिया था।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। (1×2=2)
(क) निम्नलिखित में से कौन-से वाक्य ‘झेन की देन’ पाठ से प्राप्त प्रेरणा को दर्शाते हैं?
1. मनुष्य को जीवन में अधिक वनाव नहीं लेना चाहिए।
2. मनुष्य के लिए प्रगति बहुत आवश्यक है।
3. हमें प्रतिदिन चाय पीनी चाहिए।
4. सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए।
कूट
(i) केवल 1
(ii) 1 और 4
(iii) 1, 2 और 3
(iv) 1,2 और 4
उत्तर :
(ii) 1 और 4 ‘ झोन की देन’ पाठ से हमें प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य को जीवन में अधिक तनाव नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह तनाव ही मानसिक बीमारियों का कारण बनता है। सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में जीने वाले का जीवन सरल और आदर्शपूर्ण होता है।
(ख) कर्नल कालिज के रकका-बक्का हो जाने का क्या कारण था?
(i) बज़ीर अली की निडरता को देखना
(ii) कंपनी के सिपाहियों को देखना
(iii) वकील की हत्वा की खबर सुनना
(iv) सआदत अली के कारनामे सुनना
उत्तर :
(i) वज़ीर अली की निडरता को देखना कर्नल कालिंज के हक्का-बक्का हो जाने का कारण वजीर अली की निडरता को देखना था। वज़ीर अली बिना डरे कर्नल के खेमे में पहुँचकर कर्नल से धोखे से कारतूस ले लेता है। वज़ीर अली की यह हिम्मत और अपने सामने खड़ी मौत देखकर कर्नल हक्का-बक्का रह गया।
खंड ‘ब’ (वर्णनात्मक प्रश्न)
बंड ‘ब’ में पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक-पुस्तक तथा लेखन से संबंघित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक पुस्तक
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) ‘यह बता देना उल्लेखनीय होगा कि राजकपूर, वहीदा रहमान, शंकर जयकिशन आदि प्रसिद्ध कलाकारों के होने के बाद भी इस फिल्म को खरीदने के लिए कोई वितरक नहीं मिला था। ‘तीसरी कसम’ फिल्म के आधार पर बताइए कि इस फिल्म को कोई वितरक क्यों नहीं मिला था तथा वह अन्य फिल्मों से किस प्रकार भिन्न थी?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फिल्म के आधार पर तीसरी कसम फिल्म को वितरक इसलिए नहीं मिल रहे थे, क्योंकि इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं था, जो अन्य सामान्य फिल्मों में होता है। यह शुद्ध रूप से एक साहित्यिक रचना पर आधारित फिल्म थी, जिसमें करुणा को स्थान दिया गया था। फिल्म के वितरक उसके साहित्यिक महत्त्व और गौरव को समझ नहीं सकते थे।
तीसरी कसम फिल्म को लेखक ने सैल्यूलाइड पर लिखी फिल्म कहा है, क्योंकि यह भावना प्रधान फिल्म थी, जिसमें साहित्यिक और कलात्मक पक्ष पर पूरा-पूरा ध्यान रखा गया था। इस फिल्म के भाव किसी कविता की तरह गहरे और सूक्ष्म थे इसलिए लेखक ने इस फिल्म को अन्य फिल्मों से भिन्न कहा है।
(ख) मनुष्य ने बुद्धि के बल पर आशातीत उन्नति की है, किंतु उन्नति के साथ-साथ वह अवनति की ओर भी बढ़ गया है कैसे? ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर :
मनुष्य ने बुद्धि के बल पर आशातीत उन्नति की है, किंतु उन्नति के साथ-साथ वह अवनति की ओर भी बढ़ गया है। ‘अब कहाँ दूसरे के दुः:ख से दुखखी होने वाले’ पाठ के आधार पर मनुष्य ने बुद्धि के बल पर बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। परिवार के समान दिखाई देने वाले संसार को टुकड़ों में बाँट दिया है और विश्व को टुकड़ों में बॉँटकर वह स्वयं को विजयी समझ रहा है, जबकि यही उसकी सबसे बड़ी हार है, क्योंकि जुड़े होने पर सभी एक-दूसरे की परवाह करते हैं, परंतु अलग होने पर सभी अपने-अपने लिए सोचते हैं।
यह सोच सबसे अधिक दुःखायी होती है। ऐसी स्थिति में कोई किसी के दुःख-दर्द को न तो समझता है, न बाँटना चाहता है। संवेदनहीनता सीमा का अतिक्रमण कर चुकी है। प्रस्तुत पाठ में इस तथ्य को स्पष्ट किया जा सकता है कि आज के युग में ऐसे लोग बहुत कम हैं, जो दूसरों के दुःख से दुःखी होते हैं।
(ग) छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई थी? ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर :
छोटे भाई को खेलना बहुत पसंद था। जब बहुत खेलने के बाद भी उसने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया, तो उसे स्वयं पर अभिमान हो गया। अब उसके मन से बड़े भाई का डर भी जाता रहा। एक दिन पतंग उड़ाते समय उसे बड़े भाई ने पकड़ लिया। उन्होंने उसे समझाया और अगली कक्षा की पढ़ाई की कठिनाइयों का अहसास भी दिलाया।
उन्होंने बताया वह कैसे उसके भविष्य के कारण अपने बचपन का गला घोंट रहे हैं। उनकी बातें सुनकर छोटे भाई की आँखें खुल गईं। उसे समझ में आ गया कि उसके अव्वल आने के पीछे बड़े भाई की ही प्रेरणा रही है। इससे उसके मन में बड़े भाई के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) आपके द्वारा इस पाठ्यक्रम में पढ़ी गई किस कविता में कवि ने मनुष्य को मृत्यु से भयभीत न होने की प्रेरणा दी है और क्यों? कौन-से व्यक्ति मरकर भी अमर हो जाते है?
उत्तर :
‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्य को मृत्यु से भयभीत न होने की प्रेरणा दी है। कवि के अनुसार, मानव जीवन क्षणभंगुर है, जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए जब मृत्यु ही अंतिम सत्य है और प्रत्येक प्राणी को इसका वरण करना ही है तो मनुष्य को मृत्यु का सामना करने से भयभीत नहीं होना चाहिए। इस संसार में वे व्यक्ति मरकर भी अमर हो जाते हैं, जो अपना संपूर्ण जीवन मानव हितार्थ समर्पित कर देते हैं। जिनका जीवन लोक सेवा के लिए ही होता है, वे व्यक्ति ही अपने महान् कार्यों से संसार में अमर हो जाते हैं।
(ख) आपके पाठ्यक्रम में किस कबिता में बादलों के उठने और वर्षा होने का चित्रण किया गया है? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने बादलों के उठने और वर्षा होने का चित्रण किया है। पंत जी कहते हैं कि बादल अत्यधिक भयानक और विशाल आकार में अचानक ही गरजकर इस प्रकार ऊपर उठे, जैसे कोई पहाड़ बादलरूपी पंखों को फड़फड़ाते हुए आकाश में उड़ गया हो। कुछ ही देर में वे इस प्रकार बरस पड़े, जैसे उन्होंने धरती पर पूरे वेग से आक्रमण कर दिया हो। यह देखकर शाल के पेड़ इतने भयभीत हो गए कि वे धरती में धँस गए और तालाब से धुआँ उठने लगा।
(ग) कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषताहैं स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कबीर जी की उद्धृत साखियों की भाषा सधुक्कड़ी है। इनमें अवधी, ब्रज, खड़ीबोली, राजस्थानी, फारसी, अरबी, पूर्वी हिंदी तथा पंजाबी आदि भाषाओं के शब्दों का सुंदर प्रयोग हुआ है। इनमें संस्कृत, तद्भव तथा देशज शब्दों के अद्भुत मेल (‘शीतल’ का ‘सीतल’, ‘ वियोगी’ का ‘वियोगी’ आदि) को प्रस्तुत किया गया है। कवि ने अपनी बात कहने के लिए साखी को अपनाया है। यह वस्तुतः दोहा छंद है। इनमें अत्यंत सामान्य भाषा में लोक व्यवहार की शिक्षा दी गई है। इनमें मुक्तक शैली का प्रयोग हुआ है तथा गीति तत्त्व के सभी गुण विद्यमान हैं। भाषा सहज और मधुर है। भाषा में अनुप्रास, रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश, उदाहरण व दृष्टांत अलंकार का प्रयोग हुआ है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) अब तक हरिहर काका सब कुछ समझ चुके थे। इन घटनाओं का उन पर इतना गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ा था कि वे मौन रहने लगे, वे
किसी से कुछ नहीं कहते थे। हरिहर काका पर किन घटनाओं का प्रभाव पड़ा? ‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हरिहर काका के लिए उनके भाइयों का परिवार ही सब कुछ था, क्योंकि वे निःसंतान थे और उनकी पत्नी भी जीवित नहीं थी। वे अपने भाइयों के सहारे ही जीवन व्यतीत कर रहे थे। भाइयों के प्रति प्रेम एवं लगाव का जल्दी ही भ्रम टूटने लगा और उनका मोहमंग होना शुरू हो गया। जमीन के लालच में उनके भाइयों ने उनसे मारपीट तक की। इससे पहले मठ के महंत ने भी उनके साथ बुरा व्यवहार किया था। इन घटनाओं के कारण हरिहर काका को बहुत सदमा पहुँचा। उन्होंने अपने भाइयों एवं निकट संबंधियों से इसकी उम्मीद नहीं की थी। सदमे के कारण ही हरिहर काका बिलकुल मौन हो गए।
(ख) टोपी दो साल लगातार फेल हो गया। पिछली कक्षा वाले बच्चों के साथ बैठना आसान काम नहीं था, उस पर अध्यापकों की बेरुखी। ‘टोपी शुक्ला’ कहानी के आधार पर बताइए कि एक अध्यापक द्वारा टोपी जैसे विद्यार्थियों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करना उचित है?
