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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 5 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-‘अ’ और ‘ब’।
- खंड ‘अ’ में उपप्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
- दोनों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखिए।
खंड ‘अ’ (वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं। जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित गद्यांश
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
चरित्र का मूल भी भावों के विशेष प्रकार के संगठन में ही समझना चाहिए। लोकरक्षा और लोकरंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा इन्हीं पर ठहरा है। धर्म-शासन, राज-शासन, मत-शासन सब ने इनसे पूरा काम लिया गया है।
इनका सदुपयोग भी हुआ है और दुरुपयोग भी। जिस प्रकार लोक-कल्याण के व्यापक उद्देश्य की सिद्धि के लिए मनुष्य के मनोविकार काम में लाए गए हैं, उसी प्रकार संप्रदाय या संस्था के संकुचित और परिमित विधान की सफलता के लिए भी सब प्रकार के शासन में चाहे धर्म-शासन हो, चाहे राज-शासन हो, मनुष्य-जाति से भय और लोभ से पूरा काम लिया गया है।
दंड का भय और अनुग्रह का लोभ दिखाते हुए राज-शासन तथा नरक का भय और स्वर्ग का लोभ दिखाते हुए धर्म-शासन और मत-शासन चलते आ रहे हैं। प्राय: इसके द्वारा भय और लोभ का प्रवर्तन सीमा के बाहर भी हुआ है और होता रहता है। जिस प्रकार शासक वर्ग अपनी रक्षा और स्वार्थसिद्धि के लिए भी इनसे काम लेते आए हैं, उसी प्रकार धर्म-प्रवर्तक और आचार्य अपने स्वरूप वैचित्र की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए भी शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शांति के लिए भी डराते और ललचाते आए हैं।
मत-प्रवर्तक अपने द्वेष और संकुचित विचारों के प्रचार के लिए भी कँपाते और डराते आए हैं। एक जाति को मूर्ति-पूजा करते देख दूसरी जाति के मत-प्रवर्तकों ने उसे पापों में गिना है। एक संप्रदाय को भस्म और रुद्राक्ष धारण करते देख दूसरे संप्रदाय के प्रचारकों ने उनके दर्शन तक को पाप माना है।
(क) लोकरंजन की व्यवस्था का ढाँचा आधारित है
(i) सामाजिक न्याय पर
(ii) मनुष्य के भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर
(iii) धर्म व्यवस्था के मत पर
(iv) मनुष्य की समुचित क्रिया कर्म पर
उत्तर :
(ii) मनुष्य के भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर प्रस्तुत गद्यांश की आरंभिक पंक्ति में स्पष्ट किया गया है कि लोकरंजन की व्यवस्था का ढाँचा मनुष्य के भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर आधारित है। सभी भावों का उपयोग धर्म-शासन, राज-शासन तथा मत-शासन में किया जाता है।
(ख) धर्म प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का भय और लोभ क्यों दिखाया है?
(i) धर्म के मार्ग पर चलने के लिए
(ii) अपने स्वरूप वैचित्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए
(iii) अन्याय के पथ पर चल रहे लोगों को सही मार्ग दिखाने के लिए
(iv) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(ii) अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए गद्यांश के अनुसार, धर्म-प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का भय इसलिए दिखाया है, जिससे वह अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा को बनाए रख सकें। साथ ही उनके स्वार्थों की पूर्ति भी होती रहे।
(ग) गद्यांश हमें संदेश देता है
(i) समाज में भय और लालच की भावना भरकर अपनी स्वार्थसिद्धि करनी चाहिए।
(ii) भय और लालच जैसे भावों का त्याग करना चाहिए।
(iii) अपने आस-पास के वातावरण के प्रति सजग रहना चाहिए।
(iv) लोकरक्षा और लोकरंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा बदलना चाहिए।
उत्तर :
(ii) भय और लालच जैसे भावों का त्याग करना चाहिए गद्यांश हमें संदेश देता है कि जीवन में भय और लालच जैसे भावों का त्याग करना चाहिए, क्योंकि भय और लालच का प्रयोग करके ही शासन व्यवस्था अन्याय व अत्याचार के विरुद्ध उठने वाली आयाज को दबा सकती है और इन्हीं का सहारा लेकर मत-प्रवर्तक अपने ट्वेष और संकुचित विचारों का मचार कर पाते हैं।
(घ) किसी जाति विशेष के किन कार्यों को अन्य जाति अनिष्ट कार्य मानती है?
(i) मूर्ति पूजा करना
(ii) भस्म या रुद्राक्ष धारण करना
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) अन्य धर्म का सम्मान न करना
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों गद्यांश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी जाति विशेष को मूर्ति पूजा करते देखना तथा भस्म या रुद्राक्ष धारण करना अन्य जातियों के प्रवर्तकों के लिए अनिष्ट कार्य हैं।
(ङ) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) शासन व्यवस्था भय और लालच का सहारा लेती है।
कारण (R) शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शांति के लिए प्रयास करते हैं।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) , कथन (A) की सही व्याख्या करता है गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि शासन व्यवस्था समय-समय पर अपनी रक्षा, स्वार्थसिद्धि और अपने द्वारा किए गए अन्याय व अत्याचार के विरोध की शांति के लिए भय और लालच का सहारा लेती आई है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
कभी-कभी सहज से तेज गति में परिवर्तित होते क्रोध को समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो उसके परिणाम अत्यंत घातक और पश्चाताप के भाव जगाने वाले हो सकते हैं। कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोविश्लेषक टॉम जी. स्टीवेन्स ने अपनी किताब “ओवरकम एंगर ऐंड एग्रेसन’ में स्पष्ट किया है कि क्रोध-नियंत्रण का एक प्रमुख तरीका यह है कि स्थिति को अपने नहीं, दूसरों के नज़रिए से देखें। दूसरों को उन स्थितियों पर प्रकाश डालने के लिए प्रोत्साहित करें, क्षमा करना सीखें, बीते को बिसारने की आदत विकसित करें और किसी को चोट पहुँचाने के बजाए प्रशंसा से उसका मूल्यांकन करें। याद रखें, क्रोध-नियंत्रण से आप स्वयं शक्तिशाली बनते हैं। इससे आपकी खुशहाली और स्मृतियों का विस्तार होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ सिनियाटी के वैज्ञानिकों ने अपनी किताब 50 साइंस ऑफ मेंटल इलनेस में इन कमजोरियों पर प्रकाश डालते हुए गुस्से को काबू में रखने के कारगर सूत्र दिए हैं। क्रोध-नियंत्रण से हम अपना ही नहीं, दूसरों के उजड़ते संसार को फिर से आबाद कर सकते हैं क्योंकि शांत मन सृजन में समर्थ होता है। हमारे सृजनात्मक होने से ही मानवता का हित सध सकता है। तो जब भी क्रोध आए, तो इन उपायों को आजमाएँ। जीवन में बिखरी हुई चीजों को सँवारने की ओर कदम खुद बढ़ चलेंगे।
(i) क्रोध-नियंत्रण से होने वाले लाभों के संबंध में अनुपयुक्त कथन है।
(क) इससे व्यक्ति स्वयं को शक्तिशाली बनाता है।
(ख) इससे व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है।
(ग) इससे व्यक्ति की विस्मृतियों का विस्तार होता है।
(घ) इससे व्यक्ति की रचनात्मकता में वृद्धि होती है।
उत्तर:
(क) इससे व्यक्ति स्वयं को शक्तिशाली बनाता है।
(ii) किस तरह का क्रोध अंततः पश्चाताप का कारण बनता है?
