Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 1 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 1 with Solutions
निर्देश
समय : 3 घंटे पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
- ‘इस प्रश्न-पत्र में दो खंड है- ‘अ’ और ‘ब’। खंड ‘अ’ में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खंड ‘ब’ में वस्तुनिष्ठ/वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
- प्रश्न-पत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
- खंड ‘अ’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 44 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- खंड ‘ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड ‘अ’
(बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश-पद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ एक तरफ भौतिक समृद्धि अपनी ऊँचाई पर है, तो दूसरी तरफ चारित्रिक पतन की गहराई है। आधुनिकीकरण में उलझा मानव सफलता की नित नई परिभाषाएँ खोजता रहता है और अपनी अंतहीन इच्छाओं के रेगिस्तान में भटकता रहता है। ऐसे समय में सच्ची सफलता और सुख-शांति की प्यास से व्याकुल व्यक्ति अनेक मानसिक रोगों का शिकार बनता जा रहा है। हममें से कितने लोगों को इस बात का ज्ञान है कि जीवन में सफलता प्राप्त करना और सफल जीवन जीना, यह दोनों दो अलग-अलग बातें हैं।
यह जरूरी नहीं कि जिसने अपने जीवन में साधारण कामनाओं को हासिल कर लिया हो, वह पूर्णत: संतुष्ट और प्रसन्न भी हो। अत: हमें गंभीरतापूर्वक इस बात को समझना चाहिए कि इच्छित फल को प्राप्त कर लेना ही सफलता नहीं है। जब तक हम अपने जीबन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का सिचन नहीं करेंगे, तब तक यथार्थ सफलता पाना हमारे लिए मुश्किल ही नहीं, अपितु असंभव कार्य हो जाएगा, क्योंकि बिना मूल्यों के प्राप्त सफलता केवल क्षणभंगुर सुख के समान रहती है। यदि आप असफलता से निराश हो चुके हैं और ऐसा सोच रहे हैं कि सब कुछ यहीं खत्म हो गया तो आपको सफल व्यक्तियों के बारे में पढ़ना चाहिए। निराश और उत्साहहीन करने वाले हर विचार हमें पीछे की ओर धकेलते हैं। निराश हो जाना अथवा हिम्मत हारकर उत्साहहीन होकर बैठ जाना स्वयं के प्रति एक अपराध है। हमें अपने आपमें स्फूर्ति तथा मन में उत्साह भरते हुए स्वयं पर विश्वास करना चाहिए। कुछ
निराशावादी लोगों का कहना है कि हम सफल नहीं हो सकते, क्योंकि हमारी तकदीर या परिस्थितियाँ ही ऐसी हैं, परंतु यदि हम अपना ध्येय निश्चित करके उसे अपने मन में बिठा लें तो फिर सफलता स्वयं हमारी ओर चलकर आएगी। सफल होना हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है, परंतु यदि हम अपनी विफलताओं के बारे में ही सोचते रहेंगे, तो सफलता को कभी हासिल नहीं कर पाएँगे। अत: विफलताओं की चिता न करें, क्योंकि वे तो हमारे जीवन का सौदर्य हैं और संघर्ष जीवन का काव्य है। कई बार प्रथम आघात में पत्थर नहीं टूट पाता, उसे तोड़ने के लिए कई आघात करने पड़ते हैं, इसलिए सदैव अपने लक्ष्य को सामने रख आगे बढ़ने की जरूरत है। कहा भी गया है कि जीवन में सकारात्मक कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
(क) “विफलताओं की चिता नहीं करनी चाहिए।” प्रस्तुत कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. क्योकि उनका लगातार चितन करने से सफलता कभी हासिल नहीं होगी।
2. क्योंकि विफलताएँ हमारे जीवन का सौददर्य हैं।
3. क्योंकि विफल होना अपराध है।
4. क्योंक विफलताएँ पथभ्रष्ट करती हैं।
(i) केवल 1 सही है
(ii) 1 और 2 सही हैं
(iii) 2 और 3 सही हैं
(iv) 3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(ii) 1 और 2 सही हैं गद्यांश के अनुसार, हमें विफलताओं की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन का सौंदर्य होती हैं तथा उनका लगातार चिंतन करने से कभी सफलता नहीं मिलती।
(ख) हम कैसे युग में जी रहे हैं?
(i) जहाँ भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होने के साथ-साथ चरित्र का पतन भी होता जा रहा है।
(ii) जहाँ हर प्रकार की सुख-सुविधाएँ हैं, तो साथ ही बहुत-सी समस्याएँ भी है।
(iii) जहाँ मनुष्य प्रतिदिन सफलता के नए-नए प्रतिमान गढ़ता जा रहा है।
(iv) जहाँ मनुष्य केवल और केवल पतनोन्मुख होता जा रहा है।
उत्तर :
(i) जहाँ भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होने के साथ-साथ चरित्र का पतन भी होता जा रह्ा है गद्धांश के अनुसार, हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ एक ओर भौतिक समृद्धि अपनी ऊँचाई पर है, तो दूसरी ओर चारित्रिक पतन अपनी गहराई पर है। जहाँ भोग-विलास की वस्तुओं में वृद्धि हुई है, साथ ही लोगों के चरित्र का भी पतन हुआआ है।
(ग) जीवन में क्या आवश्यक नहीं है?
(i) सफलताओं को प्राप्त करने के बाद कोई असफल न हुआ हो
(ii) जीवन में हर मुकाम हासिल हो गया हो
(iii) जिसने जीवन में अपनी सामान्य इच्छाओं की पूर्ति कर ली हो, वह संतुष्ट और प्रसन्न भी हो
(iv) जो भौतिक रूप से समृद्ध है, वह आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध हो
उत्तर :
(iii) जिसने जीवन में अपनी सामान्य इच्छाओं की पूर्ति कर ली हो, वह संतुष्ट और प्रसन्न भी हो गद्यांश के अनुसार, जीवन में यह जरूरी नहीं है कि जिसने अपने जीवन में साथारण इच्छाओं को प्राप्त कर लिया हो, वह पूर्णतः संतुष्ट और प्रसन्न भी हो। कहने का तात्पर्य यह है कि इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती। इनकी जितनी पूर्ति होती है, ये और बढ़ जाती हैं।
(घ) गद्यांश के अनुसार वास्तविक सफलता क्या है?
