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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 6 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
- इस म्रश्न-पत्र में दो खंड है-‘अ’ और ‘ब।
- खंड ‘अ’ में उपप्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- निर्देशों को बहुत सावधानी से पदिए और उनका पालन कीजिए।
- दोनों खडों के कुल 18 प्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के मशनों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’ (वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं। जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित गद्यांश
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
आज कुछ छात्र अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी चला रहे हैं। अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चलाने से तात्पर्य उन छात्रों से है, जो अपना समय, अपने माता-पिता का पैसा और ज्ञान प्राप्त करने का स्वर्णिम अवसर खो रहे हैं। ऐसे छात्र जो समय, धन और अवसर, तीनों चीज़ों से हाथ धो रहे हैं। वस्तुत: वे अपने जीवन में दु:खी रहने का ही प्रबंध कर रहे हैं, क्योंकि इन तीनों चीजों का सदुपयोग ही मनुष्य को सुख प्रदान करता है।
आप जिस कार्य को पूरी ईमानदारी तथा लगन से करना प्रारंभ करते हैं, उसमें आपको छोटी या बड़ी सफलता अवश्य मिलती है और जब सफलता मिलनी प्रारंभ होती है, तो रुचि बढ़ने लगती है, लेकिन जब हम किसी कार्य को बिना मन के भाव से करते हैं, तो हमें असफलता का ही सामना करना पड़ता है, जिससे अरुचि उत्पन्न होती है।
किसी भी छात्र से यह उम्मीद की जाती है कि वह अपने तन, मन और बुद्धि को श्रेष्ठ बनाए और इसके लिए आवश्यक है कि उसकी अध्ययन तथा खेल दोनों में ही रुचि हो, लेकिन जिन विद्यार्थियों की अध्ययन तथा खेल दोनों में ही अरुचि है, वे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी ही चला रहे हैं। खेल या अध्ययन किसी में भी रुचि न होना विद्यार्थी के उदासीन पक्ष को उजागर करता है। जीवन में इस प्रकार का व्यवहार रखकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता, इसलिए विद्यार्थी को चाहिए कि वह अपनी रुचियों को विकसित करे और जीवन में आगे बढ़े।
(क) अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चलाने से लेखक का आशय
(i) उन छात्रों से है, जो अपना समय बर्बाद करते हैं
(ii) उन छात्रों से है, जो अपने माता-पिता का पैसा बर्बाद करते हैं
(iii) उन छात्रों से है, जो ज्ञान प्राप्त करने का स्वर्णिम अवसर खो रहे हैं
(iv) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(iv) उपरोक्त सभी प्रस्तुत गद्यांश के आधार पर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चलाने से लेखक का आशय उन छात्रों से है, जो अपना समय, अपने माता-पिता का पैसा और ज्ञान प्राप्त करने का स्वर्णिम अवसर खो रहे हैं। ऐसे छात्र जो समय, धन और अवसर इन तीनों उपयोगिताओं से हाथ धो रहे हैं।
(ख) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पदिए उसके बाद दिए गए विकल्यों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) प्रत्येक छात्र के लिए समय, धन और अवसर का सदुपयोग करना अनिवार्य है।
कारण (R)इसी से वह अपने जीवन में सुख व सफलता की प्राप्ति कर सकता है।
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
उत्तर :
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है प्रत्येक छात्र के लिए समय, धन और अवसर का सदुपयोग करना अनिवार्य है। इसी से वह अपने जीवन में सुख व सफलता की प्राप्ति कर सकता है। वस्तुतः वे अपने जीवन में दुःखी रहने का ही प्रबन्ध कर रहे हैं, क्योंकि इन तीनों चीजों का सदुपयोग ही मनुष्य को सुख प्रदान करता है।
(ग) लेखक के अनुसार, किसी कार्य के प्रति हमारी रुचि का विकास कब होने लगता है?
(i) जब कार्य करने के विषय में सोचते है
(ii) अब सफलता मिलनी प्रारंभ होती है
(iii) जब अन्य को असफलता मिलती है
(iv) जब असफलता हाथ लगती है
उत्तर :
(ii) जब सफलता मिलनी प्रारंभ होती है लेखक के अनुसार, किसी कार्य के प्रति हमारी रुचि का विकास तब होता है, जब सफलता मिलनी प्रारम्भ होती है। जब आप किसी कार्य को पूरी ईमानदारी तथा लगन से करना प्रारम्भ करते हैं, उसमें आपको छोटी या बड़ी सफलता अवश्य मिलती है और जब सफलता मिलनी प्रारम्भ होती है, तो रुचि बढ़ने लगती है।
(घ) गयांश के आधार पर बताइए कि किसी भी छात्र से क्या अपेक्षा की जाती है?
(i) वह परीक्षा उत्तीर्ण करे
(ii) वह समाज के लिए कार्य करे
(iii) वह अपने तन, मन और बुद्धि को श्रेष्ठ बनाए
(iv) वह अषने विहालय का नाम रोशन करे
उत्तर :
(iii) वह अपने तन, मन और बुद्धि को श्रेष्ठ बनाए गद्यांश के आधार पर किसी भी छात्र से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने तन, मन और बुद्धि को श्रेष्ठ बनाए और इसके लिए आवश्यक है कि उसकी अध्ययन तथा खेल दोनों में ही रुचि हो ।
(ङ) विद्यार्थियों की अध्ययन तथा खेल दोनों मेंही अरुचि का क्या परिणाम होता है?
