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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 5 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-‘अ’ और ‘ब’। खंड ‘अ’ में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खंड ‘ब’ में वस्तुनिष्ठ/वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
- प्रश्न-पत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 हैं और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
- खंड ‘अ’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपमश्नों की संख्या 44 हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य हैं।
- खंड ‘ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
‘खंड ‘अ’
(बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश-पद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय / वस्तुपरक प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
हर भाषा किसी-न-किसी समाज की एक मातृभाषा होती है। उसका अपना एक विशिष्ट साहित्य होता है। उस भाषा के साहित्य का अध्ययन करके हम उस भाषा-भाषी समाज के बारे में, उसकी सभ्यता और संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। विदेशी भाषा का अध्ययन बुरी बात नहीं है। इससे हमारी संवेदना व्यापक होती है, हमारे ज्ञान का विस्तार होता है, हमारी मानवीय दृष्टि में व्यापकता आती है और विचारों में उदारता का समावेश होता है। भाषा किसी जाति की सभ्यता और संस्कृति की वाहक होती है। यदि हमारे पास अपनी भाषा का ज्ञान नहीं होगा, तो हम अपनी पहचान खो देंगे। मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्रेरित भी करती है। मातृभाषा ही किसी भी व्यक्ति के शब्द और संप्रेषण कौशल की उद्यम होती है। एक कुशल संप्रेषक अपनी मातृभाषा के प्रति उतना ही संवेदनशील होगा जितना विषय-वस्तु के प्रति।
मातृभाषा व्यक्ति के संस्कारों की परिचायक है। मातृभाषा के प्रचार से सदाचार को किसी विचित्र तथा विलक्षण मानसिक प्रभाव के करण अत्यंत लाभ होता है। मातृभाषा के द्वारा हम जो सीखते हैं, वह संसार के अन्य किसी भाषा के द्वारा नहीं सीख सकते हैं। अपनी भाषा या मातृभाषा में हमारा हुदय बोलता है। हमारा राष्ट्र-हुदय उसमें धड़कता है, इसलिए विदेशी भाषा की अपेक्षा मातृभाषा का महत्त्व अधिक होता है। जब तक कोई राष्ट्र अपनी भाषा को नहीं अपनाता तब तक वह स्वावलंबी नहीं बन सकता और विकास नहीं कर सकता। मातृभाषा चिंतन और मनन की भाषा होती है। संपूर्ण समाज उसी के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करता है। जरूरत इस बात की है कि हमारे साहित्य का माध्यम भारतीय भाषा या मातृभाषा हो, जिसमें राष्ट्र के हृदय मन-प्राण के सूक्ष्मतः और गंभीर संवेदना मुखरित हो। हमारा साहित्य विदेशी परंपरा से संबंधित न होकर हमारी अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतिनिधित्व करे।
(क) निम्नलिखित कथन को पढ़कर सही विकत्प का चयन कीजिए। प्रत्येक समाज की मातृभाषा में निहित है
1. उस समाज का विशिष्ट साहित्य।
2. उसकी सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान।
3. स्वावलंबी बनाने की शक्ति।
4. विस्तारित ज्ञान व व्यापक संवेदना। कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) केवल 2 सही है
(iii) 1,2 और 3 सही हैं
(iv) 3 और 4 सही है
उत्तर :
(iii) 1,2 और 3 सही हैं प्रत्येक समाज की मातृभाषा में उसका विशिष्ट साहित्य, सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान तथा स्वावलंबी बनाने की शक्ति निहित होती है।
(ख) मनुष्य स्वावलंबी कब बन सकता है?
(i) जब मनुष्य को अपनी भाषा और साहित्य का ज्ञान होगा
(ii) जब अपनी सभ्यता व संस्कृति का ज्ञान होगा
(iii) विचारों में उदारता आने पर
(iv) जब मानवीय दृष्टि में व्यापकता हो
उत्तर :
(i) जब मनुष्य को अपनी भाषा और साहित्य का जान होगा मातृभाषा का हमारे जीवन में विशेष महत्त्य है। संपूर्ण समाज इसी के माध्यम से स्वयं को ब्यक्त करता है। अतः जब मनुष्य को अपनी भाषा और साहित्य का ज्ञान होगा, तभी वह स्वावलंबी बन सकता है।
(ग) विदेशी भाषा की अपेक्षा मातृभाषा का महत्त्व अधिक क्यों हैं?
(i) मातृभाषा में हम अपने भावों और विचारों को व्यक्त करते हैं
(ii) मातृभाषा में हमारा हुदय बोलता है
(iii) मातृभाषा में हमारा राष्ट्र-हुदय घड़कता है
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी प्रत्येक भाषा का अपना एक विशिष्ट साहित्य होता है। मातृभाषा में हम अपने भावों और विचारों को कुशलता से व्यक्त कर सकते हैं, मातृभाषा में हमारा हृंदय बोलता है तथा राष्ट्र-ट्द्यग उसमें धड़कता है, इसलिए विदेशी भाषा की अपेक्षा मातृभाषा का महत्त्व अधिक है।
(घ) ‘उसका अपना एक विशिष्ट साहित्य होता है।’ वाक्य में ‘उसका’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(i) विचारों के लिए
(ii) मातृभाषा के लिए
(iii) सभ्यता के लिए
(iv) संस्कृति के लिए
उत्तर :
(ii) मातृभाषा के लिए प्रस्तुत वाक्य में ‘उसका’ शब्द मातृभाषा के लिए प्रयुक्त हुआ है।
(ङ) कथन (A) मनुष्य को अपनी मातृभाषा को अधिक महत्त्व देना चाहिए। कारण (R) संपूर्ण समाज उसी के द्वारा स्वयं को व्यक्त करता है।
(i) कथन A गलत है, कितु कारण R सही है।
(ii) कथन A और कारण R दोनों गलत हैं।
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन A और कारण R दोनों सही हैं, परंतु कारण R कथन A की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(iii) कथन (A) और कारण ( B) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है मनुष्य को अपनी मातृभाषा को अधिक महत्त्व देना चाहिए, क्योंकि संपूर्ण समाज उसी भाषा के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही ॥
संघर्ष से हटकर जिए तो क्या जिए हम या कि तुम
जो नत हुआ, वह मृत हुआ, ज्यों वृंत से झरकर कुसुम
जो पंथ भूल रुका नहीं,
जो हार देख झुका नहीं,
जिसने मरण को भी लिया हो जीत, है जीवन वही॥ सच हम नहीं…
ऐसा करो जिससे न प्राणों में कहीं जड़ता रहे।
जो है जहाँ चुपचाप अपने आप से लड़ता रहे।
जो भी परिस्थितियाँ मिलें,
काँटे चुभें, कलियाँ खिलें,
टूटे नहीं इंसान, बस संदेश यौवन का यही ॥ सच हम नहीं…
अपने हृदय का सत्य अपने आप हमको खोजना।
अपने नयन का नीर अपने आप हमको पोंछना।
आकाश सुख देगा नहीं,
धरती पसीजी है कहीं!