(i) हर प्रकार की भौतिक व आध्यात्मिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करना
(ii) जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों को सिंचित करना
(iii) जीवन में सभी प्रकार की साधारण कामनाओं को हासिल करना
(iv) अपने लक्ष्य को प्राप्त करके उस पर अमल करना
उत्तर :
(ii) जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों को सिंचित करना गद्यांश के अनुसार, मनुष्य जब तक अपने जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का सिंचन नहीं करेगा, तब तक उसे वास्तविक सफलता मिलना असंभव है, क्योंकि बिना मूल्यों के प्राप्त सफलता केवल क्षणभंगुर सुख के समान होती है।
(ङ) कथन (A) मनुष्य मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है।
कारण (R) मनुष्य अपने कार्य से असंतुष्ट रहता है।
(i) कथन A गलत है, कितु कारण R सही है।
(ii) कथन A और कारण R दोनों गलत है।
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन A और कारण R दोनों सही हैं, परंतु कारण R कथन A की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या करता है मनुष्य असंतुष्ट होने के कारण मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सवांधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए।
(1 × 5 = 5)
हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं।
भरी थकन में सोते फिर भी-
उठते बड़े सवेरे हैं
धरती की सेवा करते हैं
कभी न मेहनत से डरते हैं
लू हो चाहे ठण्ड सयानी
चाहे झर-झर बरसे पानी
ये तो मौसम हैं हमने
गाते नई फ़सल के रसिया
धरती को साड़ी पहनाते
दूर-दूर तक भूख मिटाते
मुट्ठी पर दानों को रखकर
तूफ़ानों के मुँह फेरे हैं।
खेत लगे हैं अपने घर से
हमको गरज नहीं दफ़्तर से
दूर शहर से रहने वाले
सीधे-सादे, भोले-भाले
रखवाले, अपने खेतों के
जिनमें बीज बिखेरे हैं।
हाथों में लेकर हल-हँसिया
कहते हैं बहुतेरे हैं
हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं।
भरी थकन में सोते फिर भी-
उठते बड़े सवेरे हैं ॥
(i) “हम धरती के बेटे बड़े कमेरे हैं !’ में कमेरे से आशय है-
(क) परिश्रमी
(ख) काम के
(ग) किसान
(घ) मजदूर
उत्तर:
(क) हम धरती के बहुत परिश्रमी बेटे हैं।
(ii) कवि ने किसानों को ‘फसलों का रसिया’ कहा है क्योंकि वे-
(क) फसलों को उगाते हैं।
(ख) फसलों को काटते हैं।
(ग) फ़सलों से प्रेम करते हैं।
(घ) फसलों को बेचते हैं।
उत्तर:
(ग) फ़सलों से प्रेम करते हैं।
व्याख्यात्मक हलः
अपनी मेहनत से उगाई गई फ़सल को किसान बहुत प्रेम करते हैं इसलिए किसानों को फसलों का रसिया कहा गया है।
(iii) किसान ‘ धरती की सेवा ‘ ……………… करते हैं।
(क) खेतों में फसल उगाकर है
(ख) सर्दी, गर्मी, बरसात सहकर
(ग) बिना विश्राम परिश्रम कर
(घ) खेतों के पास घर बनाकर
उत्तर:
(क) खेतों में फसल उगाकर है
(iv) कथन (A) और कारण (R) पर विचार करते हुए सही विकल्प चुनिए:
कथन (A): हमारे घर खेतों के पास स्थित होते हैं।
कारण (R) हमारे घर शहरों से दूर होते हैं।
(क) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) गलत है।
(ख) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) व कारण (R) सही हैं और कथन (A), कारण (R) की सही व्याख्या है।
(घ) कथन (A) व कारण (R) सही हैं और कथन (A), कारण (R) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(घ) कथन (A) व (R) सही हैं और कथन (A), (R) की सही व्याख्या नहीं है।
(v) “हम किसानों ने धरती को फूसलों के आवरण से ढक दिया है।’ निम्नलिखित किस पंक्ति का यह आशय है-
(क) तूफानों के मुँह फेरे हैं
(ख) रखवाले अपने खेतों के
(ग) धरती को साड़ी पहनाते
(घ) दूर-दूर तक भूख मिटाते
उत्तर:
(ग) धरती को साड़ी पहनाते
व्याख्यात्मक हलः
धरती को साड़ी पहनाने का आशय किसानों द्वारा धरती को फ़सलों के आवरण से ढक दिया जाना है।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘नेताजी का भाषण समाप्त होने पर लोग घर को चले गए।’ इसका संयुक्त वाक्य होगा
(i) नेताजी का भाषण समाप्त हुआ और लोग घर चले गए।
(ii) जब नेताजी का भाषण समाप्त हुआ तब लोग घर चले गए।
(iii) नेताजी के भाषण समाप्त होने पर लोग घर चले गए।
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) नेताजी का भाषण समाप्त हुआ और लोग घर चले गए।
(ख) ‘हम लोगों को दर्शन करने थे, इसलिए हम मंदिर गए।’ इसका मिश्रित वाक्य होगा
(i) दर्शन करने के उद्देश्य से हम मंदिर गए।
(ii) हमें दर्शन करने थे, इसलिए हम मंदिर गए।
(iii) हम लोग मंदिर इसलिए गए, क्योंकि हम लोगों को दर्शन करने थे।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर :
(iii) हम लोग मंदिर इसलिए गए, क्योंकि हम लोगों को दर्शन करने थे
(ग) ‘प्रिया बाजार गई। वहाँ से सेब लाई।’ इसका सरल वाक्य होगा
(i) प्रिया बाज़ार गई और वहाँ से सेब लाई।
(ii) प्रिया बाजार जाकर वहाँ से सेब लाई।
(iii) प्रिया सेब लाई जब वह बाजार गई।
(iv) जब प्रिया बाजार गई तो वहाँ से सेब लाई।
उत्तर :
(ii) प्रिया बाजार जाकर वहाँ से सेब लाई
(घ) निम्नलिखित वाक्यों में मिश्र वाक्य पहचानकर नीचे दिए गए सबसे सही विकल्प को चुनिए
1. उसने कहा कि वह बहुत बुद्धिमान है।
2. वर्षा होने के कारण वह देर से घर पहुँचा।
3. हम कल यहाँ से जाकर ताजमहल देखेंगे।
4. उसने स्वयं को बुद्धिमान कहा।
कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) 1 और 2 सही हैं
(iii) 2 और 3 सही हैं
(iv) 3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(i) केवल 1 सही है
(ङ) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. सूर्योदय होने पर कुहासा जाता रहा। | 1. संयुक्त वाक्य |
B. जैसे ही सूर्योदय हुआ वैसे ही कुहासा जाता रहा। | 2. सरल वाक्य |
C. सूर्योदय हुआ और कुहासा जाता रहा। | 3. मिश्र वाक्य |
उत्तर :
(ii) A-2, B-3, C-1
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन््हीं चार के उत्तर दीजिए-