(i) उनका विकास अवरुद्ध हो जाता है
(ii) वे निराशापूर्ण जीवन जीते हैं
(iii) उनका उदासीन पक्ष उजागर होता है
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iii) उनका उदासीन पक्ष उजागर होता है विद्यार्थियों की अध्ययन तथा खेल दोनों में ही अरुचि होने से उनका उदासीन पक्ष उजागर होता है। जिन विद्यार्थियों की अध्ययन तथा खेल दोनों में ही अरुचि है, वे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी ही चला रहे हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
आज हम एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थिति प्राप्त कर चुके हैं, राष्ट्र की अनिवार्य विशेषताओं में दो हमारे पास हैं, भौगोलिक अखंडता और सांस्कृतिक एकता। परंतु अब तक हम उस वाणी को प्राप्त नहीं कर सके हैं, जिसमें एक स्वतंत्र राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों को अपना परिचय देता है। बहुभाषा-भाषी देश तो और भी अनेक हैं, परंतु उनकी अविच्छिन्न स्वतंत्रता की तुलना में भारत विषम पराधीनता को झेलता रहा है। हमारी परतंत्रता भी आँधी-तूफान के समान नहीं आई।
वह तो रोग के कीटाणु लाने वाले मंद समीर के समान साँस में समाकर शरीर में व्याप्त हो गई है। हमें यह ऐतिहासिक सत्य भी विस्मृत हो गया कि कोई विजेता विजित देश पर राजनीतिक प्रभुत्व पाकर ही संतुष्ट नहीं होता, क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है, न स्थायी। घटनाएँ संस्कारों में चिर जीवन पाती हैं और संस्कार के अक्षय वाहक शिक्षा, साहित्य, कला आदि हैं। दीर्घकाल से विदेशी भाषा हमारे विचार-विनिमय और शिक्षा का माध्यम ही नहीं रही।
वह हमारे विद्वान और सुसंस्कृत होने का प्रमाण भी मानी जाती रही है। ऐसी स्थिति में यदि हममें से अनेक उसके अभाव में जीवित रहने की कल्पना से सिहर उठते हैं, तो आश्चर्य की बात नहीं। पर रोग की स्थिति को स्थायी मानकर तो चिकित्सा संभव नहीं होती। राष्ट्र-जीवन की पूर्णता के लिए उनके मनोजगत् को मुक्त करना होगा और यह कार्य विशेष प्रयत्नसाध्य है, क्योंकि शरीर को बाँधने वाली श्रृंखला से आत्मा को जकड़ने वाली श्रृंखला अधिक दृढ़ होती है।
(क) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. विदेशी शिक्षा हमारे विचार विनिमय का साधन रही है।
2. हमारे पास दूसरे राष्ट्रों को अपना परिचय देने की शक्ति है।
3. मनुष्य को संस्कार शिक्षा, कला, साहित्य आदि से प्राप्त होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) केवल 3
(iv) 1,2 और 3
उत्तर :
(iii) केवल 3 दिए गए कथनों में से सही कथन है-मनुष्य को संस्कार शिक्षा, कला, साहित्य आदि से प्राप्त होते हैं। घटनाएँ संस्कारों में चिर जीवन पाती हैं और संस्कार के अक्षय वाहक शिक्षा, साहित्य, कला आदि हैं। वह हमारे विद्वान और सुसंस्कृत होने का प्रमाण भी मानी जाती रही है।
(ख) सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है, न स्थायी। पंक्ति के माध्यम से लेखक एक राष्ट्र की को अनिवार्य तत्त्व बता रहे हैं।
(i) सांस्कृतिक एकता
(ii) राजनीतिक एकता
(iii) भौगोलिक अखंडता
(iv) सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता
उत्तर :
(iv) सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है, न स्थायी। पंक्ति के माध्यम से लेखक एक राष्ट्र की सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता को अनिवार्य तत्त्व बता रहे हैं। हमें यह ऐतिहासिक सत्य भी विस्मृत हो गया कि कोई विजेता विजित देश पर राजनीतिक प्रभुत्व जाकर ही संतुष्ट नहीं होता, क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है और न स्थायी है।
(ग) कोई राष्ट्र राजनीतिक प्रभुत्व पाकर भी संतुष्ट क्यों नहीं होता है?
(i) क्योंकि समाज में वह अधिक पाना चाहता है
(ii) क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय पूर्ण और स्थायी नहीं होती
(iii) क्योकि दीर्घकाल से गुलामी झेलकर राजनीति में पूर्ण विजय प्राप्त नहीं होती
(iv) क्योंकि केवल राजनीतिक सफलता से आर्थिक स्वतंत्रता नहीं मिलती
उत्तर :
(ii) क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय पूर्ण और स्थायी नहीं होती कोई राष्ट्र राजनीतिक प्रभुत्व पाकर भी संतुष्ट नहीं रहता, क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है और न ही स्थायी होती है।
(घ) हमारे राष्ट्र में राष्ट्रभाषा के प्रतिष्ठित न हो सकने का मुख्य कारण क्या था?
(i) दीर्षकालीन पराषीनता
(ii) अन्य भाषाओं को महत्त्व देना
(iii) भौगोलिक अखंडता को अधिक महृच देना
(iv) विषय की गंभीरता को न समझना
उत्तर :
(i) दीर्घकालीन पराधीनता हमारे राष्ट्र में राष्ट्रभाषा के प्रतिष्ठित न हो सकने का मुख्य कारण दीर्घकालीन पराधीनता था। दीर्घकाल से विदेशी भाषा हमारे विचार-विनिमय और शिक्षा का माध्यम ही नहीं रही। वह हमारे विद्वान और सुसंस्कृत होने का प्रमाण भी मानी जाती रही है।
(ङ) राष्ट्र जीवन की पूर्णता के लिए क्या आवश्यक है?
(i) विदेशी भाषा की मानसिकता से मुक्ति
(ii) मानसिक और आध्यात्मिकता भृंखला से मुक्ति
(iii) सास्कृतिक चेतना का पुनर्जींबन
(iv) विशिष्ट कार्यों में लोगों की नियुक्ति
उत्तर :
(i) विदेशी भाषा की मानसिकता से मुक्ति राष्ट्र जीवन की पूर्णता के लिए विदेशी भाषा की मानसिकता से मुक्ति आवश्यक है। आज हम एक स्वतन्त्र राष्ट्र की स्थिति प्राप्त कर चुके हैं। राष्ट्र की अनिवार्य विशेषताओं में दो हमारे पास हैं भौगोलिक अखण्डता और सांस्कृतिक एकता, परन्तु अब तक हम उस वाणी को प्राप्त नहीं कर सके हैं, जिसमें एक स्वतन्त्र राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों को अपना परिचय देता है।
व्यावहारिक व्याकरण
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। $(1 \times 4=4)$ (क) ‘दुशशासन ने भरी सभा में दौपदी का चीर हरण करने का प्रयास किया था।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पद्वंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) क्रिया पदबंच
(iv) विशेषण पदबंध
उत्तर :
(iii) क्रिया पदबंच
(ख) ‘मौं सरस्वती उदार मनुष्य का गुणगान करती है।’ इस वाक्य में विशेषण पदबंध है
(i) माँ सरस्वती
(ii) उदार
(iii) गुणगान
(iv) मनुष्य
उत्तर :
(ii) उदार
(ग) क्रिया-विशेषण पदब्ध का उदाहरण छोंटिए
(i) शिल्पकार शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ फिल्म में अपने जीबन का सूवंश्षेष्ठ अभिनय किया था
(ii) जनरल सालव सुंदर डॉॉमी के साथ पछारे है
(iii) लाल बालों वाला एक सिपाही चला आ रहा था
(iv) धरती किसी एक की नहीं है
उत्तर :
(i) शिल्पकार शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ फिल्म में अपने जीबन का सूवंश्षेष्ठ अभिनय किया था
(घ) ‘बड़े भाई साहब बहुत दुःखी थे।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदवंध
(ii) सर्वनाम पद्बंध
(iii) विशेषण पद्बंध
(iv) क्रिया-विशेषण पदर्बंध
उत्तर :
(i) संज्ञा पदवंध
(ङ) कलकत्ता के हजारों लोगों द्वारा देश का दूसरा स्कतंत्रता दिवस मनाया गया। रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) विशेषण घदबंध
(ii) संज़ा पदरंध
(iii) सर्वनाम पद्बंध
(iv) विशेषण पद्बंध
उत्तर :
(iii) सर्वनाम पद्बंध
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ‘जब लेखक जत्दी-जल्दी कार्य करने की योजना बनाते, तब उन्हें ओमा की याद आती।’ इस वाक्य का सरल वाक्य होगा
(i) लेखक को जल्दी-जल्दी कार्य करने पर ओमा की याद आती।
(ii) लेखक उल्दी-जल्दी कार्य करता और औमा को याद करता।
(iii) जैसे ही लेखक जल्दी-जल्दी कार्य करता, वैसे ही उसको ओमा की बाद आती।
(iv) ओमा की बाद आते ही लेखक जल्दी-जल्दी कार्ब करता।
उत्तर :
(i) लेखक को जल्दी-जल्दी कार्य करने पर ओमा की याद आती।
(ख) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. काम पूरा कर डालो नहीं तो जुर्माना होगा | 1. सरल वाक्य |
B. आश्चर्य है कि वह हार गया | 2. संयुक्त वाक्य |
C. पैसा साध्य न होकर साधन है। | 3. मिश्र वाक्य |
A — B– C
(i) 2 — 3–1
(ii) 1 — 2– 3
(iii) 3 — 2 — 1
(iv) 2 — 1 –3
उत्तर :
(i) 2 — 3–1
(ग) ‘हरिहर काका निःसंतान होने के कारण कथावाचक को प्यार करते थे।’ दिए गए वाक्य का मिश्र वाक्य होगा
(i) हरिहर काका निःसंतान थे और कथावाचक को प्यार करते थे।
(ii) हरिहर कथावाचक को नि:संतान होने के कारण प्यार करते थे।
(iii) हरिहर काका नि:संतान थे, इसलिए कथावाचक को प्यार करते थे।
(iv) हरिहर काका नि:संतान होने के कारण कथावाचक से प्यार करते थे।
उत्तर :
(iii) हरिहर काका नि:संतान थे, इसलिए कथावाचक को प्यार करते थे।
(घ) निम्न में संयुक्त वाक्य है
(i) बच्चे बगीचे में खेल रहे हैं।
(ii) पितारी नहीं उठे, क्योंकि उनकी तबीयत खराब है।
(iii) परीक्षक ने प्रश्न-पत्र बाँटे और परीक्षार्थी उत्तर लिखने लगे।
(iv) पिताजी ने चुझ्रे पकाकर सेना में भर्ती कराया।
उत्तर :
(iii) परीक्षक ने प्रश्न-पत्र बाँटे और परीक्षार्थी उत्तर लिखने लगे।
(ङ) वीमारो कुछ सचेत होने पर घर की ओर दौड़ी। रचना के आधार पर वाक्य का भेद होगा
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) सामान्य वाक्य
उत्तर :
(i) सरल वाक्य
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। $(1 \times 4=4)$ (क) ‘मृगलोचन’ शब्द में कौन-सा समास है?
