• NCERT Solutions
    • NCERT Library
  • RD Sharma
    • RD Sharma Class 12 Solutions
    • RD Sharma Class 11 Solutions Free PDF Download
    • RD Sharma Class 10 Solutions
    • RD Sharma Class 9 Solutions
    • RD Sharma Class 8 Solutions
    • RD Sharma Class 7 Solutions
    • RD Sharma Class 6 Solutions
  • Class 12
    • Class 12 Science
      • NCERT Solutions for Class 12 Maths
      • NCERT Solutions for Class 12 Physics
      • NCERT Solutions for Class 12 Chemistry
      • NCERT Solutions for Class 12 Biology
      • NCERT Solutions for Class 12 Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Computer Science (Python)
      • NCERT Solutions for Class 12 Computer Science (C++)
      • NCERT Solutions for Class 12 English
      • NCERT Solutions for Class 12 Hindi
    • Class 12 Commerce
      • NCERT Solutions for Class 12 Maths
      • NCERT Solutions for Class 12 Business Studies
      • NCERT Solutions for Class 12 Accountancy
      • NCERT Solutions for Class 12 Micro Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Macro Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Entrepreneurship
    • Class 12 Humanities
      • NCERT Solutions for Class 12 History
      • NCERT Solutions for Class 12 Political Science
      • NCERT Solutions for Class 12 Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Sociology
      • NCERT Solutions for Class 12 Psychology
  • Class 11
    • Class 11 Science
      • NCERT Solutions for Class 11 Maths
      • NCERT Solutions for Class 11 Physics
      • NCERT Solutions for Class 11 Chemistry
      • NCERT Solutions for Class 11 Biology
      • NCERT Solutions for Class 11 Economics
      • NCERT Solutions for Class 11 Computer Science (Python)
      • NCERT Solutions for Class 11 English
      • NCERT Solutions for Class 11 Hindi
    • Class 11 Commerce
      • NCERT Solutions for Class 11 Maths
      • NCERT Solutions for Class 11 Business Studies
      • NCERT Solutions for Class 11 Accountancy
      • NCERT Solutions for Class 11 Economics
      • NCERT Solutions for Class 11 Entrepreneurship
    • Class 11 Humanities
      • NCERT Solutions for Class 11 Psychology
      • NCERT Solutions for Class 11 Political Science
      • NCERT Solutions for Class 11 Economics
      • NCERT Solutions for Class 11 Indian Economic Development
  • Class 10
    • NCERT Solutions for Class 10 Maths
    • NCERT Solutions for Class 10 Science
    • NCERT Solutions for Class 10 Social Science
    • NCERT Solutions for Class 10 English
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Sanchayan
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Sparsh
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kritika
    • NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit
    • NCERT Solutions for Class 10 Foundation of Information Technology
  • Class 9
    • NCERT Solutions for Class 9 Maths
    • NCERT Solutions for Class 9 Science
    • NCERT Solutions for Class 9 Social Science
    • NCERT Solutions for Class 9 English
    • NCERT Solutions for Class 9 Hindi
    • NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit
    • NCERT Solutions for Class 9 Foundation of IT
  • CBSE Sample Papers
    • Previous Year Question Papers
    • CBSE Topper Answer Sheet
    • CBSE Sample Papers for Class 12
    • CBSE Sample Papers for Class 11
    • CBSE Sample Papers for Class 10
    • Solved CBSE Sample Papers for Class 9 with Solutions 2023-2024
    • CBSE Sample Papers Class 8
    • CBSE Sample Papers Class 7
    • CBSE Sample Papers Class 6
  • Textbook Solutions
    • Lakhmir Singh
    • Lakhmir Singh Class 10 Physics
    • Lakhmir Singh Class 10 Chemistry
    • Lakhmir Singh Class 10 Biology
    • Lakhmir Singh Class 9 Physics
    • Lakhmir Singh Class 9 Chemistry
    • PS Verma and VK Agarwal Biology Class 9 Solutions
    • Lakhmir Singh Science Class 8 Solutions

LearnCBSE Online

NCERT Solutions | NCERT Books | RD Sharma Solutions | NCERT Exemplar Problems | CBSE Sample Papers

Learn CBSE

NCERT Solutions for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

CBSE Class 11 Sanskrit Chapter 2 सहायक ज्ञान

August 23, 2019 by LearnCBSE Online

CBSE Class 11 Sanskrit Chapter 2 सहायक ज्ञान

संस्कृत शब्द की व्युत्पत्ति
संस्कृत शब्द सम् उपसर्ग, कृ धातु तथा क्त प्रत्यय के योग से बना है।
संस्कृत शब्द का मूल अर्थ है- शुद्ध, परिमार्जित, परिष्कृत।
भाषा के संदर्भ में यह शब्द संस्कार अर्थात् व्याकरण के नियमों से युक्त भाषा के रूप में प्रयुक्त हुआ है। सामान्य जन की भाषा प्राकृत कहलाती थी तथा शिष्ट समुदाय की व्याकरण नियमों से युक्त भाषा संस्कृत भाषा कहलाती थी।
लोकभाषा का परिष्कार या संस्कार युक्त करने का मुख्य श्रेय महर्षि पाणिनि को है। बाद में वररुचि और पतंजलि ने इस कार्य को आगे बढ़ाया। पाणिनि के ग्रंथ का नाम अष्टाध्यायी है। इसमें आठ अध्याय तथा लगभग चार हजार सूत्र हैं।

संस्कृत की परिभाषा
वह भाषा जो व्याकरण के नियमों में बँधी है, वह संस्कार युक्त भाषा संस्कृत भाषा कहलाती है। पहले संस्कृत लोकभाषा थी। उसी को पाणिनि ने व्याकरण के नियमों में बाँध दिया। बाद में भाषा का रूप बदल गया। जिसे सामान्य लोग बोलते थे वह प्राकृत (प्रकृत जन की) भाषा कहलाई। संस्कृत भाषा के दो रूप हैं- (1) वैदिक संस्कृत-इसका प्रयोग वैदिक साहित्य में हुआ है, वेद (संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक तथा उपनिषद्) एवं वेदांग इसी भाषा में लिखे गए। (2) लौकिक संस्कृत-पाणिनि ने भाषा का जो रूप तैयार किया, वह लौकिक संस्कृत कहलाती है। काव्य की दृष्टि से पहली बार महर्षि वाल्मीकि ने अनुष्टुप् या श्लोक छंद में रामायण के रूप में आदिकाव्य लिखकर लौकिक संस्कृत साहित्य का श्रीगणेश किया। बाद में भास, कालिदास, अश्वघोष, भवभूति तथा बाण आदि अनेक कवियों ने विविध धाराओं से युक्त विशाल संस्कृत वाङ्मयी का निर्माण किया।
संस्कृत साहित्य का संक्षिप्त परिचय
संस्कृत साहित्य के दो भाग हैं- (1) वैदिक साहित्य, (2) लौकिक साहित्य।