हर एक राही को भटककर ही दिशा मिलती रही ॥ सच हम नहीं…
(i) युवावस्था हमें सिखाती है कि-
(क) गतिशील, आत्म आलोचक व आशावादी
(ख) जीवन में कभी कठिन परिस्थितियाँ उत्पन्न ही न होने दें।
(ग) सुख-दुःख
(घ) उतार-चढ़ाव
उत्तर:
(क) गतिशील, आत्म आलोचक व आशावादी
(ii) मरण अर्थात् मृत्यु को जीतने का आशय है-
(क) साधुता व साधना से अमरत्व प्राप्त करना
(ख) योगाभ्यास व जिजीविषा से दीर्घायु हो जाना
(ग) अर्थ, बल व दृढ़ इच्छाशक्ति से जीवन को कष्टमुक्त करना
(घ) जीवन व जीवन के बाद भी आदर्श रूप में स्मरण किया जाना
उत्तर:
(घ) जीवन व जीवन के बाद भी आदर्श रूप में स्मरण किया जाना
(iii) ‘आकाश सुख देगा नहीं’, धरती पसीजी है कहीं…’ का अर्थ है कि-
(क) आकाश और धरती दोनों में संवेदनशीलता नहीं है
(ख) ईश्वर उदार है, अतः वही सुख देता है, वही पसीजता है
(ग) जुझारू बनकर स्वयं ही जीवन के दुःख दूर किए जा सकते हैं
(घ) सामूहिक प्रयत्नों से ही संकट की स्थिति से निकला जा सकता है
उत्तर:
(ग) जुझारू बनकर स्वयं ही जीवन के दुःख दूर किए जा सकते हैं
(iv) कथन (A) और कारण (R) पर विचार करते हुए सही विकल्प चुनिए-
‘कथन (A): प्रतिकूलता के विरुद्ध जूझते हुए बढ़ना ही जीवन की सच्चाई है।
कारण (R): लक्ष्य-संधान हेतु मार्ग में भटक जाने का भय त्याग देना चाहिए।
(क) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) गलत है।
(ख) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
(घ) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
उत्तर:
(ग) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
व्याख्या-इस कविता के केन्द्रीय भाव हेतु कथन (A) और कारण (R) दोनों ही सही हैं। प्रतिकूलता के विरुद्ध जूझते हुए बढ़ना ही जीवन है तथा लक्ष्य-संधान हेतु मार्ग में भटक जाने का भय दूर कर देना चाहिए।
(v) अपने आपसे लड़ने का अर्थ है- ह।
(क) अपनी अच्छाइयों व बुराइयों से भलीभाँति परिचित होना
(ख) किसी मुद्दे पर दिल और दिमाग का अलग-अलग सोचना
(ग) अपने किसी गलत निर्णय के लिए स्वयं को संतुष्ट कर लेना
(घ) अपनी दुर्बलताओं की अनदेखी न करके उन्हें दृढ़ता से दूर करना
उत्तर:
(घ) अपनी दुर्बलताओं की अनदेखी न करके उन्हें दृढ़ता से दूर करना
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘लाभ वाला काम करो।’ इसका मिश्र वाक्य होगा
(i) काम करो परंतु लाभ वाला
(ii) ऐसा काम करो, जिसमें लाभ हो
(iii) लाभ वाला काम करो
(iv) लाभ के साथ-साथ काम करो
उत्तर :
(ii) ऐसा काम करो, जिसमें लाभ हो
(ख) “मैने उसे बहुत समझाया पर वह न मानी।” इसका सरल वाक्य होगा
(i) मैने उसे बहुत समझाया परंतु वहु न मानी
(ii) मैंने उसे बहुत समझाया और वह न मानी
(iii) मेरे बहुत समझाने पर भी वह न मानी
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(iii) मेरे बहुत समझाने पर भी वह न मानी
(ग) ‘पत्थर की मूर्ति पर चश्मा असली था।’ इसका संयुक्त वाक्य होगा
(i) उसका चश्मा असली था, जो पत्यर की मूर्ति थी
(ii) पत्थर की मूर्ति थी, जिसका चश्मा असली था
(iii) मूर्ति पत्थर की थी, लेकिन उस पर चश्मा असली था
(iv) जो मूर्ति पत्थर की थी, उसका चश्मा असली था
उत्तर :
(iii) मूर्ति पत्थर की थी, लेकिन उस पर चश्मा असली था
(घ) निम्नलिखित वाक्यों में मिश्र वाक्य पहचानकर नीचे दिए गए सही विकल्प को चुनिए।
1. रामू घर का सामान खरीदने बाजार चला गया।
2. रामू इसलिए बाजार चला गया, क्योंकि उसे घर का सामान खरीदना था।
3. रामू बाजार चला गया और वहाँ से सामान खरीदा।
4. रामू ने बाजार जाते ही घर का सामान खरीदा। कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) केवल 2 सही है
(iii) 3 और 4 सही है
(iv) 1, 2, 3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(ii) केवल 2 सही है
(ङ) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. कल्पना इसलिए बाजार जा रही है, ताकि मिठाई खरीद सके। | 1. सरल वाक्य |
B. कल्पना बाजार जा रही है और वह मिठाई खरीदेगी। | 2. संयुक्त वाक्य |
C. कल्पना मिठाई खरीदने बाजार जा रही है। | 3. मिश्र वाक्य |
कूट
A B C
(i) 1 3 2
(ii) 1 2 3
(iii) 3 2 1
(iv) 2 1 3
उत्तर :
(iii) A-3, B-2, C-1
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 4 = 4)
(i) “हम इस खुले मैदान में दौड़ सकते हैं। -उपर्युक्त वाक्य को भाव वाच्य में बदलिए। व
(क) हम दौड़ सकते हैं, इस खुले मैदान में ।
(ख) हम इस खुले मैदान में दौड़ सकेंगे।
(ग) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जाएगा।
(घ) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।
उत्तर:
(घ) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।
व्याख्या-भाववाच्य में क्रिया एकवचन में बदलकर “जाना ‘ लगा होता है तथा काल अपरिवर्तित रहता है जबकि विकल्प (क) व (ख) में कर्त्ता की प्रधानता है।
(ii) इस वाक्य का वाच्य लिखिए-‘ अशोक ने विश्व को शांति का संदेश दिया।’ व
(क) कर्मवाच्य।
(ख) भाववाच्य।
(गं) कर्तृवाच्य।
(घ) करणवाच्य।
उत्तर:
(गं) कर्तृवाच्य।
व्याख्या-इसमें क्रिया कर्त्ता के अनुसार है तथा कर्त्ता प्रधान है जबकि (ख) व (ग) में क्रमश: भाव व कर्म की प्रधानता होती है।
