CBSE Class 9 Hindi A लेखन कौशल निबंध लेखन
1. स्वच्छ भारत अभियान
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- भूमिका
- स्वच्छता अभियान की आवश्यकता
- स्वच्छ भारत अभियान
- अभियान की शुरुआत
- उपसंहार
2. भारत का मंगल अभियान
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- भूमिका
- मंगल अभियान-एक सफलता
- मंगलयान का सफ़र
- दुनिया का सबसे सस्ता मिशन
- भारत की मज़बूत वैश्विक स्थिति
- मंगलग्रह की पहली तसवीर
- उपसंहार
3. प्रदूषण के कारण और निवारण
अथवा
प्रदूषण की समस्या
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- भूमिका
- हमारा जीवन और पर्यावरण
- पर्यावरण प्रदूषण के कारण
- प्रदूषण के प्रकार और परिणाम
- प्रदूषण रोकने के उपाय
- उपसंहार
True
1. वायु प्रदूषण-जिस प्राणवायु के बिना जीवधारी कुछ मिनट भी जीवित नहीं रह सकते, वही सर्वाधिक विषैली एवं प्रदूषित
हो चुकी थी। इसका कारण वैज्ञानिक आविष्कार एवं बढ़ता औद्योगीकरण है। इसके अलावा धुआँ उगलते अनगिनत वाहनों में निकलने वाला जहरीला धुआँ भी वायु को विषैला बना रहा है। उसी वायु में साँस लेने से स्वाँसनली एवं फेफड़ों से संबंधित अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं जो व्यक्ति को असमय मौत के मुंह में ढकेल देती हैं।
2. जल प्रदूषण-औद्योगिक इकाइयों एवं कलकारखानों से निकलने वाले जहरीले रसायन वाले पानी जब नदी-झीलों एवं विभिन्न
जल स्रोतों में मिलते हैं तो निर्मल जल जहरीला एवं प्रदूषित हो जाता है। इसे बढ़ाने में घरों एवं नालों का गंदा पानी भी एक कारक है। इसके अलावा नदियों एवं जल स्रोतों के पास स्नान करना, कपड़े धोना, जानवरों को नहलाना, फूल-मालाएँ एवं मूर्तियाँ विसर्जित करने से जल प्रदूषित होता है, जिससे पेट संबंधी बीमारियाँ होती हैं।
3. ध्वनि प्रदूषण-सड़क पर दौड़ती गाड़ियों के हार्न की आवाजें आकाश में उड़ते विमान का शोर एवं कारखानों में मोटरों की
खटपट के कारण ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। ध्वनि प्रदूषण के कारण ऊँचा सुनने, उच्च रक्तचाप तथा हृदय संबंधी बीमारियाँ बढ़ी हैं।
4. भ्रष्टाचार-एक गंभीर समस्या
अथवा
भ्रष्टाचार-कारण और निवारण
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- भूमिका
- भ्रष्टाचार का अर्थ
- भ्रष्टाचार के कारण
- भ्रष्टाचार के परिणाम
- भ्रष्टाचार रोकने के उपाय
- उपसंहार
5. प्रगति के पथ पर बढ़ता भारत
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- भूमिका
- शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति
- चिकित्सा क्षेत्र में प्रगति
- रेलवे क्षेत्र में प्रगति
- अंतरिक्ष कार्यक्रम में प्रगति
- फ़िल्म क्षेत्र में प्रगति
- उपसंहार
6. व्यायाम का महत्त्व
अथवा
व्यायाम एक-लाभ अनेक
– –
- भूमिका
- पुरुषार्थ प्राप्ति के लिए आवश्यक
- व्यायाम के लाभ
- व्यायाम का उचित समय
- ध्यान रखने योग्य बातें
- उपसंहार
7. अभ्यास का महत्त्व
अथवा
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