(1 × 4 = 4)
(i) बालगोबिन भगत कबीर को ‘साहब ‘ मानते थे। (कर्म वाच्य में बदलिए)
(क) बालगोबिन भगत द्वारा कबीर को ‘साहब’ माना जाता था।
(ख) बालगोबिन भगत द्वारा कबीर को “साहब’ माना जाता है।
(ग) बालगोबिन भगत कबीर को ‘साहब’ मानते हैं।
(घ) बालगोबिन भगत से कबीर को “साहब ‘ माना जाता है।
उत्तर:
(क) बालगोबिन भगत द्वारा कबीर को ‘साहब’ माना जाता था।
(ii) भोर में लोगों से बालगोबिन भगत का गीत नहीं सुना गया। वाक्य में वाच्य है-
(क) कर्म वाच्य
(ख) भाव वाच्य ह।
(ग) कर्तु वाच्य
(घ) कर्तू और कर्म वाच्य दोनों
उत्तर:
(ख) भाव वाच्य ह।
(iii) धान के पानी-भरे खेतों में बच्चे उछल रहे हैं। ” उदाहरण है-
(क) भाव वाच्य
(ख) कर्त वाच्य
(ग) कर्म वाच्य
(घ) विचार वाच्य
उत्तर:
(ख) कर्त वाच्य
व्याख्यात्मक हलः
क्रिया के जिस रूप में कर्त्ता प्रधान हो तथा सकर्मक व अकर्मक दोनों क्रियाएँ हों वहाँ कर्तृवाच्य होता है अत: विकल्प (ख) सही है।
(iv) निम्नलिखित वाक्यों में भाव वाच्य का उदाहरण हैः
1. माता जी मिठाई बना सकती हैं।
2. मुझसे बैठा नहीं जाता।
3. भगवान द्वारा हमारी रक्षा की जाती है।
4. गर्मियों में छत पर सोया जाता है।
(क) और 2 सही है।
(ख) 2 और 3 सही है।
(ग) और 4 सही है।
(घ) 2 और 4 सही है।
उत्तर:
(घ) 2 और 4 सही है।
(v) सूची को सूची 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए–
सूची 1 | सूची 2 |
1. गर्मियों में लोग खूब नहाते हैं। | (i) भाव वाच्य |
2. गोपाल से पत्र लिखा जाता है। | (ii) कर्तु वाच्य |
3. धूप में चला नहीं जाता। | (iii) कर्म वाच्य |
विकल्प
(क) 1. (i), 2. (ii), 3. (iii)
(ख) 1. (ii), 2. (iii), 3. (i)
(ग) 1. (i), 2. (iii), 3. (ii)
(घ) 1. (ii), 2. (i), 3. (iii)
उत्तर:
(ख) 1. (ii), 2. (iii), 3. (i)
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) वह विश्वास के योग्य नहीं है। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) संबंधबोधक अव्यय, संबंधी शब्द ‘वह’ और ‘विश्वास’
(ii) गुणवाचक विशेषण, एकवचन, पुल्लिग, ‘वह’ विशेष्य
(iii) समुच्चयबोधक अव्यय, संबंधी शब्द ‘वह’ और ‘विश्वास’
(iv) क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘है’
उत्तर :
(i) संबंधबोधक अव्यय, संबंधी शब्द ‘वह’ और ‘विश्वास’
(ख) हम सभी बाहर जा रहे हैं। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) अनिश्चयवाचक सर्वनाम, कर्म कारक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, ‘जा रहे हैं क्रिया का कत्ता
(ii) अनिश्चयवाचक सर्वनाम, कर्ता कारक, पुल्लिग, बहुबचन, ‘जा रहे हैं क्रिया का कर्ता
(iii) पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्ता कारक, पुल्लिग, बहुवचन, ‘जा रहे हैं क्रिया का कर्ता
(iv) पुरुषवाचक सर्वनाम, कत्ता कारक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, ‘जा रहे हैं’ क्रिया का कर्ता
उत्तर :
(iii) पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्ता कारक, पुल्लिग, बहुवचन, ‘जा रहे हैं’ क्रिया का कर्ता
(ग) इसके चलते ही मैं दो-एक बार उनके कोप से बच गई थी। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) परिमाणवाचक विशेषण, पुल्लिग, विशेष्य ‘कोप’
(ii) संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिग, विशेष्य ‘कोप’
(iii) गुणवाचक विशेषण, पुल्लिग, विशेष्य ‘कोप’
(iv) सार्वनामिक विशेषण, पुल्लिग, विशेष्य ‘कोप’
उत्तर :
(iv) सार्वनामिक विशेषण, पुल्लिग, विशेष्य ‘कोप’
(घ) अचानक वर्षा होने लगी। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘होने लगी’
(ii) कालवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘होने लगी’
(iii) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘होने लगी’
(iv) परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘होने लगी’
उत्तर :
(iii) रीतियाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘होने लगी’
(ङ) वह बहुत सुंदर लझकी है। यहाँ तो बहुत पानी फैला है। दोनों वाक्यों के ‘बहुत’ का सामान्य पद परिचय होगा
(i) पहला बहुत-प्रविशेषण, दूसरा बहुत-अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ii) पहला बहुत-प्रविशेषण, दूसरा बहुत-अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(iii) पहला बहुत-अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण, दूसरा बहुत-प्रविशेषण
(iv) पहला बहुत-अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, दूसरा बहुत-क्रिया-विशेषण
उत्तर :
(ii) पहला बहुत-प्रविशेषण, दूसरा बहुत-अनिश्चित परिमाणवायक विशेषण
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए।
(1 × 4 = 4)
(i) “सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यों करुई ककरी ‘ में अलंकार है-
(क) उ्प्रेक्षा
(ख) श्लेष
(ग) यमक
(घ) अनुप्रास
उत्तर:
(क) उ्प्रेक्षा
व्याख्यात्मक हलः
जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना हो वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है अतः प्रस्तुत काव्य पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ii) “कहीं साँस लेते हो घर-घर भर देते हो ‘ पंक्ति में निहित अलंकार है-
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) यमक
(घ) मानवीकरण
उत्तर:
(घ) मानवीकरण
(iii) “उस काल मारे क्रोध के, तन काँपने उसका लगा। मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा। ‘ में अलंकार है-
(क) उत्प्रेक्षा
(ख) रूपक
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
उत्तर:
(क) उत्प्रेक्षा
(iv) निम्नलिखित में उत्प्रेक्षा अलंकार है-
(क) बादल, गरजो!
(ख) घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
(ग) ललित ललित, काले घुँघराले
(घ) चित्रकूट जनु अचल अहेरी!
उत्तर:
(घ) चित्रकूट जनु अचल अहेरी!