(क) अत्यंत आवेग में किया गया क्रोध
(ख) सहज भाव से किया गया क्रोध
(ग) प्रायश्चित भाव से किया गया क्रोध
(घ) आत्मघात भाव से किया गया क्रोध
उत्तर:
(क) अत्यंत आवेग में किया गया क्रोध
व्याख्यात्मक हल:
आवेग में किए गए क्रोध के समय किसी भी क्रियाविधि पर नियंत्रण न होने से उसके घातक परिणाम अंततः पश्चाताप का कारण प्रस्तुत करते हैं।
(iii) मनोविश्लेषक स्टीवेन्स के अनुसार क्रोध पर काबू पाने पर सर्वोपयुक्त उपाय है।
(क) परिस्थितियों पर दूसरों के नियंत्रण को स्वीकार करना।
(ख) परिस्थितियों पर पूरी तरह नियंत्रण स्थापित करना।
(गं) परिस्थितियों को अपने नज॒रिए से और अच्छे से समझना।
(घ) परिस्थितियों को दूसरों के नज॒रिए से जानने का प्रयास करना।
उत्तर:
(घ) परिस्थितियों को दूसरों के नज॒रिए से जानने का प्रयास करना।
(iv) क्रोध आने पर क्या करना चाहिए? है ।
(क) उसकी असहज अभिव्यक्ति
(ख) उसकी सहज अभिव्यक्ति
(ग) संयमित रहने का प्रयत्न
(घ) घातक परिणाम का स्मरण
उत्तर:
(ग) संयमित रहने का प्रयत्न
व्याख्यात्मक हल:
क्रोध आने की स्थिति में वस्तुओं को स्वयं की अपेक्षा दूसरों के नज़रिए को देखते हुए क्रोध में संयमता लाई जा सकती है।
(v) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए, उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए: है।
कथन (A) : क्रोध नवसृजन का संहारक है।
कारण (R) : क्रोध अवस्था में क्षमाशीलता न्यून हो जाती है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) गलत है।
(ग) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी सही व्याख्या करता है।
(घ) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(घ) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी सही व्याख्या नहीं है।
व्यावहारिक व्याकरण
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4=4)
(क) ग्वालियर से मुंबई की दूरी ने काफी कुछ बदल दिया है। रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) सर्वनाम पद्बंध
(iii) विशेषण पद्बंध
(iv) क्रिया पद्बंध
उत्तर :
(ii) सर्वनाम पद्बंध
(ख) फैलते हूए प्रदूषण ने पंघ्यियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया। रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पद्बंध
(ii) सर्वनाम पद्बंध
(iii) विशेषण पदर्वंध
(iv) क्रिया पदर्वंध
उत्तर :
(i) संज्ञा पद्बंध
(ग) उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया। रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संझ्ञा पद्बंध
(ii) सर्वनाम पद्वंध
(iii) विशेषण घदबंध
(iv) ड्रिया-विशेषण पदबंध
उत्तर :
(iv) ड्रिया-विशेषण पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध का उदाहरण छाँटिए
(i) कभी मेरी लाइबेरी में घुसकर कबीर या मिर्जा गालिब को सताने लगते हैं।
(ii) शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के जैसे ही होते है।
(iii) समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगो का ही दिया हुआ है।
(iv) हमारे जीवन की रफ्तार बढ़ गई है।
उत्तर :
(ii) शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के जैसे ही होते है।
(ङ) आग और पानी के देवता भी उसके दास थे, मगर उसका अंत क्या हुआ? इस वाक्य में संज़ा पदबंध है
(i) आग और पानी के देवता
(ii) देवता भी उसके दास हे
(iii) उसका अंत क्या हुआ?
(iv) दास थे, मगर उसका
उत्तर :
(i) आग और पानी के देवता
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद ‘ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(i) ‘पारिवारिक संतापों से मुक्ति पाने के लिए मीरा ने घर-द्वार छोड़ दिया था।’ – रचना की दृष्टि से यह वाक्य है-
(क) मिश्र वाक्य
(ख) सरल वाक्य
(ग) संयुक्त वाक्य
(घ) सामान्य वाक्य
उत्तर:
(ख) सरल वाक्य
(ii) ‘मैं लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता।’ – इसका संयुक्त वाक्य बनेगा-
(क) जैसे ही मैं लताड़ सुनता आँसू बहाने लगता।
(ख) मैं लताड़ सुनता और आँसू बहाने लगता।
(ग) मैं जब लताड़ सुनता तब आँसू बहाने लगता।
(घ) मेरे द्वारा लताड़ सुनकर आँसू बहाए जाने लगते।
उत्तर:
(ख) मैं लताड़ सुनता और आँसू बहाने लगता।
(iii) कॉलम-1 को कॉलम-2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कॉलम-1 | कॉलम-2 | ||
1. | अपने ऊपर पैदा हुआ विश्वास फिर से लुप्त हो गया। | (i) | संयुक्त वाक्य |
2. | अपने ऊपर विश्वास पैदा हुआ और फिर लुप्त हो गया। | (ii) | सरल वाक्य |
3. | अपने ऊपर जो विश्वास पैदा हुआ था वह फिर लुप्त हो गया। | (iii) | मिश्र वाक्य |
विकल्प
(क) 1. (ii), 2. (i), 3. (iii)
(ख) 1. (i), 2. (ii), 3. (iii)
(ग) 1. (iii), 2. (ii), 3. (i)
(घ) 1. (ii), 2. (iii), 3. (i)
उत्तर:
(क) 1. (ii), 2. (i), 3. (iii)
(iv) “जैसे ही वामीरो कुछ सचेत हुई , वह घर की तरफ़ दौड़ पड़ी।” – रचना की दृष्टि से यह वाक्य है-
(क) सरल वाक्य
(ख) संयुक्त वाक्य
(ग) साधारण वाक्य
(घ) मिश्र वाक्य
उत्तर:
(घ) मिश्र वाक्य
व्याख्यात्मक हल:
जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।
(v) “ग्वालियर में जो हमारा मकान था उसके दालान में दो रोशनदान थे।” – इसका संयुक्त वाक्य बनेगा-
(क) ग्वालियर में हमारा मकान था और उसके दालान में दो रोशनदान थे।
(ख) हमारे ग्वालियर वाले मकान में दो रोशनदान थे।
(ग) जब हम ग्वालियर थे हमारे मकान में दो रोशनदान थे।
(घ) ग्वालियर में हमारा एक मकान था जिसके दालान में दो रोशनदान थे।
उत्तर:
(क) ग्वालियर में हमारा मकान था और उसके दालान में दो रोशनदान थे।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ‘जन्मभूमि’ समस्तपद कौन-से समास का उदाहरण है?