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- भूमिका . अभ्यास की आवश्यकता
- अभ्यास और पशु-पक्षियों का जीवन
- सफलता का साधन-अभ्यास
- विद्यार्थी और अभ्यास
- उपसंहार
8. समय का महत्त्व
अथवा
समय चूकि वा पुनि पछताने
– –
- भूमिका
- समय सदा गतिमान
- समय बड़ा बलवान
- समय का पालन करती प्रकृति
- विद्यार्थी और समय का सदुपयोग
- उपसंहार
9. जनसंख्या विस्फोट
अथवा
जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएँ
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- भूमिका
- भारत में जनसंख्या की स्थिति
- जनसंख्या वृद्धि के कारण
- जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएँ
- जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय
- उपसंहार
10. बढ़ती महँगाई-एक विकट समस्या
अथवा
महँगाई की समस्या
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- भूमिका
- महँगाई के दुष्परिणाम
- सामाजिक समरसता के लिए घातक
- महँगाई वृद्धि के कारण
- महँगाई रोकने के उपाय
- उपसंहार
True
11. अच्छा पड़ोस
अथवा
अच्छा पड़ोस कितना आवश्यक
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- भूमिका
- पड़ोसी का महत्त्व
- पड़ोसी से हमारा व्यवहार
- पड़ोसी से व्यवहार खराब होने के कारण
- महानगरों का पड़ोस
12. आधुनिक समाज में नारी
अथवा
समाज में नारी की बदलती भूमिका
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- भूमिका
- प्राचीन काल में नारी की स्थिति
- मध्यकाल में नारी की स्थिति
- आधुनिक काल में नारी
- नारी में बढ़ी आत्मनिर्भरता
13. कंप्यूटर के लाभ
अथवा
कंप्यूटर-आज की आवश्यकता
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- भूमिका
- कंप्यूटर-एक बहुउपयोगी यंत्र
- शिक्षण कार्यों में कंप्यूटर
- बैंकों में कंप्यूटर
- विभिन्न कार्यालयों में कंप्यूटर
- व्यक्तिगत उपयोग
- कंप्यूटर से हानियाँ
- उपसंहार
14. भारत का प्राकृतिक सौंदर्य
अथवा
दुनिया से न्यारा देश हमारा
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- भूमिका
- पावन एवं गौरवमयी देश
- प्राकृतिक सौंदर्य
- ऋतुओं का अनुपम उपहार
- स्वर्ग से भी बढ़कर
- उपसंहार
ऊधौ! मोहि ब्रज बिसरत नाहीं।
हंससुता की सुंदर कगरी और कुंजन की छाहीं।
भगवान राम ने भी अयोध्या की सुंदरता के बारे में कहा है –
अरुण यह मधुमय देश हमारा,
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
15. लड़कियों की संख्या में आती कमी
अथवा
गिरता लिंगानुपात
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- भूमिका
- महिलाओं की संख्या में आती गिरावट
- आर्थिक संपन्नता और लिंगानुपात में विपरीत संबंध
- कमी आने का कारण
- सुधार के उपाय
- उपसंहार
16. बाल मजदूरी-एक अभिशाप
अथवा
बच्चों का छिनता बचपन-बालश्रम
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- भूमिका
- समस्या का स्वरूप
- घर में बालश्रम
- कारखानों-उद्योगों में बालश्रम
- बाल मजदूरी क्यों?