1. वैदिक साहित्य
इसमें वेद और वेदांग आते हैं। वेद चार हैं-ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद। प्रत्येक की अनेक शाखाएँ हैं। प्रत्येक के अपने संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक व उपनिषद् ग्रंथ हैं। ऋग्वेद विश्व की प्राचीनतम रचना है। संहिता भाग में मंत्रों का संकलन है तथा देवताओं की स्तुति एवं प्रार्थनाएँ तथा प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के स्रोत हैं। वेद को श्रुति भी कहते हैं तथा त्रयी भी कहते हैं। मंत्र भाग, यजुः भाग तथा साम (गायन) भाग के कारण इसे त्रयी कहा जाता है। संहिता के बाद ब्राह्मण ग्रंथों में कर्मकाण्डपरक तथा व्याख्यापरक निर्देश मिलते हैं। ये मुख्यतः गद्य में हैं। आरण्यकों की रचना अरण्य (वनों) में हुई। इसमें कर्मकाण्ड विषयक सूक्ष्म विवेचन एवं चिन्तन उपलब्ध होता है। अंत में उपनिषद् या वेदांत ग्रन्थों में दार्शनिक चिंतन है तथा ब्रह्म, जीव, जगत्, प्रणव आदि का विवेचन है। वेद मुख्यतया सृष्टि विज्ञान के ग्रंथ हैं। इनमें आध्यात्मिक चेतना है। ऋषियों ने इनका साक्षात्कार किया था। इन्हें अपौरुषेय माना जाता है। वेदों को समझने के लिए छः प्रकार के ग्रंथ रचे गए, जिन्हें वेदांग कहा जाता है। इनमें शिक्षा , कल्प , व्याकरण , निरुक्त , छंद तथा ज्योतिष का समावेश है।

2. लौकिक साहित्य
लौकिक संस्कृत (पाणिनीय संस्कृत) में रचा गया साहित्य लौकिक साहित्य है। उपजीव्य साहित्य रामायण, महाभारत, पुराण, उपपुराण, मनुस्मृति तथा तंत्र वाङ्मय के अतिरिक्त संस्कृत साहित्य के दृश्य तथा श्रव्य दो भाग हैं। दृश्य साहित्य में रूपक तथा उपरूपक आते हैं। रूपक के दस भेद हैं-नाटक, व्यायोग आदि। मुख्य भेद नाटक है। उपरूपक के अट्ठारह भेद हैं उनमें मुख्य भेद नाटिका है। श्रव्यकाव्य तीन प्रकार का है – (1) गद्य, (2) पद्य, (3) चम्पू। गद्य के अन्तर्गत कथा एवं आख्यायिका का समावेश है। पद्य में महाकाव्य, खण्डकाव्य और मुक्तक काव्य मुख्य रूप से हैं। गद्य-पद्य के मिश्रण को चम्पू कहते हैं जैसे त्रिविक्रमभट्ट का नलचम्पू। महाकाव्य में कम-से-कम आठ सर्ग होते हैं। सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य कालिदास का रघुवंश है । अन्य महाकाव्यों में प्रमुख कालिदास का कुमारसंभव, अश्वघोष के सौन्दरनंद, बुद्धचरित, भारवि का किरातार्जुनीयम्, माघ का शिशुपालवध तथा श्रीहर्ष का नैषधीयचरित प्रमुख हैं।

Free

वेदों का संक्षिप्त परिचय – वेद चार हैं –
1. ऋग्वेद – देवताओं की स्तुति के मंत्र को ऋक् या ऋचा कहते हैं। मनन के कारण से उसे मंत्र कहा गया
है। मंत्र पद्यात्मक तथा वैदिक छंदों में निबद्ध हैं। कई मंत्रों को मिलाकर एक सूक्त होता है। मंत्र का अपना ऋषि, देवता और छंद होता है। कई सूक्तों को मिलाकर एक मंडल कहलाता है तथा दस मंडलों को मिलाकर पूरे ग्रंथ का नाम ऋग्वेद है। इसमें कुल 1028 सूक्त हैं। यह विश्व का प्राचीनतम साहित्य है। इसमें अग्नि, इंद्र, वरुण आदि देवताओं की स्तुति है। इन सूक्तों में सृष्टिविद्या तथा अध्यात्मविद्या का रहस्य भी निगूढ़ है। ऋग्वेद के संवादसूक्तों को लौकिक संस्कृत में नाट्यसाहित्य के बीज के रूप में देखा जाता है। ऋग्वेद में प्रकृति की रमणीय छटा के वर्णन भी उपलब्ध होते हैं।

2. यजुर्वेद- इसमें ऐसे मंत्र हैं जिनका सम्पादन या निर्माण विविध यज्ञों की दृष्टि से किया गया है। यजुर्वेद के दो भाग हैं – (क) कृष्णयजुर्वेद -जिसमें मंत्र और व्याख्यापरक ब्राह्मण अंश का मिश्रण है। (ख) शुक्ल यजुर्वेद -इसमें केवल मंत्र हैं जो यज्ञपरक हैं। ईशावस्योपनिषद् यजुर्वेद का ही एक अध्याय है। इस दृष्टि से कहीं-कहीं यजुर्वेद में चिंतन-परक दार्शनिक चेतना के भी दर्शन होते हैं।

3. सामवेद – सामन् का अर्थ है- लयात्मक या स्वरात्मक गीत। सामवेद में ऐसे मंत्रों का संग्रह है जो गीतात्मक हैं – इसके दो भेद पूर्वार्चिक और उत्तरार्चिक हैं। पूर्वार्चिक में देवताविषयक ऋचाओं का तथा उत्तरार्चिक में विविध अनुष्ठानों से संबंधित ऋचाओं का संग्रह है। सामवेद में ग्रामगेय गान तथा अरण्यगान दो प्रकार के गान सम्मिलित हैं जो क्रमशः गाँवों व वनों में गाए जाते थे।

4. अथर्ववेद – इसका नाम अथर्वागिरस् वेद भी है। इसके रचयिता अथर्व और अंगिरस् माने जाते हैं। इसमें ब्रह्म संबंधी मंत्र होने से इसे ब्रह्मवेद भी कहा जाता है। इसमें लोक प्रचलित विश्वासों, धारणाओं, जादू-टोने एवं विवाह तथा स्वास्थ्य आदि विषयों से संबंधित सूक्त हैं। मारण, मोहन, उच्चाटन आदि व्यभिचार से संबंधित मंत्र भी इसमें संकलित किए गए हैं।