(i) द्विगु समास
(ii) कर्मधारय समास
(iii) तत्पुरुप समास
(iv) बहुब्रीहि समास
उत्तर :
(ii) कर्मधारय समास
(ख) ‘शाखामृग समस्तपद का विग्रह होगा
(i) शाखाओं पर दौड़ने वाला मृग
(ii) शाखा और मृग
(iii) शाघा रूपी मृग
(iv) शाखाओं के समान है जो मृग
उत्तर :
(i) शाखाओं पर दौड़ने वाला मृग
(ग) निम्नलिखित युग्मों पर वियार कीजिए
समस्तपद — समास
1. देशभक्ति — कर्मधारय समास
2. तिरंगा — बहुब्रीहि समास
3. आजन्म — अव्ययीभाव समास
4. लंबोदर — द्वाद्व समास
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 3
(iii) 2 और 4
(iv) 3 और 4
उत्तर :
(ii) 2 और 3
(घ) ‘तुलसीकृत’ का सही समास विग्रह व समास क्या होगा?
(i) तुलसी द्वारा रंचित-तत्पुरुष समास
(ii) तुलसी के लिए रचित-तत्पुरुष समास
(iii) वुलसी की रचित-कर्मधारय समास
(iv) तुलसी में रचित-अव्ययीभाव समास
उत्तर :
(i) तुलसी द्वारा रंचित-तत्पुरुष समास
(ङ) “चंद्रशेखर’ का समास विग्रह एवं भेद होगा
(i) चंद्र के समान शिखर है जिसका अर्थात् विष्णु-चहुव्रीहि समास
(ii) चंद्र है शिखर पर जिसके बह अर्थात् श्रिय-खदूव्रीहि समास
(iii) चंद्रमा और शेखर-द्वंद्व समास
(iv) चंद्रमा के समान ऊँचा शिखर-बहुत्रीहि समास
उत्तर :
(ii) चंद्र है शिखर पर जिसके बह अर्थात् श्रिय-खदूव्रीहि समास
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘मुहावरे’ पर आधारित छ: बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर सही विकल्प चुनकर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(i) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्प का चयन कीजिए-
(क) लाज रखना-शर्म रखना
(ख) लाज रखना-सम्मान की रक्षा करना
(ग) लाज रखना-लज्जा रखना
(घ) लाज रखना-साहस की रक्षा करना
उत्तर:
(ख) लाज रखना-सम्मान की रक्षा करना
(ii) ‘व्यापार में नुकसान की मार झेल रहे हीरालाल से, उधार दी गई राशि माँगना, ……………. ‘के लिए उपयुक्त मुहावरा है-
(क) घाव पर नमक छिड़कना
(ख) सिर पर सवार होना
(ग) सिर पर चढ़ना
(घ) हाथ धोकर पीछे पड़ना
उत्तर:
(ख) सिर पर सवार होना
(iii) “अँधियारा मिटना’ मुहावरे का अर्थ है-
(क) उजाला होना
(ख) प्रकाश आना
(ग) अंधकार दूर होना
(घ) अज्ञान समाप्त होना
उत्तर:
(घ) अज्ञान समाप्त होना
(iv) रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त करना उचित रहेगा?
मार्ग में चाहे कितनी भी
मुसीबतें खड़ी हों
कर्मयोगी मंजिल प्राप्त करके ही रहते हैं।
(क) काँटे बिछाना
(ख) फूल बिछाना
(ग) राह न सूझना
(घ) आसमान के तारे तोड़ना
उत्तर:
(क) काँटे बिछाना
(v) निम्नलिखित में दुःखी होना’ अर्थ को व्यंजित करने वाला मुहाबरा है-
(क) आँखों में तैरना
(ख) आँख भर आना
(ग) आँख आना
(घ) आँखें बचाना
उत्तर:
(ख) आँख भर आना
व्याख्यात्मक हल:
दुःखी होना ‘अर्थात्’ आँखें भर आना’ अर्थ को व्यंजित करने वाला मुहावरा है।
(vi) ‘घर के बाहर साँप को देखकर मेरे ………….. गए।’ रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरे द्वारा कीजिए-
(क) बाल-बाल बचना
(ख) चेहरे की हवाइयाँ उड़ना
(ग) छठी का दूध याद आना
(घ) हाथ-पाँव फूलना
उत्तर:
(घ) हाथ-पाँव फूलना
पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पथ्यांश को पद़कर पूठे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्य का चयन कीजिए। (1)5-5) खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावन कोई
तोड़्र दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छू न पाए सीता का द्वामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।
(क) कवि ने देशवासियों और सैनिकों को आत्मबलिदान से प्रेरणा लेकर देश की रक्षा के लिए सदा तैयार रहने का संदेश दिया है। इससे ज्ञात होता है कि कवि
के पक्षपर हैं।
(i) स्वामी भक्ति
(ii) देशभक्ति
(iii) ईशनिद्वा
(iv) क्रमान्वब
उत्तर :
(ii) देशभक्ति पद्यांश में कवि ने देशवासियों और सैनिकों को आत्मबलिदान से प्रेरणा लेकर देश की रक्षा के लिए सदा तैयार रहने का संदेश दिया है। इससे ज्ञात होता है कि कवि देशभक्ति के पक्षधर हैं।
(ख) ‘खूँ से जमीं पर लकीर खींचने’ का क्या आशय है?
(i) दुश्मन पर हमला करना
(ii) सीमाओं पर रक्तपात करना
(iii) बलिदान देकर भी शत्रु को रोकना
(iv) मातृभूमि की रक्षा के लिए तत्पर रहना
उत्तर :
(iii) बलिदान देकर भी शत्रु को रोकना ‘खूँ से जमीं पर लकीर खींचने’ का आशय बलिदान देकर भी शत्रु को रोकने से है। भारतीय सैनिक मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देकर शत्रुओं को रोकते हैं तथा मातृभूमि पर आँच भी नहीं आने देते।
(ग) ‘सीता का दामन’ किसे कहा गया है?
(i) भारतीय सांस्कृतिक परंपरा को
(ii) देबी-देवताओं की मर्यादा को
(iii) देश के स्वाभिमान को
(iv) मातृभूमि के सम्मान को
उत्तर :
(iii) देश के स्वाभिमान को पद्यांश में ‘सीता का दामन’ देश के स्वाभिमान को कहा गया है। जिस प्रकार सीता की रक्षा हेतु राम और लक्ष्मण ने पापी रावण का सर्वनाश कर दिया था, उसी प्रकार प्रत्येक भारतवासी को भी राम-लक्ष्मण की भाँति अपने शत्रुओं का नाश करके भारत के स्वाभिमान की रक्षा करनी चाहिए।
(घ) ‘राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों कथन से कवि का संकेत किस ओर है?