व्याख्यात्मक हल:
जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
(v) ‘सुबरन को खोजत फिरत कवि, व्यभिचारी , चोर’ में अलंकार है-
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) यमक
(घ) श्लेष
उत्तर:
(घ) श्लेष
व्याख्यात्मक हल:
जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आए पर उसके अर्थ अलग-अलग निकलें वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
आसाढ़ की रिमझिम है। समूचा गाँव खेतों में उतर पड़ा है। कहीं हल चल रहे हैं, कहीं रोपनी हो रही है। धान के पानी-भरे खेतों में बच्चे उछल रहे हैं। औरतें कलेवा लेकर मेंड़ पर बैठी हैं। आसमान बादल से घिरा, धूप का नाम नहीं है, ठंडी पुरवाई चल रही है। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है-यह कौन है! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े, अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अंगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्ध, खेत में बिठा रही है। सनका कंठ एक-एक शब्द को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं, गेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं, हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं, रोपनी करने वालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू!
(क) गद्यांश के आधार पर बताइए कि भगत के संगीत के जादू का प्रभाव किस पर और क्या पड़ता है?
(i) हलवाहों के पैर उनके संगीत की लय पर उठने लगते हैं
(ii) बच्चे खेलते हुए झूमने लगते हैं
(iii) मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंड काँप उठते हैं
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी भगत के संगीत के जादू के प्रभाव से हलवाहों के पैर उनके संगीत की लय पर उठने लगते हैं, खेलते हुए बच्चे झूमने लगते हैं और मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ कापप उठते हैं। इस प्रकार, बालगोबिन भगत का संगीत संपूर्ण वातावरण को मुग्ध कर देता है।
(ख) गद्यांश के अनुसार बालगोबिन भगत इस समय क्या कार्य कर रहे हैं?
(i) मेंड़ पर बैठकर गीत गा रहे हैं
(ii) अपने खेत में धान की रोपनी कर रहे हैं
(iii) अपने खेत में पानी दे रहे हैं
(iv) अपने खेत में हल चला रहे हैं
उत्तर :
(ii) अपने खेत में धान की रोपनी कर रहे हैं गद्यांश के अनुसार बालगोबिन भगत इस समय अपने खेत में धान की रोपनी कर रहे हैं। वे कीचड़ में लथपथ हैं।
(ग) बालगोबिन भगत के संगीत की क्या विशेषता है?
(i) उनका संगीत लय-तालबद्ध नहीं है
(ii) उनका संगीत सामान्यजन को प्रभावित नह़ी कर पाता
(iii) उनका संगीत प्रत्येक व्यक्ति को रोमांचित व मुग्ध कर देता है
(iv) उनके संगीत में मन को हरने की शक्ति नहीं है
उत्तर :
(iii) उनका संगीत प्रत्येक व्यक्ति को रोमांचित व मुग्ध कर देता है बालगोबिन भगत का संगीत प्रत्येक व्यक्ति को रोमांचित व मुग्ध कर देता है, जिसके कारण वह व्यक्ति भगत के संगीत की ताल पर ही अपना कार्य करने लगता है।
(घ) भगत अपने संगीत का प्रभाव बढ़ाने के लिए क्या करते थे?
(i) स्वर को ऊँचा करते थे
(ii) स्वर को नीचा करते थे
(iii) स्वर को ऊँचा-नोचा करते थे
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(iii) स्वर को ऊँचा-नीचा करते थे भगत अपने संगीत का प्रभाव बढ़ाने के लिए स्वर को कभी ऊँचा करते व कभी नीचा करते थे।
(ङ) बालगोबिन भगत की कवीर पर अगाध श्रद्ध के क्या कारण थे?
(i) आदर्शों को व्यवहार में उतारना
(ii) सामाजिक कुरीतियों का विरोध करना
(iii) कबीर का आडंबरों से रहित सादा जीवन
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी बालगोबिन भगत की कबीर पर अगाध भ्रद्धा के कई कारण हैं; जैसे-आदर्शों को व्यवहार में उतारना, सामाजिक कुरीतियों का विरोध करना, कब्बीर का आंंबरों से रहित सादा जीवन जीना।
प्रश्न 8.
‘क्षितिज’ के गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए-
(1 × 2 = 2)
(i) ‘बालगोबिन भगत के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है? ‘
(क) आडंबर से दूर रहकर ईश्वर भक्ति करने की
(ख) कृषि आधारित जीवन व्यतीत करने की
(ग) सामाजिक रूढ़ियों का समर्थन करने की
(घ) पूजा-पाठ और यज्ञ आदि करने की
उत्तर:
(क) आडंबर से दूर रहकर ईश्वर भक्ति करने की
व्याख्यात्मक हल:
बालगोबिन भगत के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें बाहरी आडम्बरों से दूर रहकर ईश्वर की सच्ची भक्ति करनी चाहिए।
(ii) अमीरूद्दीन को रसूलनबाई और बातूलनबाई के घरवाला रास्ता क्यों पसंद था?
(क) संगीत के प्रति असीम रुचि के कारण।
(ख) संगीत के प्रति अरुचि के कारण।
(ग) वह छोटा रास्ता था।
(घ) वह रास्ता साफ़-सुथरा था।
उत्तर:
(क) संगीत के प्रति असीम रुचि के कारण।
व्याख्यात्मक हलः
रसूलनबाई और बतूलनबाई बहुत अच्छा गाती थी और उमीरूद्दीन को संगीत के प्रति असीम रुचि थी इसलिए अमीरूद्दीन को रसूलनबाई और बतूलन बाई के घर का रास्ता पसन्द था।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
नाथ संभुधनु भंजनिहारा।
होइहि केठ एक दास तुम्हारा॥
आयेसु काह कहिअ किन मोही।
सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।।
सेवकु सो जो करै सेवकाई।
अरिकरनी करि करिअ लराई।
सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा।
सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।।
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा।
न त मारे जैहहिं सब राजा।।
सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने।
बोले परसुधरहि अवमाने॥
बहु धनुही तोरी लरिकाईं।
कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाई।।
येहि धनु पर ममता केहि हेतू।
सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू।।
(क) परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम ने उनसे क्या कहा?
(i) धनुष तोड़ने वाला कोई राजकुमार है
(ii) घनुष तोड़ने वाला आपका कोई सेवक होगा
(iii) धनुष तोडने वाला आपका कोई मित्र होगा
(iv) यह धनुष अपने आप दूट गया
उत्तर :
(ii) धनुष तोड़ने वाला आपका कोई सेवक होगा परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम ने उनसे कहा कि धनुष तोड़ने वाला आपका कोई सेवक होगा।
(ख) स्वयंवर में जो धनुष टूट गया था, वह किसका था?