उपनिषद्
अध्यात्म विद्या उपनिषद् का प्रधान विषय है। उप नि+√सद् से बना यह शब्द गुरु के पास बैठकर अविद्या का नाश, ब्रह्म की प्राप्ति तथा जन्म-जन्मान्तरों के क्लेशों से छुटकारा पाकर मोक्ष का मार्ग दिखाने वाले ग्रंथसमुदाय का पर्याय बन गया है। वैदिक साहित्य के अंत में स्थान पाने के कारण इन्हें वेदांत भी कहा जाता है। प्राचीन उपनिषदों में ईश् (ईशावास्य), कठ, केन, प्रश्न, छान्दोग्य, बृहदारण्यक, ऐतरेय, तैत्तिरीय, मुण्डक, माण्डूक्य तथा श्वेताश्वेतर प्रसिद्ध उपनिषद हैं। इनका रचनाकाल ईसा पूर्व 1600 ई० के आस-पास का माना गया है।

पुराण
पुराणों के प्रमुख रूप से पाँच विषय हैं-(1) सर्ग (सृष्टि की रचना), (2) प्रतिसर्ग (सृष्टि का विस्तार, प्रलय तथा पुनःसृष्टि का वर्णन), (3) वंश (विविध वंशावलियाँ), (4) मन्वन्तर (सृष्टि के चौदह मन्वन्तरों की कालविधि का वर्णन), (5) राजवंशानुचरित (सूर्य तथा चंद्रवंशी राजाओं के चरित्रों का वर्णन)। इसके अतिरिक्त ज्ञान-विज्ञान तथा अनेक शास्त्रों के विषय भी पुराणों में सम्मिलित हैं। जो कुछ भी पुराना है-प्रागैतिहासिक तथा ऐतिहासिक वृत्त है, वह सब पुराणों का विषय हो सकता है। सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक इतिहास को जानने के लिए पुराण एक बहुत बड़े आधारभूत ग्रंथ हैं। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, दुर्गा, गणेश, कार्तिकेय तथा सूर्य आदि देवताओं के विषय में प्रचुर सामग्री का इनमें समावेश है। हिन्दू धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, काव्यशास्त्र, धनुर्वेद, गान्धर्व वेद, दर्शन, व्याकरण आदि विषयों का भी पुराणों में समावेश है। कुछ पुराण बहुत प्राचीन माने जाते हैं जिनमें पूर्वलिखित पाँच विषय आवश्यक रूप से सम्मिलित हैं। अट्ठारह पुराणों के नाम ये हैं-(1) ब्रह्म (2) पद्म (3) विष्णु (4) शिव (5) भागवत (6) नारद (7) ब्रह्मवैवर्त (8) मार्कण्डेय (9) वामन (10) कूर्म (11) मत्स्य (12) गरुड़ (13) लिंग (14) भविष्यत् (15) देवीभागवत (16) आदि (17) ब्रह्माण्ड (18) वराह।

स्मृति
स्मृतियाँ श्रुति (वेद) का अनुसरण करती हैं। ये भारतीयों के प्राचीन धर्मशास्त्र हैं। प्राचीन धर्मसूत्र ही स्मृतिग्रंथों के पूर्वरूप कहे जा सकते हैं। मनुस्मृति या मानवधर्मशास्त्र सबसे प्रसिद्ध स्मृतिग्रंथ है। इसमें राजा तथा प्रजा की दृष्टि से जो नियम, कानून, आचरण, मर्यादा एवं व्यवहार हो सकते हैं उन सबका निर्देश है। परिवार में स्त्री और पुरुष के कर्तव्यों का, वर्ण-आश्रम के कर्तव्यों का एवं उत्तराधिकार विषयक कानूनों का सूक्ष्म विवेचन स्मृति ग्रंथों में मिलता है, परंपरा के अनुसार मनु कानून या विधि के क्षेत्र में प्रामाणिक आचार्य माने जाते हैं। उनकी मनुस्मृति के बाद याज्ञवल्क्य स्मृति अधिक प्रगतिशील तथा व्यापक दृष्टिकोण को लेकर लिखा गया ग्रंथ है। याज्ञवल्क्य स्मृति की मिताक्षरा टीका में उत्तराधिकार विषयक नियमों का सूक्ष्म विवेचन है। स्मृतियों में वेदांत, सांख्य तथा योग संबंधी विचारों का भी उल्लेख मिल जाता है। नारद स्मृति, पराशर स्मृति, बृहस्पति स्मृति तथा देवल स्मृति आदि अन्य प्रसिद्ध स्मृतिग्रंथ उल्लेखनीय हैं।

रामायण
हिंदू संस्कृति के दर्पण रूप रामायण के आविर्भाव का कथानक वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड के आरंभ में ही दिया है। मूलतः यह काव्य के आरंभ या आविर्भाव का कथानक है। महर्षि वाल्मीकि के जीवन में एक घटना घटी जिसके शोक से विह्वल होकर उन्होंने इस श्लोक का उच्चारण किया, उनका शोक ही इस श्लोक के रूप में, अवतरित हो गया –

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौञ्चमिथुनादेकमवधीः काममोहितम्॥

वाल्मीकि के अंत:करण ने स्वीकार किया कि इस श्लोक (छंद) के माध्यम से वे रामायण कथा को एक काव्य का रूप दे सकते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम तथा अन्य आदर्श पात्रों के आदर्श जीवन को आधार बनाकर लिखने से रामायण का सांस्कृतिक महत्त्व तो था ही। फिर क्या था उन्होंने बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधाकाण्ड, सुंदरकाण्ड, युद्धकाण्ड तथा उत्तरकाण्ड-इन सात काण्डों से युक्त 24000 अनुष्टुप् छंद में लिखे श्लोकों में करुण रस से युक्त रामायण नामक आदिकाव्य की रचना की। उसे लव-कुश को याद कराया। वाल्मीकि आदिकवि बन गए। रामायण उपजीव्य काव्य बन गया । कालिदास का रघुवंश एवं अन्य महाकवियों की रचनाओं पर वाल्मीकि का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। कहा गया है –