(i) तुम्हे राम भी बनना है और लक्ष्मण भी
(ii) तुम्ठे नारी के सम्मान की रक्षा भी करनी है और मय्यादा की भी
(iii) तुम्हें युद्ध भी करना है और रक्षा भी
(iv) तुम्हे भारतीयता को भी बचाना है और सीमाओं को भी
उत्तर :
(iv) तुम्हें भारतीयता को भी बचाना है और सीमाओं को भी ‘राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों’ कथन से कवि इस ओर संकेत करना चाहता है कि तुम्हें भारतीयता को भी बचाना है और सीमाओं को भी। जिस प्रकार राम और लक्ष्मण ने सीता की रक्षा की उसी प्रकार नवयुवकों को भी देश की संस्कृति व अस्मिता की रक्षा करनी चाहिए।
(ङ) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए
1. जीवन में जिंदा रहने के अनेक कारण मिल जाते हैं।
2. देश की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।
3. ईश्वर में अपना विश्वास कभी कमजोर नहीं होने देना चाहिए।
4. राम और लक्ष्मण मर्यादा रक्षकों के प्रतीक हैं।
5. हर वीर सैनिक इस देश की सुरक्षा करना अपना कर्त्तव्य मानता है। पद्यांश से मेल खाते वाक्यों के लिए उचित विकल्प चुनिए
(i) 1,2 और 3
(ii) 1,3 और 5
(iii) 2,3 और 4
(iv) 2,4 और 5
उत्तर :
(iv) 2,4 और 5 पद्यांश के अनुसार, देश की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। राम और लक्ष्मण मर्यादा रक्षकों के प्रतीक हैं। जिस प्रकार राम और लक्ष्मण ने सीता की रक्षा की, उसी प्रकार वीर सैनिक भी अपने देश की धरती की रक्षा करते हैं। हर वीर सैनिक इस देश की धरती को सीता की तरह पवित्र मानता है और इसकी सुरक्षा करना अपना कर्त्वव्य मानता है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 2 = 2)
(i) तोप के माध्यम से कवि ने क्या संदेश दिया है?
(क) हमारे पूर्वज शक्तिशाली थे
(ख) हम तोपों से नहीं डरते
(ग) पूर्व की गलतियों को न दोहराने का
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ग) पूर्व की गलतियों को न दोहराने का
व्याख्यात्मक हल:
तोप के माध्यम से कवि ने यह संदेश दिया है कि हमें पूर्व की गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए बल्कि हमें किसी पर अत्याचार नहीं करना चाहिए।
(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए कि कवि ने किसे बड़ा भाग्यहीन माना है ?
(क) कवि ने घैर्यवान व्यक्ति को भाग्यहीन माना है।
(ख) कवि ने अधीर व्यक्ति को भाग्यहीन माना है।
(ग) कविने गर्व से युक्त व्यक्ति को भाग्य हीन माना है।
(घ) कवि ने मदांध व्यक्ति को भाग्यहीन माना है।
उत्तर:
(ख) कवि ने अधीर व्यक्ति को भाग्यहीन माना है।
व्याख्यात्मक हल:
कवि कहता है कि ईश्वर के हाथ इतने विशाल हैं जो सब पर दया बरसाते हैं, लेकिन जो व्यक्ति उन पर विश्वास नहीं करता, अधीर रहता है, बेचैन रहता है वह बड़ा भाग्यहीन व्यक्ति होता है। ईश्वर के रहते घबराना नहीं चाहिए।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1×5=5)
दुनिया कैसे वजूद में आई? पहले क्या थी? किस बिंदु से इसकी यात्रा शुरू हुई? इन प्रश्नों के उत्तर विज्ञान अपनी तरह से देता है, धार्मिक ग्रंथ अपनी-अपनी तरह से। संसार की रचना भले ही कैसे हुई हो, लेकिन धरती किसी एक की नहीं है।
पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वं, समंदर आदि की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है। पहले बड़े-बड़े दालानो-आंगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे, अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है। मानव का धरती पर अधिकार जमाने के कारण संसार छोटे-छोटे टुकड़ों में बँंट गया है। बढ़ती हुई आचादी ने समंदर को पीछे सरकाना शुरू कर दिया है।
(क) “मानव का धरती पर अधिकार जमाने के कारण संसार छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट गया है।” लेखक द्वारा ऐसा कहा जाना दर्शाता है, मानव का अन्य प्राणियों और प्रकृति के प्रति उसका
(i) स्वाथंधाव
(ii) मैत्रीभाव
(iii) व्यक्तित्व
(iv) कर्त्तव्यबोध
उत्तर :
(i) स्वार्थभाव गद्यांश में लेखक द्वारा उपर्युक्त क्थन का कहा जाना मानव का अन्य प्राणियों और प्रकृति के प्रति उसका स्वार्थभाव दर्शाता है। गद्यांश में बताया गया है कि मानव इतना स्वार्थी हो गया है कि दूसरे प्राणियों को तो उसने पहले ही बेदखल कर दिया था, लेकिन अब वह अपनी ही जाति अर्थात् मानवों को ही बेदखल करने में भी नहीं हिचकिचाता है।
(ख) ‘धरती किसी एक की नहीं है’, लेखक ने ऐसा कहा, क्योंकि उसके अनुसार
(i) इस पर केवल मनुष्य का अधिकार है
(ii) सभी जीव एक समान नहीं हैं
(iii) धर्म ग्रंथ में इस बात का वर्णन किया गया है
(iv) इस पर प्रत्येक जीव का समान अधिकार है
उत्तर :
(iv) इस पर प्रत्येक जीव का समान अधिकार है लेखक के अनुसार, इस धरती पर पशु, पक्षी, मानव, नदी, पर्वत, समंदर आदि सभी का समान अधिकार है, इसलिए यह धरती किसी एक की नहीं है।
(ग) “पहले बडे-बडे दालानों-औगयों में सब मिल-जुलकर रहते थे, अद छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है।” कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि मानव है
(i) कर्तब्यनिष्ठ, परिश्रमी, आध्यात्मिक
(ii) समाज-सुधारक, कर्मयोगी, संवेदनशील
(iii) आदर्शवादी, स्वार्थौ, दूड़निश्चयी
(iv) स्वार्थी, मौकाषरस्त, असंवेदनशील
उत्तर :
(iv) स्वार्थी, मौकापरस्त, असंवेदनशील उपर्युक्त क्थन के माध्यम से ज्ञात होता है कि मानव स्वार्थी, मौकापरस्त और असंवेदनशील है, क्योंकि उसे न किसी के सुख-दु:ख से कोई सरोकार है और न ही किसी को सहारा या सहायता देने का इरादा। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था, अब टुकड़ों में बंटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है।
(घ) निम्नलिखित कथन (A) तथा क्रारण (R) को ध्यानपूर्वक पदिए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) आज संसार टुकड़ों में बँंटकर रह गया है।
कारण (R) मानव की आँखों पर स्वार्ध तथा आधुनिकता का पर्दा पड चुका है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलन है, कितु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है गद्यांश के अनुसार, आज संसार टुकड़ों में बैंटकर रह गया है, क्योंकि मानव की आँखों पर स्वार्थ और आधुनिकता का पर्दा पड़ चुका है। पहले पूरा संसार एक परिवार की तरह मिल-जुलकर रहता था, लेकिन अब टुकड़ों में बैंटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है।
(ङ) लेखक का ‘आबादियों के समंदर को पीछे सरकाने’ से क्या अभिप्राय है?