(iii) ‘सुमन जल्दी नहीं उठती। ‘-प्रस्तुत वाक्य को भाववाच्य में बदलिए।
(क) सुमन जल्दी नहीं उठ पाती।
(ख) सुमन जल्दी से नहीं उठ सकेगी।
(गु) सुमन जल्दी नहीं उठ पाएगी।
(घ) सुमन से जल्दी नहीं उठा जाता।
उत्तर:
(घ) सुमन से जल्दी नहीं उठा जाता।
व्याख्या- सुमन से जल्दी नहीं उठा जाता’ यह भाव वाच्य की पहचान है। क्रिया सदैव पुल्लिंग एकबचन और अकर्मक क्रिया होती है।
(iv) निम्नलिखित वाक्यों में भाव वाच्य का उदाहरण है– |
(1) मोहन से दौड़ा नहीं जाता।
(2) मुझसे यह देखा नहीं जाता।
(3) तुम घर चले जाओ।
(4) विमल पुस्तक पढ़ता है।
विकल्प
(क) (1) और (2) सही है।
(ख) (2) सही है।
(ग) (3) सही है।
(घ) (4) सही है।
उत्तर:
(क) (1) और (2) सही है।
(v) सूची । को सूची 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए-
सूची (1) | सूची (2) |
1. तुम्हें अअसोजानाचाहिए। | (i) भाव वाच्य |
2. मैंग्रतिदिननहाताहूँ। | (ii) कर्तवाच्य |
3. डाकिएद्वारा पत्रबॉटेगए। | (iii) कर्मवाच्य |
विकल्प
(क) 1. (i), 2. (ii), 3. (iii)
(ख) 1. (iii), 2. (ii), 3. (i)
(ग) 1. (ii), 2. (iii), 3. (i)
(घ) 1. (i), 2. (iii), 3. (ii)
उत्तर:
(क) (1) और (2) सही है।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) हुसैन आज दिल्ली जाएगा। रेखांकित अंश का पद-परिचय है
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ताकारक
(ii) जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ताकारक
(iii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिग, एकवचन, कर्मकारक
(iv) भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक
उत्तर :
(i) हुसैन व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ताकारक
(ख) राहुल प्रतिदिन व्यायाम करता है। रेखांकित अंश का पद-परिचय है
(i) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया-करता है
(ii) कालवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया-करता है
(iii) स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया-करता है
(iv) परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया-करता है
उत्तर :
(ii) प्रतिदिन कालवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया-करता है
(ग) शाबाश! तुमने बहुत अच्छा कार्य किया। रेखांकित अंश का पद-परिचय है
(i) सर्वनाम, एकवचन, मध्यम पुरुषवाचक, कर्ताकारक
(ii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, उत्तम पुरुषवाचक, एकवचन, कर्ताकारक
(iii) सर्वनाम, एकवचन, मध्यम पुरुषवाचक, कर्ताकारक
(iv) सर्वनाम, एकवचन, उत्तम पुरुषवाचक, कर्मकारक
उत्तर :
(i) तुमने सर्वनाम, एकवचन, मध्यम पुरुषवाचक, कर्ताकारक
(घ) काशी में मरण भी मंगल माना गया है। रेखांकित अंश का पद-परिचय है
(i) सकर्मक क्रिया, कर्म-मंगल, सामान्य भूतकाल, कर्तृवाच्य
(ii) सकर्मक क्रिया, कर्म-मंगल, पूर्ण भूतकाल, कर्मवाच्य
(iii) अकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, कर्मवाच्य
(iv) अकर्मक क्रिया, पूर्ण भूतकाल, कर्तृवाच्य
उत्तर :
(ii) माना गया है। सकर्मक क्रिया, कर्म-मंगल, पूर्ण भूतकाल, कर्मवाच्य
(ङ) आप लोग घर चले जाओ। आप यहाँ कल आना। दोनों वाक्यों के ‘आप’ का सामान्य पद-परिचय है
(i) पह़ला आप-परिमाणवाचक विशेषण, दूसरा आप-निजवाचक सर्वनाम
(ii) पहला आप-सार्वनामिक विशेषण, दूसरा आप-मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम
(iii) पहला आप-मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम, दूसरा आप-निजवाचक सर्वनाम
(iv) पहला आप-सार्वनामिक विशेषण, दूसरा आप-निजवाचक सर्वनाम
उत्तर :
(ii) पहला आप-सार्वनामिक विशेषण, दूसरा आप-मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 4 = 4)
(i) कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल से भर गए-
हिम के कणों से पूर्ण मानों , हो गए पंकज नए
(क) अनुप्रास
(ख) उपमा
(ग) उत्प्क्षा
(घ) मानवीकरण
उत्तर:
(क) अनुप्रास
व्याख्या-पद्यांश में मानों शब्द के आगमन से उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ii) ‘मानहु विधि तन-अच्छ छवि स्वच्छ राखिवैं काज’ में अलंकार है-
(क) उत्प्रेक्षा
(ख) उपमा
(ग) श्लेष
(घ) रूपक
उत्तर:
(क) उत्प्रेक्षा
(iii) ‘जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो ‘ में अलंकार है-
(के) उपमा
(ख) रूपक
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) श्लेष
उत्तर:
(ग) उत्प्रेक्षा
व्याख्या-यहाँ प्रात:कालीन नभ में लाल केसर से धुली हुई सिल की कल्पना (संभावना) की गई है, अत: यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(iv) “जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। |
बारे उजियारो करे, बढ़ै अँधेरो होय।। ‘ में अलंकार है-
(क) उत्पेक्षा
(ख) श्लेष
(ग) मानवीकरण
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(ख) श्लेष
व्याख्या-यहाँ ‘बारे’ के दो अर्थ (i) जलना (ii) जन्म लेना और बढ़ै के भी क्रमश: दो अर्थ-(i) बुझना और (ii) उम्र बढ़ने पर है, अतः यहाँ शब्द के एक बार ही आने, किन्तु उसके दो अर्थ होने के कारण श्लेष अलंकार है।
(v) “लो यह लतिका भी भर लाई है
मधु मुकुल नवल रस गागरी। ‘ में अलंकार है-
(क) उल्ेक्षा
(ख) श्लेष
