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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 9 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-‘अ’ और ‘ब’। खंड ‘अ’ में वस्तुपरकाबहुविकल्पीय और खंड ‘ब’ में वस्तुनिष्ठ/वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
- प्रश्न-पत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 हैं और सभी प्रश्न अनिवर्य है।
- यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
- खंड ‘अ’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपमश्नों की संख्या 44 हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य हैं।
- खंड ‘ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए है। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड ‘अ’
(बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश-पद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
मानव बुद्धिशील प्राणी है। जिस विषय पर दूसरे प्राणी विचार नहीं कर सकते हैं, उन पर वह चिंतन करता है। इसी कारण वह संसार के समस्त जीवधारियों में श्रेष्ठ माना जाता है। जहाँ एक ओर उसमें विद्या, बुद्धि, प्रेम आदि श्रेष्ठ गुण विद्यमान हैं, वहीं दूसरी ओर वह राग, द्वेष, हिंसा आदि बुरी प्रवृत्तियों से भी ओत-प्रोत है। श्रेष्ठ तत्त्वों का अपने अंदर विकास करने के लिए मानव को स्वावलंबी बनना पड़ेगा। दूसरों का सहारा छोड़कर केवल अपने सहारे पर जीवन बिताना स्वावलंबन कहलाता है। अपने पैरों पर खड़ा होने वाला व्यक्ति न तो समाज में निरादर पाता है और न घृणा का पात्र ही होता है।
वह अपने बल पर पूर्ण विश्वास प्राप्त करता है। वास्तव में, स्वावलंबन गानव का वह गुण है, जो उसे आत्मविश्वासी बनाता है। जो व्यक्ति स्वयं कर्मठ एवं स्वावलंबी नहीं है, ऐसे व्यक्ति की कोई भी सहायता करता है और ऐसे व्यक्ति का जीवन पशु से भी हेय होता है। आज के युग में उसी का जीवन सार्थक है जो स्वावलंबी है, क्योंकि स्वावलंबन जीवन का मूलमंत्र है। जो लोग स्वावलंबन को एक ढकोसला तथा सिद्धांत मात्र मानते हैं, वे अपनी अल्पझता का परिचय देते हैं। जो व्यक्ति इस प्रकार का विपरीत तर्क करते हैं, वे कुंठाओं से आवृत्त होते हैं। ऐसे लोग तर्क के आधार पर स्वावलंबी जीवों को एकांत में खड़े होने वाले अरण्य का वृक्ष मानते हैं।
(क) निम्नलिखित कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए। जो व्यक्ति स्वावलंबन से रहित होता है,
1. उस व्यक्ति का जीवन पशु से भी निम्न होता है।
2. वह व्यक्ति आत्मविश्वासी होता है।
3. उसका जीवन सार्थक होता है।
4. वह केवल अपने सहारे जीवन बिताता है।
कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) 1 और 2 सही हैं
(iii) 2 और 3 सही हैं
(iv) 3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(i) केवल 1 सही है स्वावलंबन रहित व्यक्ति का जीवन पशु से भी निम्न होता है। स्वावलंबन ही मनुष्य को आत्मविश्वासी बनाता है।
(ख) स्वावलंबन न रखने वाले व्यक्ति स्वावलंबन को क्या समझते हैं?
(i) पाखंड और सिद्धांत
(ii) सार्थक
(iii) घृणित
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) पाखंड और सिद्धांत स्वावलंबन न रखने वाले व्यक्ति स्वावलंबन को केवल पाखंड और सिद्धांत मात्र समझते हैं। वह स्वावलंबन के विषय में नकारात्मक तर्क करते हैं और इसके द्वारा वह अपनी कम जानकारी का परिचय देते हैं।
(ग) ‘वह अपने बल पर पूर्ण विश्वास प्राप्त करता है” वाक्य में ‘वह’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(i) स्वावलंबी व्यक्ति के लिए
(ii) स्वावलंबन रहित व्यक्ति के लिए
(iii) संसार के लिए
(iv) पशु के लिए
उत्तर :
(i) स्वावलंबी व्यक्ति के लिए ‘ वह अपने बल पर पूर्ण विश्वास प्राप्त करता है’ वाक्य में ‘वह’ शब्द स्वावलंबी व्यक्ति के लिए प्रयुक्त हुआ है।
(घ) गद्यांश के आधार पर बताइए कि स्वावलंबन क्या है?
(i) दूसरों का सहारा छोइकर केवल अपने सहारे जीवन बिताना
(ii) दूसरों के सहारे जीवन बिताना
(iii) समाज के सहारे जीवन बिताना
(iv) ये सभी
उत्तर :
(i) दूसरों का सहारा छोड़कर केवल अपने सहारे जीवन बिताना दूसरों का सहारा छोड़कर केवल अपने सहारे जीवन बिताना स्वावलंबन कहलाता है। अपने पैरों पर खड़े होने के कारण स्वावलंबी व्यक्ति न तो समाज में निरादर पाता है और न ही वह घृणा का पात्र होता है।
(ङ) कथन (A) मानव को अन्य जीवों से श्रेष्ठ माना गया है।
कारण (R) मानव एक बुद्धिशील प्राणी है।
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, कितु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर :
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। मानव एक बुद्धिशील प्राणी है। जिस विषय पर दूसरे प्राणी विचार नहीं कर सकते हैं, उन विषयों पर वह चिंतन करता है। इसी कारण वह संसार के समस्त जीवधारियों में श्रेष्ठ माना जाता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए-
हो मन के अनुकूल
उसे ही सुख कहते हैं,
मन से जो प्रतिकूल
उसे ही दु:ख कहते हैं ।
गमनागमन किया करते हैं
इच्छा के वाहन में
आते हैं जाते हैं
सुख-दु:ख इस जीवन में ।
दूल्हे जैसा सर्वप्रतीक्षित
सुख आता है
अनचाहे मेहमान सरीखा
दुख जाता है
एक गया तो दूजा आया
पड़ें न उलझन में
आते हैं जाते हैं
सुख-दु:ख इस जीवन में।
सुख फूलों-सा मनमोहक
सुंदर दिखता है
फिर दुःख आता है तो
काँटों-सा चुभता है
एक हँसाता एक रुलाता
क्रमशः मन के वन में
आते हैं, जाते हैं
सुख-दु:ख इस जीवन में।
दोनों का ही कुछ स्वतंत्र
अस्तित्व नहीं है
और किसी का कुछ भी स्थायित्व नहीं है
दुःख भोगा सुख की तलाश में
मिला न तन-धन में
आते हैं जाते हैं
सुख-दु:ख इस जीवन में।
(1) कवि हमें उलझन में न पड़ने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि कवि के अनुसार- कथन
(i) सुख फूलों जैसा मनमोहक दिखता है।
(ii) मानव जीवन में सुख और दुःख का आना-जाना लगा रहता है।
(iii) एक दूल्हे जैसा आता है और एक अनचाहे मेहमान जैसा चला जाता है।
(iv) सुख और दुःख दोनों का स्वतंत्र अस्तित्व है।
विकल्प
(क) कथन (i) व (iv) सही हैं।
(ख) कथन (i) व (ii) सही हैं।
(ग) कथन (ii) व (iii) सही हैं।
(घ) कथन (iii) व (iv) सही हैं।
उत्तर:
(ग) कथन (ii) व (iii) सही हैं।
(2) कवि ने सुख को ‘दूल्हे जैसा सर्वप्रतीक्षित कहा है, क्योंकि-
(क) सुख दूल्हे की तरह आकर्षक लगता है।
(ख) दूल्हा एक निश्चित उम्र पर पहुँचने पर ही मिलता है, उसी तरह सुख भी निश्चित समय पर मिलता है।
(ग) विवाह के समय सब लोग जिस प्रकार दूल्हे की प्रतीक्षा करते हैं, उसी तरह लोग जीवन में सुख की प्रतीक्षा करते हैं।
(घ) दूल्हे के लिए जिस प्रकार की भावनाएँ मन में होती हैं, वैसी ही भावनाएँ सुख की कामना करने वालों के मन में होती हैं ।
उत्तरः
(ग) विवाह के समय सब लोग जिस प्रकार दूल्हे की प्रतीक्षा करते हैं, उसी तरह लोग जीवन में सुख की प्रतीक्षा करते हैं ।
(3) काव्यांश के अनुसार सुख-दुःख का वाहन क्या है?