(i) समंदर को सुखाकर उसकी धरती का उपयोग करना
(ii) समंदर के पानी का स्तर कम करना
(iii) मनुष्य द्वारा समंदर में घर बनाया जाना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) समंदर को सुखाकर उसकी धरती का उपयोग करना बढ़ती आबादी के कारण मानव समंदर को सुखाकर उसके किनारों पर अपनी इच्छानुसार निर्माण कार्य करने लगा है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 2 = 2)
(i) निम्नलिखित में से कौन-से वाक्य ‘डायरी का एक पन्ना’ से मेल खाते हैं-
(1) हरीशचंद्र सिंह ने ध्वज मोनुमैंट के नीचे फहराया।
(2) हरीशचंद्र सिंह ने ध्वज स्टागर सुंदरी पार्क में फहराया।
(3) हरीशचंद्र सिंह ने ध्वज श्री मंतानंद पार्क में फहटराया।
(4) कोई वाक्य मेल नहीं खाता
विकल्प:
(क) केवल (1)
(ख) (1) और (2)
(गे) (3) और (1)
(घ) केवल (4)
उत्तर:
(क) केवल (1)
व्याख्यात्मक हल:
मुख्य सभा शाम के समय मोनुमैंट के नीचे प्रस्तावित थी। हरीशचंद्र सिंह ने मोनुमैंट के नीचे ध्वज फहराया।
(ii) लेखक की माँ ने दिन भर रोजा क्यों रखा?
(क) कबूतर का अण्डा टूट जाने के कारण
(ख) रमजान होने के कारण
(ग) झूठ बोलने के कारण
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) कबूतर का अण्डा टूट जाने के कारण
व्याख्यात्मक हल:
ग्वालियर में लेखक के एक मकान के रोशनदान में कबूतर के जोड़े ने दो अण्डे दिए थे जिनमें से एक को बिल्ली ने तोड़ दिया। लेखक की माँ ने स्टूल पर चढ़कर दूसरे अण्डे को बचाने की कोशिश की लेकिन दूसरा अण्डा उन्हीं के हाथ से टूट गया। माँ ने इसी गुनाह को खुदा से माफ़ कराने के लिए रोज़ा रखा। दिन भर कुछ खाया-पिया नहीं सिर्फ रोती रहीं।
खंड ‘ब’ (वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक-पुस्तक तथा लेखन से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक पुस्तक
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) “जब से कानून भंग का काम शुरु हूआ है, तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई़ थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी। आपके द्वारा इस पाठ्यक्रम में पढ़े गए पाठ में कौन-से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
कलकत्ता में 26 जनवरी, 1931 को पुलिस कमिश्नर द्वारा नोटिस निकाला गया कि वहाँ कोई सभा नहीं हो सकती और सभा में भाग लेने वाले दोषी व्यक्ति समझे जाएँगे, लेकिन उनके द्वारा बनाए गए इस कानून को भंग करते हुए कौंसिल की तरफ से खुली चुनौती दी गई कि उसी दिन मोनुमेंट के नीचे लोग इकट्ठे होकर झंडा फहराएँगे। अंग्रेजी सरकार स्वतंत्रता का विरोध करने के लिए जो भी नियम बनाती थी उसे भंग करना अनुचित नहीं कहा जा सकता, क्योंकि हमारे विचार में देश की रक्षा करना, स्वतंत्रता के लिए प्रयास करना और राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार हर देशवासी को होना चाहिए
(ख) ‘तीसरी कसम के शित्यकार शैलैंद्र’ पाठ के माध्यम से हमने जाना कि व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है। इस पाठ से प्राप्त सीख का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘तीसरी कसम के शिल्पकार हैलैंद्र’ पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि हमारी जिंदगी में दुःख तकलीफें तो आती ही रहती हैं, परंतु हमें उन दु:खों से हार नहीं माननी चाहिए। जीवन की कठिनाइयों का साहस के साथ सामना करके उन पर काबू पाना चाहिए। यदि व्यथा या करुणा को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाए, तो वह मनुष्य को परास्त या निराश नहीं करती। वह मनुष्य को आगे-ही-आगे कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देती है। शैलेंद्र के गीतों से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दुखख की घड़ी में भी निराशा का दामन छोड़कर आशावादी बनना चाहिए और निरंतर आगे बढ़ना चाहिए।
(ग) इस वर्ष आपने पाठ्यकम में एक पाठ पढ़ा है, जो हमें आदर्शवादी होने के साथ-साथ व्यावहारिक होने का संदेश भी देता है। कथन का मूल्यांक्न करते हुए अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
‘गिन्नी का सोना’ पाठ में यह संदेश दिया गया है कि हमें आदर्शवादी होने के साथ-साथ व्यावहारिक होना भी जरूरी है। सोने की तुलना आदर्शो से की गई है, जबकि व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से की गई है। शुद्ध सोना आदर्शों की तरह होता है, जो बिलकुल शुद्ध होता है और जब उसमें ताँबा मिला दिया जाता है, तो वह अधिक मजबूत हो जाता है, लेकिन उसकी शुद्धता समाप्त हो जाती है। उसी तरह जीवन में आदर्श शुद्ध तो होते हैं, लेकिन यदि उनमें व्यावहारिकता मिला दी जाए, तो वे आदर्श शुद्ध नहीं रहते, लेकिन वे आदर्श अधिक मजबूत हो जाते हैं। इसीलिए शुद्ध और कमजोर आदर्शों की जगह मजबूत और मिलावटी आदर्श अधिक उपयुक्त हैं। अतः जीवन को हमेशा व्यावहारिक बनाए रखना चाहिए।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(i) अपने अंदर का दीपक दिखाई देने पर कौन-सा अँधियारा कैसे मिट जाता है ? कबीर की साखी के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कबीरदास के अनुसार अहंकारी व्यक्ति को ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती क्योंकि अहंकारी व्यक्ति स्वयं को सर्वोपरि मानता है परन्तु जब उसके अन्दर ज्ञान रूपी दीपक का प्रकाश फैलता है, तब उसके अन्दर का अहंकार रूपी अंधकार समाप्त हो जाता है और मानव मन के सारे भ्रम, क्लेश, संदेह व परेशानियाँ समाप्त हो जाती हैं। ज्ञान रूपी दीपक का प्रकाश फैलने पर व्यक्ति ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है।
(ii) कंपनी बाग और तोप को विरासत क्यों माना गया ?
