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CBSE Class 8 Hindi निबंध-लेखन
- विचारात्मक निबंध
- भावनात्मक निबंध
- वर्णनात्मक निबंध
- विवरणात्मक निबंध।
निबंध के अंग
भूमिका –
भूमिका में विषय का परिचय दिया जाता है तथा पाठक को आकर्षित करने के लिए रोचक ढंग से बात कही जाती है।
विस्तार –
यह निबंध का मुख्य अंग है। इसमें विषय से संबंधित विभिन्न बिंदुओं को एक-एक करके क्रमबद्ध ढंग से अनुच्छेदों में बाँटकर प्रस्तुत किया जाता है।
उपसंहार –
यह निबंध का अभिन्न अंग है। इसमें निबंध में कही बातों को सारांश के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
निबंध लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें
- निबंध निर्धारित शब्द सीमा के अंतर्गत ही लिखा गया हो।
- निबंध के वाक्य क्रमबद्ध और सुसंबद्ध होने चाहिए तथा विचार मौलिक हो।
- विषय के अनुकूल सरल या गंभीर भाषाओं का प्रयोग होना चाहिए। वर्तनी का ध्यान रखना।
- विषय को रोचक बनाने के लिए उचित मुहावरों व उदाहरणों का प्रयोग।
- विषय के संबंध में अपने विचार प्रकट करते हुए निबंध का उपसंहार करना चाहिए।
मोबाइल फ़ोन सुविधा या असुविधा
आज के युग को विज्ञान युग कहा जाता है। वैज्ञानिक आविष्कारों ने आज जीवन के हर क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इसीलिए महाकवि दिनकर जी ने कहा है।
पूर्व युग-सा आज का जीवन नहीं लाचार,
आ चुका है दूर वार से बहुत संसार।
यह समय विज्ञान का, सब भाँति पूर्ण समर्थ
खुल गए हैं गूढ़ संसुति के अंमित गुरु अर्थ।
True
कंप्यूटर और दूरदर्शन
पेड़-पौधे और हम
विद्यार्थी जीवन
सफल विद्यार्थी इसी काल में सामाजिक, धार्मिक नैतिक नियमों, आदर्शों व संस्कारों को ग्रहण करता है लेकिन आजकल गुरुकुलशिक्षा प्रणाली नहीं है। आज का विद्यार्थी विद्यालयों में विद्याध्ययन करता है। आज गुरुओं में कठोर अनुशासन का अभाव है। आज शिक्षा का संबंध धने से जोड़ा जाता है। विद्यार्थी यह समझता है कि वह धन देकर विद्या प्राप्त कर रहा है। उसमें गुरुओं के प्रति आदर के भाव की कमी पाई जाती है। साथ ही कर्मठ, कर्तव्यनिष्ठ शिक्षकों का भी अभाव हो गया है। शिक्षा में नैतिक मूल्यों का कोई स्थान नहीं है। इसका उद्देश्य केवल परीक्षा पास करना रह गया है। इन्हीं कारणों से आज का विद्यार्थी अनुशासनहीन, फैशन का दीवाना, पश्चिमी सभ्यता का अनुनायी तथा भारतीय संस्कृति से दूर हो गया है। आदर्श विद्यार्थी के गुणों की चर्चा करते हुए कहा गया है कि-
काक चेष्टा बको ध्यानं श्वान निद्रा तथैव च।
अल्पाहारी गृह त्यागी विद्यार्थिनः पंच लक्षणं ।।
अर्थात् विद्यार्थी को कौए के समान चेष्टावान व जिज्ञासु होना चाहिए। विद्यार्थी को बगुले के समान ध्यान लगाकर अध्ययन में रत रहना चाहिए। उसे कुत्ते की भाँति सोते हुए भी जागरूक रहना चाहिए। इसके लिए उन्हें कुसंगति से बचना चाहिए तथा आलस्य का परित्याग करके विद्यार्थी जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील होना चाहिए।
True
जनसंख्या वृधि एक समस्या
सत्संगति
कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुण तीन।
जैसी संगत बैठिए, तैसो ही फल दीन्ह।।।
True
अच्छी या बुरी संगति व्यक्ति पर प्रभाव अवश्य डालती है। अच्छे मनुष्यों की संगति यदि मनुष्य को सत्मार्ग की ओर अग्रसर करती है तो कुसंगति पतन के गर्त में ढकेल देती है। कागज की कोठरी में कितना भी बुद्धिमान मनुष्य क्यों न जाए, उस पर काजल का कोई न कोई चिहन अवश्य अंकित हो जाता है, ठीक वैसे ही संगति के प्रभाव से बचा नहीं जा सकता। यदि मनुष्य अच्छी संगति में रहता है तो उस पर अच्छे संस्कार पड़ते हैं और यदि उसकी संगति बुरी है तो उसकी आदतें बुरी हो जाती हैं। सत्संगति से व्यक्ति असत्य से सत्य की ओर, कुमार्ग से सुमार्ग की ओर, कुप्रवृत्तियों से सद्प्रवृत्तियों की ओर तथा बुराई से अच्छाई की ओर प्रवृत्त होता है। इसलिए कबीर ने कहा है कि
कबिरा संगति साधु की ज्यों गंधी की बास।
जो कछु गंधी दे नहीं, तो भी बास सुबास ।।
True
True
महानगरों में बढ़ता प्रदूषण
मेरा प्यारा भारत वर्ष
पुस्तकालय
कुशल भारत : सफल भारत
युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए शिक्षा का व्यवसायीकरण बेहद महत्त्वपूर्ण है। उसके साथ ही समाज के अन्य वर्गों जैसे महिलाओं, हाशिए पर पड़े लोगों, आदिवासियों आदि को ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है, जो उनकी विविध एवं विशिष्ट जरूरतों के अनुसार हों। हाशिए पर पड़े अधिकतर वर्गों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने में निरक्षरता एक समस्या हो सकती है,
लेकिन महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने में पारिवारिक मसलों और सामाजिक बंधनों से भी जूझना पड़ सकता है। किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए इन तथ्यों को ध्यान में रखने की ज़रूरत है।
आतंकवाद
संसद पर जब चली गोलियाँ, भारत की आँख खुली रह जाय।
हुए जवान शहीद भारत के, अफ़जल सुरक्षा दिया बढ़ाय।
आँसू बहाए शहीद पत्नियाँ, अफ़जल निश्चित रहा हर्षाय।
हुआ धमाका फिर मुंबई में, सोता भारत फिर-फिर जगजाय।।
वर्तमान शिक्षा और भविष्य
True
लोकतंत्र और चुनाव
बढ़ता जल संकट
True
मेट्रो यात्रा
ग्लोबल वार्मिंग
आधुनिक नारी
नारी के बढ़ते हुए
तानाशाही घटा टोप में
विवश नर अब हेटा है
अरुणिम, क्रोधान्वित, रक्तिम
मुख के भय से नर
रसोई में जा बैठा है।
मेरा प्रिय कवि
अस्थि चर्म मम देहतिय, तामे ऐसी प्रीति।
ऐसी जो श्रीराम में, होती न तो भवभीति ॥
गणतंत्र दिवस
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