(i) कर्मधारय समास
(ii) अव्ययीभाव समास
(iii) त्वुरुष समास
(iv) बहुत्रीहि समास
उत्तर :
(i) कर्मधारय समास
(ख) ‘जीवन साथी’ शद्ध के लिए सही समास-विग्रह और समास का चयन कीजिए
(i) जीवन और साथी-दंद्र समास
(ii) जीवन के लिए साथी-कर्मध्धारय समास
(iii) जीवन का साथी-तत्पुरुष समास
(iv) जीवन में साथी-अव्ययीभाव समास
उत्तर :
(iii) जीवन का साथी-तत्पुरुष समास
(ग) ‘जन्मांध’ शब्द के सही समास-विग्रह और समास का चयन कीजिए
(i) जन्म से अंधा-ततुरुरुष समास
(ii) अंधा है जो जन्म से-कर्मधारय समास
(iii) जन्म और अंधा-दंद समास
(iv) जन्म के लिए अंधा-तत्तुरुप समास
उत्तर :
(i) जन्म से अंधा-ततुरुरुष समास
(घ) ‘सप्ताह’ समस्तपद का विग्रह है
(i) सात सप्ताह
(ii) सात दिनों का समाहार
(iii) सप्त है जो दिन
(iv) दिनों में सात
उत्तर :
(ii) सात दिनों का समाहार
(ङ) निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए
समस्तपद — समास
1. घंजाब — दियु समास
2. लाल बाजार — बढुलीटि समास
3. यथाबिधि — अब्ययोभाव समास
4. विद्धारी रचित — द्वंद समास
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से युम्म सुमेलित है/हैं?
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 4
(iii) 1 और 3
(iv) केवल 4
उत्तर :
(iii) 1 और 3
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘मुहावरे’ पर आधारित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4=4)
(क) वर्तमान व्यवस्था के विरोध में मीडिया में । उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) आसमान सिर पर उठाने लगा है
(ii) आवाज़ उठने लगी है
(iii) उल्टी गंगा बहने लगी है
(iv) उन्नीस-बौस होने लया है
उत्तर :
(i) आसमान सिर पर उठाने लगा है
(ख) क्रांतिकारियों ने भारत को आज़ाद कराने के लिए लिया था। रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुहावरे से कीजिए
(i) मन्न-जल ठठाना
(ii) गड़े मुदें उखाड़ना
(iii) बीड़ा उठाना
(iv) आसमान सिर पर उठाना
उत्तर :
(iii) बीड़ा उठाना
(ग) रिश्वत लेते पकड़े जाने पर अधिकारी की शान में गया। रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुझ्ञावरे से कीजिए
(i) बट्टा लगना
(ii) पगड़ी रखना
(iii) दम भरना
(iv) दंग रह जाना
उत्तर :
(i) बट्टा लगना
(घ) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकर्य का चयन कीजिए
(i) होश उड़ जाना-खो जाना
(ii) यमपुर पहुँचाना-एक स्थान पर पहुँचाना
(iii) बाट जोहना-दंतजार करना
(iv) पापड्ड बेलना-कायँ करना
उत्तर :
(iii) बाट जोहना-दंतजार करना
(ङ) रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त करना उचित रहेगा ‘बड़े भाई साहब को आगे बढ़ने का कोई उपाय नहीं मिल रहा था।’
(i) राह न सूझना
(ii) सुराग न मिलना
(iii) हिम्मत टूटना
(iv) सिर फिरना
उत्तर :
(i) राह न सूझना
(च) ‘खरी-खोटी सुनाना’ के लिए उपयुक्त मुहावरा है
(i) आपा खोना
(ii) आड़े हाथों लेना
(iii) हावी होना
(iv) दो से चार बनाना
उत्तर :
(ii) आड़े हाथों लेना
पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पदकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1×5=5)
अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े, समक्ष ही स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े-बड़े। परस्परावलंब से उठो तथा बढ़ो सभी, अभी अमर्त्य-अंक में अपंक हो चढ़ो सभी। रहो न यों कि एक से न काम और का संरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
(क) ‘परस्परावलंब’ से क्या अभिग्राय है?
(i) एक-दूसरे का सहबोग लेना
(ii) एक-दूसरे से शत्रुता करना
(iii) एक-दूसरे से छल-कपट करना
(ii) दूसरे से स्वार्थ सिद्ध करना
उत्तर :
(i) एक-दूसरे का सहयोग लेना ‘परस्परावलम्ब’ से अभिप्राय एक-दूसरे के सहयोग से उन ऊँचाइयों को प्राप्त करना है, जहाँ देवता स्वयं तुम्हें अपनी पवित्र गोद में बैठाने के लिए उत्सुक हों।
(ख) अंतरिक्ष में खडे देव अपनी दाहु को क्यों बढ़ा रहे है?
(i) समृद्धि के लिए
(ii) स्वस्थत्ता के लिए
(iii) मार्गदर्शन के लिए
(iv) मदद के लिए
उत्तर :
(iii) मार्गदर्शन के लिए कवि के अनुसार, अन्तरिक्ष में खड़े देव अपनी बाहु को मार्गदर्शन के लिए बढ़ा रहे हैं। इस अपरिमित आकाश में असंख्या देवगण विराजमान हैं। वे अपने हाथ बढ़ाकर उदार हृदय, दयालु तथा परोपकारी मनुष्यों के स्वागतार्थ खड़े हैं।
(ग) कवि मनुष्य को किस प्रकार रहने की सलाह देता है?