(क) मन
(ख) तन और मन
(ग) इच्छा
(घ) प्रतीक्षा
उत्तरः
(ग) इच्छा
(4) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए –
कथन (A) : जीवन में सुख और दुःख दोनों का बराबर का स्थायित्व है।
कारण (R) : सुख-दुःख जीवन में आते-जाते रहते हैं।
(क) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत हैं ।
(ख) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) व (R) सही हैं, और कथन (A), (R) की सही व्याख्या है।
(घ) कथन (A) व (R) सही हैं, और कथन (A), (R) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(ख) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है ।
(5) कवि के अनुसार मनुष्य दुःख क्यों भोगता है ?
(क) अभावों के कारण
(ख) सुख की तलाश में भागने के कारण
(ग) धन-संपत्ति के पीछे भागने के कारण
(घ) अपने लोगों को कष्ट होने के कारण
उत्तरः
(ख) सुख की तलाश में भागने के कारण
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘लाभ वाला काम करो’ (मिश्र वाक्य में परिवर्तित कीजिए।)
(i) काम करो परंतु लाभ वाला।
(ii) काम ऐसा करो, जिसमें लाभ हो।
(iii) लाभ वाल काम करो।
(iv) लाभ के साथ-साथ काम करो।
उत्तर :
(i) ऐसा काम करो, जिसमें लाभ हो।
(ख) ‘आकाश में इसलिए तारों का मेला लग गया था, क्योंकि रात हो गई थी।’ इसका संयुक्त वाक्य होगा
(i) रात हुई और आकाश में तारों का मेला लग गया।
(ii) रात में आकाश में तारों का मेला लगता है।
(iii) जब रात होती है तब आकाश में मेला लगता है।
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) रात हुई और आकाश में तारों का मेला लग गया।
(ग) ‘वे मूर्ति देखकर रुक गए।’ इसका मिश्र वाक्य होगा
(i) उन्होंने मूर्ति को देखा ओर रुक गए।
(ii) वे मूर्ति को देखकर रुक गए।
(iii) जैसे ही उन्होंने मूर्ति को देखा वैसे ही वे रुक गए।
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(iii) जैसे ही उन्होंने मूर्ति को देखा वैसे ही वे रुक गए।
(घ) निम्नलिखित वाक्यों में से मिश्र वाक्य पहचानकर नीचे दिए गए सबसे सही विकल्प को चुनिए।
1. उसके अनुसार वह बहुत बद्धिमान है।
2. उसने कहा कि वह बहुत बुद्धिमान है।
3. वह अपने को बुद्धिमान मानता है।
4. वह मानता है कि वह बुद्धिमान है।
कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) 2 और 3 सही हैं
(iii) 2 और 4 सही हैं
(iv) 3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(iii) 2 और 4 सही हैं
(ङ) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकत्प का चयन कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. यह वही पुस्तक है, जिसे मैं ढूँढ रहा था। | 1. सरल वाक्य |
B. मैं पुस्तक ढूँढ रहा था। | 2. संयुक्त वाक्य |
C. यह पुस्तक यहाँ थी और मैं उसे कमरे में ढँढ रहा था। | 3. मिश्र वाक्य |
कूट
A B C
(i) 1 2 3
(ii) 3 1 2
(iii) 3 2 1
(iv) 1 3 2
उत्तर :
(ii) A-3, B-1, C-2
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(1) मैं कल विद्यालय गया था – वाच्य का भेद बताइए-
(क) कर्मवाच्य
(ख) भाववाच्य
(ग) कर्तृवाच्य
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर:
(ग) कर्तृवाच्य
(2) मजदूर पेड़ काटेंगे – कर्मवाच्य में बदलिए-
(क) मजदूरों के द्वारा पेड़ काटे जाएँगे।
(ख) मजदूरों से पेड़ नहीं कटेंगे।
(ग) पेड़ मजदूरों के द्वारा काटे जाएँगे ।
(घ) मजदूरों ने पेड़ काटे ।
उत्तरः
(क) मजदूरों के द्वारा पेड़ काटे जाएँगे ।
(3) तुम पढ़ नहीं सकते – भाववाच्य में बदलिए-
(क) तुम पढ़ सकते हो
(ख) तुम पाठ नहीं पढ़ सकते
(ग) तुमसे पढ़ा नहीं जाता
(घ) तुम्हारे द्वारा पाठ पढ़ा नहीं जाता
उत्तर:
(ग) तुमसे पढ़ा नहीं जाता
(4) बालक द्वारा पत्र लिखा जाता है- कर्तृवाच्य में बदलिए ।
1. बालक से पत्र नहीं लिखा जाता ।
2. बालक पत्र लिखता है ।
3. बालक पत्र लिखेगा ।
4. बालक ने पत्र लिखा ।
(क) 3 और 4 दोनों सही है
(ख) केवल 4 सही है ।
(ग) केवल 2 सही है।
(घ) केवल 1 सही है ।
उत्तर:
(ग) केवल 2 सही है।
(5) कॉलम 1 को कॉलम 2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
(1) उससे सबको सँभाला नहीं जाता | (i) कर्तृ वाच्य |
(2) दीवार बना ली गई है। | (ii) भाव वाच्य |
(3) पंछी आकाश में उड़ गया | (iii) कर्म वाच्य |
विकल्प
(क) 1-ii, 2-i, 3-iii
(ख) 1-iii, 2-i, 3-ii
(ग) 1-ii, 2-iii, 3-i
(घ) 1-i, 2-ii, 3-iii
उत्तर:
(ग) 1-ii, 2-iii, 3-i
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 4 = 4)
(क) वह घर में बैठा रहता है। रेखांकित अंश का पद-परिचय होगा
(i) पुरुषवाचक सर्वनाम, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक
(ii) निश्चयवाचक सर्वनाम, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक
(iii) निश्चयवाचक सर्वनाम, पुल्लिग, बहुवचन, कर्ता कारक
(iv) पुरुषवाचक सर्वनाम, पुल्लिग, बहुवचन, कर्ता कारक
उत्तर :
(i) पुरुषवाचक सर्वनाम, पुल्लिग, एकवचन, कर्सा कारक
(ख) समूचा गाँव खेतों में उत्तर पड़ा है। रेखांकित अंश का पद-परिचय होगा
(i) संख्यावाचक विशेषण, ‘गाँव’ विशेष्य, एकवचन, पुल्लिग
(ii) गुणवाचक विशेषण, ‘गाँव’ विशेष्य, एकवचन, पुल्लिग
(iii) गुणवाचक विशेषण, ‘गाँब’ विशेष्य, एकवचन, स्त्रीलिंग
(iv) गुणवाचक विशेषण, ‘गाँव’ विशेष्य, एकवचन, स्त्रीलि
उत्तर :
(i) संख्यावाचक विशेषण, ‘गाँव’ विशेष्य, एकवचन, पुल्लिग
(ग) मैं पुस्तके जरूर खरीदूँगी। रेखांकित अंश का पद-परिचय होगा
(i) सकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, सामान्य भविष्यत्
(ii) अकर्मक क्रिया, बहुवचन, स्त्रीलिंग, सामान्य भविष्यत्
(iii) सकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिग, भविष्यत्
(iv) अकर्मक क्रिया, बहुवचन, पुल्लिग, सामान्य भविष्यत्
उत्तर :
(i) सकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, सामान्य भविष्यत्
(घ) छात्र अध्यापक की बातें ध्यानपूर्वक सुनते हैं। रेखांकित अंश का पद-परिचय होगा
(i) स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘सुनते हैं’
(ii) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘सुनते हैं’
(iii) कालवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘सुनते है’
(iv) परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘सुनते हैं’
उत्तर :
(ii) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘सुनते हैं’
(ङ) उसने मुझे बहुत धन दिया। वह लइकी बहुत सुंदर है।
दोनों वाक्यों के ‘बहुत’ का सामान्य पद-परिचय होगा
(i) पहला बहुत-प्रविशेषण, दूसरा बहुत-परिमाणवाचक विशेषण
(ii) पहला बहुत-परिमाणवाचक विशेषण, दूसरा बहुत-प्रविशेषण
(iii) पहला बहुत-परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, दूसरा बहुत-गुणवाचक विशेषण
(iv) पहला बहुत-सार्वनामिक विशेषण, दूसरा बहुत-कालवाचक क्रिया-विशेषण
उत्तर :
(iii) पहला बहुत-परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, दूसरा बहुत-गुणवाचक विशेषण
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पी प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(1) ‘मेघ आए बन ठन के’ इसमें कौन-सा अलंकार है ?
(क) मानवीकरण अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) यमक अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तरः
(क) मानवीकरण अलंकार
(2) ‘संदेसनि मधुवन – कूप भरे’ में कौन-सा अलंकार है ?
(क) रूपक
(ख) उपमा
(ग) अनुप्रास
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तरः
(घ) अतिशयोक्ति
(3) “मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोई, जा तन की झाईं परत, स्याम हरित दुति होई । ” में अलंकार बताइए-
(क) श्लेष
(ख) अनुप्रास
(ग) रूपक
(घ) उत्प्रेक्षा
उत्तर:
(क) श्लेष
(4) “चिरजीवो जोरी जुरे, क्यों न सनेह गंभीर, को घटि ए वृषभानुजा, वे हलधर के वीर ।”
(क) श्लेष
‘(ख) उत्प्रेक्षा
(ग) यमक
(घ) रूपक
उत्तर:
(क) श्लेष
(5) ‘मोर मुकुट की चन्द्रकनि, त्यों राजत नंद-नंद,
मनु ससि सेखर को अकस, किए सेखर सत चंद ।’
में कौन-सा अलंकार है । सही विकल्प चुनिए ।
(क) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ख) श्लेष अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) उपमा अलंकार
उत्तरः
(क) उत्प्रेक्षा अलंकार
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखा गया, जिस दिन उनका बेटा मरा। इकलौता बेटा था वह! कुछ सुस्त और बोदा-सा था, कितु इसी कारण बालगोबिन भगत उसे और भी मानते। उनकी समझ में ऐसे आदमियों पर ही ज़्यादा नज़र रखनी चाहिए या प्यार करना चाहिए, क्योंकि ये निगरानी और मोहब्बत के ज़्यादा हकदार होते हैं। बड़ी साध से उसकी शादी कराई थी, पतोहू बड़ी ही सुभग और सुशील मिली थी। घर की पूरी प्रबंधिका बनकर भगत को बहुत कुछ दुनियादारी से निवृत्त कर दिया था उसने। उनका बेटा बीमार है, इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फ़ुरसत! किंतु मौत तो अपनी ओर सबका ध्यान खींचकर ही रहती है।
बेटे के क्रियाकर्म में तूल नहीं किया। पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्यों ही श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई, पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। इधर पतोहू रो-रोकर कहती-मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लू पानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हुँ, मुझे अपने चरणों से अलग गहीं कीजिए।
(क) गद्यांश के आधार पर बताइए कि बालगोबिन भगत की पतोहू कुशल प्रबंधिका किस प्रकार थी?