(i) राजा जनक का
(ii) राम जी का
(iii) विष्णु जी का
(iv) परशुराम जी के आराध्य शिवजी का
उत्तर :
(iv) परशुराम जी के आराध्य शिवजी का स्वयंवर में जो धनुष टूट गया था, वह परशुराम जी के आराध्य शिवजी का था। अपने आराध्य का धनुष टूटने के कारण परशुराम क्रोधित हो गए थे।
(ग) शिव-धनुष टूटने पर परशुराम क्रोधित क्यों हुए?
(i) परशुराम शिव-भक्त थे और उन्हें शिव-धनुष प्रिय था
(ii) उन्हें सीता-स्वयंवर में आमंत्रित नहीं किया गया था
(iii) वे क्षत्रिय कुल के विद्रोही थे
(iv) परशुराम जी क्रोधी स्वभाव के थे
उत्तर :
(i) परशुराम शिक-भक्त थे और उन्हें शिक्धनुष प्रिय था शिव-धनुष टूटने पर परशुराम क्रोधित इसलिए हो गए थे, क्योंकि परशुराम जी शिक-भक्त थे और उन्हें शिव-धनुष प्रिय था। प्रिय वस्तु के टूटने पर क्रोध आना स्वाभाविक है। वे इस धनुष को कोई सामान्य धनुष नहीं समझते थे।
(घ) ‘सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू’ इस पंक्ति में ‘भृगुकुलकेतू’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
(i) लक्ष्मण के लिए
(ii) राजा जनक के लिए
(iii) परशुराम के लिए
(iv) विश्वामित्र के लिए
उत्तर :
(iii) परशुराम के लिए प्रस्तुत पंक्ति में ‘ भृगुकुलकेतू ‘ शब्द का प्रयोग परशुराम के लिए किया गया है। भृगुकुलकेतू का अर्थ है- भृगुवंश के पताका रूप परशुराम।
(ङ) शिव-थनुष तोड़ने वाले की तुलना परशुराम ने किससे की है?
(i) अपने शत्रु कर्ण से
(ii) अपने शत्तु सहसबाहु से
(iii) अपने शत्रु वशिष्ठ मुनि से
(iv) अपने शत्तु राजा जनक से
उत्तर :
(ii) अपने शत्रु सहग्रबाहु से शिय-थनुष तोड़ने वाले की तुलना परशुराम ने अपने शत्रु सहख्रबाहु से की है। परशुराम जी कहते हैं कि हे राम! मेरी बात सुनो जिसने भगवान शिव के इस धनुष को तोड़ा है, वह सहसबाहु के समान मेरा शतु है। वह इस समाज को छोड़कर शीघ ही अलग हो जाए।
प्रश्न 10.
पाठ्यपुस्तक में निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित दो प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए-
(1 × 2 = 2)
(i) “दंतुरित मुसकान’ कविता में कवि को शिशु का धूल-धूसरित शरीर प्रतीत होता है-
(क) स्नान करवाने योग्य।
(ख) वस्त्र-आभूषण से सजाने योग्य ।
(ग) खिले हुए सुंदर कमल के समान।
(घ) मिट्टी से सने हुए पौधे के समान।
उत्तर:
(ग) खिले हुए सुंदर कमल के समान।
व्याख्यात्मक हलः
कवि को शिशु का धूल से सना शरीर खिले हुए सुंदर कमल के समान लग रहा है।
(ii) संगतकार पाठ के अनुसार संगतकार की मुख्य विशेषता क्या होती है?
(क) उसकी मानवीयता
(ख) उसकी कलात्मक श्रेष्ठता
(ग) उसकी प्रतिभा प्रदर्शन की आकांक्षा
(घ) उसकी आत्म मुग्धता
उत्तर:
(क) उसकी मानवीयता
व्याख्यात्मक हल:
संगतकार की मुख्य विशेषता उसकी मानवींयता होती है क्योंकि वह कभी भी मुख्य गायक के स्वर से ऊँचा अपना स्वर नहीं ले जाता और मुख्य गायक के स्वर में अपना स्वर मिलाकर उसे और उपयुक्त बनाता है।
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 11.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में जब मूर्ति बनाने का कार्य किसी स्थानीय कलाकार को देने का निश्चय हुआ होगा, तो मास्टर मोतीलाल ने लोगों को क्या विश्वास दिलाया होगा? उन्होंने ‘पटक देना’ शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया?
उत्तर :
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में जब मूर्ति बनाने का कार्य किसी स्थानीय कलाकार को देने का निश्चय हुआ होगा, तो मास्टर मोतीलाल ने लोगों को विश्वास दिलाया होगा कि महीने भर में वह मूर्ति बनाकर ‘पटक’ देगा। उन्होंने ‘पटक देना’ शब्द का प्रयोग इसलिए किया कि वह जैसे भी हो, किसी भी प्रकार की व्यवस्था करके मूर्ति को महीने भर में बनाकर नगरपालिका को सौंप देंगे।
(ख) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के लेखक को कल्पना करते रहने की पुरानी आदत क्यों रही होगी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक को कल्पना करते रहने की पुरानी आदत इसलिए रही होगी, क्योंकि वह एक कहानीकार था और नई-नई कल्पनाएँ करते हुए अनेक कहानियों की रचना कर चुका था। अपनी इसी आदत के कारण वह नवाब साहब की आँखों में आए असंतोष के भाय के कारण को जानने की कोशिश करने लगा।
(ग) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के आधार पर बताइए कि आषाढ़ माह में गाँव के वातावरण में क्या परिवर्तन होते थे?
उत्तर :
आषाढ़ का महीना आते ही बारिश शुरू हो जाती थी। ठंडी हवाएँ चलने लगती थीं, चारों ओर हरियाली छाने लगती थी एवं फसलें लहलहाने लगती थीं। खेतों में पानी भर जाने से किसान धान की रोपाई करने लगते थे एवं प्रत्येक व्यक्ति प्रसन्न हो जाता था। वर्षा के कारण मौसम अच्छा हो जाने से मनुष्य, पशु और पक्षी सभी प्रसन्न हो उठते थे। इसी बीच त्योहार भी शुरू हो जाते थे, जिससे वातावरण में खुशी-ही-खुशी दिखाई देने लगती थी, इसलिए गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ माह के शुरू होते ही उल्लास से भर जाता था।
(घ) ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखिका के मन में उपजी हीनता की ग्रंथि का क्या परिणाम हुआ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पिता द्वारा लेखिका की अपनी बहन सुशीला से तुलना करने का यह दुष्परिणाम हुआ कि उसने लेखिका के मन में हीन-भावना भर दी। प्रतिष्ठा, सम्मान और नाम पाने के बाद भी उस हीन-भावना ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। जब कोई उसकी प्रशंसा करने लगता है, तो वह संकोच से स्वयं को लज्जित अनुभव करने लगती और उसे अपनी उपलब्धि पर हमेशा शंका ही बनी रहती।
प्रश्न 12.
निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित 4 प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रशनों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए-
(2 × 3 = 6)
(i) गोपियों ने श्रीकृष्ण के प्रति अपने एकनिष्ठ प्रेम को किन उदाहरण के द्वारा स्पष्ट किया है ?
उत्तर:
- स्वयं को हारिल पक्षी व श्रीकृष्ण को लकड़ी की भाँति बताया है। हारिल पक्षी की भाँति ही वे श्रीकृष्ण के प्रति पूर्ण रूप में समर्पित हैं।
- वे श्रीकृष्ण को कभी अपने आप से अलग नहीं होने देना चाहती हैं।
(ii) “साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है।’ इस कथन पर “राम लक्ष्मण परशुराम संवाद’ पाठ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
- वह किसी परिस्थिति में हार नहीं मानेगा
- दूसरों को आदर करना सिखाती है
- विनम्र व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों को आसानी से सँभाल पाता है पाठ में आए राम और लक्ष्मंण के व्यक्तित्व के उदाहरण से स्पष्ट करें।
व्याख्यात्मक हलः
साहस और शक्ति के साथ विनग्र होना योद्धा का एक विशेष गुण माना जाता है। जो कार्य साहस और शक्ति से नहीं किए जा सकते उन्हें व्यक्ति के अन्दर निहित विनम्रता का गुण बड़ी सरलता और सहजता से कर लेता है जैसे परशुराम जी के क्रोधी स्वभाव को शांत करने के लिए श्री राम के विनम्र और जल के समान शीतल स्वभाव की आवश्यकता थी।
(iii) आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में “अभी समय भी नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर:
- कवि अपने मन में दबे हुए कष्टों को याद करके दुःख्री नहीं होना चाहता है,
- उसका जीवन संघर्षों से भरा पड़ा है।
- कवि अपने अभावग्रस्त जीवन के दुःखों को खुद तक सिमित रखना चाहते हैं।
- शिक्षार्थी अपने मतानुसार लिखेंगे
(iv) फसल “हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा’ किस प्रकार है? विचार कीजिए।
उत्तर:
किसानों द्वारा निरंतर परिश्रम और देखभाल के फलस्वरूप फ़सलों का/लहलहाना।
व्याख्यात्मक हल:
‘फुसल बिना पानी के न तो उग सकती है, न बढ़ सकती है इसमें किसानों के परिश्रम तथा उनके हाथों के श्रम के साथ-साथ बीज-खाद व मिट्टी का भी योगदान होता है यदि ये सब नहीं होंगे तो बीज का न तो अंकुर बनेगा, न फ़ुसल और न दाना, अत: फ़सल इनकी गरिमा एवं महिला के साथ-साथ किसानों के परिश्रम का फल है।
प्रश्न 13.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50 -60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) अपने बच्चों के प्रति माँ का ममत्व उनके प्रत्येक क्रिया-कलाप से झलकता है। भोलानाथ की माँ उसके भरपेट खाना खाने के बाद भी उसे थोड़ा और खिलाने का हठ करती थी। ‘माता का अँचल’ अध्याय में आए भोजन खिलाने वाले इस प्रसंग का उदाहरण देते हुए अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
भोलानाथ के भरपेट खाना खाने के बाद भी उसकी माँ उसे थोड़ा और खिलाने का हठ करती थी। वह उसके बाबूजी से कहती थी कि आप तो चार-चार दाने के कौर बच्चे के मुँह में देते जाते हो, इससे वह थोड़ा खाने पर भी यह समझ लेता है कि बहुत खा चुका। आप खिलाने का ढंग नहीं जानते। बच्चे को भर-मुँह कौर खिलाना चाहिए। मॉ के हाथ से खाने पर ही बच्चों का पेट भरता है। माँ के ऐसे व्यवहार से स्पष्ट होता है कि वह अपने बच्चे के प्रति अत्यधिक ममत्व (ममता) का भाव रखती है।
(ख) लोंग स्टॉक पर घूमते चक्र के बारे में पूछा तो यह बताया कि यह चक्र है इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। इससे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखी? ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर :
लोंग स्टोंक के घूमते चक्र के बारे में जितेन ने बताया कि यह ‘धर्म चक्र’ है, इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। लेखिका को लगा कि मैदानी क्षेत्र में भी ऐसी अनेक मान्यताएँ और विश्वास प्रचलित हैं; जैसे-गंगा नदी को पतितपावनी माना जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि मैदान हो या पहाड़, वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी है। यहां के लोगों की आस्थाएँ, अंधविश्वास, पाप-पुण्य की अकधारणाएँ और कल्पनाएँ एक जैसी हैं।
(ग) लेखन से जुड़े कलाकारों को बाहरी दबाव प्रभावित करता है। क्या यह अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करता है? ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बाहरी दबाव सभी प्रकार के कलाकारों को प्रभावित करते हैं। उदाहरणतः अधिकतर गायक, नर्तक, अभिनेता, कलाकार आदि अपने दर्शकों, भोताओं, आयोजकों की मोंग पर कला-प्रदर्शन करते हैं। एक चित्रकार या मूर्तिकार जब किसी दूसरे चित्रकार अथवा मूर्तिकार को देखता है, जिसे सम्मान और आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता दिखाई देता है, तो वह भी प्रभायित होकर अपनी प्रतिभा को दर्शाने का प्रयत्न और उसका व्यवसायीकरण करता है। फिल्म कलाकर को भी अकसर पूँजीपतियों एवं राजनीतिक नेताओं के दबाव में कार्य करते देखा गया है। आज स्तरहीन श्रोताओं व दर्शकों की माँग पर मंच पर फूहड़ संगीत व अभिनय परोसने वाले कलाकारों की भी कमी नहीं है।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर 20 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए-
(6 × 1 = 6)
(i) स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव
अमृत महोत्सव का अर्थ, इस महोत्सव में होने वाले समारोह, इस महोत्सव का महत्त्व
उत्तर:
आजादी का अमृत महोत्सव का अर्थ है’ स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करना।’ भारत के प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने इस अभियान का प्रारम्भ 12 मार्च, 2021 को किया था। यह महोत्सव 5 अगस्त, 2023 तक चलता रहेगा। इस पहल का उद्देश्य भारत के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों और उपलब्धियों के बारे में आम लोगों को जागरुक करना है। यह सरकार के द्वारा की गई पहल है। यह महोत्सव आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर जोर देता है तथा भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी छिपी प्रतिभा और क्षमताओं को खोजने के लिए प्रोत्साति करता है। इसका उद्देश्य है कि लोग भारत को बेहतर बनाने में अपना योगदान दें । यह महोत्सव उन स्वतंत्रता सेनानियों व गुमनाम नायकों को समर्पित है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी । विचार उपलब्धियाँ और संकल्प, भारत को समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और गुमनाम नायकों के बारे में जानना है।
(ii) भाग्य और पुरुषार्थ
आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है, भाग्यवादी व्यक्ति उदासीन रहता है, परिश्रमी व्यक्ति अपने भाग्य को बदल लेता है
उत्तर:
आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है क्योंकि आलस्य मनुष्य को कभी भी जीवन में आगे नहीं बढ़ने देता है। आलस्य मनुष्य को इतना निकम्मा बना देता है कि उसे मेहनत करने से घृणा हो जाती है। वह किसी भी अवस्था में परिश्रम नहीं करना चाहता और सदैव आराम ‘की अवस्था में ही रहना चाहता है तथा वह भाग्य के भरोसे रहता है। उसे जीवन में जो भी सुख या दु:ख प्राप्त होते हैं वह उन्हें अपना भाग्य समझकर सहर्ष स्वीकार कर लेता है। संसार में दो प्रकार के लोग होते हैं पहले भाग्यवादी और दूसरे पुरुषार्थवादी | पहले प्रकार के लोग अपने जीवन की सफ़लता और विफलता को भाग्य पर छोड़ देते हैं वहीं दूसरे प्रकार के लोग अपने भविष्य का निर्माण करना अपना पुरुषार्थ मानते हैं वे परिश्रम को ही सफ़लता की कुँजी मानते हैं। यदि परिश्रमी व्यक्ति किसी कार्य को करने में असफ़ल भी होता है तो वह उस कार्य को छोड़ने की बजाए पुन: अधिक परिश्रम के साथ करने का प्रयास करता है और तब तक प्रयास करता रहता है जब तक वह उस कार्य को करने में सफ़ल नहीं हो जाता अत: मनुष्य को भाग्य के भरोसे न रहकर परिश्रम के साथ अपना जीवन निर्वाह करना चाहिए।
(iii) पर्वतीय स्थल की यात्रा
प्राकृतिक सौंदर्य, यात्रा वर्णन, सांस्कृतिक महत्त्व
उत्तर:
सोलन, जोकि हिमालय प्रदेश में स्थित है। यह शिमला से पहले पड़ता है। शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। सोलन एक प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल है। गत वर्ष मुझे सोलन घूमने का अवसर मिला। सोलन हिमालय श्रृंखला के निचले भाग में बसा हुआ है। पर्वतीय स्थल
होने के कारण यहाँ का मौसम भी बड़ा सुहावना होता है। यहाँ के पर्वतों पर पहुँचकर मुझे ऐसा लगा मानों मैं प्रकृति की गोद में आ गई हूँ। शांत और मनमोहन वातावरण से मेरे अन्दर एक स्फूर्ति-सी आ गई थी।
शीत ऋतु होने के कारण, मेरी यात्रा के दौरान मैंने बर्फ़ को गिरते हुए भी देखा। तापमान बहुत कम था ऐसे में भ्रमण करना बहुत रोमांचक था। यहाँ के पर्वतों पर पहुँचकर मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं प्रकृति की गोद में बैठी हूँ। वहाँ पर कुछ छोटे व कुछ बड़े पहाड़ों ने मेरे मन की मोहित कर लिया था। इसके बाद हम आगे शिमला चले गए जहाँ पहुँचकर हम शिमला के प्रसिद्ध स्थान रिज पर गए जोकि बहुत ऊँचाई पर स्थित है। वहाँ पर शाम के समय सैनानियों का जमावाड़ा लग जाता है। शिमला का जाखू पर्वत भी काफ़ी लोकप्रिय है वहाँ ‘एक हनुमान मंदिर भी है जिसमें एक बहुत ऊँची प्रतिमा स्थित है। सोलन व शिमला की यात्रा मेरे जीवन की सबसे यादगार यात्राओं में से एक थी जिसमें मुझे प्रकृति और पर्वतों से जुड़े का अवसर मिला।
प्रश्न 15.
किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।
आप गार्गी सिन्हा हैं। आपके शहर में उद्योग-धंधों की चिमनियों से निकलने वाले धुएँ एवं कोयले की राख से दम घुटता है। इस बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराने हेतु किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के संपादक को एक समाचार प्रकाशित करने का अनुरोध करते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
अथवा
आप अंकित पाराशर हैं। आप अपने मित्र को अनुशासन का हमारे जीवन में कितना महत्त्व है, समझाते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
सहारनपुर।
दिनांक 12 मार्च, 20XX
सेवा में,
संपादक महोदय
दैनिक जागरण,
दिल्ली रोड,
सहारनपुर।
विषय उद्योग-धंधों के कारण बढ़ते प्रदूषण के विषय में।
महोदय,
में आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से जनता, अधिकारियों तथा सरकार का ध्यान शहरों में कल-कारखानों के कारण होने वाले प्रदूषण की ओर आकर्षित कराना चाहती हूं। आशा है कि आप मेरे पत्र को अपने प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में प्रकाशित करेंगे। आज के आधुनिक युग में उद्योग-धंधों का प्रसार हो रहा है। इनकी चिमनियों से निकलने वाले धुएँ के कारण वायुमंडल में प्रदूषण की मात्रा बहुत बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त औच्योगिक केंट्रों से, मशीनों से निकलने वाले कचरे से भी वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रदूषण चाहे कैसा भी हो, स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। वायुमंडल में शुद्ध वायु की कमी विभिन्न रोगों को जन्म देती है। हमारे शहर के चारों ओर स्थित अनेक उद्योग-धंधों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ तथा कोयले की राख आस-पास के निवासियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे है।
मेरा मुख्यमंत्री, ज़िलाधीशों तथा प्रदूषण विभाग के अधिकारियों से विनम्र अनुरोध है कि वे इस ओर ध्यान दें तथा इस संबंध में आवश्यक एवं कठोर कदम उठाएँ, जिससे समस्या का उचित समाधान हो सके।
भवदीया
गार्गी सिन्हा
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 18 नवंबर, 20xx
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्कार!
