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CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2017 (Outside Delhi) with Solutions
          निर्धारित समय : 3 घण्टे
          
          अधिकतम अंक : 80
         
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड – क ( अपठित बोध)
          प्रश्न 1.
          
          निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : [9]
          
          प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। इसके आगे सारी समस्याएँ बौनी हैं। लेकिन समस्या एक प्रतिभा को खुद दूसरी प्रतिभा से होती है। बहुमुखी प्रतिभा का होना, अपने भीतर एक प्रतिभा के बजाय दूसरी प्रतिभा को खड़ा करना है । इससे हमारा नुकसान होता है। कितना और कैसे?
          
          मन की दुनिया की एक विशेषज्ञ कहती हैं कि बहुमुखी होना आसान है, बजाय एक ख़ास विषय के विशेषज्ञ होने की तुलना में। बहुमुखी लोग स्पर्द्धा से घबराते हैं। कई विषयों पर उनकी पकड़ इसलिए होती है कि वे एक में स्पर्द्धा होने पर दूसरे की ओर भागते हैं। वे आलोचना से भी डरते हैं और अपने काम में तारीफ़ ही तारीफ़ सुनना चाहते हैं । बहुमुखी लोगों में सबसे महान् माने जाने वाले माइकल एंजेलो से लेकर अपने यहाँ रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कई लोग हैं। लेकिन आज ऐसे लोगों की पूछ-परख कम होती है। ऐसे लोग प्रतिभाशाली आज भी माने जाते हैं, लेकिन असफल होने की आशंका उनके लिए अधिक होती है। आज वे लोग ‘विंची सिंड्रोम’ से पीड़ित माने जाते हैं, जिनकी पकड़ दो-तीन या इससे ज्यादा क्षेत्रों में हो, लेकिन हर क्षेत्र में उनसे बेहतर उम्मीदवार मौजूद हों।
          
          बहुमुखी प्रतिभा वाले लोगों के भीतर कई कामों को साकार करने की इच्छा बहुत तीव्र होती है। उनकी उत्सुकता उन्हें एक से दूसरे क्षेत्र में हाथ आज़माने को बाध्य करती है। समस्या तब होती है, जब यह हाथ आज़माना दख़ल करने जैसा हो जाता है। वे न इधर के रह जाते हैं, और न उधर के। प्रबंधन की दुनिया में – ‘ एक के साधे सब सधे, सब साधे सब जाए’ का मंत्र ही शुरू से प्रभावी है। यहाँ उस पर ज़्यादा फोकस नहीं किया जाता, जो सारे अंडे एक टोकरी में न रखने की बात करता है। हम दूसरे क्षेत्रों में हाथ आजमा सकते हैं, पर एक क्षेत्र के महारथी होने में ब्रेकर की भूमिका न अदा करें।
          
          (क) बहुमुखी प्रतिभा क्या है? प्रतिभा से समस्या कब, कैसे हो जाती है? [2]
          
          (ख) बहुमुखी प्रतिभा वालों की किन कमियों की ओर संकेत है? [2]
          
          (ग) बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ किन क्षेत्रों में होती है और उनकी असफलता की संभावना क्यों है? [2]
          
          (घ) प्रबंधन के क्षेत्र में कैसे लोगों की आवश्यकता होती है? क्यों? [2]
          
          (ङ) आशय स्पष्ट कीजिए : “प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती । [1]
          
          उत्तर:
          
          (क) बहुमुखी प्रतिभा से अभिप्राय एकाधिक क्षेत्रों में प्रतिभा से है। प्रतिभा से समस्या तब पैदा होती है जब बहुमुखी प्रतिभा वाला व्यक्ति विभिन्न क्षेत्रों में औसत प्रदर्शन करता है। वह किसी एक क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ होने का प्रयास नहीं कर पाता क्योंकि उससे बेहतर उम्मीदवार पहले से ही मौजूद होते हैं।
         