उत्तर:
कंपनी बाग और तोप-ये दोनों अंग्रेजों की विरासत हैं। इन दोनों का उपयोग भारतीय जनता के लिए किया गया। एक ओर ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत की जनता को खुशहाल बनाने के लिए हर नगर में कंपनी बाग बनवाएं। इससे जनता प्रसन्न हुई। दूसरी ओर, कंपनी ने जनता के विद्रोह को दबाने के लिए उन्हें अपना गुलाम बनाने के लिए उन पर तोपें दगवाईं। ये दोनों विरासतें भारतीय जनता को सावधान करती हैं। ये कहती हैं कि विदेशी कंपनियों द्वारा दिए गए आकर्षणों में न फँसो। एक दिन ये तुम्हें गुलाम बना डालेंगी। तुम्हें फिर से इनकी तोपों से दाग दिया जाएगा।
(iii) आत्तत्राण कविता के द्वारा कवि क्या कहना चाहता है? उसका संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विपदाओं से भयभीत न हों।
किसी सहायक के न मिलने पर भी बल-पौरुष बनाए रखें।
लोगों द्वारा छले जाने पर भी मन से हार न मानें।
सुख के दिनों में भी ईश्वर को याद रखें।
ईश्वर के प्रति मन में कभी भी संदेह न रखें।
व्याख्यात्मक हल :
आत्मत्राण’ कविता के द्वारा कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने हमें विपत्तियों से न घबराने का संदेश दिया है। भले ही कोई सहायक न मिले पर हम साहस बनाए रखें। यदि कोई हमें धोखा दे या छल-कपट करे तो भी मन से हमें हार नहीं माननी चाहिए। सुख के दिनों में भी सदैव ईश्वर को याद रखें और कभी ईश्वर के प्रति मन में अविश्वास और संदेह की भावना न लाएँ–यही संदेश इस कविता से हमें प्राप्त होता है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) ठठकुरबारी के भीतर महंत और उनके कुछ चंद विश्वासी साधु सादे और लिखे कागज्ञों पर अनपद हरिहर काका के अँगूठे के निशान जबरन ले रहे थे। हरिहर काका तो महतं के इस व्यवहार से जैसे आसमान से जमीन पर आ गए थे। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि महंत जी इस रूप में भी आँँगे।’ हरिहर काका’ कहानी में ठाकुरबारी में साधु-महंतों द्वारा हरिहर काका के हिस्से की ज्ञमीन को अपने नाम लिखवाने के लिए दबाव ज्ञाला जाता है। इससे साधु-महंतों की कैसी भावना झलकती है? पाठ के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी में महंत और उनके समर्थकों ने हरिहर काका की जमीन-जायदाद (संपत्ति) हड़पने (किसी दूसरे की वस्तु अनुचित रूप से लेना)के लिए ज़ोर-जबरदस्ती से काम लिया। वस्तुतः ठाकुरबारी के महंत एवं साधुओं द्वारा हरिहर काका के साथ किए जाने वाले व्यवहार से यह बात स्पष्ट होती है कि लोगों के कल्याण की बाते करने वाले साधु-महंत स्वार्थ-लोलुप व्यक्ति हैं। ये लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। ऐसे ही लोगों के कारण धर्म के क्षेत्र में अनाचार की प्रवृत्तियाँ बढ़ती जा रही हैं।
(ख) इन्हीं वातों से आकर्षित हो कुछ नौजवान भरती के लिए तैयार हो जाया करते। कभी-कभी हमें भी महसूस होता है कि हम भी फ़ौजी जवानों से कम नहीं। धोबी की धुली वर्दी और पॉलिश किए बूट और जुराबों को पहने जब हम स्काउटिंग की परेड करते तो लगता हम फ़्जैजी ही है। वर्दी तथा परेड के उत्साह से लेखक को ऐसा क्यों लगता है कि वह भी एक फौजी है? ‘सपनों के-से बिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
स्काउट परेड में भाग लेने के लिए लेखक अपने मित्र के साथ शान से जाता था। साफ यर्दी, पॉलिश किए बूट तथा जुराबों को पहनकर लेखक को लगता था कि वह भी एक फौजी है। पी. टी. शिक्षक प्रीतमचंद द्वारा परेड कराते हुए लेफ्ट-राइट की आवाज तथा सीटी की ध्वनि पर बूटों की ठक-ठक करते अकड़कर चलते समय लेखक स्वयं को बिलकुल फौजी जवान के रूप में बहुत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति समझता था। अतः वर्दी तथा परेड के उत्साह के कारण स्काउट परेड करते समय लेखक स्वयं को फौजी जवान समझने लगता था।
(ग) इफ़फ़्न से मित्रता करना तथा उसकी दादी के प्रति टोपी का लगाव उसके परिवार वालों को पसंद नहीं था। इफ़्फ़्न से मित्रता करने के लिए उसके भाई मुन्नी बाबू ने भी घर में शिकायत करके उसकी पिटाई करवाई थी। टोपी ने अपने भाई मुन्नी बाबू के विषय में कौन-सा रहस्य छिपाकर रखा था तथा क्यों?
उत्तर :
टोपी ने अपने भाई मुन्नी बाबू के कबाब खाने का रहस्य छिपाकर रखा था। मुन्नी बाबू टोपी का बड़ा भाई था। वह कबाब खाता तथा सिगरेट पीता था। एक दिन जब टोपी की माँ उसकी पिटाई कर रही थी, तो मुन्नी बाबू ने टोपी की झूठी शिकायत की कि वह कबाब खाता है, जबकि टोपी ने कभी भी कबाब नहीं खाए थे। वास्तविकता यह थी कि टोपी ने मुन्नी बाबू को कबाब खाते देख लिया था। मुन्नी बाबू ने उसे सच न बताने के लिए इकन्नी रिश्वत भी दी थी। टोपी ने यही रहस्य छिपाकर रखा था। इफ़्फ़न के अतिरिक्त उसने घर में किसी को नहीं बताया था, क्योंकि वह चुगलखोर नहीं था। टोपी चाहता, तो वह घर में अपनी माँ एवं अन्य सदस्यों को कबाब खाने वाली बात बता देता परंतु उसने ऐसा नहीं किया।
लेखन
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- (5 × 1 = 5)
(i) स्वदेशी अपनाओ
क्या, आवश्यकता क्यों ?, देश की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव, सुझाव
उत्तर:
स्वदेशी अपनाओ
स्वदेशी का अर्थ है- “अपने देश का’ अथवा “अपने देश में निर्मित ‘। हमें स्वदेशी साधनों के उपयोग पर बल देना चाहिए। आज के दौर में स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की जुरूरत फिर से महसूस होने लगी है, क्योंकि आज के समय में वही देश विकसित है, जिनके यहाँ जुरूरत के सामान खुद देश में बनते हैं, ऐसे में यदि हम सुई से लेकर जहाज तक जैसी वस्तुओं के लिए यदि दूसरे देशों पर निर्भर रहेंगे, तो स्वाभाविक-सी बात है, वे देश हमारी निर्भरता को कमजोरी मानकर जुरूर फ़ायदा उठाएँगे और मनमाने दाम पर इन वस्तुओं को बेचेंगे और हमें मजबूरी में इन वस्तुओं को ऊँचे दाम पर खरीदना भी पड़ेगा। ऐसा तभी संभव है जब सभी देशवासी इस बात पर बल दें कि सभी स्वदेशी साधनों की तरफ़ जागरूक हों और अपने देश में बनी हुई चीजें खरीदें, यदि यहाँ की बनी हुई चीज़ों की डिमांड बढ़ती है तो निश्चित ही यहाँ के लोगों को इन चीजों को बनाने में ज़्यादा से ज़्यादा रोज़गार भी मिलेगा, यानि डिमांड और सप्लाई के जरिए ‘स्वदेशी अपनाओ’ आन्दोलन को बढ़ावा दिया जा सकता है।