उत्तर :
‘टोपी शुक्ला’ कहानी के आधार पर टोपी दो साल लगातार फेल हो गया। फेल होने में उसका कोई दोष नहीं था। अपने से छोटे बच्चों के साथ कक्षा में बैठना बहुत कठिन काम था, उस पर अध्यापक द्वारा यह कहकर व्यंग्य कसना कि क्या बलभद्र की तरह इसी दर्जे में टिके रहना चाहते हो, तीन बरस से यही किताब पढ़ रहे हो, तुम्हें तो सारे जवाब याद हो गए होंगे, इन लड़कों की अगले साल हाई स्कूल की परीक्षा है आदि टिप्पणियाँ टोपी के लिए बहुत पीड़ादायक थीं और उसके मनोबल को तोड़ने का कार्य करती थीं। शिक्षकों द्वारा बालकों के साथ इस प्रकार का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। इस प्रकार के व्यवहार से वे कुण्ठाग्रस्त एवं अवसाद के शिकार हो सकते हैं।
(ग) लेखक का स्कूल बहुत छोटा था, उसमें केवल नौ कमरे थे। दाईं ओर पहला कमरा हेडमास्टर श्री मदनमोहन शर्मा जी का था। वर्तमान समय में विद्यालयों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्तन आए हैं तथा वे किस प्रकार विद्यार्थी की शिक्षा में सहायक बन रहे हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
वर्तमान समय में विद्यालयों की स्थिति में परिवर्तन आए हैं। जीवन मूल्यों के विकास हेतु शिक्षा व्यवस्था को पूर्ण रूप से प्रयोगवादी बनाना चाहिए। इसमें शिक्षा बाल केंद्रित होती है और अनुशासन लचीला होता है। आधुनिक समय में शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य है, परंतु अब शिक्षा प्रणाली पूरी तरह बदल चुकी है। अब सभी अभिभावक बच्चों पर उतना ही ध्यान देते हैं, जितना शिक्षक।
विद्यालय में लिखित कार्य के साथ प्रायोगिक कायों पर भी जोर दिया जाता है। दण्ड के स्थान पर धैर्यपूर्वक प्रोत्साहित करने पर जोर दिया जाता है। शारीरिक दण्ड देना अपराध माना जाता है। ऐसी कोई भी टिप्पणी करने पर पाबंदी है, जो छात्रों में हीनता की भावना को जन्म दे। अतः कहा जा सकता है कि ये ही परिवर्तन विद्यार्थियों की शिक्षा में सहायक बन रहे हैं।
लेखन
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुष्छेद लिखिए। (5×1=5)
(क) आत्मनिर्भर भारत अभियान
संकेत बिंदु
- आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है?