(ख) बहुमुखी प्रतिभा वाले व्यक्तियों में अनेक कमियाँ होती हैं। वे आलोचना से भयभीत रहते हैं तथा अपने कार्य की केवल प्रशंसा ही सुनना चाहते हैं। ऐसे लोगों में असफलता की आशंका अधिक होती है । आजकल ऐसे लोग ‘विंची सिंड्रोम’ से पीड़ित माने जाते हैं।
(ग) बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ अनेक क्षेत्रों में होती है। उनकी असफलता की संभावना इसलिए बढ़ जाती है कि वह किसी एक क्षेत्र विशेष में अपनी संपूर्ण प्रतिभा व शक्ति का उपयोग नहीं करते। वे किसी क्षेत्र में भी सर्वश्रेष्ठ नहीं बन पाते।
(घ) प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसे लोगों की आवश्यकता होती है जो किसी विशेष क्षेत्र पर पूरा ध्यान दें तथा अपने विशिष्ट क्षेत्र में संपूर्ण प्रतिभा प्रदर्शित करें। प्रबंधन की दुनिया में कहा जाता है कि एक कार्य को साधने से निश्चित सफलता मिलती है।
(ङ) प्रतिभा अपना रास्ता स्वयं खोज लेती है। प्रतिभाशाली व्यक्ति को किसी पर आश्रित होने की आवश्यकता नहीं होती। ऐसा व्यक्ति अपनी प्रतिभा के बल पर समाज में विशेष स्थान प्राप्त करता है।
 
          प्रश्न 2.
          
          निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाला विकल्प चुनकर लिखिए:
          
          प्रत्येक सुंदर प्रभात सुंदर चीजें लेकर उपस्थित होता है, पर यदि हमने कल तथा परसों के प्रभात की किरणों से लाभ नहीं उठाया तो आज के प्रभात से लाभ उठाने की हमारी शक्ति क्षीण होती जाएगी और यही रफ्तार रही तो फिर हम इस शक्ति को बिलकुल ही गँवा बैठेंगे। किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है; खोई हुई संपत्ति प्राप्त की जा सकती है, भूला हुआ ज्ञान अध्ययन से प्राप्त हो सकता है, गँवाया हुआ स्वास्थ्य लौटाया जा सकता है; परंतु नष्ट किया हुआ समय सदा के लिए चला जाता है। वह बस स्मृति की चीज़ हो जाता है और अतीत की एक छाया-मात्र रह जाता है । संसार के महान विचारकों को चिंता रहती थी कि उनका एक क्षण भी व्यर्थ न चला जाए। हमको भी अमूल्य समय को नष्ट होने से बचाने के लिए कुछ भी उठा न रखना चाहिए । एक- एक क्षण का सदुपयोग करने वाले इन विचारकों का जीवन हज़ारों नवयुवकों के जीवन का कितना उपहास कर रहा है। ये विचारक समय के छोटे-छोटे टुकड़ों को बचाकर जिस तरह महान हुए, हमको भी उनकी भाँति ही समय का मूल्य जानना चाहिए ।
          
          (क) ‘प्रत्येक सुंदर प्रभात’ का क्या तात्पर्य है – [1]
          
          (ख) कौन-सा कथन असत्य है ? [1]
          
          (i) बीता समय लौट सकता है।
          
          (ii) नष्ट स्वास्थ्य पाया जा सकता है।
          
          (ii) खोई हुई सम्पत्ति मिल सकती है।
          
          (iv) भूली हुई जानकारी पाई जा सकती है।
          
          (ग) अमूल्य समय को नष्ट होने से कैसे बचाया जा सकता है? [1]
          
          (घ) हज़ारों नवयुवक उपहास के पात्र हैं, क्यों है? [2]
          
          (ङ) ‘ये विचारक समय के छोटे-छोटे टुकड़ों को बचाकर जिस तरह महान हुए, हमको भी उनकी भाँति समय का मूल्य जानना चाहिए।’ उपर्युक्त वाक्य का प्रकार लिखिए । [1]
          
          उत्तर:
          
          (क) जीवन का नया क्षण ।
          
          (ख) (i) बीता समय लौट सकता है।
          
          (ग) प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करके ।
          
          (घ) समय के महत्त्व को नहीं जानते।
          
          (ङ) मिश्र वाक्य
         
खण्ड – ख (व्यावहारिक व्याकरण )
          प्रश्न 3.
          