यावत्स्थास्यन्ति गिरयः सरितश्च महीतले।
तावद् रामायणीकथा लोकेषु प्रचरिष्यति॥

महाभारत
महाभारत का जय तथा भारत दो अन्य नामों से भी उल्लेख किया गया है। इसमें एक लाख श्लोक हैं। इसमें कौरव तथा पाण्डवों के युद्ध को आधार बनाकर तथा भरतवंशी राजाओं के अनेक प्रसिद्ध आख्यानों को सम्मिलित करके इसका एक महापुराण का स्वरूप बन गया है। इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास का कहना है कि जो सब संसार में है वह महाभारत में है और जो महाभारत में नहीं है वह संसार में कहीं भी नहीं है। उपनिषदों का सारभूत श्रीमद्भगवद्गीता नाम का ग्रंथ महाभारत का ही एक अंश है। इसमें अट्ठारह पर्व हैं। आकार में तथा महत्त्व में बड़ा होने के कारण से ही इस ग्रंथ को महाभारत की संज्ञा दी गई है। इसमें अनेक आख्यान और उपाख्यान हैं। शांतिपूर्व तथा अनुशासन पर्व नीतिशास्त्र व राजनीति की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सामग्री लिए हुए है। धर्म, इतिहास, दर्शन तथा राजनीति आदि की दृष्टि से यह एक विश्वकोश है। इसका प्रमुख रस शांतरस है। यह आर्षकाव्य है। ऐतिहासिक काव्य के रूप में इसकी मान्यता थी। सच है –

धर्मे चार्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ।
यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत्क्वचित्॥

काव्य के भेद
काव्य तीन भाग हैं- (1) गद्य काव्य (2) पद्य काव्य (3) चम्पू काव्य।
1. गद्य काव्य
छंद रहित रचना को गद्य कहते हैं। संस्कृत साहित्य में प्राचीन यजुर्वेद में गम के अंश मिलते हैं। ब्राह्मण साहित्य तो गद्यात्मक ही है। सूत्र साहित्य भी प्रायः गद्यात्मक है। गद्यकाव्य के दो भेद हैं – कथा और आख्यायिका। कथा में काल्पनिक आख्यान होता है। आख्यायिका में ऐतिहासिक आख्यान होता है। दण्डी का दशकुमारचरित तथा वाण का हर्षचरित आख्यायिका हैं जबकि सुबंधु की वासवदत्ता एवं बाण की कादम्बरी कथा हैं। दण्डी, बाण तथा सुबंधु प्राचीन गद्यकार हैं। आधुनिक गद्यकारों में अंबिकादत्त व्यास तथा पण्डिता क्षमाराव के नाम उल्लेखनीय हैं। अंबिकादत्त व्यास की प्रसिद्ध रचना शिवराजविजय है जिसमें छत्रपति शिवाजी की विजयों का विवेचन है। गद्य में अलंकृत शैली का प्रयोग होता है। ओज गुण तथा समासों की अधिकता ही गद्यकाव्य की प्रमुख विशेषताएँ हैं। गद्य को काव्य की कसौटी माना जाता है-गद्यं कवीनां निकष वदन्ति।

2. पद्य काव्य
छन्दोबद्ध रचना को पद्य कहा जाता है। वैदिक छंदों में गायत्री, अनुष्टुप् तथा त्रिष्टुप् आदि छंद प्रसिद्ध हैं। लौकिक छंदों में मात्रिक एवं वर्णिक छंदों की विविधता है। ऋग्वेद पद्यात्मक है। रामायण, महाभारत तथा पुराण भी पद्यात्मक हैं। बहुत से शास्त्रीय ग्रंथ भी पद्यात्मक हैं। अधिकतर संस्कृत वाङ्मय पद्यात्मक ही हैं। काव्य की दृष्टि से श्रव्य काव्य में पद्यात्मक साहित्य के अंतर्गत महाकाव्य, खण्डकाव्य तथा मुक्तककाव्य आते हैं। इनमें गीतिकाव्य तथा स्त्रोत्र काव्यों का विशेष स्थान है। प्राचीन महाकवियों में अश्वघोष तथा कालिदास के नाम उल्लेखनीय हैं। अश्वघोष ने सौन्दरनंद तथा बुद्धचरित नामक दो महाकाव्यों की रचना की। कालिदास ने दो महाकाव्य तथा दो खण्डकाव्य लिखे। महाकाव्यों में कुमारसंभव तथा रघुवंश और खण्डकाव्यों में ऋतुसंहार तथा मेघदूत के नाम उल्लेखनीय हैं। मेघदूत के आधार पर बाद में दूतकाव्य या संदेश काव्यों का भी सजन हुआ । भारवि के किरातार्जनीय, माघ के शिशुपाल वध एवं हर्ष के नैषधचरित बृहत्त्रयी के नाम से प्रसिद्ध हैं। मुक्तक कवियों में भर्तृहरि व अमरुक के नाम प्रसिद्ध हैं। जयदेव का गीतगोविंद प्रसिद्ध खण्डकाव्य है।

3. चम्पूकाव्य गद्य तथा पद्य से युक्त (मिश्रित) रचना को चम्पू कहते हैं –
गद्यपद्यमयं काव्यं चम्पूरित्यभिधीयते।
चम्पू में गद्य तथा पद्य दोनों अलंकृत शैली में होते हैं तथा दोनों का समान महत्व होता है। चम्पू भी महाकाव्य की भाँति एक प्रबंधात्मक रचना होती है। इसमें कथा का विभाजन स्तवकों, उच्छ्वासों अथवा उल्लासों में होता है। मुख्यकथा के साथ-साथ अवान्तर कथाएँ भी होती हैं। नायक देवता, गंधर्व, मनुष्य, पक्षी कोई भी हो सकता है। नायिका का होना आवश्यक नहीं है। शृंगार, वीर तथा शांत में से एक रस प्रमुख होता है। दसवीं शताब्दी से चम्पूकाव्य मिलने प्रारंभ होते हैं। प्रसिद्ध चम्पू निम्नलिखित हैं

1. नलचम्पू – इसके लेखक त्रिविक्रमभट्ट हैं। इसकी कथा का स्त्रोत महाभारत का नलोपाख्यान है।
2. यशस्तिलक चम्पू – इसके रचयिता सोमदेवसूरि हैं। इसमें यशोधर का कथानक है।
3. रामायण चम्पू – इसके रचयिता राजा भोज हैं।
4. उदयसुंदरी कथा – इसके लेखक सोड्ढल हैं। इसमें उदयसुंदरी और मलयवान के विवाह का वर्णन है।