(i) वह सभी कार्यों में निपुण थी
(ii) उसने भगत को दुनियादारी से काफी हद तक निवृत्त कर दिया था
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) सुस्त व आलसी प्रवृत्ति के कारण
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों बालगोबिन भगत की पतोहू बड़ी ही भाग्यवान, सुशील तथा कुशल प्रबंधिका थी। वह सभी कार्यों में निपुण थी। उसने भगत को दुनियादारी से काफी हद तक निवृत्त कर दिया था। उसे हमेशा बालगोबिन भगत की चिंता रहती थी।
(ख) बालगोबिन भगत अपने बेटे से अधिक प्यार क्यों करते थे?
(i) क्योंकि उनका बेटा सुस्त और कम बुद्धि वाला था
(ii) बेटा बहुत चालाक था
(iii) बेटा बहुत अहंकारी था
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) क्योंकि उनका बेटा सुस्त और कम बुद्धि वाला था बालगोबिन भगत का बेटा सुस्त तथा कम बुद्धि वाला था। उनके अनुसार, ऐसे व्यक्तियों को ज्यादा प्यार करना चाहिए, क्योंकि ये निगरानी और मोहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं, इसलिए वे अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे।
(ग) बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का उत्कर्ष किस दिन देखा गया?
(i) जिस दिन उनके पुत्र की मृत्यु हो गई थी
(ii) जिस दिन उनका पुत्र बीमार था
(iii) जिस दिन पतोहू का विवाह था
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) जिस दिन उनके पुत्र की मृत्यु हो गई थी बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का उत्कर्ष उस दिन देखा गया था, जिस दिन उनके पुत्र की मृत्यु हो गई थी।
(घ) गय्यांश के आधार पर बताइए कि श्राद्ध की अवधि पूरी होने पर बालगोबिन भगत ने पतोहू के साथ कैसा व्यवहार किया?
(i) घर से जाने को कहा
(ii) दूसरा विवाह करने का आदेश दिया
(iii) अपनी सेवा करने को कहा
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) दूसरा विवाह कराने का आदेश दिया श्राद्ध की अवधि पूरी होने पर बालगोबिन भगत ने अपनी पतोहू का दूसरा विवाह करने का आदेश दिया।
(ङ) बालगोबिन भगत की पतोहू ने भाई के साथ उनके घर से न जाने के लिए क्या प्रार्थना की थी?
(i) उनके साथ रहकर उनकी सेवा करने की
(ii) वहाँ से चले जाने की
(iii) दूसरा विवाह कराने की
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) उनके साथ रहकर उनकी सेवा करने की बालगोबिन भगत की पतोहू ने भाई के साथ उनके घर से न जाकर उनके साथ रहकर उनकी सेवा करने की प्रार्थना की थी।
प्रश्न 8.
क्षितिज के गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पी प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए-
(1) कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे । उन प्रसंगों का सही विकल्प बताइए-
(क) पुत्र की मृत्यु के बाद उसकी चिता को पुत्रवधू द्वारा अग्नि दिलवाना।
(ख) पुत्रवधू को पुनर्विवाह का आदेश देना।
(ग) पुत्र की मृत्यु पर शोक न मनाकर उसे आत्मा परमात्मा का मिलन मानना ।
(घ) उपर्युक्त सभी प्रसंग सही हैं।
उत्तरः
(घ) उपर्युक्त सभी प्रसंग सही हैं।
(2) लेखक नवाब साहब के सामने बैठकर आँखें क्यों चुरा रहे थे ?
(क) अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए ।
(ख) वे नवाब साहब से बात नहीं करना चाहते थे
(ग) उन्हें ऐसी आशा नहीं थी कि रेल के डिब्बे में उनके अतिरिक्त कोई और भी होगा ।
(घ) नवाबों का दिखावा व बनावटीपन उन्हें पसंद नहीं था ।
उत्तर:
(क) अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए ।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा। को नहि जान बिदित संसारा।
माता पितहि उरिन भये नीकें। गुररिनु रहा सोचु बड़ जी कें।।
सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा। दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा।।
अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली। तुरत देउँ मैं थैली खोली।।
सुनि कटु बचन कुठार सुधारा। हाय हाय सब सभा पुकारा।
भृगुबर परसु देखाबहु मोही। बिप्र बिचारि बचौं नृपद्रोही।।
मिले न कबहूँ सुभट रन गाढ़े। द्विजदेवता घरहि के बाढ़े।।
अनुचित कहि सबु लोगु पुकारे। रघुपति सयनहि लखनु नेवारे।।
दोहा
लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।
बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु।
(क) “कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा” इस पंक्ति में ‘तुम्हारा’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
(i) सभा के लिए
(ii) परशुराम के लिए
(iii) विश्वामित्र के लिए
(iv) लक्ष्मण के लिए
उत्तर :
(ii) परशुराम के लिए मस्तुत पंक्ति में ‘तुम्हारा’ शब्द परशुराम के लिए प्रयोग किया गया है।
(ख) लक्ष्मण के किन शब्दों से परशुराम पुनः क्रोधित हो गए?
(i) हे नृपद्रोही! मैं ब्राहण समझकर आपको बचा रहा हूँ
(ii) है ब्राहण देवता! लगता है रणधीर वीरों से आपका सामना कभी नहीं हुआ
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) आप (परशुराम) ज्ञानी-महाज्ञानी हैं
उत्तर :
(iii) (i) और (i i) दोनों लक्ष्मण ने पुनः परशुराम के क्रोध को भड़काते हुए कहा कि हे नृपद्रोही! मैं ब्राह्मण समझकर आपको बचा रहा हुँ। हे ब्राहाण देवता! आप घर में ही बड़े हैं, लगता है रणधीर वीरों से आपका सामना कभी नहीं हुआ है। लक्ष्मण के ये कठोर वचन सुनकर परशुराम पुनः क्रोधित हो उठे।
(ग) काव्यांश के आधार पर बताइए कि सभी में हाय-हाय की पुकार क्यों मची?
(i) लक्ष्मण वध की संभावना से
(ii) परशुराम वध की संभावना से
(iii) सभा में युद्ध की संभावना से
(iv) ये सभी
उत्तर :
(i) लक्ष्मण वध की संभावना से जब परशुराम ने लक्ष्मण के कठोर वचन सुनकर उन्हें मारने के लिए अपना फरसा सैंभाला तो लक्ष्मण वध की संभावना से सभा में हाय-हाय की पुकार मच गई।
(घ) काव्यांश के आधार पर बताइए कि सभा में उपस्थित लोग ‘यह अनुचित है कहकर क्यों पुकारने लगे?