          नीचे दिए गए वाक्यों मे रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए । [1 × 4 = 4]
          
          (i)
          
           हम
          
          देहरादून घूमने गए।
          
          (ii) दोनों कबूतर
          
           खिड़की से बाहर
          
          देखते रहते हैं।
          
          (iii)
          
           लंदन से आए हुए मेहमान
          
          आगरा गए हैं।
          
          (iv)
          
           वह फुटबॉल की तरह लुढ़ककर
          
          गिर गया।
          
          उत्तर:
          
          (i) हम – संज्ञा पदबंध
          
          (ii) खिड़की से बाहर – क्रिया विशेषण पदबंध
          
          (iii) लंदन से आए हुए मेहमान – संज्ञा पदबंध
          
          (iv) वह फुटबॉल की तरह लुढ़ककर – क्रिया विशेषण पदबंध
         
          प्रश्न 4.
          
          निर्देशानुसार वाक्य – रूपांतरण कीजिए: [1 × 3 = 3]
          
          (i) वह बगल के कमरे से कुछ बरतन ले आया । तौलिये से बरतन साफ़ किए । ( संयुक्त वाक्य में )
          
          (ii) लिखकर अभ्यास करने से कुछ भूल नहीं सकते। ( मिश्र वाक्य में )
          
          (iii) सीमा पर लड़ने वाले सैनिक ऐसे हैं कि जान हथेली पर लिए रहते हैं । ( सरल वाक्य में )
          
          उत्तर:
          
          (i) संयुक्त वाक्य – वह बगल के कमरे से कुछ बरतन लाया तथा उन्हें तौलिये से साफ़ किया।
          
          (ii) मिश्र वाक्य – लिख कर अभ्यास किया जाये तो कुछ भूला नहीं जा सकता ।
          
          (iii) सरल वाक्य – सीमा पर लड़ने वाले सैनिक जान हथेली पर लिए रहते हैं।
         
          प्रश्न 5.
          
          (क) निम्नलिखित शब्दों का समास विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए : [1 + 1 = 2]
          
          (i) चंद्रमुख
          
          (ii) पुष्पमाला
          
          उत्तर:
          
          (i) चंद्रमुख – चंद्र जैसा मुख कर्मधारय समास ।
          
          (ii) पुष्पमाला पुष्पों द्वारा निर्मित माला – तत्पुरुष समास ।
         
          (ख) निम्नलिखित शब्दों को समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए : [1 + 1 = 2]
          
          (i) पानी की चक्की
          
          (ii) महान् जो पुरूष
          
          उत्तर:
          
          (i) पानी की चक्की – पनचक्की – तत्पुरुष समास ।
          
          (ii) महान् जो पुरुष – महापुरूष – कर्मधारय समास ।
         
          प्रश्न 6.
          
          निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: [1 × 2 = 2]
          
          (क) कोई भी उपलब्धि आसानी से नहीं मिलती। उसके लिए खून जलाना पड़ता है।
          
          (ख) जब प्रतीक्षा बहुत लंबी हो जाती है तो एक-एक क्षण काटना पहाड़ हो जाता है।
          
          उत्तर:
          
          (क) खून जलाना ( कष्ट उठाना )
          
          (ख) पहाड़ होना ( बड़ी मुसीबत होना)
         
          प्रश्न 7.
          
          निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि अर्थ स्पष्ट हो जाए: [1 + 1 = 2]
          
          प्राण सूखना, बूते से बाहर होना
          
          उत्तर:
          
          (i) प्राण सूखना – मोहन के दुर्घटनाग्रस्त होने का समाचार सुनकर उसके पिता के प्राण सूख गए ।
          
          (ii) बूते से बाहर होना – आप मुझसे परीक्षा में टॉप करने की आशा मत रखें, यह तो मेरे बूते से बाहर है।
         
खण्ड-ग( पाठ्यपुस्तक )
          प्रश्न 8.
          
          निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
          
          चाय तैयार हुई। उसने वह प्यालों में भरी। फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए गए। वहाँ हम तीन मित्र ही थे। इस विधि में शांति मुख्य बात होती है। इसलिए वहाँ तीन से अधिक आदमियों को प्रवेश नहीं दिया जाता। प्याले में दो घूँट से अधिक चाय नहीं थी। हम ओठों से प्याला लगाकर एक-एक बूँद चाय पीते रहे। करीब डेढ़ घंटे तक चुसकियों का यह सिलसिला चलता रहा ।
          
          पहले दस-पंद्रह मिनट तो मैं उलझन में पड़ा । फिर देखा, दिमाग की रफ्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ती जा रही है। थोड़ी देर में बिलकुल बंद भी हो गई। मुझे लगा, मानो अनंतकाल में मैं जी रहा हूँ। यहाँ तक कि सन्नाटा भी मुझे सुनाई देने लगा ।
          
          (क) ‘टी-सेरेमनी’ में तीन से अधिक व्यक्तियों को प्रवेश क्यों नहीं दिया जाता? [2]
          
          (ख) टी-सैरेमनी में दो घूँट चाय को डेढ़ घंटे में पीने का कारण स्पष्ट कीजिए । [2]
          
          (ग) लेखक कितने मिनट तक उलझन में पड़ा रहा? [1]
          
          उत्तर:
          
          (क) जापान में चाय पीने की विशेष विधि में शांति का सर्वाधिक महत्त्व होता है। चाय पीने वाले लोगों की मानसिक शान्ति भंग न हो, इसलिए चाय पीने के स्थान पर एक समय में तीन से अधिक व्यक्तियों को प्रवेश नहीं दिया जाता।
          
          (ख) ‘टी-सैरेमनी’ में लोग एक-एक बूँद चाय पीते हैं। इस तरह चाय पीने से व्यक्ति अपने भूत और भविष्य से कुछ समय के लिए मुक्त हो जाता है। वह केवल वर्तमान में जीता है। अतः वहाँ दो घूँट चाय पीने में डेढ़ घंटा लग जाता है।
          
          (ग) लेखक दस-पंद्रह मिनट तक उलझन में पड़ा रहा।
         
अथवा
          निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। [2 + 2 + 1 = 5]
          
          (क) शेख अयाज़ के पिता भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए? ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले ‘ पाठ के आधार पर लिखिए।
          
          (ख) सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का क्या मकसद था?
          
          (ग) ‘कारतूस’ पाठ में सआदत अली को किस प्रकार का व्यक्ति बताया गया है?
          
          उत्तर:
          
          (क) शेख अयाज़ के पिता ने भोजन करते हुए देखा कि उनकी बाजू पर एक काला चींटा रेंग रहा था। वे भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए। उन्होंने कहा कि उन्होंने उस चींटे को घर से बेघर कर दिया है। वह उस चींटे को उसके घर छोड़कर आयेंगे।
          
          (ख) सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का यह मकसद था कि वह अवध की धन संपत्ति पर अधिकार करना चाहता था क्योंकि सआदत अली ऐश पसंद व्यक्ति था और उससे धन बटोरना आसान था । सआदत अली ने अंग्रेज़ों से मित्रता कर ली थी। उसने अंग्रेज़ों को अवध की आधी संपत्ति और दस लाख रुपये नकद दिए थे।
          
          (ग) ‘कारतूस’ पाठ में सआदत अली को अंग्रेज़ों के शुभचिन्तक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। सआदत अली एक अय्याश व्यक्ति था। उसने अंग्रेज़ों के कोप से बचने के लिए उनको अपनी आधी जायदाद और दस लाख रुपए नगद दिए थे।
         
 
          प्रश्न 9.
          
          जापान में मानसिक रोग के क्या कारण बताए गए हैं? उससे होने वाले प्रभाव का उल्लेख करते लिखिए कि इसमें ‘टी-सेरेमनी’ की क्या उपयोगिता है। [5]
          
          उत्तर:
          
          जापान में मानसिक रोग का मुख्य कारण कार्य को तीव्र गति से करने से उत्पन्न होने वाला मानसिक तनाव है। जापानी अमेरिकी लोगों से प्रतिस्पर्धा करते हैं। वे एक महीने में होने वाला कार्य एक दिन में करना चाहते हैं । इससे मानसिक तनाव में वृद्धि होती है जिससे मानसिक रोग उत्पन्न होते हैं। मानसिक तनाव दूर करने के लिए टी-सेरेमनी की विशेष उपयोगिता है। इसमें व्यक्ति शान्त स्थान पर बैठकर बहुत धीमी गति से चाय पीता है। इस विधि में थोड़ी-सी चाय पीने में लगभग डेढ़ घंटा लग जाता है। चाय पीते-पीते व्यक्ति के मन से भूत-भविष्य हट जाते हैं तथा केवल वर्तमान शेष रह जाता है। इससे मानसिक विचारों की गति अत्यन्त मन्द पड़ जाती है तथा मानसिक तनाव कम हो जाता है।
         
          प्रश्न 10.
          
          निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर लिखिए : [5]
          
          ‘मनुष्य मात्र बंधु है” यही बड़ा विवेक है,
          
          पुराणपुरुष स्वयंभु पिता प्रसिद्ध एक हैं।
          
          फलानुसार कर्म के अवश्य बाह्य भेद हैं,
          
          परंतु अंतरैक्य में प्रमाणभूत वेद है।
          
          अनर्थ है कि बंधु ही न बंधु की व्यथा हरे,
          
          वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ।।
          
          (i) लेखक ने कैसे सिद्ध किया है कि मनुष्य मात्र बंधु है? [2]
          
          (ii) संसार में विभिन्न – विभिन्न मनुष्यों की स्थिति में भेद क्यों दिखाई देता है? [1]
          
          (iii) लेखक ने सच्चा मनुष्य किसे कहा है? [2]
          
          उत्तर:
          
          (i) लेखक कहता है कि परमात्मा मानवमात्र का पिता है। सभी मनुष्य उसकी संतान हैं अतः मनुष्य मात्र को बंधु कहा जा सकता है।
          
          (ii) कर्मफल के कारण विभिन्न मनुष्यों की स्थिति में भेद दिखाई देता है।
          
          (iii) सच्चा मनुष्य वही है जो अन्य व्यक्तियों के हित के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर सकता है।
         
अथवा
          निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
          
          (क) ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए ? [2]
          
          (ख) दीपक दिखाई देने पर अंधकार कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए । [2]
          
          (ग) ‘आत्मत्राण’ कविता में कोई सहायक न मिलने पर कवि की क्या प्रार्थना है? [1]
          
          उत्तर:
          
          (क) ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से अभिप्राय है कि संसार के सभी मनुष्य हमारे सहोदर हैं, अपने हैं। विश्व का कोई भी प्राणी हमारे लिए पराया या शत्रु नहीं है।
          
          (ख) यहाँ ईश्वरीय ज्ञान की तुलना दीपक के प्रकाश से तथा अहंकार की तुलना अंधकार से की गई है। जिस प्रकार दीपक के प्रकाश से अंधकार दूर हो जाता है और सब कुछ स्पष्ट दिखाई देने लगता है उसी प्रकार ज्ञान का प्रकाश आ जाने से प्रभु की सत्ता, उसकी कृपा और महिमा महसूस होने लगती है।
          
          (ग) ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि किसी सहायक की इच्छा नहीं करता बल्कि वह परमात्मा से सहनशक्ति प्रदान करने की याचना करता है। वह चाहता है कि ईश्वर उसे दुखों को सहन करने की क्षमता प्रदान करें।
         
          प्रश्न 11.
          
          ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए। [5]
          
          उत्तर:
          
          प्रकृति प्रेमी कविवर पंत ने पर्वत प्रदेश में वर्षा ऋतु का मनोहारी चित्रण किया है। वर्षा का जल नीचे एकत्रित होकर तालाब – सा बना देता है तथा बादलों के ऊपर धुंआ उठता प्रतीत होता है। स्थान-स्थान पर वेगपूर्ण बहते झरने मनमोहक लगते हैं। वे पर्वत का गुणगान करते जान पड़ते हैं। बादल गरज – गरज कर बरसते हैं तथा बार-बार बिजली चमकती रहती है। पेड़ों की हरियाली, वर्षा से नहाए पेड़-पौधे स्वच्छ एवं आकर्षक लगते हैं। पानी की अधिकता से लगता है मानो आकाश टूटकर धरती पर ही गिर गया हो। चारों ओर जलमय सृष्टि देखने को मिलती है।
         
          प्रश्न 12.
          