- बाल मजदूरी के दुष्परिणाम
- रोकने के उपाय
- उपसंहार
17. दहेज प्रथा-एक समस्या
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- भूमिका
- प्राचीन काल में दहेज प्रथा
- दहेज प्रथा का वर्तमान स्वरूप
- दहेज प्रथा एक अभिशाप
- कुप्रथा को रोकने का उपाय
- उपसंहार
[
18. बस्ते का बढ़ता बोझ
अथवा
बचपन पर हावी बस्ते का बोझ
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- भूमिका
- पुस्तकों का महत्त्व
- बस्ते का बढ़ता बोझ
- कम करने के उपाय
- उपसंहार
19. विद्यार्थी और अनुशासन
अथवा
विद्यार्थियों में बढ़ती अनुशासनहीनता
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- भूमिका
- अनुशासन का अर्थ
- अनुशासन का महत्त्व
- विद्यार्थियों में बढ़ती अनुशासनहीनता
- अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम
- अनुशासनहीनता रोकने के उपाय
- उपसंहार
20. सच्चा मित्र
अथवा
जीवन में मित्र की आवश्यकता
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- भूमिका
- मित्र-एक अनमोल धन
- सच्चे मित्र की पहचान
- सच्ची मित्रता के उदाहरण
- उपसंहार
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छोड़त छोह।
सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय ही होती है। कवि रहीम ने कहा है –
कह रहीम संपत्ति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
विपति कसौटी जे कसे. तेईं साँचे मीत।।
कवि तुलसीदास ने भी कहा है कि विपत्ति के समय में मित्र की परीक्षा करनी चाहिए –
आपतिकाल परखिए चारी। धीरज, धरम, मित्र, अरु नारी।।
जे न मित्र दुख होंहि दुखारी।
तिनहिं बिलोकत पातक भारी।।
21. श्रम-सफलता का साधन
अथवा
सफलता का मूलमंत्र-श्रम
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- भूमिका
- परिश्रम की आवश्यकता
- परिश्रम-सफलता का मूलमंत्र
- महापुरुषों की सफलता का राज़
- विद्यार्थी जीवन और परिश्रम
- उपसंहार
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
नहि सुप्तस्य सिंहस्य मुखे प्रविशन्ति मृगाः।।
विद्या धन उद्यम बिना कहो जु पावे कौन।।
बिना डुलाए न मिले, ज्यों पंखा की पौन।।
विद्यार्थी जीवन और परिश्रम – विद्यार्थी जीवन, जीवन के निर्माण का काल होता है। इस समय जो छात्र परिश्रम करने की आदत डाल लेते हैं, वे हर कक्षा में अच्छे ग्रेड हासिल करते हैं और सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते जाते हैं। इसके विपरीत जो छात्र आलस करते हैं, वे हर चीज़ गँवाते जाते हैं। तभी तो कहा गया है –
अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम्
अधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतो सुखम्।
22. दूरदर्शन का बढ़ता प्रभाव
अथवा
ज्ञान और मनोरंजन का भंडार दूरदर्शन
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- भूमिका
- घर-घर तक पहुँच
- विविध कार्यक्रम
- केबल टी.वी. और दूरदर्शन का मेल
- फूहड़ कार्यक्रमों का समाज पर असर
- उपसंहार
23. मोबाइल फ़ोन-सुविधा का खजाना
अथवा
मोबाइल फ़ोन-कितना सुखद कितना दुखद
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- भूमिका
- संचार में क्रांतिकारी बदलाव
- मोबाइल फ़ोन कितना सुविधाजनक
- मोबाइल फ़ोन सुविधाओं का भंडार
- मोबाइल फ़ोन का दुरुपयोग
- उपसंहार
24. खेलों का महत्त्व
अथवा
जीवन में खेलों का महत्त्व
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- भूमिका
- खेलों के प्रति बदली धारणा
- खेल और स्वास्थ्य
- खेलों के प्रकार
- घर के अंदर खेले जाने वाले खेल
- घर के बाहर खेले जाने वाले खेल।।
25. मेरा प्रिय खेल
अथवा
क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता
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- भूमिका
- क्रिकेट के प्रति जुनून
- क्रिकेट के प्रारूप
26. मेरा प्रिय कवि
अथवा
महाकवि तुलसीदास
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- भूमिका
- जीवन-परिचय
- कवि बनने की प्रेरणा
- कवि की लोकप्रियता
- समाज को देन
- उपसंहार
लाज न आवत आपको, दौरे आयह साथ।
धिक-धिक ऐसो प्रेम को कहा कहौ मैं नाथ ।।
अस्थि चर्म मय देह मम तासो ऐसी प्रीति।
ऐसी जो श्री राम में, होत न तव भवभीति ।।
27.