(i) हिसा की भावना से
(ii) प्रतिशोध की भावना से
(iii) सहयोग की भावना से
(iv) पराधीनता की भावना से
उत्तर :
(iii) सहयोग की भावना से कवि मनुष्य को सहयोग की भावना से रहने की सलाह देता है। मनुष्य को परोपकारी होना चाहिए। उसको अपने या अपनों के हित- चिन्तन में संलग्न होना चाहिए। केवल अपने बारे में सोचना पशु-प्रवृत्ति है। मनुष्यों को एक-दूसरे के बारे में भी सोचना चाहिए, यही मनुष्यता है।
(घ) प्रस्तुत पद्यांश के माध्यम से कवि ने क्या संदेश देना चाहा है?
(i) जीवन की सार्यकता स्वार्थ सिद्धि में है
(ii) जीवन की सार्थकता देवों के ख्यवहार में है
(iii) जीवन की सार्यकता कुटिल व्यवहार में है
(iv) जीवन की सार्थकता परोपकार में है
उत्तर :
(iv) जीवन की सार्थकता परोपकार में है ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि बन्धुत्व को परिभाषित करते हुए हमें मनुष्यता से आवृत्त गुणों के मार्ग पर चलने की सलाह देते हैं। कवि के अनुसार, जीना या मरना उसी मनुष्य का सार्थक है, जो दूसरों के लिए जीता या मरता है। परोपकार, दयालुता तथा उदारता के गुण जीवन को सार्थक बनाने में सक्षम हैं।
(ङ) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पदिए
1. असंख्य देवता आकाश में परोपकारी मनुष्यों के स्वागतार्थ बड़े है।
2. हमें एक-दूसरे के कल्याणार्थ कर्मरत रहना चाहिए।
3. स्वयं का उद्धार करना ही हमारे जीवन का उद्देश्य है।
4. कवि यहाँ कलंकरहित जीने की प्रेरणा दे रहा है।
पद्यांश से मेल खाते वाक्यों के लिए उचित विकल्प चुनिए
(i) 1 और 2
(ii) 2,3 और 4
(iii) 1 और 4
(iv) केवल 1
उत्तर :
(ii) 1 और 2 दिए गए विकल्पों में से पद्यांश से मेल खाने वाले वाक्य हैं – असंख्य देवता आकाश में परोपकारी मनुष्यों के स्वागतार्थ खड़े हैं
और हमें एक-दूसरे के कल्याणार्थ कर्मरत् रहना चाहिए।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए। (1x 2=2)
(क) ‘जब मैं था तब हरि नहीं’ पंकित का भाव है
(i) जब्ध मैं जीवित था तब भगवान नहीं थे
(ii) उब्ब मुझामें अहंकार भरा धा, तब ईस्वर मुझे नहीं मिल पा रहे थे
(iii) जब में होता हैं, तब भगवान नही होते
(iv) जब में मंदिर दर्शन करने गया, तो वहाँ भगवान नहीं थे
उत्तर :
(ii) जब मुझमें अहंकार भरा था, तब ईश्वर मुझे नहीं मिल पा रहे थे। ‘जब मैं था तब हरि नहीं’ इस पंक्ति द्वारा कबीर का कहना है कि जिस समय मेरे अन्दर ‘मैं’ अर्थात् अहंकार भरा हुआ था, उस समय मुझे ईश्वर नहीं मिल पा रहे थे। अब-जब मुझे ईश्वर के दर्शन हो गए हैं, तो मेरे भीतर का ‘मैं’ अर्थात् अहंकार समाप्त हो गया है।
(ख) राजा उशीनर ने अपने शरीर का मांस दान कर दिया, व्योंकि
(i) वे अपने वचन कौ रक्षा करना चाहते थे
(ii) बे एक पक्षी के प्राण बचाना चाहते थे
(iii) वे भूखे को भोजन खिलाना चाहते थे
(iv) वे देवताओं की जीत व रक्षा करना चाहते थे
उत्तर :
(ii) वे एक पक्षी के प्राण बचाना चाहते थे गाँधार देश के राजा उशीनर ने एक पक्षी के प्राण बचाने के लिए अपने शरीर का मांस दान कर दिया। उसी प्रकार कुंती पुत्र दानवीर कर्ण ने अपने वचन की रक्षा के लिए अपने शरीर के अंग कवच और कुंडल भी दान कर दिए थे।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गध्यांश को पद़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1×5=5)
“इस तरह अंग्रेज़ी पढोगे, तो जिंदगी-भर पढ़ते रहोगे और एक हर्फ़ न आएगा। अंग्रेजी पढ़ना कोई हँसी-बेल नहीं है कि जो चाहे, पढ़ ले, नहीं ऐरा-गैरा नत्थू-खैरा सभी अंग्रेजी के विद्वान हो जाते। यहाँ रात-दिन आँखें फोड़नी पड़ती हैं और खून जलाना पड़ता है, तब कहीं यह विद्या आती है और आती क्या है, हाँ कहने को आ जाती है।
बड़े-बड़े विद्यान भी शुद्ध अंग्रेत़ी नहीं लिख सकते, बोलना तो दूर रहा और मैं कहता हूँ, तुम कितने घोंघा हो कि मुझे देखकर भी सबक नहीं लेते। मैं कितनी मेहनत करता हूँ, यह तुम अपनी आँखों से देखते हो, अगर नहीं देखते, तो यह तुम्हारी आँखों का कसूर है, तुम्हारी युद्धि का कसूर है। इतने मेले-तमाशे होते हैं, मुझे तुमने कभी देखने जाते देखा है? रोज ही क्रिकेट और हॉकी मैच होते हैं। मैं पास नहीं भटकता।
हमेशा पळता रहता हूँ। उस पर भी एक-एक दरजे में दो–दो, तीन-तीन साल पड़ा रहता हैँ, फिर भी तुम कैसे आशा करते हो कि तुम यों खेलकूद में वक्त गँवाकर पास हो जाओगे? मुझे तो दो-तीन साल ही लगते हैं, तुम उम्न-भर इसी दरजे में पड़े सड़े रहोगे? अगर तुम्हे इस तरह उम्र गँवानी है, तो बेहतर है, घर चले जाओ और मजे से गुल्ली-ड़ा खेलो। दादा की गाढ़ी कमाई के रुपये क्यों बर्बाद करते हो?”
(क) ‘तुम कितने घोंघा हो कि मुझे देखकर भी सबक नहीं लेते’ पंक्ति में ‘घोधा’ से क्या अभिप्राय हैं?