          “अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं।” कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए । [5]
          
          उत्तर:
          
          हरिहर काका अनपढ़ थे, परंतु उन्हें दुनिया के लोगों के व्यवहार की अच्छी समझ थी। वह अब विधुर हो चुके थे तथा उनके कोई संतान भी नहीं थी । उनके हिस्से में पंद्रह बीघे जमीन आई थी। उनके भाइयों की नज़र उनकी ज़मीन पर थी। ठाकुरबारी का महंत भी ठाकुर जी के नाम पर उनकी ज़मीन हथियाना चाहता था, परंतु हरिहर काका ने यह निश्चय किया हुआ था कि वे जीते-जी अपनी ज़मीन किसी के नाम नहीं करेंगे। वे जानते थे कि ज़मीन हाथ से निकलते ही परिवार का कोई भी सदस्य उनकी चिंता अथवा देखभाल नहीं करेगा।
         
खण्ड – घ ( लेखन)
          प्रश्न 13.
          
          निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए :
          
          (क) पुस्तकें पढ़ने की आदत
          
          • पढ़ने की घटती प्रवृत्ति
          
          • कारण और हानि
          
          • पढ़ने की आदत से लाभ |
         
          (ख) कंप्यूटर हमारा मित्र
          
          • क्या है
          
          • विद्यार्थियों के लिए उपयोग
          
          • सुझाव ।
         
          (ग) स्वास्थ्य की रक्षा
          
          • आवश्यकता
          
          • पोषक भोजन
          
          • लाभकारी सुझाव |
          
          उत्तर:
          
          (क) पुस्तकें पढ़ने की आदत
          
          पुस्तकों का अध्ययन करने की आदत व्यक्ति के जीवन की दिशा परिवर्तित कर सकती है। पुस्तकों में ज्ञान का भंडार निहित रहता है। व्यक्ति के चरित्र निर्माण में पुस्तकों के अध्ययन का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। पुस्तकों से अच्छे विचार मिलते हैं तथा विविध विषयों की पर्याप्त जानकारी मिलती है। पुस्तकों के अध्ययन से ज्ञान में वृद्धि होती है। इससे व्यक्ति को उचित – अनुचित का निर्णय करने में पर्याप्त सहयोग मिलता है । अध्ययन के द्वारा ही विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं तथा अपने भविष्य को बेहतर दिशा दे सकते हैं। परंतु हमें जीवन निर्माण में सहायक होने वाली पुस्तकों का ही अध्ययन करना चाहिए। व्यक्ति में पुस्तकों के चयन की क्षमता होनी चाहिए तभी वह अध्ययन से अपेक्षित लाभ प्राप्त कर सकता है।
         
          (ख) कंप्यूटर हमारा मित्र
          
          कंप्यूटर विज्ञान का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आविष्कार है। कंप्यूटर एक ऐसा यंत्र है जिसके माध्यम से हम कोई भी सूचना क्षण भर में प्राप्त कर सकते हैं। विद्यार्थी अपने विषय से संबंधित प्रत्येक जानकारी एक क्लिक मात्र करने से प्राप्त कर सकते हैं। कंप्यूटर पर इंटरनेट सेवा के माध्यम से रेलवे, हवाई यात्रा की टिकट प्राप्त की जा सकती है । इन्टरनेट से नौकरी संबंधी जानकारी, देश-विदेश की जानकारी, खेल, संगीत, ज्योतिष, चिकित्सा, शिक्षा, फ़िल्म, मौसम आदि की जानकारी तुरन्त प्राप्त की जा सकती है। विद्यार्थी इसके द्वारा इच्छित विषय की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। विद्यार्थी तथा अन्य व्यक्ति कंप्यूटर का दुरपयोग भी करते हैं। अफवाहें फैलाने में इंटरनेट का दुरपयोग होता है। इंटरनेट पर अश्लील तस्वीरें तथा अश्लील फिल्में भी अनेक लोग देखते हैं इसके अतिरिक्त आतंकवादी तथा अन्य असामाजिक तत्त्व भी इंटरनेट का दुरपयोग करते हैं। वस्तुतः कंप्यूटर के बिना आज की दुनिया की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
         