(ii) सोशल मीडिया का मायाजाल और युवा
सोशल मीडिया क्या ?, युवाओं पर प्रभाव, मायाजाल कैसे, बचाव हेतु सुझाव
उत्तर:
सोशल मीडिया का मायाजाल और युवा
सोशल मीडिया बहुत ही सशक्त माध्यम है और इसका प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है। आज सोशल मीडिया के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव युवाओं के मध्य सबसे अधिक देखने को मिलता है। युवा अब शारीरिक खेलों और मनोरंजन के बजाय वीडियो गेम, यूट्यूब आदि का प्रयोग अधिक करते हैं, जिससे युवा वर्ग शारीरिक और मानसिक तौर पर कमजोर हो रहा है। सोशल मीडिया एक ऐसा मायाजाल है जो हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। इसके माध्यम से हमारे देश के युवा इस देश के भविष्य की अर्थव्यवस्था को बना या बिगाड़ सकते हैं, वहीं सोशल नेटवर्किंग साइटस पर अधिक सक्रिय रहना भी उनके ऊपर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। युवाओं
‘को यह बात ध्यान रखना चाहिए कि सोशल मीडिया की चकाचौं ध को खुद पर हावी ना होने दें , यहाँ हर पोस्ट पर मिलने वाले लाइक्स, कमेंट आपकी जान से ज़्यादा कीमती नहीं हैं, सोशल मीडिया उपयोग करते समय यह विशेष ध्यान रखें कि किसी भी अंजान व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट ना करें और किसी से भी अपनी प्राइवेट जानकारी शेयर ना करें।
(iii) लड़का-लड़की एकसमान
इस सोच की आवश्यकता क्यों ?, लडकियों को बढ़ावा कैसे ?, देश-समाज पर प्रभाव, सुझाव
उत्तर:
लड़का-लड़की एकसमान
हम सभी मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं, हमारे समाज में लड़का और लड़की दोनों प्रजाति के लोग निवास करते हैं, हमारे समाज और देश को चलाने के लिए लड़का और लड़की दोनों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। पहले लोग लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक महत्त्व देते थे। इसका यह कारण था कि लड़कों को बाहर जाना पड़ता था और नौकरी करनी पड़ती थी इसलिए उन्हें अधिक देखभाल और अधिक शक्ति की आवश्यकता थी। लड़कियों को बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। उन्हें घरों के अंदर रहना पड़ता था और घरेलू काम करना पड़ता था लड़कों को शिक्षा दी जाती थी लेकिन लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी। लड़कियों को समाज में लड़कों से कम माना जाता है तथा लड़कियों को केवल घर के कामों के योग्य समझा जाता है। यह बिल्कुल सही नहीं है, लोगों को ऐसी सोच नहीं रखनी चाहिए और लड़कियों को भी लड़कों के समान सभी क्षेत्र में अवसर प्रदान करने चाहिए। लड़कों को कहीं भी आने-जाने का अधिकार दिया जाता है उसी प्रकार लड़कियों को भी बिना रोक-टोक के अधिकार देने चाहिए ताकि लड़कियाँ भी देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।
आज हमारे सम्मुख एक शिक्षित समाज है। लोगों के विचार बदल गए हैं। लड़कियों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है। उन्हें लड़कों के समान महत्त्व दिया जाता है, क्योंकि यह समय की माँग है। लोग जानते हैं कि एक लड़की को शिक्षित करना पूरे देश को शिक्षित करने जैसा है। इसलिए लड़कियाँ शिक्षा लें। वे नौकरी करती हैं। वे हर तरह की परिस्थितियों को सँभालने में सक्षम हैं। भारत में साक्षरता दर बढ़ने के साथ ही, लड़कियों की स्थिति दिन-ब-दिन बदल रही है। सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई गई हैं जो बालिका शिक्षा को बढ़ावा देती हैं। इसी प्रकार के बदलाव से आने वाले भविष्य में लड़की और लड़के के बीच का अंतर कम हो जाएगा।
प्रश्न 15.
आपके मोहल्ले की सड़कें बहुत टूटी-फूटी व कूड़े आदि की गंदगी से भरी रहती हैं। किसी प्रमुख दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को एक पत्र लिखकर सड़कों की मरम्मत व सफाई की ओर नगर निगम के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कीजिए। (शब्द-सीमा-लगभग 100 शब्द) (5×1=5)
अथवा
आप पिछले दो दिनों से विद्यालय में निर्धारित समय पर उपस्थित नहीं हो पा रहे थे। प्रधानाचार्य को वियालय में विलंब से पहुँचने का कारण बताते हुए क्षमादान के लिए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
गाज़ियाबाद।
दिनांक 21 मार्च, 20xx
सेवा में,
संपादक महोदय
दैनिक जागरण, गाजियाबाद।
विषय मोहल्ले की सड़कों की मरम्मत एवं सफाई के संबंध में।
महोदय,
आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से में अपने क्षेत्र गाज़ियाबाद की सड़कों की खराब स्थिति की ओर नगर निगम के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं। मुझे आशा है कि विषय की गंभीरता को देखते हुए आप इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में अवश्य ही प्रकाशित करेंगे।
महोदय, यह एक मिश्रित जनसंख्या वाला क्षेत्र है। यहाँ की सड़कों की स्थिति बहुत बुरी है। मुझे इस कॉलोनी की समिति का सचिव बने हुए पाँच वर्ष हो चुके हैं। इन पाँच वर्षो में एक बार भी इन सड़कों की ओर किसी का ध्यान नहीं गया है। सड़क का लगभग 2 किमी भाग तो पूरी तरह टूट गया है। रात में कई साइकिल और स्कूटर सवार इस क्षेत्र में गिरकर बुरी तरह घायल हो चुके हैं। सड़क में जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं, जिनमें थोड़ी-सी वर्षा होते ही पानी भर जाता है। जगह-जगह से टूटने के कारण सफ़ाई कर्मचारी दूर-दूर से कूड़ा लाकर इन गड्ठों में डाल देते हैं, जिससे सड़क पर भयंकर दुग्गध फैल जाती है।
इस पत्र के माध्यम से नगर निगम के संबंधित अधिकारियों से मेरा अनुरोध है कि वे एक बार समय निकालकर इस क्षेत्र का निरीक्षण करें, ताकि उन्हें यहाँ की वास्तविक स्थिति का पता चल सके।
निरीक्षण तथा उचित कदम की प्रतीक्षा में।
प्रार्थी
क.ख.ग.