(i) परशुराम के लक्ष्मण के प्रति कडु वचन सुनकर
(ii) लक्ष्मण के परशुराम के प्रति कटु वचन सुनकर
(iii) विश्वामित्र के कटु बचन सुनकर
(iv) श्रीराम के परशुराम के प्रति कटु वचन सुनकर
उत्तर :
(ii) लक्ष्मण के परशुराम के प्रति कटु वचन सुनकर जब लक्ष्मण ने कहा कि हे भृगुश्रेष्ठ! आप मुझे फरसा दिखा रहे हैं, पर हे राजाओं के शन्तु! मैं ब्राहमण समझकर आपको बचा रहा हूँ। मुझे लगता है कि आपको कभी रणधीर, बलवान वीर नहीं मिले। हे ब्राह्मण देवता! आप घर में ही बड़े है। तब लक्ष्मण के ऐसे कटु वचन सुनकर सभा में उपस्थित सभी लोग ‘यह अनुचित है, यह अनुचित है’ कहकर पुकारने लगे।
(ङ) ‘लखन उत्तर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(i) लक्ष्मण के उत्तर परशुराम की क्रोधाग्नि में आहुति के समान कार्य कर रहे थे
(ii) श्रीराम के उत्तर परशुराम की क्रोधार्नि में आहुति के समान कार्य कर रहे थे
(iii) परशुराम के वचन लक्ष्मण को क्रोधाग्नि में आहुति के समान लग रहे थे
(iv) विश्वामित्र के प्रश्न परशुराम की क्रोधाग्नि में आहुति के समान लग रहे थे
उत्तर :
(i) लक्ष्मण के उत्तर परशुराम की क्रोधाग्नि में आहुति के समान कार्य कर रहे थे ‘लखन उत्तर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृस्सुनु’ पंक्ति का भाव यह है कि लक्ष्मण के उत्तर परशुराम की क्रोधाग्नि में आहुति के समान कार्य कर रहे थे। इस क्रोधाग्नि को बढ़ते देख रघुर्वशी सूर्य राम-लक्ष्मण के वथनों के विपरीत जल के समान शांत करने वाले वचनों का प्रयोग करते हुए परशुराम जी से लक्ष्मण को क्षमा करने की विनती करने लगे।
प्रश्न 10.
पाठ्यपुस्तक में निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित दो प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए-
(1) परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ बताइए-
(क) राम स्वभाव से नम्र और लक्ष्मण उग्र हैं।
(ख) राम स्वभाव से उग्र और लक्ष्मण नम्र हैं ।
(ग) राम और लक्ष्मण दोनों ही स्वभाव से उग्र हैं।
(घ) राम और लक्ष्मण दोनों ही स्वभाव से नम्र हैं।
उत्तरः
(क) राम स्वभाव से नम्र और लक्ष्मण उग्र हैं।
(2) फागुन मास में प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन दिखाई देते हैं?
(क) नैसर्गिक सौंदर्य मन को आकर्षित करता है ।
(ख) खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं।
(ग) पेड़-पौधे पुष्पित और पल्लवित हो जाते हैं।
(घ) ये सभी परिवर्तन दिखाई देते हैं।
उत्तरः
(घ) ये सभी परिवर्तन दिखाई देते हैं।
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 11.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘नेताओी का चश्मा’ पाठ के आधार पर बताइए कि मूर्ति लगाने के कार्य को सफल और सराहनीय प्रयास क्यों कहा गया है?
उत्तर :
सीमित समय एवं सीमित बजट के बावजूद नेताजी की मूर्ति को स्थापित किया गया। इससे पता चलता है कि समाज में अभी भी नेताजी जैसे देशभक्तों के प्रति लोगों के मन में सम्मान एवं श्रद्धा की भावना जीवित है। इसी कारण नेताजी की मूर्ति लगाने का कार्य एक सफल एवं सराहनीय कार्य था। इससे आगे आने वाली पीढ़ियों भी देशभक्ति की भावना के साथ जुड़ी रहेंगी।
(ख) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के आधार पर बताइए कि बालगोबिन भगत ने आखिरी दलील क्या दी व क्यों?
उत्तर :
जब बालगोबिन भगत के इकलौते बेटे की मृत्यु हो गई तो उन्होंने श्रद्ध की अवधि पूरी हो जाने के बाद पतोहू के भाई को बुलाकर उसे, उसका (पतोहू) दूसरा विवाह कर देने का आदेश दिया। जब पतोहू उन्हें छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं हुई, तो उनकी आखिरी दलील यह थी कि तू जा, नहीं तो में ही इस घर को छोड़कर चल दूँगा। भगत ने यह दलील इसलिए दी, क्योंकि उनकी पतोहू की आयु अभी बहुत कम थी। इसलिए वे उसका पुनर्विवाह करवाना चाहते थे।
(ग) ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने मुँह में पानी आने पर भी खीरा खाने से इनकार क्यों किया?
उत्तर :
लेखक को अचानक से नवाब साहब का बदला हुआ व्यवहार अच्छा नहीं लगा। उन्होंने डिब्ये में चढ़ते समय लेखक के प्रति अरुचि प्रदर्शित। की थी। इसलिए लेखक ने खीरा खाने से इनकार कर दिया। नवाब साहब ने एक बार फिर लेखक से खीरा खाने के लिए कहा, परंतु लेख क ने अपना आत्मसम्मान बनाए रखने के लिए एक बार फिर मना कर दिया।
(घ) लेखक ने सभ्यता और संस्कृति को समझाने के लिए कौन-से उदाहरण दिए?
उत्तर :
लेखक ने सभ्यता और संस्कृति को समझाने के लिए अग्नि के आविष्कार का और सुई-थागे का उदाहरण दिया। जिस योग्यता, प्रवृत्ति अथवा प्रेरणा के बल पर आग व सुई-धागे का आविष्कार हुआ, वह व्यक्ति विशेष की संस्कृति है, जबकि उस संस्कृति द्वारा जो आविष्कार हुआ, उसे सभ्यता कहा जाता है।
प्रश्न 12.
निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए-
(क) भाव स्पष्ट कीजिए-
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
उत्तरः
कवि कहना चाहता है कि फसलों का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। सूर्य की किरणों के रूपान्तर के फलस्वरूप ही फसल अस्तित्व में आती है। आशय यह है कि फसलें सूर्य की ऊष्मा और हवा प्राप्त करके लहलहाती हैं। जिसमें किसान की मेहनत भी छुपी रहती है।
(ख) ‘राम-लक्ष्मण – परशुराम संवाद’ पाठ के रचयिता कौन हैं और यह किस ग्रंथ से लिया गया है ? इस ग्रंथ का प्रतिपाद्य क्या है?