(ग) मानवीकरण
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(ग) मानवीकरण
व्याख्या-यहाँ जड़ पदार्थ लतिका में मानवीय क्रियाओं (रस की गागर भर कर लाना) का आरोप होने के कारण मानवीकरण अलंकार है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
जो शब्द सबसे कम समझ में आते हैं और जिनका उपयोग होता है सबसे अधिक; ऐसे दो शब्द हैं सभ्यता और संस्कृति। इन दो शब्दों के साथ जब अनेक विशेषण लग जाते हैं, उदाहरण के लिए जैसे भौतिक-सभ्यता और आध्यात्मिक-सभ्यता, तब दोनों शब्दों का जो थोड़ा बहुत अर्थ समझ में आया रहता है, वह भी गलत-सलत हो जाता है। क्या यह एक ही चीज़ है अथवा दो वस्तुएँ? यदि दो हैं तो दोनों में क्या अंतर है? हम इसे अपने तरीके पर समझने की कोशिश करें। कल्पना कीजिए उस समय की जब मानव समाज का अग्नि देवता से साक्षात् नहीं हुआ था। आज तो घर-घर चूल्हा जलता है। जिस आदमी ने पहले पहल आग का आविष्कार किया होगा, वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा! अथवा कल्पना कीजिए उस समय की जब मानव को सुई-धागे का परिचय न था, जिस मनुष्य के दिमाग में पहले-पहल बात आई होगी कि लोहे के एक टुकड़े को घिसकर उसके एक सिरे को छेदकर और छेद में धागा पिरोकर कपड़े के दो टुकड़े एक साथ जोड़े जा सकते हैं, वह भी कितना बड़ा आविष्कर्ता रहा होगा।
(क) जिनका उपयोग सबसे अधिक होता है ऐसे शब्द हैं
(i) सभ्यता
(ii) संस्कृति
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) भौगोलिकता
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों जिन शब्दों का प्रयोग सबसे अधिक होता है ऐसे शब्दों को सभ्यता और संस्कृति कहते है।
(ख) लेखक के अनुसार, मानव का किससे परिचय नहीं हुआ था?
(i) जल से
(ii) वायु से
(iii) अगिन से
(iv) ईश्वर से
उत्तर :
(iii) अग्नि से लेखक के अनुसार मानव का परिचय अग्नि से नहीं हुआ था।
(ग) लेखक के अनुसार, किसके टुकड़े को घिसकर उसके सिरे को छेदकर उसमे धागा पिरोया जाता है?
(i) लोहे के
(ii) लकड़ी के
(iii) सोने के
(iv) पीतल के
उत्तर :
(i) लोहे के लेखक के अनुसार लोहे के सिरे को घिसकर उसके सिरे को छेदकर उसमें धागा पिरोया जाता है।
(घ) लेखक ने गद्यांश में किसके आविष्कार का उदाहरण दिया है?
(i) पानी और मिट्टी
(ii) मोबाइल और टी.वी.
(iii) आग और सुई
(iv) कम्प्यूटर और रेडियो
उत्तर :
(iii) आग और सुई लेखक के द्वारा गच्यांश में आग और सुई का उदाहरण दिया गया है।
(ङ) भौतिक शब्द का अर्थ है
(i) संसारिक
(ii) मन की प्रवृत्ति
(iii) आध्यात्मिक
(iv) अधीनता
उत्तर :
(i) सांसारिक गय्यांश के अनुसार भौतिक शब्द का अर्थ सांसारिक है।
प्रश्न 8.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 2 = 2)
(i) “पतोहू से पुत्र की चिता को आग लगवाना’ बालगोबिन की किस मानसिकता का परिचायक है?
(क) सामाजिक रूढ़ियों का विरोध करना।
(ख) मृत्यु से भय।
(ग) संसार से अलगाव।
(घ) परम्परा का पालन।
उत्तर:
(क) सामाजिक रूढ़ियों का विरोध करना।
व्याख्या-बालगोबिन भगत रुढ़िविरोधी व नारी सम्मान के पक्षधर थे अत: औरतों से चिता में आग दिलाने की परम्परा न होते हुए भी उन्होंने पुत्र की चिता को अग्नि अपनी पतोहू से ही दिलवाई।
(ii) नमाज के बाद बिस्मिल्ला खाँ खुदा से क्या माँगते थे?
(क) यश, नाम, प्रतिष्ठा
(ख) धन-वैभव
(ग) मोक्ष-प्राप्ति
(घ) सच्चे सुर का वरदान।
उत्तर:
(घ) सच्चे सुर का वरदान।
व्याख्या-बिस्मिल्ला खाँ पाँचों वक्त की नमाज के बाद खुदा से सच्चे सुर की नेमत माँगते थे।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
हरि हैं राजनीति पदि आए।
समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।
बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-संदेस पठाए।
ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।
अब अपनै मन फेर पाइ हैं, चलत जु हुते चुराए।
ते क्यौं अनीति करें आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।
राज धरम तौ यहै ‘सूर’, जो प्रजा न जाहिं सताए।।
(क) ‘बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी’ इस पंक्ति में ‘उनकी’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
(i) श्रीकृष्ण के लिए
(ii) उद्धव के लिए
(iii) गोपियों के लिए
(iv) ब्रज़ के ग्वाल-बालों के लिए
उत्तर :
(i) श्रीकृष्ण के लिए प्रस्तुत पंक्ति में ‘उनकी’ शब्द श्रीकृष्ण के लिए प्रयोग किया गया है।
(ख) ‘ऊथौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए’ इस पंक्ति का क्या आशय है?
(i) पहले के लोग धूर्त थे, जो दूसरों की भलाई नहीं करते थे
(ii) दूसरों की भलाई न करने वाला, उन्हें योग संदेश से मतलब नहीं था
(iii) पहले के लोग भले थे, जो दूसरों की भलाई के लिए दौड़े चले आवे थे
(iv) पहले के लोगों को किसी से कष्ट नहीं था, वे समभाव थे
उत्तर :
(iii) पहले के लोग भले थे, जो दूसरों की भलाई के लिए दौड़े चले आते थे गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि पहले के लोग बहुत भले थे, जो दूसरों की भलाई करने के लिए दौड़े चले आते थे, परतु श्रीकृष्ग तो ब्रहम एवं योग का संदेश भेजकर उनके साथ अन्याय कर रहे हैं।
(ग) गोपियों ने श्रीकृष्ण को राजा के कौन-से कर्त्तव्य बताए हैं?