(i) मूखा
(ii) समुद्री जीव
(iii) जंगली जीच
(iv) सिद्धांतवादी
उत्तर :
(i) मूर्ख ‘तुम कितने घोंघा हो कि मुझे देखकर भी सबक नहीं लेते’ इस पंक्ति में घोंघा से अभिप्राय मूर्ख से है। बड़े भाई साहब ने लेखक को पूरी उम्र एक ही कक्षा में पड़े रहने का भय इसलिए दिखाया, क्योंकि वे अज्ञान और अयोग्यता के कारण स्वयं पढ़ाई से डरे हुए थे। उन्हें लगता था कि इतना पढ़ने के बाद भी जब मैं बार-बार फेल हो जाता हूँ, तो शायद छोटे भाई के लिए पढ़ाई करना तो और भी कठिन हो जाएगा।
(ख) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प ‘चुनकर लिखिए।
कथन (A) अंग्रेजी पढ़ना व लिखना प्रत्येक विद्धान को नहीं आता है।
कारण (R) इसे सीखने के लिए खून जलाना पङ्कता है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है।
(ii) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) गलत है।
(iii) कधन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(iv) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है।
उत्तर :
(ii) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) गलत है। बड़े भाई का मत था कि पढ़ाई-लिखाई आसान कार्य नहीं है, क्योंकि अंग्रेजी को तो वह सर्वाधिक कठिन विषय मानते थे। वे कहते थे कि अंग्रेजी सीखने के लिए खून जलाना पड़ता है अर्थात् कठिन परिश्रम करना पड़ता है। वह लेखक से कहते थे कि यदि वह इसी तरह खेल-कूद में समय व्यतीत करता रहा, वह पूरी जिंदगी में भी कभी उत्तीर्ण नहीं हो पाएगा।
(ग) “बड़े भाई साहब बहुत मेहनत करते हैं, हमेशा पढ़ते रहते हैं, कभी मेले-तमाशे देखने नहीं जाते हैं व कभी खेलते भी नर्ही हैं।” कथ्यन के माध्यम से ज्ञात होता है कि बड़े भाई साहब
(i) खेलकूद को व्यर्घ समझते है
(ii) पाठ को समझे बिना व अर्थ जाने बिना रटते रहते हैं
(iii) व्यावहारिक ज्ञान को महत्तवपूर्ण नहीं समझते
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी ” बड़े भाई साहब बहुत मेहनत करते हैं, हमेशा पढ़ते रहते हैं, कभी मेले – तमाशे देखने नहीं जाते हैं व कभी खेलते भी नहीं है। कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि लेखक ने समूची शिक्षा के जिन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है, उनमें सर्वाधिक प्रमुख है रटकर पढ़ाई करना। इसका साक्षात् प्रमाण है बड़े भाई, जो दिन-रात पुस्तक के एक-एक शब्द को रटते रहते हैं और उनका अर्थ जानने की कोशिश नहीं करते। इसके अलावा खेलकूद को भी व्यर्थ समझते हैं तथा किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान को महत्त्वपूर्ण नहीं समझते हैं।
(घ) छोटे भाई को घर लौटने का परामर्श दिया जा रहा था
(i) क्योकि वह पढ़ने की अपेक्षा बेलकूद्ध में समय बर्बाद करता है
(ii) क्योंकि उसे ऐेलना पसंद नहीं है
(iii) क्योंकि वह मेहनत नहीं करता है
(iv) क्योकि वह बड़े भाई जितना समझदार नहीं है
उत्तर :
(i) क्योंकि वह पढ़ने की अपेक्षा खेलकूद में समय बर्बाद करता है बड़े भाई साहब छोटे भाई को घर लौटाने की सलाह देते हुए कहते हैं कि उसे दिन-रात पढ़ना चाहिए और खेलकूद से दूर रहना चाहिए, क्योंकि इससे समय व्यर्थ में नष्ट होता है। यदि मेहनत नहीं करोगे तो उसी दरजे में पड़े रहोगे। ऐसा वह अपने छोटे भाई को सही रास्ते पर लाने के लिए करते थे।
(ङ) बड़े भाई को किस कारण लगता है कि छोटा भाई दादा की सारी कमाई बर्बाद कर रहा है?
(i) खेलकूद में अधिक रुचि होने के कारण
(ii) बड्डे भाई को सम्मान न देने के कारण
(iii) स्वर्य को अधिक बुदिमान समझने के कारण
(iv) अध्यापकों का आदर न करने के कारण
उत्तर :
(i) खेलकूद में अधिक रुचि होने के कारण बड़े भाई को खेलकूद में अधिक रुचि होने के कारण लगता है कि छोटा भाई दादा की सारी कमाई बर्बाद कर रहा है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का वयन कीजिए। (1x 2=2)
(क) निम्नलिखित में से कौन से तथ्य लिटिल अंडमान के विषय में सत्य हैं?
1. यह अंडमान द्वीपसमूह का अंतिम द्वीपसमूह है।
2. पहले बह निकोबार द्वीपसमूह से मिला हुआ था।
3. इसकी लंबाई सर्वाधिक है।
4. यह वर्तमान में समाप्त हो चुका है।
कृट
(i) केवल 1
(ii) 1,2 और 3
(iii) 1 और 2
(iv) 3 और 4
उत्तर :
(iii) 1 और 2 दिए गए विकल्पों में से लिटिल अण्डमान के विषय में सत्य तथ्य हैं कि यह अण्डमान द्वीपसमूह का अन्तिम द्वीपसमूह है। पहले यह निकोबार द्वीपसमूह से मिला हुआ था। निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का यह विश्वास है कि बहुत समय पहले लिटिल अण्डमान और कार निकोबार द्वीपसमूह आपस में मिले हुए थे।
(ख) तीसरी कसम फिल्म की सबसे महत्त्वपूर्ण और बड़ी खूबी थी
(i) इसमें दिखाया दु-ख स्वाभाविक धा, नाटकीय नहीं
(ii) इसमें सुख की परिभाषा अत्यंत सरल थी
(iii) इसका संगति अव्यंत मधुर धा
(iv) इसमें करणणा के साथ जूझने का संकेत था
उत्तर :
(i) इसमें दिखाया दुःख स्वाभाविक था, नाटकीय नहीं ‘तीसरी कसम’ फिल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ इसलिए कहा गया है, क्योंकि यह एक भावपूर्ण फिल्म थी। यह मात्र एक कहानी न होकर फिल्मी रील पर लिखी हुई एक कविता थी, जो अत्यंत संवेदनशील और मानवीय गुणों से ओत-प्रोत थी।
खंड ‘ब’ (वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक-पुस्तक तथा लेखन से संबंपित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्थारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक पुस्तक
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) अपने देश की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होता है तथा प्रत्येक नागरिक को अपने देश व उसमें रहने वाले देशवासियों की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करना अपना अनिवार्य कर्त्तव्य मानना चाहिए।
‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर बताइए कि कलकत्ता में मनाए जाने वाले स्वतंग्रता दिवस समारोह में देशभवत्तों ने किस प्रकार अपना योगदान दिया?