उत्तरः
‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ के रचयिता तुलसीदास जी हैं। यह ‘रामचरितमानस’ ग्रंथ से लिया गया है। इस ग्रंथ में श्रीराम के जीवन की सुंदर आदर्श झाँकी प्रस्तुत की गई है।
(ग) ‘अट नहीं रही है’ कविता के अनुसार प्रकृति की शोभा का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि ने वसंत में प्रकृति की शोभा का मनोहारी चित्रण किया है। इस ऋतु में सुन्दरता प्रकृति के कण-कण में समा जाती है। प्रकृति के कोने-कोने में अनूठी – सी सुगंध भर जाती है जिससे कवि की कल्पना ऊँची उड़ान लेने लगती है । चाहकर भी प्रकृति की सुंदरता से आँखें हटाने की इच्छा नहीं होती। नैसर्गिक सौन्दर्य के प्रति मन आकर्षित हो जाता है। जगह-जगह रंग-बिरंगे और सुगंधित पुष्पों की शोभा प्रतीत होती है।
(घ) संगतकार में त्याग की उत्कृष्ट भावना भरी है, पुष्टि कीजिए ।
उत्तरः
संगतकार वह व्यक्ति है, जो कदम-कदम पर मुख्य गायक की सहायता करता है, किन्तु वह अपने स्वर को मुख्य गायक के स्वर से अधिक प्रभावपूर्ण नहीं होने देता है । वह गायन का सम्पूर्ण श्रेय मुख्य गायक को देता है। वह नींव की ईंट की भाँति होता है, जो अपना अस्तित्व दाँव पर लगाकर त्याग की उत्कृष्ट भावना का परिचय देता है।
प्रश्न 13.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधार निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) बच्चे बहुत-से खेल खेलते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पहले बच्चे एकसाथ बहुत-से खेल खेला करते थे। ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर बच्चों द्वारा बरात निकालने के खेल को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बच्चे कनस्तर का तंबूरा बजाकर, शहनाई बजाकर व टूटी चूहेदानी की पालकी बनाकर बरात निकालते हैं। बच्चे स्वयं दुल्हा बनकर बकरे पर चढ़कर चबूतरे के एक कोने से दूसरे कोने तक जाते हैं। औँगन तक जाकर बारात फिर लौट आती थी। लौटते समय खटोली पर लाल कपड़ा डालकर उसमें दुल्हन को चढ़ा लिया जाता था। लौटते समय बाबू जी भी इस कार्यक्रम में शामिल होते थे, वह जैसे ही लाल कपड़ा एठाकर दुल्हन का मुख निहारने लगते, तब सभी बच्चे हैंसकर भाग जाते थे। बाबू जी का इस प्रकार छोटों के प्रति प्रेम उनके असीम वात्सल्य को दर्शाता है। वह भोले-भाले व स्नेही व्यक्ति थे, तभी वह बच्चों के नाटक में सम्मिलित हो जाते थे तो कभी प्रसन्न होकर बच्चों के खेल देखा करते थे।
(ख) ‘आज की पीढ़ी स्वार्थपरक हो गई है। वह प्रकृति के साथ अनेक प्रकार से खिलवाड़ कर रही है।’ ‘साना-साना हाथ जोड़’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आज की पीढ़ी स्वार्थपरक हो गई है। वह प्रकृति के साथ अनेक प्रकार से खिलवाड़ कर रही है। मनुष्य अपने लाभ के लिए वृक्षों की अंधाधुंध कटाई कर रहा है, जिससे वन समाप्त हो रहे है। वनों की समाप्ति के कारण जीक-जंतु भी समाप्त हो रहे हैं। कुछ पशु-पक्षियों की प्रजातियाँ तो विलुप्त भी हो चुकी हैं। मनुष्य द्वारा नदियों के जल को दूषित एवं उसका गलत प्रयोग किए जाने से कई स्थानों पर पानी की कमी तथा जल जीवों की संख्या में ह्नास हो रहा है। दिनों-दिन पेयजल संकट भी गहराता जा रहा है।
मनुष्य पहाड़ों को पर्यटन स्थल बनाकर वहाँ पर प्रदूषण फैला रहा है, जिससे बर्फ़ का गिरना कम होता जा रहा है। स्थान-स्थान पर पहाड़ों के जल (झरनो) को एकत्रित करके पर्यटन स्थल बना दिए गए हैं। इन सभी कारणों से प्रदूषण में वृद्धि हुई है। इसे रोकने के लिए कुछ उपाय करने आवश्यक हैं; जैसे-प्रत्येक व्यक्ति पेड़ लगाए और बच्चे की तरह उसकी देखभाल करे। प्रकृति की रक्षा हेतु आवश्यक है कि हम नदियों में कूड़ा-करकट न डालें। अधिक पर्यटक स्थल न बनाएँ। सतत विकास की अवधारणा का अनुपालन करते हुए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करें।
(ग) ‘कुछ लेखक इतने आलसी होते हैं कि बिना बाहरी दबाव के लिख नहीं पाते।’ ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर बताइए कि एक लेखक के लिए स्वभाव और आत्मानुशासन का क्या महत्त्व है?