में यहीं सकुशल हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी कुशल होंगे। अनुशासन का हमारे जीवन में कितना महत्त्व है, यह कल मैंने प्रत्यक्ष अनुभव किया। इसी संदर्भ में, में तुर्हें यह पत्र लिख रहा हूँ। कल में पानी का बिल जमा करने की लाइन में खड़ा था। वहाँ पर शिक्षित व्यक्तियों ने ऐसा आचरण किया, जिसे देखकर किसी अनपद़ व्यक्ति को भी शर्म आ सकती है। उन्होंने अनुशासन को ध्यान में न रखते हुए बिल जमा करने वाली लाइन को ध्वस्त कर दिया और बिना किसी नियम के बिल जमा करने की ज़िद करने लगे। मित्र, मुझे लगता है कि जीवन में अनुशासन का बहुत महत्त्व है। इसके लिए पहले स्वर्य को ही अनुशासित करना होगा। अनुशासन के महत्त्व को प्रकृति तथा पेड़-पौधों में भी देखा जा सकता है। दिन और रात का क्रम लगातार चलता रहता है। समय पर ही ॠतुओं का परिवर्तन होता है। पेड़पौों में समयानुसार ही फल-फूल आते हैं। यदि प्रकृति नियम और अनुशासन न माने, तो भीषण अकाल तथा अन्य प्राकृतिक आपदाएँ आ सकती हैं। अनुशासन न मानने वाला व्यक्ति समाज में कुछ नहीं कर सकता। तुम भी मेरी इस बात से सहमत होंगे।
बाकी सब कुशल मंगल है। घर पर सभी बड़ों को मेरा अभिवादन और छोटों को प्यार कहना।
तुम्हारा मित्र
अंकित पाराशर
प्रश्न 16.
आपका नाम सुनीता/सुरेश है। आप राजेन्द्र नगर के निवासी हैं। दैनिक समाचार पत्र से पता चला है कि स्थानीय राजकीय माध्यमिक विद्यालय में पुस्तकालय अध्यक्ष का पद रिक्त है। आप उक्त पद की योग्यता (बी. लिब./पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक) को धारणा करते हैं। उक्त रिक्त पद हेतु राजकीय माध्यमिक विद्यालय के विद्यालय प्रमुख को भेजने हेतु लगभग 80 शब्दों में अपना एक संक्षिप्त स्ववृत्त लिखिए।
(5 × 1 = 5)
उत्तर:
सेवा में,
विद्यालय प्रमुख
राजकीय माध्यमिक विद्यालय
नई दिल्ली
विषय: राजकीय माध्यमिक विद्यालय में पुस्तकालय अध्यक्ष के पद हेतु आवेदन
महोदय,
मैंने दैनिक जागरण अखबार में राजकीय माध्यमिक विद्यालय का एक विज्ञापन देखा, जिसमें राजकीय माध्यमिक विद्यालय में पुस्तकालय अध्यक्ष के लिए पद रिक्त है। इस पद हेतु मैं अपना आवेदन पत्र आपकी सेवा में प्रेषित कर रहा हूँ। इसके साथ मेरा स्ववृत्त निम्नलिखित है-
नाम : नरेंद्र कुमार
पिता कानाम : सुरेश कुमार
माँकानाम : सविता
जन्म तिथि : 18 नवंबर, 982
वर्तमान पता : डी 72, पाकेट चार, मयूर विहार (फ्रेज एक), दिल्ली 110092
स्थायी पता : उपरोक्त
टेलीफोन न : 011 – 22718296
मोबाइल नं. : 98682348XX
ई-मेल :
[email protected]
शैक्षणिक योग्यताएँ-
अन्य सम्बन्धित योग्यताएँ-
1. कंप्यूटर का अच्छा ज्ञान और अभ्यास
2. अंग्रेज़ी भाषा का अंग्रेज़ी ज्ञान
कार्येत्तर गतिविधियाँ और अभिरुचियाँ-
1. उद्योग व्यापार संबंधी पत्रिकाओं और अखबारों का नियमित पाठन
2. देश भ्रमण का शौक
3. क्रिकेट और फुटबॉल में अभिरुचि
उद्धोषणा
मैं प्रमाणित करता हूँ कि उपर्युक्त सभी सूचनाएँ सत्य हैं।
तिथि
स्थान
हस्ताक्षर
अथवा
आपका नाम सुनीता/सुरेश है। आप राजेन्द्र नगर के निवासी हैं। पिछले कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति अव्यवस्थित है। अपने क्षेत्र में अनियमित विद्युत आपूर्ति की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए राज्य विद्युत आपूर्ति निगम के महानिदेशक के नाम लगभग 80 शब्दों में एक शिकायती ई-मेल लिखिए। हि
उत्तर:
From:
[email protected]
To:
[email protected]
Cc:
[email protected]
दिनांक: 27-03-20XX
BCC:…….
‘विषय- विद्युत आपूर्ति अव्यवस्थित होने के सन्दर्भ में
महोदय,
निवेदन है कि हम राजेन्द्र नगर के निवासी अभियमित विद्युत आपूर्ति से बहुत परेशान हैं। हमरे क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति अव्यवस्थित है जिस कारण हम सब लोगों को बहुत असुविधा हो रही है। इस समय बच्चों की भी वार्षिक परीक्षाएँ चल रही हैं और अध्ययन के लिए पर्याप्त रोशनी चाहिए। प्रतिदिन शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक के लिए विद्युत की कटौती की जा रही है जिसका प्रभाव बच्चों की परीक्षाओं पर पड़ रहा है।
कई बार शिकायत करने के बाद भी आपके विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है अत: मेरा आपसे निवेदन है कि आप इस समस्या का समाधान करने कौ कृपा करें।
धन्यवाद
सुरेश
Mol: 8447070XXX
अथवा
प्रश्न 17.
आपके चाचा जी ने मिठाई की दुकान खोली है। वे प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय समाचार-पत्र में उसका विज्ञापन देना चाहते हैं। आप उनके लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आप पारूल गर्ग हैं। आपके क्षेत्र में जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण लीला का आयोजन हो रहा है। इस अवसर पर लगभग 40 शब्दों में जन्माष्टमी के आयोजन संबंधी संदेश लिखिए।
उत्तर :
अथवा
जन्माष्टमी के आयोजन संबंधी संदेश
दिनांक 12 अगस्त, 20XX
समय 6:00 बजे सायं : से 12:00 बजे रात्रि तक
प्रिय क्षेत्रवासियों
आपको यह बताते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है कि हमारे क्षेत्र सिद्धार्थ नगर के मंदिर में 12 अगस्त को जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण लीला कार्यक्रम तथा दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें छोटे-छोटे बच्चे राधा कृष्ण बनकर अपनी कला को प्रस्तुत करेंगे। इस कार्यक्रम के उपरांत विजेता टीम को उचित इनाम दिया जाएगा। इस दिव्य आयोजन में आप सभी भक्तजन सादर आमंत्रित हैं।
समस्त गर्ग परिवारजन (आयोजक)