संजय नगर, सेक्टर 29 , गाज़ियाबाद।
अथवा
परीक्षा भवन,
मेरठ।
दिनांक 11 मार्च, 20xx
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
अखिल भारतीय शिक्षा संगठन,
मेरठ।
विषय विलंब से विद्यालय पहुँचने के संदर्भ में क्षमादान पत्र।
आदरणीय महोदय,
मैं राज शर्मा आपके विद्यालय की 10 (क) कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरी माताजी का स्वास्थ्य पिछले दो दिनों से सही नहीं है। मुझे उनकी देखभाल के साथ-साथ प्रातःकालीन सभी घरेलू कार्य भी स्वयं करने पड़ रहे हैं। इस कारणवश पिछले दो दिनों से में विद्यालय में विलंब से पहुँच रहा हूँ।
महोदय, मैं भली-भाँति समझता हूँ कि अनुशासन व समय-प्रबंधन विद्यालय व विद्यार्थी दोनों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। में विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में यथाशीघ्र सभी कार्य निपटाकर, समय पर विद्यालय पहुँच जाऊँगा। अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरी इन दो दिनों की गलती को क्षमा करें तथा कक्षा अध्यापक को संबंधित निर्देश दें। आशा है आप समस्या को समझते हुए मुझे क्षमा कर देंगे।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
राज शर्मा
कक्षा 10 (क)
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए- (4 × 1 = 4)
(i) आप मोहन चटर्जी/मोहिनी चटर्जी हैं और सर्व शिक्षा विद्यालय के विद्यार्थी परिषद् के/की अध्यक्ष/अध्यक्षा हैं। अपने विद्यालय में आयोजित होने वाली साइबर-सुरक्षा कार्यशाला संबंधी जानकारी विद्यार्थियों तक पहुँचाने के लिए एक सूचना तैयार कीजिए।
उत्तर:
सर्व शिक्षा विद्यालय, ————-
xx/xx/xxxx
साइबर सुरक्षा कार्यशाला
सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय में साइबर सुरक्षा कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य साइबर क्राइम से आपको जागरूक करना है। आज कल साइबर क्राइम अधिकतर बढ़ते जा रहे हैं जिससे पीड़ित व्यक्ति के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। साइबर क्राइम से बचने के लिए इस कार्यशाला में सुरक्षा विशेषज्ञ को आमंत्रित किया गया है।
समय एवं अन्य विवरण इस प्रकार है-
दिनांक एवं समय – xx/xx/xxxx
समय प्रात: x बजे से xx बजे तक
स्थान – विद्यालय प्रांगण
मुख्य आकर्षण – नृत्य नाटिका प्रदर्शन
मोहन चटर्जी
अध्यक्ष
विद्यार्थी परिषद
अथवा
(ii) आप निवासी कल्याण संघ के/की सचिव अरुण पटनायक/अरुणा पटनायक हैं। आपकी सोसायटी में शास्त्रीय नृत्य-संगीत की कक्षाएँ शुरू होने वाली हैं। इन कक्षाओं में भाग लेने के इच्छुक लोगों के लिए एक सूचना तैयार कीजिए।
उत्तर:
कल्याण संघ, सोसाइटी
सूचना
xx/xx/xxxx
शास्त्रीय नृत्य संगीत कक्षा
सभी लोगों को सूचित किया जाता है कि हमारी सोसाइटी में शास्त्रीय नृत्य संगीत कक्षाएँ शुरु की जा रही हैं जिसमें सभी उम्र के लोगों को नृत्य सिखाया जाएगा। आगामी दिनों में राज्य स्तर पर शास्त्रीय नृत्य संगीत की प्रतियोगिता होने वाली है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए शास्त्रीय नृत्य संगीत की कक्षाएँ शुरू की गई हैं।
इच्छुक व्यक्ति दिए गए पते पर संपर्क करें-
दिनांक एवं समय – xx/xx/xxxx से xx/xx/xxxx तक
समय प्रात: x बजे से xx बजे तक
स्थान – सोसाइटी हॉल
मुख्य आकर्षण – रविवार को मुफ़्त प्रदर्शन
सचिव
अरुण पटनायक
प्रश्न 17.
सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले के लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (3×1=3)
अथवा
‘कोरोना महामारी से बचाव’ के संबंध में लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 18.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में लघुकथा/ई-मेल लिखिए- (5 × 1 = 5)
(i) ‘जहाँ चाह, वहाँ राह’ शीर्षक पर लगभर 100 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए।
उत्तर:
एक छात्र था जो हर परीक्षा में सिर्फ़ पास होने भर के नंबर हासिल कर पाता था। मगर औसत नंबर लाने के बावजूद, वह हमेशा एक डॉक्टर बनना चाहता था। उसके दोस्त उसकी आकांक्षा पर हमेशा हँसते हुए कहते थे कि केवल अच्छे छात्र ही डॉक्टर बन सकते हैं। हालाँकि उसे बुरा लगता था, लेकिन वो कभी इस बात की शिकायत नहीं करता और हर आलोचना को अच्छी भावना से लेता। एक-एक दिन करके वर्षों बीत गए, लेकिन वह डॉक्टर बनने की अपनी आकांक्षा को अपने मन से नहीं निकाल सका। एक बार कुछ ऐसा हुआ कि एक टीवी शो के दौरान उसने एक शिक्षक को यह कहते हुए सुना-“जहाँ चाह है वहाँ राह है’ उसने देखा कि यह कहावत आश्चर्यजनक रूप से प्रेरणादायक है और वह खुद इसे अपने जीवन से जोड़ सकता है। उस दिन लड़के ने महसूस किया कि उसके पास डॉक्टर बनने की इच्छाशक्ति है, लेकिन उसे थोड़ा और मुखर होने और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। उसने दिन-रात अध्ययन करना शुरू किया जैसे कि उसकी एकमात्र इच्छा सिर्फ़ डॉक्टर बनने की ही थी इसलिए उसके पास कोई प्लान भी नहीं था। आखिरकार, उसकी कड़ी मेहनत और अनकही दृढ़ इच्छाशक्ति का फल मिला और वो डॉक्टर बन गया। वास्तव में “जहाँ चाह वहाँ राह”।
अथवा
(ii) आप धनुष सांगवान/धनुश्री सांगवान हैं। आपने ऑनलाइन लैपटॉप खरीदा है परंतु खरीदने के एक महीने के भीतर ही उसमें खराबी आ गई है। इस बात की जानकारी देते हुए तथा उत्पादन (लैपटॉप) को बदलने के आग्रह करते हुए कंपनी के ई-मेल पते पर ई-मेल लिखिए। [शब्द सीमा लगभग 100 शब्द]
उत्तर:
ई-मेल लेखन
From:
[email protected]
To:
[email protected]
CC…
BCC…
विषय- लैपटॉप में खराबी होने के कारण बदलवाने के सन्दर्भ में
महोदय,
मैं आपकी जानकारी में डालना चाहता हूँ कि चार दिन पहले आपकी कंपनी से मैंने ऑनलाइन लैपटॉप मँगवाया था जो कि कुछ तकनीकी खराबी के कारण उचित रूप से कार्य नहीं कर रहा है। उसमें आधी स्क्रीन नहीं चल रही है, उसका चालू करने वाला बटन भी सही रूप से कार्य नहीं कर रहा है। कई बार प्रयास करने पर बड़ी मुश्किल से लैपटॉप चालू किया। इस खराबी के कारण मेरा ऑफ़िस का कार्य रुका पड़ा हुआ है। अतः आप उसे बदल कर नया लैपटॉप भिजवाएँ जिससे मेरा काम सुचारू रूप से हो सके।