(i) राजा किसी भी स्थिति में प्रजा को परेशान नहीं करता
(ii) प्रजा को दु:खी नहीं करता
(iii) प्रजा के साथ अन्याय करता है
(iv) प्रजा के हितों का ध्यान रखना
उत्तर :
(i) राजा किसी भी स्थिति में प्रजा को परेशान नहीं करता गोपियां श्रीकृष्ण को राजा का कर्त्तव्य याद दिलाते हुए कहती हैं कि राजा को किसी भी स्थिति में अपनी प्रजा को परेशान एवं दु:खी नहीं करना चाहिए। राजा का यह कर्त्तव्य है कि बह अन्याय का विरोध करे और अपनी प्रजा को हर प्रकार के अन्याय से दूर रखे।
(घ) गोपियों के अनुसार, श्रीकृष्ण और अधिक बुद्धिमान कैसे हो गए हैं?
(i) मथुरा पहुँचकर राजनीतिशास्त्र पढ़ने के कारण
(ii) गोपियों का मन अपने साथ ले जाने के कारण
(iii) योग-शिक्षा लेने के कारण
(iv) उद्धव को ब्रज में भेजने के कारण
उत्तर :
(i) मथुरा पहुँचकर राजनीतिशास्त्र पढ़ने के कारण मथुरा पहुँथकर राजनीतिशास्त्र पढ़ने के कारण गोपियाँ व्यंग्यपूर्वक उद्धव से कहती हैं कि श्रीकृष्ण पहले से ही बडुत चालाक व चतुर थे। अब उन्होंने मथुरा पहुँचकर सभवतः राजनीतिशास्त्र भी पढ़ लिया है, जिससे वे और अधिक बुद्धिमान हो गए है। इसी कारण उन्होंने तुम्हारे (उद्धव) द्वारा योग संदेश भिजवाया है।
(ङ) श्रीकृष्ण ने योग संदेश क्यों भिजवाया होगा?
(i) क्योंकि गोपियों ने स्वयं श्रीकृष्ण को योग संदेश भेजने के लिए कहा था
(ii) वे जानते थे कि गोपियाँ योग-शिक्षा की बात सुनकर प्रसन्न हो जाएँगी
(iii) वे नहीं चाहते थे कि गोपियाँ उनके विरह में कष्ट भोगें
(iv) वे चाहते थे कि गोपियाँ योग साधना करें
उत्तर :
(iii) वे नहीं चाहते थे कि गोपियाँ उनके विरह में कष्ट भोगें भीकृष्ण ने उद्धव के माध्यम से गोपियों के लिए योग संदेश इसलिए भिजवाया होगा, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि गोपियाँ रात-दिन उन्हें याद करें और विरह व्यथा को सहन करते हुए अपने शरीर को कष्ट दें। उनका मानना था कि निर्गुण ब्रहम की उपासना करके गोपियाँ उन्हें भूल जाएँगी।
प्रश्न 10.
पद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 2 = 2)
(i) “जलजात’ का पर्यायवाची है-
(क) जलद
(ख) जलज
(ग) वारिद
(घ) जलधि।
उत्तर:
(ख) जलज
(ii) संगतकार अपना स्वर धीमा क्यों रखता है? है।
(क) वह अभी नौसिखिया है
(ख) वह मुख्य गायक को सम्मान देने के लिए ऐसा करता है।
(ग) उसका गला बैठा हुआ है
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) वह मुख्य गायक को सम्मान देने के लिए ऐसा करता है।
व्याख्या-कई बार मुख्य गायक से अधिक योग्यता होते हुए भी संगतकार अपने स्वर को धीमा रखता है। उसकी आवाज में एक हिचक सुनाई देती है। मुख्य गायक को सम्मान या महत्त्व देने के लिए वह ऐसा करता है।
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 11.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 -30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे? ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर :
मेरी दृष्टि में बालगोबिन भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के निम्नलिखित कारण रहे होंगे
(i) भगत को कबीरदास की सामाजिक कुरीतियों का विरोध करने वाली बातें बहुत पसंद आई होंगी।
(ii) भगत कबीरदास के जाति-पाँति का विरोध करने वाले विचारों से बहुत प्रभावित हुए होंगे।
(iii) भगत को कब्दीरदास के सत्य का आचरण, झूठ से घृणा, सादा जीवन, उच्च विचार और मितब्ययिता की बातों ने भी बहुत प्रभावित किया होगा, इसलिए उन्होंने स्वयं भी सादा जीवन अपनाया।
(ख) ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आधार पर लेखिका का जन्म और यादों का सिलसिला कहाँ से आरंभ होता है और किस रूप से अंकित है?
उत्तर :
‘एक कहानी यह भी’ की लेखिका का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुर गाँव में हुआ था, किंतु उनकी यादों का सिलसिला अजमेर के ब्रहापुरी मोहल्ले में स्थित उस दो-मंजिला मकान से प्रारंभ होता है, जिसकी ऊपरी मंजिल के कक्ष में लेखिका के पिता अव्यवस्थित रूप से रखी पुस्तको-पत्रिकाओं व समाचार-पत्रों के मध्य पठन-पाठन करते रहते थे और नीचे अपनी माँ व भाई-बहनों के साथ लेखिका रहती थी।
(ग) बिस्मिल्ला खाँ भौतिक सुख के लिए धन-दौलत बटोर सकते थे, कितु उन्होंने ऐसा न करके संगीत की साथना के साथ-साथ सरल डंग से जीवन-यापन किया। कैसे?
उत्तर :
विश्व प्रसिद्ध शहनाई वादक बिस्मिल्ला खाँ अपनी कला के बल पर बेशुमार थन-दौलत बटोर सकते थे, किंतु उन्होंने ऐसा न करके सरल ढंग से जीवन व्यतीत किया। भारतरत्न से सम्मानित होने के बावजूद उन्ह फटी तहमद पहनने में तनिक भी संकोच नहीं होता था। वे ईश्वर से भी घन-दौलत न माँगकर सुर दान करने की प्रार्थना करते थे।
इसी प्रकार, उन्होंने कभी भी काशी छोड़कर कहीं और बसने का प्रयास नहीं किया। उनके लिए जीवन में काशी और शहनाई से बढ़कर कोई जन्नत नहीं थी। दुनिया उनकी कला की प्रशंसा करती थी, तो वह सारी तारीफ़ों को ईश्वर को अर्षित कर देते थे। उनमें यह सरलता अंतिम समय तक बनी रही।
(घ) पाठ ‘लखनवी अंदाज़’ में नवाब साहब द्वारा लेखक से खीरा खाने के लिए पूछे जाने पर भी उन्होंने खीरा खाने से इंकार क्यों किया?