- उद्देश्य
- लाभ
- उपसंहार
उत्तर :
आत्मनिर्भर भारत अभियान
भारत को उस प्रत्येक क्षेत्र में सक्षम बनाना, जिसमें वह दूसरे देशों की मदद लेता है। इस अभियान की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट वर्ष 2019-20 के दौर में भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए की थी। इस अभियान का उद्देश्य विदेशों से भारत में आने वाली वस्तुओं पर अपनी निर्भरता को कम करना है अर्थात् हमें ज्यादा-से-ज्यादा भारत में बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करना है। उनकी गुणवत्ता में सुधार करना है। इससे देश के विकास में बहुत लाभ मिलेगा और भारत एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनेगा।
इस अभियान के अनेक लाभ हैं, आत्मनिर्भर होने से देश में उद्योगों में बढ़ोतरी होगी, जिससे देश बेरोजगारी के साथ-साथ गरीबी से भी मुक्त होगा, देश में निर्यात बढ़ेगा, जिससे पूँजी में वृद्धि होगी तथा हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी आदि। आत्मनिर्भर भारत को लेकर सरकार बहुत सुदृढ़ कदम उठा रही है, तो हमें भी सरकार का सहयोग करना चाहिए। हमें अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। इसके लिए हमें देश में निर्मित वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। इससे हमारा देश आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से मजबूत होगा।
(ख) ट्रैफिक जाम में फँसा मैं
‘संकेत बिंदु –
- ट्रैफिक की समस्या का आधार
- लोगों की जल्दबाज़ी और व्यवस्था की कमी
- सुधार के उपाय
- अनुभव से सीख
उत्तर :
ट्रैफिक जाम में फँसा मैं
यातायात के साधन विज्ञान का ऐसा आविष्कार है, जिनसे मनुष्य वर्षों, महीनों के स्थान पर कुछ ही घंटों या मिनटों में एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से पहुँच जाता है। आज मनुष्य इतनी प्रगति कर चुका है कि अधिकांश लोग अपने निजी साधन; जैसे – कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर आदि खरीदने में सक्षम हैं। इसी कारण सड़कों पर अत्यंत भीषण जाम की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
आज स्कूल से आते समय मैंने देखा कि अनेक वाहन अपनी लाइन में न चलकर हमारी बस लाइन में ओवरटेक कर रहे थे। लोगों की इस जल्दबाज़ी के कारण दो वाहनों की भिड़ंत हो गई जिससे सड़क पर भीषण जाम लग गया। ये सब हमारी भ्रष्ट कानून-व्यवस्था और हमारे नियमों का पालन न करने की आदत के कारण हुआ, वहाँ कोई ट्रैफिक पुलिस नहीं थी, जो इस ट्रैफिक को नियंत्रित करती।
इस समस्या के सुधार के लिए हमारी कानून-व्यवस्था में कठोर नियम बनने चाहिए तथा इसके साथ-साथ लोगों को भी ट्रैफिक नियमों का पालन भली-भाँति करना चाहिए, तभी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। आज के अनुभव से सीख लेते हुए मैंने यह संकल्प लिया है कि मैं यातायात के नियमों का पालन करूँगा और इसके लिए सभी को प्रेरित करूँगा, ताकि ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न न हो।
(ग) विज्ञापनों से भरी दुनिया
संकेत बिंदु –
- विज्ञापन का युग
- विज्ञापन का प्रभाव
- विज्ञापन के लाभ
- विज्ञापन की हानियाँ
उत्तर :
विज्ञापनों से भरी दुनिया
वर्तमान समय विज्ञापन युग के रूप में जाना जाता है। विज्ञापनों के माध्यम से ही उत्पादक अपने उत्पाद का प्रचार करके लाभ कमाते हैं। विज्ञापनों में इतना आकर्षण होता है कि कम गुणवत्ता वाले उत्पाद भी बड़ी सरलता से बाज़ार में बिकते नज़र आते हैं। हमारे जीवन में विज्ञापनों का इतना प्रभाव है कि ऐसा लगता है, जैसे वे ही यह तय करते हैं कि हम क्या पहनें, क्या खाएँ, कौन-सा साबुन या टूथपेस्ट प्रयोग करें इत्यादि ।
एक सीमा तक विज्ञापनों से हमें लाभ भी है, लेकिन कुछ हानि भी। लाभ यह है कि विज्ञापन एक सशक्त माध्यम है, जिससे हमें नए उत्पादों के बारे में जानकारी मिलती है। यह सही वस्तु के चयन में हमारी सहायता करता है। आज प्रत्येक वस्तु एक-दूसरे का विज्ञापन बन गई है; जैसे- टी.वी. खरीदो तो प्रेस मुफ़्त । इस प्रकार एक वस्तु के दाम से दो वस्तुओं को प्राप्त किया जा सकता है। विज्ञापनों की लुभावनी भाषा के आकर्षण से बचे रह पाना बहुत कठिन होता है। अतः विज्ञापनों की बढ़ती अधिकता के कारण हमें अपने विवेक से काम लेना होगा। अधिकांश विज्ञापनों में सच्चाई की कमी होती है। लुभावने विज्ञापनों से प्रभावित होकर हम उन्हें खरीद तो लेते हैं, परंतु उसमें गुणवत्ता और विश्वसनीयता के अभाव में पैसों के साथ-साथ अपना समय भी बर्बाद कर लेते हैं।
प्रश्न 15.