प्रबन्धकाव्य
प्रबन्धकाव्य में एक सूत्रबद्धता होती है। प्रायः यह कथात्मक होता है। महाकाव्य तथा खण्डकाव्य प्रबन्धकाव्य के अंतर्गत ही आते हैं। रसानुभूति की दृष्टि से यह एक अत्यंत सशक्त रचना होती है। इसमें एक प्रमुख रस का सम्पादन करने के लिए आवश्यक सभी प्रकार की सामग्री होती है, जैसे कथावस्तु का निर्माण एवं पात्रों का निर्माण एवं उनके संवाद। सब इस दृष्टि से होते हैं जिससे रस का निर्वाह ठीक प्रकार से हो सके। अनेक गौण रस तथा भाव भी प्रमुख रस के सहायक होते हैं। कथा का प्रवाह बना रहे इसी दृष्टि से भाषा, शैली का प्रयोग किया जाता है। पाठक को रस में पूरी तरह निमग्न रखना ही प्रबंधकाव्य का प्रमुख उद्देश्य रहता है।

महाकाव्य
महाकाव्य एक प्रबंधात्मक रचना है। जिसमें कम-से-कम आठ सर्ग हों उसी को महाकाव्य की संज्ञा दी जाती है। सर्गबद्ध रचना होने के कारण इसे सर्गबंध भी कहते हैं। इसका विभाजन सर्गों में होता है। प्रत्येक सर्ग का अपना एक छंद होता है तथा सर्ग के अंत में छंद बदल दिया जाता है। महाकाव्य में मुख, प्रतिमुख आदि पाँचों संधियों का निर्वाह होता है। एक प्रख्यात कथानक को लेकर महाकाव्य की रचना की जाती है। इसका नायक धीरोदात्त होता है। इसमें वीर, शृंगार तथा शांत में से कोई एक रस प्रमुख होता है। अन्य रस तथा भावों का भी समावेश होता है। महाकाव्य का कोई उदात्त लक्ष्य होता है। इसमें विवाह, युद्ध, जन्म-मृत्यु आदि अनेक घटनाओं का उल्लेख होता है। इसमें सूर्य, चंद्र, दिन, रात, पर्वत, नदी, समुद्र, नहरों आदि का वर्णन होता हैं।

खण्डकाव्य
काव्य का वह भेद जिसमें किसी एक घटना या विषय का वर्णन हो उसे खंडकाव्य कहा जाता है। कालिदास के ऋतुसंहार में छः ऋतुओं का वर्णन है तथा मेघदूत में मेघ को दूत बनाकर यक्ष के संदेश का वर्णन है। गीतगोविंद में कृष्ण और राधा के प्रेम और विरह का वर्णन है। खंडकाव्य में जीवन की समग्रता का वर्णन नहीं होता। नीति,शृंगार या भक्ति को लेकर प्रायः खण्डकाव्य की रचना की जाती है। इसका सर्गों में विभाजन नहीं होता, इसी कारण सर्गबंध रचना महाकाव्य की श्रेणी में आती है। जिसमें कथा तत्त्व नहीं होता वह मुक्तक काव्य कहलाता है। वह भी खंडकाव्य का एक भाग हो जाता है क्योंकि उसके सब पद्यों में एक ही विषय रहता है। प्रबंधात्मक खंडकाव्यों में कथातत्त्व रहता है जैसे-गीतगोविंद, मेघदूत, पवनदूत इत्यादि। इन सबमें कथा का कोई-न-कोई सूत्र अवश्य रहता है। गोवर्धनाचार्य की आर्यासप्तशती में प्रेमी-प्रेमिकाओं की कामक्रीड़ा का वर्णन है। खंडकाव्य गेयात्मकता के कारण गीतिकाव्य भी कहलाते हैं।

मुक्तककाव्य
संस्कृत के मुक्तक साहित्य में वे पद्य आते हैं जिनमें स्वतंत्र रूप से एक भाव का वर्णन होता है। इन पद्यों का दूसरे पद्यों से कोई संबंध नहीं होता। मुक्त या स्वतंत्र होता हुआ भी एक-एक पद्य पूरे प्रबंध के समान एक भाव की पूर्णता को दर्शाता है। अतः अमरूक के मुक्तक पद्यों की सराहना इसी रूप में की गई है कि वे प्रबंध के समान अपना प्रभाव छोड़ते हैं। भर्तृहरि ने नीति को लेकर सौ पद्य लिखे जिनके संग्रह का नाम नीतिशतक है। इसी तरह उनके शृंगार एवं वैराग्य को लेकर शृंगारशतक एवं वैराग्य शतक है। अमरूक का अमरूशतक प्रसिद्ध है। बिल्हण की चौरसुरत पंचाशिक प्रसिद्ध है जिसमें पचास पद्य हैं। अनेक देवी-देवताओं की स्तुति में अनेक स्तोत्र लिखे गए। इसमें शंकराचार्य का ‘भज गोविंदम्’ उल्लेखनीय रचना है। पंडितराज जगन्नाथ की ‘गंगालहरी’ में गंगा नदी की स्तुति की गई है।

नाटक और उनके प्रमुख तत्त्व –
रूपक/नाटक साहित्य
कालिदास के नाटक-कालिदास ने तीन नाटकों की रचना की-(1) मालविकाग्निमित्र-इसमें अग्निमित्र एवं मालविका का प्रेम प्रसंग का वर्णन है। (2) विक्रमोर्वशीयम्-इसमें पुरुरवस् और उर्वशी के प्रेम प्रसंग का वर्णन है। (3) अभिज्ञान शाकुन्तलम्-इसमें दुष्यंत और शकुन्तला का कथानक है।
अश्वघोष का नाटक – अश्वघोष ने शारिपुत्र प्रकरण की रचना की जो खण्डित रूप में प्राप्त होता है।
भास के नाटक – भास ने तेरह नाटकों की रचना की जिनमें ‘स्वप्नवासदत्तम् तथा प्रतिज्ञायौगन्धरायण प्रसिद्ध हैं-इनकी रचनाओं में प्रतिमा, अभिषेक, अविभारक, दरिद्रचारुदत्त, मध्यमव्यायोग, बालचरित आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
भवभूति के नाटक – वस्तु-संरचना की दृष्टि से वाल्मीकि रामायण का आश्रय लेकर भवभूति ने महावीरचरित (वीररस प्रधान) तथा उत्तररामचरित (करुणरस प्रधान) नाटकों की रचना की। उनकी तीसरी रचना मालतीमाधव एक प्रकरण है।
शूद्रक का नाटक – शूद्रक का मृच्छकटिक भी एक प्रकरण है। इसका विकास भासकृत शृंगाररस प्रधान चारुदत्त के आधार पर किया गया है। इसमें दस अंक हैं। नायिका वसंतसेना है। नायक चारुदत्त है।
विशाखदत्त के नाटक – विशाखदत्त की प्रसिद्ध रचना मुद्राराक्षस एक ऐतिहासिक नाटक है। उसने देवी चन्द्रगुप्तम् नाम से एक-दूसरे नाटक की भी रचना की थी। इस नाटक का ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्त्व है।
भट्टनारायण का नाटक-भट्टनारायण का प्रसिद्ध नाटक वेणीसंहार है। इसमें भीम द्रौपदी के खुले बालों काशृंगार दुर्योधन के वध से रक्त से सने हाथों से करता है। यह वीररस की प्रसिद्ध रचना है।