उत्तर :
लेखक को अचानक से नवाब साहब का बदला हुआ व्यवहार अच्छा नहीं लगा। उन्होंने डिब्बे में चढ़ते समय लेखक के प्रति अरुचि प्रदर्शित की थी, इसलिए लेखक ने खीरा खाने से इंकार कर दिया। नवाब साहब ने एक बार फिर लेखक से खीरा खाने के लिए कहा, परंतु लेखक ने आत्मसम्मान को बचाए रखने के लिए एक बार फिर मना कर दिया।
प्रश्न 12.
पद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए- (2 × 3 = 6)
(i) गोपषियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?
उत्तर:
जिनके मन आज किसी को भजते हैं और कल किसी और को अर्थात् जिनका मन चलायमान है। गोपियों ने तो श्रीकृष्ण को ही मजबूती से पकड़ रखा है, रात-दिन उन्हीं को भजती हैं। गोपियों ने उद्धव से कहा कि वह अपने योग की शिक्षा उन लोगों को जाकर दें जिनके मन चलायमान हैं और जो प्रेम में एकनिष्ठ नहीं हैं। भटकाव और अस्थिर मन वालों के लिए ही उनकी योग की शिक्षा हितकारी और लाभप्रद हो सकती है।
(ii) लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं ?
उत्तर:
लक्ष्मण ने परशुराम को वीर योद्धा के लक्षण बताते हुए कहा है कि वीर योद्धा कभी भी धैर्य को नहीं छोड़ता, वह युद्ध भूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन शत्रु से युद्ध करके करता है। वीर योद्धा रणभूमि में शत्रु का वध करता है। वह कभी भी अपने मुख से अपनी बढ़ाई नहीं करता है और न ही अपशब्द बोलता है।
(iii) “तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे यह गागर रीती’ इस पंक्ति में समाज के लोगों की किस मानसिकता या प्रवृत्ति की ओर संकेत है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि जयशंकर प्रसाद अपने जीवन रूपी गागर के बारे में बताते हैं कि वह खाली है, जिसके बारे में सुनकर तुम क्या सुख पाओगे ? वह तो दुर्बलताओं से भरी हुई है। समाज में लोग प्यार से पूछते हैं किन्तु फिर मज़ाक उड़ाते हैं।
(iv) “नदियों के पानी का जादू” और “हाथों के स्पर्श की गरिमा” किसको कहा गया है और क्यों ?
उत्तर:
पानी के संपर्क में आते ही बीज में अकुंर फूटता है। वह अंकुरित होकर भूमि से बाहर आता है। पानी ही उसे बढ़ाता और पोषित करता है। पानी के सहारे ही हर पौधा भूमि से अपना भोजना प्राप्त करता है। पानी प्राप्त होने के मूल साधन नदियाँ ही हैं। इसी कारण कवि ने फसल को नदियों के पानी का जादू कहा है। इसी प्रकार किसान के परिश्रम के बिना फसल नहीं उग सकती इसलिए उसे हाथों के स्पर्श की गरिमा कहा गया है।
प्रश्न 13.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) बैजू रास्ते में मूसन तिवारी को चिढ़ाते हुए बोला, बढुवा बेइमान माँगे करैला को चौखा। शेष बच्चों ने बैजू के सुर-में-सुर मिलाकर यही चिल्लाना शुरू कर दिया। अतः परिवेश एवं संगति किस प्रकार बच्चों के चारित्रिक विकास में बाधक एवं साधक है? ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
बालमन बहुत कच्चा तथा कोमल होता है। बच्चे जिस परिवेश में रहते हैं, उसी में ढल जाते हैं। सही परिवेश और सही संगति चरित्र को उज्ज्यल बनाते है। दूसरी ओर गलत परिवेश एवं गलत संगति अच्छे बालक को भी बुरा बना देते है। प्रस्तुत पाठ में भोलानाथ जैसा भोला-भाला तथा मासूम बच्चा भी अपने उद्दंड (जिसे दंड का भय न हो) मित्रों की संगत में कभी शिक्षकों को चिढ़ाता है, तो कभी जीव-जंतुओं को सताता है। इस प्रकार वह गलत संगति में पड़कर दुर्गुणों का शिकार हो जाता है। अतः परिवेश और संगति बच्च्वों के चारित्रिक विकास में बाधक भी हैं और साधक भी।
(ख) पर्वतीय क्षेत्रों पर होने वाली व्यावसायिक प्रगति और विकास का इन स्थलों तथा प्राकृतिक वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ (मधु कंकरिया) लेखिका ने कटाओ क्षेत्र का उदाहरण देकर किस समस्या की ओर संकेत किया है? इसके समाधान में नवयुवकों की क्या भूमिका हो सकती है? ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखिका ने कटाओ क्षेत्र का उदाहरण देकर पर्यटन स्थलों में फेली गंदगी की समस्या की ओर संकेत किया है। पर्यटन स्थलों पर लोगों की भीड़ जाकर वहाँ गंदगी और प्रदूषण फैलाती है, जिसके कारण वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट होने लगता है। इसके समाधान के लिए आज के नवयुकक विशेष अभियान चलाकर प्राकृतिक स्थानों को गंदगी-मुक्त करके अपना योगदान दे सकते है। वे दूसरों को जागरूक करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
(ग) विझान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ तथा किस तरह से हो रहा है, मैं क्यों लिखता हूँ? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
आजकल विश्ञान का दुरुपयोग कई स्तरों पर किया जा रहा है। आज इसके द्वारा आतंकवादी संसार पर बम-विस्फोट कर रहे हैं। उदाहरण स्वरूप अमेरिका की एक बहुमंजिली इमारत को तहस-नहस करना, मुंबई में हुए बम-बिस्फोट, आए दिन गाड़ियों में आग लगना इत्यादि घटनाओं को लिया जा सकता है। विज्ञान के दुरुपयोग से कन्या-सूण हत्याएँ हो रही हैं, जिससे जनसंख्या का संतुलन बिगड़ रहा है। किसान कीटनाशक और जहरीले रसायन के माध्यम से फसलों का उत्पादन कर रहे है, जिससे लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। विज्ञान के उपकरणों के कारण वातावरण में गर्मी बढ़ रही है, बर्फ पिघलने का खतरा बढ़ रहा है। भयंकर दुर्घटनाएँ दैनिक जीवन का हिस्सा बन गई है। साइबर क्राइम भी विज्ञान से जन्मी समस्या है।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए- (1 × 6 = 6)
(i) आजाद देश के 75 साल और भविष्य की उम्मीदें
75 वर्ष के बाद देश का वर्तमान
भविष्य के लक्ष्य
लक्ष्य पाने के रास्ते
नागरिकों का दायित्व
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है जहाँ अनेक धर्मों के लोग निवास करते हैं। भौगोलिक दृष्टि से भी भारत विस्तृत है। भारत आज दुनिया की बड़ी आर्थिक महाशक्तियों में एक है। 947 से पहले भारत की आर्थिक स्थिति अंग्रेजों ने क्षीण कर दी थी। अंग्रेजों द्वारा किए गए विभिन्न हमलों और विमुद्रीकरण के कारण देश बुरी तरह से आर्थिक रूप से ध्वस्त हो गया था। ऐसी स्थिति को रोकने के लिए, भारत ने आर्थिक स्वतंत्रता को अपना और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पंचवर्षीय योजनाओं को तैयार किया गया। यह योजनाएँ राष्ट्रीय, आर्थिक और सामाजिक विकास की पहल थीं।
पंचवर्षीय योजना सन् 1951 में शुरू की गई जो मुख्य रूप से कृषि, बिजली और परिवहन पर केन्द्रित थी। नेहरू जी के बाद हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को 1964 में लाल बहादुर शास्त्री जी ने प्रोत्साहन दिया। इसके बाद भारत दुनिया का सबसे बड़े क्ृषि उत्पादकों के रूप में उभर कर सामने आया। आम आदमी के लिए हवाई यात्रा को और अधिक किफ़ायती बनाने के लिए 2016 में “उड़ान योजना’ शुरू की गई। आज विश्व भारत को अग्रणी राष्ट्र एक सम्भावित महाशक्ति के रूप में देखता है। नागरिकों का कर्तव्य है कि वे अपने देश के विकास में पूर्ण सहयोग करें।
(ii) जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है
जीवन और संघर्ष क्या है?