उत्तर :
डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर कलकत्ता में मनाए जाने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में देशवासियों ने 26 जनवरी, 1931 के दिन स्वतंत्रता पाने के लिए आन्दोलन किया, जिसमें बहुत से देशवासी पुलिस की लाठी खाकर घायल हुए, बहुतों को पुलिस लॉकअप में रखा गया और अनेक स्त्रियाँ जेल भी गईं। उस दिन लोग लाठियाँ खाकर धरती पर गिरते रहे, किंतु अपने लक्ष्य की ओर दृढ़ता से बढ़ते भी रहे। इससे कलकत्ता के नाम पर लगा वह कलंक कुछ हद तक कम हो गया, जिसमें यह कहा जा रहा था कि कलकत्तावासी स्वतंत्रता पाने के लिए कुछ भी कार्य नहीं कर रहे हैं।
(ख) वामीरो तताँरा के वियोग को सहन नहीं कर पा रही थी, उसने खाना-पीना छोड़ द्विया था और अपने परिवार से अलग हो चुकी थी तथा रोज तत्ताँरा को उसी स्थान पर बूँढती थी। तताँरा ब वामीरो की प्रेमकथा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
तताँरा और वामीरो की प्रेमकथा एक लोककथा पर आधारित प्रेम कहानी है। यह कहानी पुरानी मान्यताओं व रीति-रिवाजों में समय के साथ परिवर्तन करते रहना चाहती है। जिसमें यह संदेश दिया गया है कि प्रेम को किसी बन्धन, सीमा अथवा रीति-रिवाज में नहीं बाँधा जा सकता। यदि कोई जाति धर्म, क्षेत्र, प्रदेश आदि प्रेम की पवित्र भावना पर पहरे लगाएगा और उसे पनपने का अवसर नहीं देगा, तो इसका परिणाम सुखद नहीं होगा। जो मान्यता व रीति-रिवाज मनुष्य के जीवन को बोझ बना दें, उन्हें समाप्त करना ही मानवता के हित में होता है।
सभी गाँव वाले तताँरा -वामीरो के विवाह के विरुद्ध थे, जिसके परिणामस्वरूप तताँरा -वामीरो ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। उनकी इस त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में सुखमयी परिवर्तन के रूप में रूढ़ि परंपरा का खंडन हुआ। अतः कहा जा सकता है कि प्रेम को किसी बंधन, रूढ़ियों व सीमा में नहीं बाँधा जा सकता, बल्कि प्रेम वह साधन है, जिसके माध्यम से लोगों को आपस में जोड़ा जा सकता है।
(ग) बड़े भाई साहब छोटे भाई के चुप होने का क्या अर्थ निकालते थे?
उत्तर :
बड़े भाई साहब छोटे भाई के चुप होने का यह अर्थ लगाते थे कि उसे अपना अपराध स्वीकार है। इस पर भाई साहब स्नेह और रोष से मिले-जुले शब्दों में उसका स्वागत करते थे। बड़े भाई साहब छोटे भाई से यह प्रश्न करते हैं कि कहाँ थे ? वह यह प्रश्न इतने क्रोधित होकर पूछते कि लेखक प्रतिक्रियास्वरूप चुप रहकर अपना अपराध स्वीकार कर लेता। इसके बाद वह छोटे भाई को पढ़ाई व भविष्य से सम्बन्धित उपदेश देना आरम्भ कर देता था। उनका कहना था कि पढ़ाई-लिखाई करना कार्य नहीं है, क्योंकि अंग्रेजी को वह बेहद कठिन विषय मानते थे। वह लेखक को कहते थे कि यदि वह इसी तरह खेल-कूद में समय व्यतीत करता रहा, तो वह पूरी जिंदगी में कभी उत्तीर्ण नहीं हो पाएगा।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) कवि ने लक्ष्मण रेखा को माध्यम बनाकर कौन-सी बात कही थी? ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि ने लक्ष्मण रेखा को माध्यम बनाकर ‘कर चले हम फिदा’ कविता के आधार पर स्पष्ट किया है कि हमारी मातृभूमि हमारी सीता माँ है, जिसे कोई रावणरूपी विदेशी आक्रमणकारी छू न पाए, उस पर कज्जा या नियन्त्रण न कर सके। वे भारत की भूमि पर नापाक इरादे से कदम न रख सके। हमें अपनी सीता रूपी मातृभूमि की ‘राम ‘ एवं ‘लक्ष्मण’ बनकर रक्षा करनी होगी।
(ख) कवि के अनुसार मनुष्य की मृत्यु गौरवशाली होनी चाहिए। मनुष्यता पाठ के आधार पर गौरवशाती मृत्यु किसे कहा गया है?
उत्तर :
कवि के अनुसार मृत्यु गौरवशाली होनी चाहिए। मनुष्य को मृत्यु से भयभीत न होने की बात इसलिए कही गई है, क्योंकि मानव जीवन क्षण भंगुर है, जब जन्म हुआ है, तो मृत्यु भी अवश्य होगी। जब मृत्यु ही अन्तिम सत्य है और इस सत्य को कोई झुठला नहीं सकता है अर्थात् उसे मृत्यु का वरण करना ही पड़ेगा, तो मनुष्य को मृत्यु से नहीं घबराना चाहिए। इसे ही गौरवशाली मृत्यु कहा गया है।
(ग) आपके पाठ्यद्रत्म में किस कविता में मीरा की विरह वेदना का वर्णन किया गया है? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मीराबाई के विरह वर्णन में स्पष्ट रूप से प्रेम में तड़पते हुए अपने प्रेमी की प्रतीक्षा करने का सजीव चित्रण है। वह श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए तड़पती रहती हैं। वह विरह में इतनी व्याकुल हैं कि अपने प्रेमी से मिलने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।
वह अर्द्ध-रात्रि के समय श्रीकृष्ण से यमुना नदी के किनारे मिलने की विनती करती हैं। यहाँ तक कि वह उनकी सेविका बनने को भी तैयार हैं। मीरा श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए कुसुम्बी साड़ी पहनने को तैयार हैं। वे अपनी भाव-भक्ति को अपनी सबसे बड़ी जागीर मानकर कृष्ण-दर्शन की अभिलाषिणी हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि मीरा के काव्य में विरह वेदना की अनुभूति अपनी चरम सीमा पर है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) “अगली कक्षा में जाने के विचार से बत्ते उत्साहित भी होते थे और उदास भी।” इसमें निहित अर्थ को ‘सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर अगली कक्षा में जाने के विचार से बच्चे उत्साहित भी होते थे और उदास भी। इसका कारण अगली कक्षा में जाने पर नई किताब – कॉपियों की प्राप्ति होती है। बच्चे नई किताब – कॉपियों से खुश हो जाते हैं। नई किताबों में उन्हें नवीन ताजगी का अहसास होता है। लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, जिस कारण नई पुस्तकों को खरीदना संभव नहीं था। लेखक को अगली कक्षा में जाने पर नई कॉपियों के साथ पुरानी किताबें भी मिलती थीं, जिस कारण लेखक का बालमन पुरानी किताबों की विशेष गन्ध से उदास हो जाता था।
(ख) हरिहर काका, जो एक वृद्ध व्यक्ति हैं, परिवार का प्यार और अपनापन पाने की चाह रखते हैं, जो उनको नहीं मिल पाता, क्योंकि परिवार के सभी सदस्य स्वार्थ के वशीभूत हो गए हैं। कोई भी निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा करना नहीं चाहता। ‘हरिहर काका’ पाठ के आधार पर बताइए कि वर्तमान में ग्रामीण जीवन में ही नहीं, बत्कि शाहरी जीवन में भी यह किस प्रकार घटित हो रहा है?