उत्तर :
लेखन में कृतिकार के स्वभाव और आत्मानुशासन का बहुत महत्त्व है। कुछ लेखक इतने आलसी होते हैं कि बिना बाहरी दबाव के लिख ही नहीं पाते हैं। यह दबाव भीतरी विवशता को प्रदर्शित करने के लिए होता है। इसका उदाहरण देते हुए लेखक कहता है कि जैसे प्रातःकाल नींद खुल जाने पर भी कोई बिछाने पर तब तक पड़ा रहता है, जब तक घड़ी का अलार्म न बज जाए। ऐसे में बाहरी दबाव लेखक के लिए सहायक यंत्र के रूप में कार्य करते हैं। अतः लेखक के अनुसार इस प्रकार के बाहरी दबाव अथवा सहारे की कोई आवश्यकता नहीं है।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में सारगर्भित अनुच्छेद लिखिए-
(क) बस्ते का बढ़ता बोझ
संकेत बिन्दु-
भूमिका
पाठ्यक्रम में पुस्तकों की बढ़ती संख्या
गृह कार्य व कक्षा का कार्य
नियंत्रण आवश्यक
बाजार द्वारा लूट का रूप
निष्कर्ष
उत्तर:
(क) बस्ते का बढ़ता बोझ
आज पाठ्यक्रम में कुछ तो निर्धारित पाठ्य-पुस्तकों की संख्या बढ़ रही है, तो कुछ सहायक पुस्तकों की। इससे बच्चों के बस्ते का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। पुस्तकों को आकर्षक बनाने के लिए मोटे कागजों का प्रयोग किया जाता है। इनके ऊपर यदि मोटी बाइंडिंग करा दी जाए तो पुस्तकों का वजन और भी बढ़ जाता है। इससे बच्चे बस्ते के बोझ से दबे हुए नजर आते हैं। छात्रों के बस्तों के बढ़ते बोझ पर नियंत्रण लगाना आवश्यक है, क्योंकि इस बोझ का संबंध उनके स्वास्थ्य से है । बस्ते के बोझ से छात्र सीधे नहीं चल पाते हैं जिससे उनकी कमर टेढ़ी हो जाती है। यही नहीं, इससे उनके खेलने-कूदने का समय भी छिन जाता है। एक स्वस्थ बच्चा ही भविष्य में स्वस्थ नागरिक बनेगा । इसके लिए मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास भी आवश्यक है| अतः आवश्यक है कि छात्रों के बस्ते का बोझ कम किया जाए जिससे छात्रों को पढ़ाई बोझ नहीं लगेगी और उन्हें खेलने-कूदने का समय भी मिलेगा ।
(ख) समाज और कुप्रथाएँ
संकेत बिन्दु –
प्रस्तावना
समाज विरोधी तत्व एवं कुप्रथाएँ
समाज की संस्थापना
कुप्रथाएँ सामाजिक जीवन की बेडियाँ
उत्तरः
(ख) समाज और कुप्रथाएँ
आज व्यक्ति जो कुछ भी है, वह समाज के कारण है। बिना समाज के व्यक्ति की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सभ्यता, संस्कृति, भाषा आदि सब समाज की देन है। समाज में फैली हुई कुरीतियाँ भी समाज के विकार के कारण हैं । कुरीतियों या कुप्रथाओं को हवा देने का कार्य धर्म के पुरोधाओं ने शुरू किया। वे धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाने लगे और परस्पर भेदभाव की दीवार खड़ी करके मानव को समाज विरोधी बनाने में सफल हुए । विधवाओं को उपेक्षित जीवन जीना पड़ता था । वह शृंगार नहीं कर सकती थीं, साधारण कपड़े पहनती थीं, कर्म, मृत्यु-भोज, सती प्रथा, घूँघट प्रथा, स्त्रियों को शिक्षित न होने देना, जादू-टोना, शकुन-अपशकुन विचार आदि अनेक ऐसी कुप्रथाएँ हैं जो समाज को निरंतर तोड़ रही हैं। यह सब हमारी भयत्रस्त मनोवृत्ति का परिणाम है। ऐसी कुप्रथाएँ जो जीवन को आगे बढ़ने से रोकती हैं, हमें त्याग देनी चाहिए। कुप्रथाओं के विरोध में जो संस्थाएँ काम कर रही हैं उनके साथ मिलकर इस दिशा में सबको एकजुट प्रयास करना चाहिए और कुप्रथाओं का डटकर विरोध करना चाहिए।
(ग) मुसीबत में ही मित्र की परख होती है
संकेत बिन्दु-
जीवन में समरसता के लिए मित्र की आवश्यकता
जीवन संग्राम में मित्र महत्वपूर्ण
सच्चे मित्र की परख और चुनाव
सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य की बात
उत्तर:
(ग) मुसीबत में ही मित्र की परख होती है। यह सभी जानते हैं, कि जीवन एक संग्राम है। इसमें समय-समय पर तरह-तरह की विपत्तियाँ आती हैं। उन विपत्तियों में हमें परम सहायक मित्र की आवश्यकता होती है। गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं-
जे न मित्र, दुःख होंहि दुखारी ।
तिन्हहिं विलोकत पातक भारी ॥
मित्रों का चयन बाहरी चमक-दमक या धन-दौलत अथवा वाक्पटुता से नहीं करना चाहिए । मित्र स्वार्थ सिद्ध करने वाला न होकर हमारी भावनाओं को समझने वाला, सच्चरित्र, विनम्र और परोपकारी होना चाहिए । विश्वासपात्र मित्र को पा लेना बहुत बड़ी सफलता है। सच्चा मित्र हमारा हितैषी होता है, हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है, दोषों से हमारी रक्षा करता है और निराशा में उत्साह देता है। मित्र के सुख और सौभाग्य की चिंता करने वाला सच्चा मित्र बड़े भाग्य से मिलता है। किसी ने ठीक ही कहा है- ” सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता उससे भी दुर्लभ।”
प्रश्न 15.
आप मुकेश चौधरी हैं। अपने नगर में बिजली कटौती से उत्पन्न समस्याओं का उल्लेख करते हुए किसी लोकप्रिय दैनिक भास्कर समाचार-पत्र के संपादक को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5)
अथवा
आप चिराग शर्मा हैं। अपने मित्र को महानगरीय जीवन की सुखद और दुःखद स्थिति का वर्णन करते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
कुंज बिहार कॉलोनी, जयपुर।
दिनांक 8 अक्टूबर, 20XX
सेवा में,
संपादक महोदय
दैनिक भास्कर,
जयपुर।
विषय बिजली कटौती से उत्पन्न समस्याओं के संबंध में।
महोदय,
में आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से नगर में बिजली की कटौती से उत्पन्न समस्याओं की ओर सरकार और विद्युत विभाग के अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ। भीषण गर्मी के मौसम में बिजली की निरंतर हो रही कटौती से जनता अन्यंत त्रस्त है। बिजली जाते ही सारा जन-जीवन अस्त-व्यस्त सा हो जाता है। शिक्षा, व्यवसाय, पारिवारिक जीवन, बैंक तथा सरकारी कार्यालय बिजली के बिना पंगु से हो जाते हैं। बिजली कटौती का कोई निश्चित समय नहीं है। मेरा विद्युत प्रशासन से अनुरोध है कि बिजली कटौती यदि करना आवश्यक भी हो तो उसका समय निश्चित अवश्य किया जाना चाहिए। इसकी जानकारी पूर्व में समाधार-पत्रों आदि के माध्यम से उपभोक्ताओं को दी जानी चाहिए।
धन्यवाद।
भवदीय
मुकेश चौधरी
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 19 अप्रैल, 20XX
विषय महानगरीय जीवन की सुखद और दुःखद स्थिति के विवरण हेतु।
प्रिय मित्र
नमस्कार।
बहुत दिनों से तुम्हारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। मैं काफ़ी दिनों से सोच रहा था कि तुम्हें पत्र लिखूँं, परंतु इतनी भागदौड भरी जिदंगी में में इसके लिए समय नहीं निकाल पा रहा था।
तुम्हें तो पता ही है कि दिल्ली भारत की राजधानी है। इसका अपना बहुत पुराना इतिहास है। यह शहर अनेक बार उजड़ा और अनेक बार बसा है। यहाँ भिन्नभिन्न संस्कृतियों के लोग आए और गए। यहाँ की चौड़ी सड़के, ऊँची-ऊँची इमारतें, ऐतिहासिक स्थल आदि मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं। यहीं सभी प्रकार की सुविधाएँ और जीवन को बेहतर ढंग से जीने के लिए सभी संसाधन मौजूद हैं, परंतु साथ ही इसका दु:खद पहलू भी है। महानगर होने के कारण यहों घंटों जाम रहता है, जिससे समय का अत्यधिक अपव्यय होता है।
यहाँ आवास की भी बड़ी विकट समस्या है एवं पारस्परिक सद्भाव का अत्यधिक अभाव है। जीवन बहुत अधिक यांत्रिक है और निर्धन लोगों का जीवन बहुत दूभर है। आशा करता हूँ कि तुम्हें दिल्ली जैसे महानगरीय जीवन के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पक्षों का परिचय मिल गया होगा। शेष सब कुशल है। छोटों को प्यार एवं बड़ों को प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र
चिराग शर्मा
प्रश्न 16.