विद्यालय में सामान्य ज्ञान की मासिक पत्रिकाएँ मँगवाने के लिए प्रधानाचार्य को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5×1=5)
अथवा
आपकी कक्षा में गणित की पढ़ाई न होने से कोर्स पिछड़ गया है। इस संबंध में अमित/अमिता की ओर से अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को गणित की अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करवाने के लिए लगभग 100 शब्दों में प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भबन।,
नई दिल्ली- 32
दिनांक 27 मई, 20xx
सेवा में,
प्रधानावार्य महोदय,
केंद्रीय विद्यालय
नई दिल्ली-32
विषय : विचालय में सामान्य छ्ञान की मासिक पत्रिकाएँ मेंगवाने हेतु।
महोदय.
सबिनय निबेदन है कि हमारे विधालय के पुस्तकालय में सामान्य ज्ञान जैसे कि ज्ञान-विज्ञान व खेल संबंधी हिन्दी की मासिक पत्रिकाओं का अभाव है। यहाँ पर अन्य पुस्तके तो आती है, लेकिल अनेक विद्यार्थियों को सामान्य ज्ञान की पत्रिकाओं की आवश्यकता है। अतः आपसे निवेदन है कि पुस्तकालय में क्रिकेट सड़ाट, सामान्य अध्ययन, प्रतियोगिता दर्पण, विश्ञान प्रगति, नंदन आदि पत्रिकाएँ नियमित रूप से मेगवाई जाएँ, जिससे कि अधिक-से-अधिक छात्र ज्ञान क्रहण कर सके। आशा है कि आप हमारी मॉग पूरी करेंगे।
आपका आज्ञाकारी छात्र
नाम : मृणाल
कक्षा : दसवीं ‘ब’
अथवा
सेचा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य जी
राजकीय उच्य माध्यमिक विद्यालय
नजफगद नई दिल्ली।
विषय : गणित विषय की अतिरिक्त कक्षा हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं इस विद्यालय की कक्षा 10 वी का प्रतिनिथि हैं। महोदय कारण यह है कि हमारी अर्द्धवार्षिक परीक्षा बहुत नजदीक है, लेकिन गणित का पाट्यक्रम अमी तक पूरा नहीं हुआ है। इसका कारण यह है कि गणित के अध्यापक का स्थानांतरण किसी अन्य दिधालय में हो गया है। इपर अगस्त माह का दूसरा सप्ताह भी दीत चुका है। ऐसे में बिना अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करवाए पाट्यक्रम समय पर पूरा होना असम्भव है। अतः हम छात्रों के मविष्य को ध्यान में रखते हुए छुट्टी के बाद अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित क्रवाकर हमारा पाए्यक्रम पूर्ण करवाया जा सकता है।
अतः आपसे पार्थना है कि गणित विषय की अतिरिक्त कक्षा आयोजित करवाने की कृपा करें।
धन्यवाद।
आपका आक्षाकारी शिष्य
अनित
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए। (4×1=4)
अपना परिचय-पत्र खो जाने की जानकारी देते हुए एक सूचना तैयार कीजिए।
अथवा
स्काउट/गाइड कैंप के आयोजन हेतु विद्यार्थी परिषद् की बैठक के लिए एक सूचना तैयार कीजिए।
उत्तर :
विद्या निकेतन, ममफोर्डगंज, इलाह्वाबाद
दिनांक 21 अप्रैल, 20xx परिचय-पत्र खो जाने संबंधी
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 20 अप्रैल, 20xx को विद्यालय का मेरा परिचय-पत्र विद्यालय परिसर में ही कहीं गिर गया है। उस पर मेरी फोटो के साथ-साथ मेरा नाम, कक्षा- 10 वीं ‘डी’ तथा अनुक्रमांक -16 अंकित है। में प्रतिदिन बस से विद्यालय आता-जाता हूँ और विद्यालय का परिचय पत्र दिखाने पर मुझे किराए में छूट मिलती है। इसके अतिरिक्त पुस्तकालय से पुस्तकें जारी करवाने के लिए भी मुझे इसकी बहुत आवश्यकता है। परिचय पत्र की दूसरी प्रति लेने में काफी समय लग जाएगा, जिससे पुस्तकों के अभाव में मेरी पढ़ाई का बहुत नुकसान होगा। अतः यदि वह किसी को मिले तो मुझे लौटाने की कृपा करे। में हमेशा आपका आभारी रहूंगा।