संघर्ष : सफ़लता का मूलतंत्र
असफ़लता से उत्पन्न निराशा और उत्कट जिजीविषा
जीवन का मूलमंत्र
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन को व्यतीत करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। चाहे वे अमीर हों या गरीब, दोनों का जीवन संघर्षमय होता है। जन्म से मृत्यु के बीच की कालावधि को जीवन कहा जाता है। संघर्ष अर्थात् किसी भी चीज़ को पाने के लिए किया गया प्रतिकार होता है। संघर्ष जीवन को निखारता है, उसको सँवारता है। संघर्ष ही मूल रूप से हमें जीवन को जीने का सलीखा सिखाता है। दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति सफ़लता को पाना चाहता है। सफलता प्राप्त करने के लिए वह व्यक्ति अथक प्रयास भी करता रहता है। कुछ व्यक्तियों को सफ़लता आसानी से मिल जाती है, कुछ को आसानी से नहीं। जिनको सफलता आसानी से प्राप्त नहीं होती वह पूरे जीवन में संघर्ष करते ही रहते हैं। कुछ हार मानकर पीछे हट जाते हैं। सफलता तक पहुँचने के लिए हार न मानना ही जीवन का असली मूलमंत्र है। जीवन पथ पर सफ़लता और विफलता दोनों ही प्राप्त होतीं हैं लेकिन संघर्ष करने का संकल्प शिथिल नहीं पड़ना चाहिए। कवि ने अपने शब्दों में व्यक्त किया है-
“जब नाव जल में छोड़ दी, तूफ़ान में ही मोड़ दी,
दे दी चुनौती सिन्धु को, तो पार क्या, मझधार क्या ?”
(iii) समय होत सबसे बलवान
समय/काल का महत्त्व
सुख-दुःख का आवागमन
समय की बारीकी को समझना और उसके अनुसार कार्य करना
बुरे समय में भी हार न मानना
उत्तर:
समय सबसे अधिक बलवान होता है। वह राजा को रंक और रंक को राजा भी बना सकता है। इस तरह समय का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में पड़ता है। समय को हम पकड़ नहीं सकते। न ही उसको रोक सकते बल्कि उसका सदुपयोग ही कर सकते हैं। समय रूपी चक्र सदैव चलता रहता है। समय हमारे जीवन के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है तथा हमारे जीवन की सफलता की कुंजी भी है। जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सफ़लता के लिए समय का ऋणी होना चाहिए क्योंकि समय हमारे जीवन में सामाजिक जीवन व्यापारिक जीवन सभी को प्रदान करता है। प्रत्येक व्यक्ति को समय का महत्त्व समझकर समय के साथ चलना चाहिए। जो व्यक्ति समय का सदुपयोग नहीं करता, उसका जीवन निरर्थक हो जाता है।
प्रश्न 15.
किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5)
आप मोनिका गोस्वामी हैं, दिल्ली में रहती हैं। दिल्ली में बढ़ती हुई अपराध-वृत्ति की ओर दिल्ली सरकार के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करना चाहती हैं। अतः समाचार-पत्र के संपादक को एक समाचार-पत्र प्रकाशित करने का अनुरोध करते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।
अथवा
आपका नाम अंकित त्यागी है। आप दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण अपने मित्र की बहन के विवाह में उपस्थित नहीं हो सके। इस संबंध में जानकारी देते हुए अपने मित्र को एक बधाई पत्र 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 29 मार्च, 20XX
सेवा में,
श्रीमान संपादक महोदय
दैनिक हिंदुस्तान,
नई दिल्ली।
विषय दिल्ली में बढ़ती अपराध-वृत्ति के संदर्भ में।
महोदय,
मैं आपके प्रतिध्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से दिल्ली सरकार के अधिकारियों का ध्यान दिल्ली में बढ़ती हुई अपराध-वृत्ति की ओर आकृष्ट कराना चाहती हूँ आशा है कि आप मेरे पत्र को अपने प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में प्रकाशित करेंगे। मुझे अत्यंत खेद सहित लिखना पड़ रहा है कि दिल्ली में आजकल गुंडागर्दी, बलात्कार, हत्याएँ, लूटपाट, अपहरण जैसी आपराधिक घटनाएँ नियमित रूप से बढ़ रही हैं। देश की राजधानी दिल्ली ‘अमन चैन की राजधानी’ न रहकर असामाजिक तत्वों व अपराधियों द्वारा ‘भय व आतंक के वातावरण की राजधानी’ बनकर रह गई है। जहाँ दिन-दहाड़े दुकानदारों से लूट, घरों में चोरी, छोटे बच्चों का अपहरण, लड़कियों से छेड़छाड़ व बलात्कार तो जैसे सामान्य बात हो गई है। महोदय, दुःख तो इस बात का है कि अनेक राजनीतिक संगठन, गैर-सरकारी संस्थाओं तथा छात्र संगठनों के द्वारा अनेक बार इस ओर ध्यान दिलाए जाने के पश्चात् भी केंद्र सरकार चुपथाप बैठी है। वह संबधित पुलिस अधिकारियों को कठोर निर्देश जारी नहीं करती। मेरा केंद्र सरकार तथा पुलिस के अधिकारियों से अनुरोध है कि वे इस संबंध में कठोरतम कार्यवाही करें, जिससे अपराधियों के मन में भय उत्पन्न हो और वे अपराच करने से पहले दस बार सोचें।
धन्यवाद!