(क) सर्वोदय बाल विद्यालय, गोल मार्केट, दिल्ली में हिंदी विषय पीजीटी का पद रिक्त है। जिसके लिए आप पूर्णतः योग्य हैं। विज्ञापन के अनुसार अपनी योग्यता का विवरण प्रस्तुत करते हुए शिक्षा निदेशक को लगभग 80 शब्दों में स्ववृत प्रेषित करें ।
अथवा
(ख) आप नैतिक / निष्ठा हैं। आपके क्षेत्र अशोक नगर में सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। सफाई कर्मचारी अक्सर अनुपस्थित रहते हैं। नगर निगम अधिकारी को इससे अवगत कराते हुए लगभग 80 शब्दों में ई-मेल कीजिए ।
उत्तरः
(क) सेवा में,
शिक्षा निदेशक,
शिक्षा निदेशालय,
पुराना सचिवालय,
दिल्ली -110053
विषयः पीजीटी हिंदी पद के लिए आवेदन पत्र ।
महोदय,
मुझे ज्ञात हुआ है कि सर्वोदय बाल विद्यालय, गोल मार्केट में हिंदी पीजीटी का पद रिक्त है। मैं इस पद के लिए उचित योग्यता रखता हूँ।
अतः श्रीमान से निवेदन करना चाहता हूँ कि मुझे बतौर हिंदी प्रवक्ता नियुक्त करने की कृपा करें।
मेरा स्ववृत्त आवेदन पत्र के साथ संलग्न है।
नाम: सुरेश ठाकुर
पिता का नाम: राम प्रकाश ठाकुर
माँ का नाम: श्रीमती सुनीता ठाकुर
जन्म तिथि: 30 जुलाई, 1992
वर्तमान पता: 302, गोल मार्केट, नई दिल्ली 110001
दूरभाष: 011-2254XXX
मोबाइल: 0000546
ई-मेल:
[email protected]
शैक्षणिक योग्यताएँ:
क्रम संख्या | कक्षा | वर्ष | विषय | उत्तीर्ण/प्रतिशत |
1. | दसवीं | 2006 | हिंदी, अंग्रेजी, साइंस, गणित, संस्कृत, संगीत | 72% |
2. | बारहवीं | 2008 | हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित, संगीत | 86% |
3. | स्नातक | 2011 | हिंदी | 69% |
4. | बी.एड. | 2012 | हिंदी | 93% |
5. | परास्नातक | 2014 | हिंदी | 79% |
अन्य योग्यताएँ:
- कम्प्यूटर में 1 वर्ष का डिप्लोमा
- हिंदी, अंग्रेजी, जर्मनी, स्पेनिश भाषा की जानकारी ।
- योगा के क्षेत्र में 6 माह का प्रशिक्षण ।
धन्यवाद भवदीय
सुरेश ठाकुर
अथवा
(ख) To :
[email protected]
cc:
[email protected]
Subject-मोहल्ले की सफाई के सम्बन्ध में पत्र ।
माननीय महोदय,
इस ई-मेल के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र अशोक नगर की ओर आकर्षित कराना चाहती हूँ । इस क्षेत्र में पन्द्रह दिन से सफाई कर्मचारी नहीं आए हैं। मोहल्ले का वातावरण दूषित हो गया है। चारों ओर मच्छर व मक्खियों का साम्राज्य पनप रहा है। सड़कों पर नालियों का पानी आ रहा है, जिससे आने-जाने में भी अब असुविधा हो रही है। यदि अब सफाई न हुई तो महामारी फैलने की आशंका है। अतः आपसे प्रार्थना है कि यहाँ जल्द-से-जल्द सफाई कर्मचारी भेजने का प्रबन्ध करें, इसके लिए हम सदा आपके आभारी रहेंगे।
भवदीय
निष्ठा शर्मा
अशोक नगर, नई दिल्ली
प्रश्न 17.
आप ‘रोशनी’ मोमबत्ती बनाने वाली कंपनी में कार्यरत हैं। अतः ‘रोशनी’ मोमबत्ती बनाने वाली कंपनी के प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय समाचार-पत्र में उसका विज्ञापन देना चाहते हैं। आप इसके लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आप रोहित पारिक छात्र संघ के अध्यक्ष हैं। आपके विद्यालय में योग प्रशिक्षण शिविर का आयोजन होने जा रह. r है। इसके संबंध में छात्रों को सूचित करते हुए लगभग 40 शब्दों में एक संदेश लिखिए।
उत्तर :
अथवा
सूचित करने हेतु संदेश
दिनांक : 8 दिसंबर, 20XX
समय : 6:00 बजे प्रात:
सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय के. डी.एस. पब्लिक स्कूल, पटना द्वारा योग प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य योग के महत्त्व से अधिक-से-अधिक छात्रों को परिचित कराना है। साथ ही छात्रों को योग से होने वाले लाभों के प्रति भी जागरूक करना है। अतः सभी छात्रों से अनुरोध है कि इस शिविर का हिस्सा बन योग को अपने जीवन में अपनाएँ।
धन्यवाद
छात्र संघ अध्यक्ष
रोहित पारिक