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• भूमिका
• प्रिय लगने का कारण
• वर्ण्य-विषय
• भाषा एवं छंद
True
सुत वित नारि भवन परिवारा। होहिं जाहिं जग बारंबारा।
अस विचारि जिय जागहुँ ताता। मिलहिं न जगत सहोदर भ्राता।
इसी प्रकार एक राजा को अपनी प्रजा के प्रति कर्तव्य का बोध कराने के लिए तुलसी ने कहा है –
जासु राज निज प्रजा दुखारी। सो नृप अवश नरक अधिकारी।।
28. समाज सुधारक-कबीर
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- भूमिका
- जीवन-परिचय
- शिक्षा-दीक्षा
- रचनाएँ
- समाज सुधार के स्वर
- काव्य की भाषा
- उपसंहार
True
जना ब्राह्मणी विधवा ने था, काशी में सुत त्याग दिया।
तंतुवाय नीरू-नीमा ने पालन कबिरादास किया।।
True
True
True
हिंदू अपनी करै बड़ाई गागर छुअन न देई।
वेस्या के पायन तर सोवे ये देखो हिंदुआई।
उन्होंने मुसलमानों को भी नहीं छोड़ा और कहा –
मुसलमान के पीर औलिया मुरगा-मुरगी खाई।
खाला की रे बेटी ब्याहे, घर में करे सगाई।।
उन्होंने हिंदुओं की आडंबरपूर्ण भक्ति देखकर कहा –
पाहन पूजे हरि मिले, मैं पज पहार।
ताते यह चकिया भली पीसि खाए संसार।।
उन्होंने ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग करने पर मुसलमानों पर प्रहार करते हुए कहा –
काँकर पाथर जोरि के मस्जिद लई बनाय।
ता पर मुल्ला बाँग दे, का बहरा भया खुदाय।।
29. परोपकार
अथवा
वही उदार है परोपकार जो करे
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- भूमिका
- प्रकृति का परोपकारी स्वभाव
- प्रेरणादायक उदाहरण
- उच्चमानवीय गुण
- परोपकार से तात्पर्य
- उपसंहार
वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर।।
30. भारत गाँवों का देश .
अथवा
चले गाँव की ओर
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- भूमिका
- आजादी से पहले गाँवों की स्थिति
- गाँवों की वर्तमान स्थिति
- गाँवों का महत्त्व
- गाँवों में भारतीय संस्कृति का असली रूप
- उपसंहार ।
31. महानगरीय जीवन
अथवा
महानगरीय जीवन की समस्याएँ
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- भूमिका
- शहरों की ओर झुकाव
- शहरों की चकाचौंध
- शहर सुविधा के केंद्र
- शहरी जीवन का सच
- दिखावापूर्ण जीवन
- उपसंहार
32. भारत की ऋतुएँ
अथवा
ऋतुओं का अनोखा उपहार
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- भूमिका
- ग्रीष्म ऋतु
- वर्षा ऋतु
- शरद ऋतु
- शिशिर ऋतु
- हेमंत ऋतु
- वसंत ऋतु
- उपसंहार
33. जीवनदायिनी वर्षा ऋतु
अथवा
वर्षा ऋतु-ऋतुओं की रानी
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- भूमिका
- वर्षा ऋतु का आगमन
- जीवनदायिनी वर्षा
- कवियों की प्रिय ऋतु
- वर्षा ऋतु में प्राकृतिक सौंदर्य
- वर्षा ऋतु में सावधानियाँ
- उपसंहार
बरसत जलद भूमि नियराये।
जथा नवहिं बुधि विद्या पाए।।
रूपसि तेरा घन केशपाश
श्यामल-श्यामल कोमल-कोमल लहराता सुरभित केशपाश।
घन घमंड गरजत घनघोरा।
प्रियाहीन डरपत मन मोरा।।
34. विद्यालय का वार्षिकोत्सव
अथवा
आँखों देखे किसी रंगारंग कार्यक्रम का वर्णन
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- भूमिका
- आयोजन का समय
- कार्यक्रम की तैयारी
- कार्यक्रम का आरंभ
- वार्षिकोत्सव का मुख्य कार्यक्रम
- उपसंहार
35. किसी पर्वतीय स्थल की यात्रा
अथवा
मेरी अविस्मरणीय यात्रा
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- भूमिका
- यात्रा का उद्देश्य
- यात्रा की तैयारी
- रास्ते के मनोरम दृश्य
- पर्वतीय स्थल का वर्णन
- यात्रा से वापसी
- उपसंहार