उत्तर :
हरिहर काका’ पाठ के आधार पर वर्तमान में ग्रामीण जीवन में ही नहीं, बल्कि शहरी जीवन के प्रति ‘हरिहर काका’ नामक कहानी घटित हो रही है। इस कहानी को लिखने का उद्देश्य सगे (अपने) व पराए लोगों के प्रति सावधानी बरतना है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से इस बात पर बल दिया है कि सभी प्रकार के सम्बन्ध, रिश्ते केवल स्वार्थ पर ही आधारित होते हैं। यही नहीं सगे-सम्बन्धी तो दूर की बात है, साधु-सन्त भी इस बुराई से अछूते नहीं हैं और वे भी स्वार्थ की पूर्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।
ऐसे में व्यक्ति को स्वयं समझदारी दिखानी चाहिए और किसी भी रिश्ते की बजाए खुद पर भरोसा करना चाहिए। लोग अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार होते हैं। उनके आपसी रिश्ते भी स्वार्थ पर आधारित हैं। यहाँ तक कि धार्मिक व सामाजिक संस्थाएँ भी, जो लोगों के कल्याण की बातें करती हैं। इस स्वार्थ से अछूती नहीं रही हैं। धन प्राप्त करने की चाहत लोगों के रिश्ते-नातों में कभी न भर पाने वाली दरार डाल देती है।
(ग) “टोपी और इप़फन की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे, पर एक अनजान अटूट रिश्ले से दैधे थे तथा टोपी और इफ़फ़न अपनी दादी के बदलने की बाते किया करते थे।” कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
टोपी को इफ्फन की दादी से अत्यधिक प्रेम मिला था। टोपी को उनके पास रहना अच्छा लगता था। दादी की भाषा, भोलापन उसे अच्छा लगता था। टोपी को अपनी दादी से नफरत थी। उसकी दादी अपने आपको अच्छे रूप में पेश करने के लिए टोपी की भाषा को गँवारों की बोली कहती तथा तमाम अवसरों पर टोपी की उपेक्षा करती रहती।
टोपी ने दादी का असली रूप इफ्फन की दादी में देखा था। इसलिए उसने इफ्फान के सामने दादी बदलने की बात कही। यह बच्चों के भोलेपन का सुन्दर नमूना है तथा प्रेम की चाहत का स्वाभाविक चित्रण भी। इससे बालमन की विशेषता का पता चलता है कि बच्चों का मन अत्यन्त भोला व निश्छल होता है। बालमन को केवल हृदय की सच्ची भावनाओं और प्यार के बन्धनों से बाँधा जा सकता है। वह भाषा, जाति, धर्म एवं आयु के बन्धन से परे होता है।
लेखन
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
(क) हों. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम (5×1=5)
संकेत बिंदु
- पारिवारिक स्थिति
- शिक्षा
- उपलधियों
उत्तर :
डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
भारत भूमि त्रषियों-भुनियों और अनेक कर्मवीरों की भूमि है। यहाँ अनेक महापुरुष पैदा हुए हैं। इन्हीं में एक नाम है-डो.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम। देश उन्हें जनता के राष्ट्रपति के नाम से जानता है। डों. अब्दुल कलाम हमेशा अपनी सादगी और अनुशासन के लिए जाने जाते हैं। “डॉ. कलाम थे देश को अर्पण,
जीवन या उनका एक दर्शन।”
डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम् नामक कस्बे में हुआ था। इनके पिता का नाम जनुलाब्दीन और माता का नाम अशियम्मा था। इनके पिता पढ़े-लिखे मध्यमवर्गीय व्यक्ति थे। इनकी माता आदर्श महिला थी। इनके पिता और रामेश्वर मन्दिर के पुजारी में गहरी मित्रता थी, जिसका असर कलाम के जीवन पर भी पड़ा। इनके पिता रामेश्वर से धनुषकोडि तक आने के लिए तीर्थयात्रियों के लिए नौकाएँ बनवाने का कार्य किया करते थे।
डॉ. कलाम की प्रारम्भिक शिक्षा तमिलनाडु में हुई। इसके बाद वे रामनाथपुरम् के स्कूल में गए। अब्दुल कलाम ने अपनी आरम्भिक शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार वितरित करने का कार्य भी किया था। कलाम ने वर्ष 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अन्तरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।
वर्ष 1972 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। वहाँ इन्हें भारत का पहला स्वदेश उपग्रह (S.L.V. III) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश भाग अनुसंधान को समर्पित कर दिया। परमाणु क्षेत्र में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। उनके नेतृत्व में 1 मई, 1998 का प्रसिद्ध पोखरण परीक्षण किया गया। वह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। मिसाइल कार्यक्रम को नई ऊँचाई तक ले जाने के कारण उन्हें मिसाइल मैन कहा जाता है।
18 जुलाई, 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया और इन्हें 25 जुलाई, 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इनका कार्यकाल 25 जुलाई, 2007 तक रहा। यद्यपि उनका सम्बन्ध राजनीति की दुनिया से कोसों दूर था फिर भी संयोग और भाग्य के मेल से उन्होंने भारत के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में इस पद को सुशोभित किया। उन्होंने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए निष्पक्षता और पूरी निष्ठा से कार्य किया।
डॉ. कलाम ने बड़े ही परिश्रम से परमाणु एवं अन्तरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाई तक पहुँचाया। उसके लिए वर्ष 1997 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 1981 में पद्म विभूषण एवं वर्ष 1990 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया। ‘भारत रत्न’ से सम्मानित होने वाले वे देश के तीसरे वैज्ञानिक है। इसके साथ ही उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजा गया; जैसे-इंदिरा गाँधी अवांड, वीर सावरकर अवार्ड आदि।
(ख) परिश्रम का महत्त्व
संकेत बिंदु
- परिश्रम से ही सब कुछ संभव
- अथक प्रयास
- परिभम ही भाग्य
उत्तर :
परिश्रम का महत्त्व
परिश्रम सफलता की कुंजी है, जो व्यक्ति परिश्रमी है तथा जो समय का सदुपयोग करना जानता है, सफलता दासी बनकर उसके कदम चूमती है। भाग्यवादी और अकर्मण्य भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं, उन्हें बात-बात पर दूसरों का मुँह देखना पड़ता है। परिश्रमी व्यक्ति आसमान छू सकता है। वह चट्टानों से भी टकरा सकता है। वह चंद्रतल की यात्रा कर सकता है और अंतरिक्ष की सैर कर सकता है। वह पर्वतों और खाइयों के मध्य से रास्ता बना सकता है।
मानव जीवन तो संधर्षों के लिए है, जो प्राणी संघर्ष और परिश्रम से जी चुराता है, वह मूर्ख है। चींटी भी श्रम करके खाती है, शेर को भी शिकार करना पड़ता है। कर्मठ मनुष्य सदैव कार्य में जुटा रहता है। वह सर्दी-गर्मी, लू और ओले की परवाह नहीं करता है। परिश्रम के उपरांत जब सफलता प्राप्त होती है, तो मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है, उसे आत्मसंतुष्टि मिलती है।
कुछ लोग परिश्रम की अपेक्षा भाग्य को महत्त्व देते हैं। उनका कहना है कि भाग्य में जो है वह अवश्य मिलेगा, दौड़ धूप करना व्यर्थ है। यह तर्क निराधार है। यह ठीक है कि भाग्य का भी हमारे जीवन में महत्त्व है, लेकिन आलसी बनकर बैठे रहना और सफलता के लिए भाग्य को कोसना किसी प्रकार उचित नहीं। वेदवाणी में कहा गया है, बैठने वाले का भाग्य भी बैठ जाता है और खड़े होने वाले का भाग्य भी खड़ा हो जाता है। इसलिए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, ‘उठो जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको’। परिश्रम के बल पर मनुष्य भाग्य की रेखाओं को भी बदल सकता है।