          (ग) स्वास्थ्य की रक्षा
          
          स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन माना जाता है। अंग्रेजी भाषा में भी ‘हैल्थ इज़ वैल्थ’ कहा जाता है। भारतीय समाज में ‘पहला सुख निरोगी काया’ माना जाता है। अस्वस्थ व्यक्ति कभी प्रसन्न नहीं रहता तथा उसे अपना जीवन बोझ मालूम होता है। हमें अपने स्वास्थ्य की रक्षा के प्रति सावधान रहना चाहिए। स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पौष्टिक एवं संतुलित भोजन आवश्यक है। इसके अतिरिक्त नियमित व्यायाम भी अत्यन्त आवश्यक है। नियमित व्यायाम तथा योग करने से व्यक्ति प्रायः स्वस्थ रहता है। इसके अतिरिक्त तनाव से बचने का भी पूरा प्रयास करना चाहिए। स्वास्थ्य रक्षा के लिए हमें अपने आस-पास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमें मिलावटी खाद्य पदार्थों तथा फास्टफूड से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार स्वास्थ्य की रक्षा के लिए हमें विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
         
 
          प्रश्न 14.
          
          विद्यालय के गेट पर मध्यावकाश के समय ठेले और रेहड़ी वालों द्वारा जंक फूड बेचे जाने की शिकायत करते हुए प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर उन्हें रोकने का अनुरोध कीजिए । [5]
          
          उत्तर:
          
          सेवा में
          
          प्रधानाचार्य जी
          
          रूक्मणी देवी उ० मा० विद्यालय
          
          नई दिल्ली
          
          दिनांक : 10 जुलाई, 20xx
          
          महोदय
          
          हमारे विद्यालय में मध्यावकाश के समय विद्यालय के मुख्य द्वार पर कुछ ठेले और रेहड़ी वाले उपस्थित रहते हैं तथा वे जंक फूड बेचते हैं। मैगी तथा चाऊमीन के ठेलों पर तो विद्यार्थियों की भीड़ लगी रहती है। वस्तुतः यह भोजन हम लोगों के स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है।
          
          आपसे अनुरोध है कि आप इन जंक फूड विक्रेताओं को विद्यालय के गेट पर आने के लिए प्रतिबंधित करें । आपका शिष्य
          
          आलोक मित्र
          
          कक्षा X-ग
         
अथवा
          अपने क्षेत्र में पेयजल की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए जिला स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखिए ।
          
          उत्तर:
          
          सेवा में
          
          स्वास्थ्य अधिकारी
          
          दिल्ली नगर निगम कार्यालय
          
          सिविल लाइन्स, दिल्ली।
          
          विषय – पेयजल समस्या की ओर ध्यान दिलाने हेतु प्रार्थना पत्र |
          
          महोदय,
          
          हमारे क्षेत्र की जल-व्यवस्था अत्यंत शोचनीय है। कई बार तो दो-दो दिन तक लगातार जल की आपूर्ति बंद रहती है। क्षेत्र के निवासियों को पानी की एक-एक बूँद के लिए तरसना पड़ता है। साधारणतः प्रातः 5 बजे से 7 बजे तक नलों में पानी आता है परंतु पिछले कई दिनों से कई बार केवल 10-15 मिनट ही जल देवता के दर्शन होते हैं। सरकारी नलों पर तो स्थिति और भी बदतर ( बुरी) रहती है। लोग एक बाल्टी पानी लेने के लिए झगड़ा करने पर आमादा ( उतारू ) हो जाते हैं। कल प्रातः नलों से अशुद्ध पानी की आपूर्ति हुई। जल का रंग लाल था तथा उसमें कीड़े तैरते हुए दिखाई दे रहे थे। अतः आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि आप हमारे क्षेत्र की जल- व्यवस्था में शीघ्र सुधार करें। साथ ही जल आपूर्ति के समय में वृद्धि करें।
          
          भवदीय
          
          क० ख०ग०
          
          दिनांक : ……
         
          प्रश्न 15.
          
          विद्यालय में छुट्टी के दिनों में भी प्रातः काल में योग की अभ्यास कक्षाएँ चलने की सूचना देते हुए इच्छुक विद्यार्थियों द्वारा अपना नाम देने हैंतु सूचना पट्ट के लिए एक सूचना लगभग 20-30 शब्दों में लिखिए।
          
          उत्तर:
         
| सूचना हमारे विद्यालय के सभी विद्यार्थियों को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि अवकाश के दिनों में भी प्रात:काल 8 बजे से विद्यालय के प्रांगण में योग की अभ्यास कक्षाएँ चलेंगी। योग सीखने के इच्छुक विद्यार्थी अपना नाम विद्यालय की छात्र समिति के सचिव को दे दें। रमेश अरोड़ा, अध्यक्ष छात्र समिति | 
          प्रश्न 16.
          