भवदीया
मोनिका गोस्वामी
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 11 मार्च, 20xx
प्रिय मित्र
मधुर स्मृति। मुझे रजनी दीदी के विवाह का निमंत्रण पत्र समय पर मिल गया था। निमंत्रण पत्र पाकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई थी कि मेरे ‘एक पंथ दो काज ‘ हो जाएँगे। में दीदी के विवाह में भी उपस्थित हो जाऊँगा और अपने अभिन्न मित्रों से भी मिल सकूँगा। मैंने इस विषय में सभी कार्यक्रम भी बना लिए थे, किंतु सड़क दुर्घटना में मेरे पैर में फ्रैक्वर हो गया। ऐसी विवशता आ गई कि चाहकर भी मैं विवाह में उपस्थित नहीं हो सका। इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। आशा है कि तुम मेरी विवशता समझ गए होंगे।
इस अवसर पर मेरी परम पिता परमेश्वर से यही प्रार्थना है कि वह रजनी दीदी तथा उसके पति के नय-विवाहित जीवन में सुख-समृद्धि लाए। उन्हें दुनिया की सभी खुशियाँ मिलें। उनका लंबा और सुखी वैवाहिक जीवन हो। घर पर सभी को मेरी ओर से बधाई देना। ईश्वर ने चाहा, तो आप लोगों से शीघ ही आकर मिलूँगा।
तुम्हारा मित्र
अंकित त्यागी
प्रश्न 16.
आपने हाल ही में एम.एस-सी. (गणित) की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की है और साथ ही आप बी.एड. भी कर चुके हैं। गणित के पी.जी.टी. (परा-स्नातक अध्यापक) पद के लिए अपना स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों में तैयार कीजिए। आपका नाम नेहा/निखिल है। आपको केंद्रीय विद्यालय, क.ख.ग. में गणित अध्यापक/अध्यापिका पद के लिए आवेदन करना है। (5 × 1 = 5)
उत्तर:
सेवा में,
शिक्षा अधिकारी
शिक्षा निदेशालय
केन्द्रीय विद्यालय
नई दिल्ली,
विषय: परा-स्नातक अध्यापक पद के लिए आवेदन।
महोदय,
नई दिल्ली शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट से ज्ञात हुआ है कि पी.जी.टी पद के लिए विज्ञापन प्रकाशित हुआ है। इस पद हेतु मैं अपना आवेदन-पत्र सेवा में प्रेषित कर रहा हूँ। इसके साथ ही मेरा स्ववृत्त इस प्रकार है-
नाम-रिहान
पिता का नाम- श्री जगदीश
माता का नाम- श्रीमती अंशु
जन्मतिथि-1/03/1983
वर्तमान पता-61/2 त्रिवेणी नगर, दिल्ली
दूरभाष संख्या 26835xxx
मोबाइल संख्या 9843xxxxx
शैक्षणिक योग्यताएँ:
अन्य सम्बन्धित योग्यताएँ-
(i) कम्प्यूटर का व्यावहारिक ज्ञान हिन्दी भाषा और अंग्रेजी भाषा में टाइपिंग।
(ii) दो वर्ष का शिक्षण अनुभव
उपलब्धियाँ-
(i) कविता, लेखन में अनेक पुरस्कार प्राप्त
उद्वोषणा-
(i) मैं प्रमाणित करता हूँ कि उपर्युक्त सभी सूचनाएँ सही हैं।
दिनांक: 23 अगस्त xxxx
स्थान: नई दिल्ली
हस्ताक्षर:
अथवा
आपके घर मेहमान आने वाले हैं तो आपने ‘तुरत-फुरत ‘ नामक वेबसाइट से कुछ खाने-पीने की वस्तुएँ मँगवाई हैं। बीस मिनट में सामान पहुँचाने वाली इस साइट से 50 मिनट में भी सामान नहीं आया है। इसकी शिकायत करते हुए उपभोक्ता सम्पर्क विभाग को लगभग 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए। आपका नाम साधना/सोमेश है।
उत्तर:
From:
[email protected]
To:
[email protected]
CC: ………..
BCC: ………
विषय: समय से सामान न पहुँचाने के सन्दर्भ में।
महोदय,
इस समय होली का त्योहार है और घर में बहुत से मेहमान आए हुए हैं इसलिए मैंने Romato से दस डोसा और 15 छोले भददूरे की प्लेट ऑर्डर की थीं। Romato में समान पहुँचाने का समय केवल 20 मिनट ही दिखा रहा था लेकिन इस साइट ने 50 मिनट में भी सामान नहीं पहुँचाया है। आपसे निवेदन है कि ऐसी साइट को बन्द कर देना चाहिए जो लोगों को भ्रमित करती हैं और उनके समय को बर्बाद करती हैं।
साधना
प्रश्न 17.
आपके बड़े भाई ने एक फाइनेंस कंपनी खोली है। वे उसके प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय समाचार पत्र में उसका विज्ञापन देना चाहते हैं। आप फाइनेंस कंपनी की ओर से सस्ती दरों पर ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए लगभग 40 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आप कमल किशोर हैं। आपके मित्र का जन्मदिवस है। इस अवसर पर बधाई देने हेतु अपने मित्र को लगभग 40 शब्दों में शुभकामना संदेश लिखिए।
उत्तर :
अथवा
जन्मदिवस की बथाई हेतु शुभकामना संदेश
दिनांक 30 अगस्त, 20XX
समय 2:00 बजे दोपहर।
प्रिय मिन्न,
आपके जन्मदिवस पर आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ। में ईश्वर से सदैब यही कामना करता हूं कि आप अच्छा स्वार्थय, लंबी आयु तथा खुशहाल जीवन के साथ उज्ज्चल भविष्य की ओर बढ़ो तथा जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त करो तथा आपका जीवन फूलो-सा महकता रहे। तुम निरंतर प्रगति के मार्ग पर अग्रसर रहो और सफलता प्राप्त करो। तुम्हारा यह विशेष दिन तुम्हारे लिए यादगार बने। अपने इस विशेष दिन को पूरे आनंद से मनाओ। पुनः तुम्हारे जन्मदिन की शुभकामना देता हूँ।
तुम्हारा मित्र
कमल किशोर