परिश्रमी व्यक्ति ईमानदार, सत्यवादी, चरित्रवान और सेवाभाव से युक्त होता है, जो व्यक्ति परिश्रम करता है, सफलता उसके चरण चूमने लगती है। इसके विपरीत परिश्रम न करने वाला व्यक्ति जीवनभर कष्ट उठाता रहता है, अतः हमें परिश्रम करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
(ग) भषष्टाधार एक समस्या
संकेत बिंदु –
- भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति
- घ्रष्टाचार के कारण
- भष्टाचार और मैतिक पतन
- भ्रष्टाचार निवारण संबंधी उपाय
उत्तर :
अषष्टाचार : एक समस्या
भ्रष्टाचार हमारे देश के लिए विकट समस्या है अखबार के पन्नों को पलटिए, विभिन्न चैनलों की खबरों को देखिए, भ्रष्टचार ही भ्रष्टाचार मिलता है।
शिष्टाचार के लिए विख्यात भारत आज घोटालों और भ्रष्टाचार का केन्द्र हो गया है। आज राजनेता से लेकर नौकरशाह तक और प्रधानमन्त्री से लेकर आम सन्तरी तक सब पर भ्रष्टाचार के छींटे पड़े मिलते हैं। कोई भी नैतिक जिम्मेदारी से समाज की सेवा करता नहीं दिखता है। सबकी आँखों पर पैसे की भूख और भ्रष्टाचार के काले दाग पड़े दिखते हैं।
“आज का भषष्टाचारी ही शिष्टाचार बन गया है” अ्रष्टाचार का अर्थ भ्रष्ट आचरण से है अर्थात् अपने आचार और नियमों के प्रति गिरा हुआ काम करना तथा दूसरों के अधिकारों का हनन करना ही भ्रष्टाचार कहलाता है, जो अनैतिक तथा सामाजिक नियमों के विरुद्ध होता है। भष्टाचार के
निम्नलिखित कारण हैं
- चुनाव प्रणाली का दोष युक्त होना
- उच्च जीवन स्तर की लालसा
- भ्रष्ट मंत्री एवं शासक
- शिक्षा का गिरता स्तर
अष्टाचार दूर करने के उपाय
1. उच्च शिक्षा का प्रसार यदि भ्रष्टाचार को दूर करना हो, तो हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को उच्च करना होगा, जिससे कि सोचने-समझने की क्षमता में विस्तार हो सके।
2. प्रशासकीय सुधार यदि भ्रष्टाचार को समाप्त करना है, तो हमें प्रशासकीय सुधार करना आवश्यक है, क्योंकि जो लोग रिश्वत लेते हैं, उन्हें तुरन्त नौकरी से निकाल देना चाहिए।
3. दण्ड व्यवस्था में सुधार भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए दण्ड व्यवस्था में सुधार करना होगा, जो लोग भषष्टाचार फैलाते हैं, उन्हें कड़ी-से-कड़ी सजा हो।
4. समाज-कल्याण संस्थाओं की स्थापना अ्रष्टाचार को रोकने में समाज-कल्याण की संस्थाओं पर बल देना चाहिए। अतः भषष्टाचार एक बहुत ही गंभीर समस्या है इसे दूर करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है, जिसमें प्रशासन के साथ-साथ आम-जन की भागीदारी होनी चाहिए।
प्रश्न 15.
डेंगू और मलेरिया के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए चिकित्सालयों में अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5×1=5)
अथवा
दैनिक समाचार-पत्र के संपादक के नाम मिलावटी दूध की बिक्री के संबंध में लगभग 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 10 मई, 20xx
सेवा में,
राज्य स्वास्थ्य मंत्री
दरियांगज दिल्ली।
विषय चिकित्सालयों में अपर्याप्त चिकित्सा सुविधा की ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं तुर्कमान गेट के क्षेत्र का निवासी हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र की स्वास्थ्य समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र में डेंगू व मलेरिया के बढ़ते प्रकोप से मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिस कारण अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं की सख्त कमी है। उचित स्वास्थ्य सुविधाएँ, चिकित्सा व डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों की मृत्यु हो रही है। अतः आपसे निवेदन है कि क्षेत्र के अस्पतालों में उचित चिकित्सीय व्यवस्था की जाए। यदि आपने इस समस्या पर अपना ध्यान आकर्षित किया, तो मैं और मेरे क्षेत्र के निवासी आपके अत्यन्त आभारी रहेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय
कादिर शाह
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 11 मई, 20xx
सेवा में,
संपादक महोदय
दैनिक समाचार-पत्र
दिल्ली।
विषय मिलावटी दूध की बिक्री के संबंध में।
माननीय महोदय,
मैं आपके सामने एक गंभीर समस्या पर प्रकाश डालना चाहता हूँ। हमारे नगर में मिलावटी दूध की बिक्री की समस्या बढ़ती जा रही है। कल सुबह जब मैं एक प्रतिष्ठित दुकान से दूध खरीदने गई, तो मैंने देखा कि पहले की तुलना में दूध अधिक पतला है। ऐसा करके दुकानदार ग्राहक को पागल बनाता है और उनसे उस दूध का उचित दाम भी लेता है। यह लालची और निर्दयी दुकानकार को केवल अपना हित साधना होता है। मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि दिन के व्यस्त समय में कुछ समय निकालकर दूध की दुकानों पर जाकर निरीक्षण करें। इस अच्छे कृत्य के लिए हम सब आपके अत्यन्त आभारी रहेंगे। सधन्यवाद
भवदीय
क.ख.ग.
अजमेरी गेट, दिल्ली।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए। (4×1=4)
आप वित्त मंत्रालय, भारत सरकार में कार्यरत हैं। एक विभागीय समारोह के पश्चात् आपको वहाँ एक मोबाइल फ़ोन गिरा हुआ मिला। इससे संबंधित सूचना 60 शब्दों में लिखिए।
अथवा
रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित योग शिविर के बारे में एक सार्वजनिक सूचना 60 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
वित्त मंत्रालय, भारत सरकार
दिनांक : 19 फरवरी, 20XX मोबाइल फोन पाने के संबंध में सभी को सूचित किया जाता है कि 17 फरवरी, 20xxको विभागीय समारोह के पश्चात् मुझे किसी का एक मोबाइल फोन गिरा हुआ मिला। वह काले रंग का सैमसंग जे 7 प्राइम फोन है। यह जिस किसी का भी मोबाइल है वह वित्त मंत्रालय कार्यालय के कमरा नं. 16 से प्राप्त कर सकते हैं।
धन्यवाद
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अथवा
रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन, नई दिल्ली
दिनांक : 22 फरवरी, 20xx योग शिविर आयोजन सभी क्षेत्रवासियों को सूचित किया जाता है कि रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से आपके कमला नगर नेहरू पार्क में दिनांक 25 फरवरी, 20XX सुबह 6: 00 से 8: 00 बजे तक योग शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इच्छुक क्षेत्रवासी समय पर उपस्थित होकर योग का लाभ उठाइए।
धन्यवाद
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प्रश्न 17.
एक कोचिंग संस्थान की ओर से लगभग 40 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए। (3×1=3)
अथवा
पहाड़ी क्षेत्र में बनाए अपने होटल के लिए लगभग 40 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 18.
‘आगे कुआँ पीछे खाई’ उक्ति को आधार बनाकर लगभग 100 शब्दों में एक लघु कथा लिखिए। (5×1=5)
अथवा
आप कुलदीप वर्मा/सौम्या वर्मा हैं। बैंकिंग सेवा भर्ती बोर्ड, नई दिल्ली के सचिव को लिपिक पद के लिए अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए लगभग 100 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए।
उत्तर :