          ‘मीठे बोल’ पर लघुकथा लिखिए। [5]
          
          उत्तर:
          
          मीठे बोल
          
          एक जंगल में एक खरगोश रहता था। एक दिन घूमता- घूमता वह बाज़ार की तरफ चला गया। अचानक वह एक दुकान में गुड़ की ढेरी देख कर रुक गया। मीठा गुड़ देखकर उसने मुँह में पानी आ गया। उसने गुड़ खाने की सोची। पर कैसे ? उसने खुद से कहा, क्यों ना थोड़ा सा गुड़ चुरा लिया जाए? पर फिर उसने सोचा चोरी करना गलत बात है दुकानदार से ही थोड़ा गुड़ माँग लेना चाहिए। वह दुकानदार के पास गया और उससे मीठे स्वर में कहने लगा कि आप बड़े दयालु हैं, लोगों की सहायता करते हैं। किसी को भी अपनी दुकान से खाली हाथ निराश नहीं जाने देते । क्या आप मुझे थोड़ा गुड़ खाने को देंगे। दुकानदार अपनी प्रशंसा सुनकर खुश हो गया। उसने झट से गुड़ का एक बड़ा टुकड़ा खरगोश को दे दिया। खरगोश वापिस जंगल आ गया और एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम से गुड़ खाने लगा। एक लोमड़ी वहाँ से गुज़र रही थी । उसने खरगोश को गुड़ खाते देखा तो उसके मुँह में भी पानी आ गया। उसने उसे धमकाते हुए पूछा कि वह गुड़ कहाँ से लाया है तो खरगोश ने उसको सारी बात बता दी। लोमड़ी भी दुकानदार के पास जा पहुँची। पर वह तो स्वभाव से ही धूर्त थी, उसने सोचा यदि दुकानदार को डराकर गुड़ माँगूँगी तो वह डर के मारे अधिक गुड़े देगा।
         
वह दुकानदार के पास जाकर उसे धमकाने लगी, ‘अरे कपटी दुकानदार! तू तो बहुत लालची आदमी है। सामान का दाम दुगुना लेता है और उस पर वस्तुओं में भी मिलावट करता है। मैं तेरी शिकायत करूंगी और यदि तू चाहता है तो कि शिकायत न की जाए तो बदले में तुझे मुझे गुड़ देना होगा । ‘ दुकानदार ईमानदार था। उसे गुस्सा आ गया उसने सोचा इस धूर्त लोमड़ी को सबक सिखाना चाहिए। उसने लोमड़ी से कहा तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए एक बोरी गुड़ लाता हूँ । लोमड़ी खुश हो गई। दुकानदार अंदर गया और खराब हो चुके गुड़ की एक बोरी ले आया, उस गुड़ में चींटे लगे हुए थे। लोमड़ी को यह पता नहीं था। जैसे ही उसने बोरी में हाथ डाला चींटे उसके हाथ में चिपक गए और उसे काटने लगे। लोमड़ी ने अपना हाथ ज़मीन पर पटका, जिस कारण उसे बहुत दर्द हुआ पर चींटे फिर भी उसके हाथ से ही चिपके रहे। लोमड़ी दर्द के मारे चीखती-चिल्लाती हुई जंगल की ओर भाग गई। लोमड़ी को अपने कड़वे बोलों का फल मिल चुका था ।
          प्रश्न 17.
          
          सड़क पर टहलते हुए आपको एक बैग मिला, जिसमें कुछ रुपये, मोबाइल फ़ोन तथा अन्य कई महत्त्वपूर्ण काग़ज़ात थे। लगभग 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए कि अधिकारी व्यक्ति आपसे संपर्क कर अपना बैग ले जाए ।
          
          उत्तर:
         
| खोई वस्तु की सूचना सड़क पर टहलते हुए मुझे एक बैग मिला है। बैग से संबंधित व्यक्ति बैग में रखे सामान का विवरण देकर अपना बैग ले सकता है। आप मेरे दूरभाष नंबर 98105xxxxx पर सम्पर्क कर सकते हैं। विनय | 
 
 
 
 