रूपक के प्रमुख तत्त्व –
संस्कृत रूपकों के चार प्रमुख तत्त्व हैं –
1. वस्तु- वस्तु से अभिप्राय नाटक के कथानक से है। महत्त्व की दृष्टि से कथानक आधिकारिक व प्रासंगिक दो प्रकार का होता है। मुख्य कथावस्तु आधिकारिक कहलाती है। प्रासंगिक कथा लंबी व छोटी के भेद से पताका और प्रकरी दो प्रकार की हो जाती है। स्त्रोत की दृष्टि से प्रख्यात, उत्पाद्य तथा मिश्र तीन प्रकार की वस्तु होती है। नाटक की कथावस्तु, प्रख्यात, प्रकरण की कथावस्तु उत्पाद्य होती है। इसके अतिरिक्त कुछ सूच्य वस्तु भी होती हैं।
2. नेता- इसके अंतर्गत नायक, नायिका एवं अन्य पुरुष तथा स्त्री पात्रों का विचार होता है। नाटक का नायक धोरोदात्त होता है-प्रकरण का नायक धीरप्रशांत एवं नाटिका का नायक धीरललित होता है। पात्रों का चरित्र-चित्रण उनके व्यक्तित्त्व के अनुरूप होता है और वे विविध प्रकार के अभिनय के द्वारा नाटक की कथा को बढ़ाते हैं।
3. रस- रस को काव्य की आत्मा माना गया है-वाक्यं रसात्मकं काव्यम् रंगमंच के कारण रस का संपादन नाटक में सहज हो जाता है। प्रहसन में हास्यरस होता है। नाटक में प्रमुखतया वीर, शृंगार तथा करुणरस ही होते हैं।
4. अभिनय- अभिनय दृश्यकाव्य का महत्त्वपूर्ण अंग है। अभिनय ही दृश्यकाव्य को श्रव्यकाव्य से पृथक करता है। रूपकों में आङ्गिक, वाचिक, आहार्य और सात्त्विक चार प्रकार का अभिनय किया जाता है।

अंक
रूपक या नाटक जिन भागों में विभाजित होता है, उन्हें अंक कहते हैं। नाटक में प्रायः पाँच से लेकर दस तक अंक होते हैं। एक अंक में मुख्य कथावस्तु (आधिकारिक वृत्त) का एक भाग अपने आप में पूर्ण रहता है। प्रत्येक अंक में नायक के चरित्र का कोई-न-कोई पक्ष उभर कर आता है जिससे सामाजिकों (दर्शकों) को रस तथा भावों का सौंदर्य-बोध हुआ करता है।

नान्दी
आशीर्वचनसंयुक्ता स्तुतियस्मात्प्रयुज्यते।
देवद्विजनृपादीनां तस्मान्नान्दीतिसंज्ञिता।।
नाटक के प्रारंभ में नाटककार विघ्नों की शांति के लिए किसी देवता, द्विज अथवा नृप आदि की स्तुति प्रस्तुत करता है, इसे ही नान्दी कहा जाता है क्योंकि इसके माध्यम से एक ओर तो देवता आदि को स्तुति के द्वारा प्रसन्न किया जाता है तथा दूसरी ओर स्तुति द्वारा प्रसन्न हुए देवता आदि की कृपा से सभ्य सामाजिकों को प्रसन्न किया जाता है।

नाटक
रूपक के दस भेद होते हैं जिनमें प्रमुख भेद नाटक होता है। इसकी कथावस्तु किसी प्रख्यात वृत्त पर आश्रित होती है। इसमें पाँच से लेकर दस तक अंक होते हैं। इसमें शृंगार, वीर या करुण रस की प्रधानता होती है तथा शेष रस गौण रूप में प्रदर्शित होते हैं। नाटक में पाँच अर्थ प्रकृतियाँ, पाँच अवस्थाएँ तथा पाँच संधियाँ होती हैं। इसका नायक धोरोदात्त होता है।

प्रकरण
नाटक के अतिरिक्त रूपक का अन्य प्रमुख भेद प्रकरण होता है। यहशृंगार रस प्रधान होता है। इसका नायक, ब्राह्मण, व्यापारी आदि होता है तथा वह धीर-प्रशांत प्रकृति का होता है। कथानक काल्पनिक होता है। संस्कृत साहित्य में मृच्छकटिक तथा मालतीमाधव प्रकरण के प्रमुख उदाहरण हैं।

वस्तु
वस्तु से अभिप्राय कथानक से है। वस्तु के दो भाग होते हैं- 1. आधिकारिक- यह नाटक की मुख्य कथा है जो आदि से अंत तक चलती है। 2. प्रासंगिक- गौण कथा होती है इसके दो भेद हैं:-(क) पताका- यह मुख्य कथा के साथ दूर तक चलती है, जैसे रामायण में सुग्रीव की कथा। (ख) प्रकरी- जो मुख्यकथा के साथ थोड़ी दूर तक रहती है, जैसे रामायण में शबरी की कथा। प्रख्यात, उत्पाद्य और मिश्र-स्त्रोत की दृष्टि से कथावस्तु के ये तीन भेद हैं-ऐतिहासिक या पौराणिक कथावस्तु प्रख्यात कहलाती है, काल्पनिक कथावस्तु उत्पाद्य कहलाती है तथा जिसमें दोनों का मिश्रण हो उसे मिश्र कहते हैं।

नायक
त्यागी कृती कुलीनः सुश्रीको रूपयौवनोत्साही।
दक्षोऽनुरक्तलोकस्तेजोवैदग्ध्यशीलवान्नेता॥
रूपक या नाटक का प्रधान पात्र नायक (या नेता) कहलाता है जो युवा, उत्साही, रूपवान्, श्रीसम्पन्न, त्यागी, कुलीन, कर्तव्यपरायण, दक्ष, तेजस्वी, विदग्ध, शीलवान्, लोकप्रिय, धैर्यवान् वीर, साहसी एवं प्रबुद्ध होता है तथा अनेक सराहनीय गुणों से युक्त होता है। रूपकों के नायक चार प्रकार के होते हैं-धीरोदात्त, धीर प्रशांत, धीर ललित तथा धीरोद्धत। चारों प्रकार के नायकों का प्रकृति से धीर होना अनिवार्य है।