|
अथवा
डी. के. पब्लिक स्कूल, दिल्ली
दिनांक 7 मई, 20xx स्काउट/गाइड कैंप का आयोजन हेतु विद्यार्थी परिषद् के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में आगामी सप्ताह की दिनांक 15 मई, 20xx से 17 मई, 20xx तक स्काउट/गाइड कैंप का आयोजन होने जा रहा है। कैंप में शहर के कुछ जाने-माने लोग अतिथि के रूप में आने वाले हैं। प्रधानाचार्य से मिले आदेश के अनुसार कैंप के आयोजन की सभी प्रकार की व्यवस्था का जिम्मा विद्यार्थी परिषद् को सौंपा गया है। कैंप की व्यवस्था से संबंधित कुछ आवश्यक विषयों पर चर्चाकरने के लिए विद्यार्थी परिषद् की बैठक कल दिनांक 8 मई, 20xx को सुबह 11 बजे प्रधानाचार्य कार्यालय में होगी। विद्यार्थी परिषद् के सभी सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य है।
शोभित मिश्रा (सचिव)
|
प्रश्न 17.
एयर कंडीशनर की ब्रिकी हेतु लगभग 40 शब्दों में विज्ञापन लिखिए। (3×1=3)
अथवा
यातायात के नियमों का पालन करने हेतु लगभग 40 शब्दों में विज्ञापन लिखिए।
उत्तर :
प्रश्न 18.
“परिश्रम ही सफलता का सोपान है।” विषय पर लघु कथा लगभग 100 शब्दों में लिखिए (5x 1=5)
अथवा
आप विद्यालय की साहित्य परिषद् के सचिव है। आप अपने विद्यालय में अंतर्विद्यालय युवा कवि-सम्मेलन कराना चाहते हैं। इस आयोजन के लिए आपको वियालय की ओर से कुछ सुविथाएँ भी चाहिए। उनका उल्लेख करते हुए सम्मेलन के आयोजन की अनुमति प्राप्त करने हेतु अपने प्रधानाचार्य को एक ई-मेल लिखिए। (शब्द-सीमा लगभग 100 शब्द)
उत्तर :
परिश्रम ही सफलता का सोपान है
मेरे मित्र के बड़े भाई ने वर्ष 1993 में एलएलबी की परीक्षा पास की, परंतु घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्होंने आगे की पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी आरंभ कर दी और साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करने लगे।
वर्ष 2005 तक नियमित अध्ययन और मेहनत के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। एक वकील के अधीन कार्य करते हुए, उन्होंने एलएलएम की परीक्षा दी और प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। उसके बाद पुनः एक अध्यापक के परामर्श से परीक्षाओं की तैयारी आरंभ की। उन्हें सफलता मिली और क्लर्क की नौकरी प्राप्त की। अब थोड़ा आर्थिक स्थिति में सुधार हो गया था, परंतु मन में अभी भी ‘जज’ बनने की इच्छाशक्ति कम नहीं हुई थी। उन्होंने पुनः स्वयं को अध्ययन करने के लिए तैयार किया।
दिन में कार्यालय से आने के बाद वे रात 10 से 2 बजे तक प्रतिदिन मेहनत और लगन से परीक्षा की तैयारी करते थे। अपने शुरू के प्रयासों में उन्हें असफलता मिली, वह मायूस तो हुए, परंतु स्वयं पर उन्हें पूरा विश्वास था। अपने अंतिम प्रयास को लक्षित करते हुए उन्होंने तीन महीने के लिए कार्यालय से अवकाश लेकर दिन-रात अथक परिश्रम किया और परीक्षा दी। दो माह पश्चात् रिजल्ट आया और इस बार उनकी मेहनत और विश्वास का फल उन्हें मिला। उन्होंने प्रथम रैंक के साथ जज की परीक्षा पास की। नियमित अभ्यास, कठोर परिश्रम और आत्मविश्वास से उन्हें लक्ष्य की प्राप्ति हुई।
सीख इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि परिश्रम कभी निष्फल नहीं होता। मेहनत करने से ही सफलता पाई जा सकती है। अतः ठीक ही कहा गया है कि “परिश्रम ही सफलता का सोपान है।”
अथवा