नेपथ्य
कुशीलवकुटुम्बस्य स्थलं नेपथ्यमुच्यते।
‘नेपथ्य’ रंगशाला का वह स्थान होता है जहाँ नट अपनी वेश-भूषा आदि धारण करते हैं। यह स्थान पर्दे के पीछे होता है। नाटक में कभी-कभी पर्दे के पीछे से कोई आवाज होती है जिसे सुनकर रंगमंच के पात्र आकर्षित होते हैं। इसी समय ‘नेपथ्य’ नाटकीय संकेत का प्रयोग होता है।

आमुख (स्थापना)
नाटक की भूमिका को ‘प्रस्तावना’ या ‘आमुख’ या ‘स्थापना’ कहते हैं जिसमें सूत्रधार नटी, विदूषक अथवा पारिपाश्विक के साथ बातचीत करके सभ्य समाज को नाटक का परिचय देता है तथा मुख्य कथानक के सूत्र को पकड़ कर अंक प्रारंभ करता है। ‘स्थाप्यते कथावस्तु यस्यां सा स्थापना।

सूत्रधार
नाटक के आरंभ में नाटक के सूत्र को धारण करने वाला व्यक्ति ‘सूत्रधार’ कहलाता है। यह नाटक की संपूर्ण व्यवस्था का संचालन करता है। नान्दी के पश्चात् सूत्रधार मंच पर आकर नाटक का प्रारंभिक परिचय देता है तथा मुख्य कथा के सूत्र को जोड़ता है।

काञ्चुकीय या कञ्चुकी
‘काञ्चुकीय’ या ‘कञ्चुकी’ एक वृद्ध ब्राह्मण होता है जिसका अंत:पुर (रनिवास) में निर्बाध प्रवेश होता है। एक लंबा चोगा (कञ्चुक) धारण करने के कारण उसे काञ्चुकीय या काञ्चुकीय की संज्ञा दी गई है।

विदूषक
विकृतांगवचोवेषैः हास्यकरो विदूषकः।
यह नायक का अंतरंग मित्र होता है तथा नायक की सहायता करते हुए यह प्रेक्षकों का मनोरंजन करता जाता है। नाटक में हास्य रस का प्रदर्शन प्रायः इसी के माध्यम से होता है। यह भोजन-भट्ट होता है। नाटक की कथा को गति देने में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।

विट
यह निम्न श्रेणी का पात्र होता है तथा स्वभाव से धूर्त होता है। यह गणिका तथा नागरिकों के संदेश के आदान-प्रदान का माध्यम बनता है। ‘मृच्छकटिकम्’ में विट महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।

जनान्तिकम्
यदि कोई पात्र मंच पर उपस्थित कुछ पात्रों को अपनी बात न सुनाना चाहता हो तो उसकी ओर अँगलियों का पर्दा करके किसी अन्य पात्र के समीप जाकर अपनी बात कहता है, इसके लिए नाटककार ‘जनान्तिक’ नाटकीय संकेत का प्रयोग करता है।

आत्मगतम् (स्वगतम्)
अश्राव्यं खलु यद्वस्तु तदिह स्वगतं मतम्।
‘आत्मगतम्’ या ‘स्वगतम्’ के रूप में वर्णित कथन रंगमंच पर उपस्थित अन्य पात्रों को सुनाने के लिए नहीं होता। वह कथन पात्र के अपने आपके लिए ही होता है। वह इसके माध्यम से अपने मन की बात केवल दर्शकों के सामने प्रकट करता है।

प्रकाशम्
(सर्व श्राव्यं प्रकाशं स्यात्) रंगमंच पर सबको सुनाने के उद्देश्य से कहा गया कथन (वस्तु) ‘प्रकाशम्’ कहलाता

अपवार्य
यह वह कथन है जो रंगमंच पर उपस्थित किसी एक पात्र विशेष को सुनाने के लिए होता है। अन्य पात्रों के लिए इस कथन का श्रवण वांछनीय नहीं होता, अतः वक्ता दूसरे पात्रों से दूर हटकर इस वस्तु को किसी एक प्रमुख पात्र के सम्मुख प्रकट करता है।

रंग
नाट्यशाला या प्रेक्षागृह को ‘रंग’ कहते हैं। यह ‘स्टेज’ का पर्याय है। भरतमुनि के अनुसार प्राचीन काल में कई प्रकार के प्रेक्षागृहों का प्रचलन था जिनके स्वरूप का उन्होंने नाट्यशास्त्र में विस्तृत विवेचन किया है। ये प्रेक्षागृह या रंग-मंडप आयताकार, वर्गाकार तथा त्रिभुजाकार होते हैं।

नायिका
नायिका नाटक की प्रधान महिला पात्र होती है। नाटक की नायिका अधिकतर कुलीन होती है और वह नाटक के कथा-विकास में अन्य महिला पात्रों की अपेक्षा अधिक योगदान देती है। कई बार तो नाटक का नाम नायिका या उससे संबंधित घटना के आधार पर रखा जाता है; जैसे-अभिज्ञानशाकुन्तलम्। स्वकीया, परकीया और सामान्या-ये नायिका के तीन भेद बताए गए हैं। नाटकों में अधिकतर स्वकीया नायिका ही प्रमुख होती है। अभिज्ञान-शाकुंतलम् की नायिका शकुंतला तथा उत्तररामचरित की नायिका सीता है। मृच्छकटिक की नायिका वसंतसेना है।

नान्दी
नाटक के आरंभ में विघ्न का निवारण करने के लिए देवताओं की स्तुति में जो पद्य गाए जाते हैं उन्हें नान्दी कहते हैं। इसमें प्रायः दो या तीन पद्य होते हैं।

भरतवाक्य
नाटक के अंत में सबके कल्याण की कामना का सूचक एक पद्य होता है जो प्रायः नायक के मुख से कहलवाया जाता है। इसे भरतवाक्य कहते हैं।

NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit

AI CONTENT END 2 <rdf:RDF xmlns:rdf="http://www.w3.org/1999/02/22-rdf-syntax-ns#" xmlns:dc="http://purl.org/dc/elements/1.1/" xmlns:trackback="http://madskills.com/public/xml/rss/module/trackback/"> <rdf:Description rdf:about="https://www.LearnCBSE.online/cbse-class-11-sanskrit-sahaayaka-gyaana/" dc:identifier="https://www.LearnCBSE.online/cbse-class-11-sanskrit-sahaayaka-gyaana/" dc:title="CBSE Class 11 Sanskrit Chapter 2 सहायक ज्ञान" trackback:ping="https://www.LearnCBSE.online/cbse-class-11-sanskrit-sahaayaka-gyaana/trackback/" /> </rdf:RDF>

Filed Under: CBSE

  • NCERT Solutions
    • NCERT Library
  • RD Sharma
    • RD Sharma Class 12 Solutions
    • RD Sharma Class 11 Solutions Free PDF Download
    • RD Sharma Class 10 Solutions
    • RD Sharma Class 9 Solutions
    • RD Sharma Class 8 Solutions
    • RD Sharma Class 7 Solutions
    • RD Sharma Class 6 Solutions
  • Class 12
    • Class 12 Science
      • NCERT Solutions for Class 12 Maths
      • NCERT Solutions for Class 12 Physics
      • NCERT Solutions for Class 12 Chemistry
      • NCERT Solutions for Class 12 Biology
      • NCERT Solutions for Class 12 Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Computer Science (Python)
      • NCERT Solutions for Class 12 Computer Science (C++)
      • NCERT Solutions for Class 12 English
      • NCERT Solutions for Class 12 Hindi
    • Class 12 Commerce
      • NCERT Solutions for Class 12 Maths
      • NCERT Solutions for Class 12 Business Studies
      • NCERT Solutions for Class 12 Accountancy
      • NCERT Solutions for Class 12 Micro Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Macro Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Entrepreneurship
    • Class 12 Humanities
      • NCERT Solutions for Class 12 History
      • NCERT Solutions for Class 12 Political Science
      • NCERT Solutions for Class 12 Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Sociology
      • NCERT Solutions for Class 12 Psychology
  • Class 11
    • Class 11 Science
      • NCERT Solutions for Class 11 Maths
      • NCERT Solutions for Class 11 Physics
      • NCERT Solutions for Class 11 Chemistry
      • NCERT Solutions for Class 11 Biology
      • NCERT Solutions for Class 11 Economics
      • NCERT Solutions for Class 11 Computer Science (Python)
      • NCERT Solutions for Class 11 English
      • NCERT Solutions for Class 11 Hindi
    • Class 11 Commerce
      • NCERT Solutions for Class 11 Maths
      • NCERT Solutions for Class 11 Business Studies
      • NCERT Solutions for Class 11 Accountancy
      • NCERT Solutions for Class 11 Economics
      • NCERT Solutions for Class 11 Entrepreneurship
    • Class 11 Humanities
      • NCERT Solutions for Class 11 Psychology
      • NCERT Solutions for Class 11 Political Science
      • NCERT Solutions for Class 11 Economics
      • NCERT Solutions for Class 11 Indian Economic Development
  • Class 10
    • NCERT Solutions for Class 10 Maths
    • NCERT Solutions for Class 10 Science
    • NCERT Solutions for Class 10 Social Science
    • NCERT Solutions for Class 10 English
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Sanchayan
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Sparsh
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kritika
    • NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit
    • NCERT Solutions for Class 10 Foundation of Information Technology
  • Class 9
    • NCERT Solutions for Class 9 Maths
    • NCERT Solutions for Class 9 Science
    • NCERT Solutions for Class 9 Social Science
    • NCERT Solutions for Class 9 English
    • NCERT Solutions for Class 9 Hindi
    • NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit
    • NCERT Solutions for Class 9 Foundation of IT
  • CBSE Sample Papers
    • Previous Year Question Papers
    • CBSE Topper Answer Sheet
    • CBSE Sample Papers for Class 12
    • CBSE Sample Papers for Class 11
    • CBSE Sample Papers for Class 10
    • Solved CBSE Sample Papers for Class 9 with Solutions 2023-2024
    • CBSE Sample Papers Class 8
    • CBSE Sample Papers Class 7
    • CBSE Sample Papers Class 6
  • Textbook Solutions
    • Lakhmir Singh
    • Lakhmir Singh Class 10 Physics
    • Lakhmir Singh Class 10 Chemistry
    • Lakhmir Singh Class 10 Biology
    • Lakhmir Singh Class 9 Physics
    • Lakhmir Singh Class 9 Chemistry
    • PS Verma and VK Agarwal Biology Class 9 Solutions
    • Lakhmir Singh Science Class 8 Solutions
  • Student Nutrition - How Does This Effect Studies
  • Words by Length
  • NEET MCQ
  • Factoring Calculator
  • Rational Numbers
  • CGPA Calculator
  • TOP Universities in India
  • TOP Engineering Colleges in India
  • TOP Pharmacy Colleges in India
  • Coding for Kids
  • Math Riddles for Kids with Answers
  • General Knowledge for Kids
  • General Knowledge
  • Scholarships for Students
  • NSP - National Scholarip Portal
  • Class 12 Maths NCERT Solutions
  • Class 11 Maths NCERT Solutions
  • NCERT Solutions for Class 10 Maths
  • NCERT Solutions for Class 9 Maths
  • NCERT Solutions for Class 8 Maths
  • NCERT Solutions for Class 7 Maths
  • NCERT Solutions for Class 6 Maths
  • NCERT Solutions for Class 6 Science
  • NCERT Solutions for Class 7 Science
  • NCERT Solutions for Class 8 Science
  • NCERT Solutions for Class 9 Science
  • NCERT Solutions for Class 10 Science
  • NCERT Solutions for Class 11 Physics
  • NCERT Solutions for Class 11 Chemistry
  • NCERT Solutions for Class 12 Physics
  • NCERT Solutions for Class 12 Chemistry
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 1
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 2
  • Metals and Nonmetals Class 10
  • carbon and its compounds class 10
  • Periodic Classification of Elements Class 10
  • Life Process Class 10
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 7
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 8
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 9
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 11
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 13
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 14
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 15
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 16

Resources:

RD Sharma Class 12 Solutions RD Sharma Class 11
RD Sharma Class 10 RD Sharma Class 9
RD Sharma Class 8 RD Sharma Class 7
CBSE Previous Year Question Papers Class 12 CBSE Previous Year Question Papers Class 10
NCERT Books Maths Formulas
CBSE Sample Papers Vedic Maths
NCERT Library

Free

NCERT Solutions for Class 10
NCERT Solutions for Class 9
NCERT Solutions for Class 8
NCERT Solutions for Class 7
NCERT Solutions for Class 6
NCERT Solutions for Class 5
NCERT Solutions for Class 4
NCERT Solutions for Class 3
NCERT Solutions for Class 2
NCERT Solutions for Class 1

Resources:

English Grammar Hindi Grammar
Textbook Solutions Maths NCERT Solutions
Science NCERT Solutions Social Science NCERT Solutions
English Solutions Hindi NCERT Solutions
NCERT Exemplar Problems Engineering Entrance Exams

LearnCBSE Online

Telegram Twitter Reddit Discord