Students can find that CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi with Solutions and CBSE Class 10 Hindi Question Paper 2016 (Outside Delhi) effectively boost their confidence.
CBSE Class 10 Hindi A Question Paper 2016 (Outside Delhi) with Solutions
          निर्धारित समय : 3 घण्टे
          
          अधिकतम अंक : 80
         
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड-क ( अपठित बोध )
          प्रश्न 1.
          
          निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- [8]
          
          मैंने तो लेनिनग्राद में भी देखा कि गर्मियों के प्रायः तीन महीने जिसमें जुलाई और अगस्त भी शामिल हैं, रात्रि होती ही नहीं। दस बजे सूर्यास्त हुआ, दो घंटा गोधूली ने लिया और अगले दो घंटों को उषा ने। इस प्रकार रात बेचारी के लिए अवकाश ही नहीं रह जाता, और आधी रात को भी आप घर से बाहर बिना चिराग के अखबार पढ़ सकते हैं।
          
          नक्शे को देखकर असम, भूटान, सिक्किम, नेपाल, कुमायूँ, टिहरी, बुशहर, काँगड़ा और कश्मीर से तिब्बत की ओर जाने वाले रास्तों, उनकी बस्तियों तथा भिन्न-भिन्न स्थानों की पहाड़ी ऊँचाइयों को जिसने देख लिया है, उसके लिए कितनी ही बातें साफ हो जाती हैं। एक डाँडा पार कर लेने पर तो दूसरे रास्ते की जानकारी स्वयं ही बहुत-सी हो जाती है। जिसमें घुमक्कड़ी का अकुंर निहित हैं उसे, दो-चार मर्तबा देखा नक्शा आँख मूँदने पर भी दिखलाई पड़ता है। कम-से-कम नक्शे के साथ उसका अत्यधिक प्रेम तो होता ही है। यह भी स्मरण रखना चाहिए कि छिपकर की गई यात्राओं में अक्सर नक्शे का पास रखना ठीक नहीं होता, कभी-कभी तो उसके कारण विदेशी गुप्तचर माना जाने लगता है, इसलिए घुमक्कड़ यदि नक्शे को दिमाग में बैठा ले, तो अच्छा है। मेरे घुमक्कड़ मित्र मानसरोवर – वासी स्वामी प्रणवानंद जी को आवश्यकता ही ने योगी परिव्राजक से भूगोलज्ञ बना दिया और उन्होंने मानसरोवर प्रदेश के संबंध में कुछ निर्ऋत समझी जाने वाली भ्रांत धारणाओं का संशोधन किया। हम नहीं कहते कि हरेक घुमक्कड़ को सर्वज्ञ होना चाहिए, किन्तु घुमक्कड़ी – पथ पर पैर रखते हुए कुछ-कुछ ज्ञान तो बहुत सी बातों का होना ज़रूरी है।
          
          (i) लेनिनग्राद में लेखक को दिन-रात के समय में क्या परिवर्तन दिखाई दिया? [2]
          
          (ii) छिपकर की गई यात्राओं में यात्री को नक्शा पास रखने से क्या हानि हो सकती है? [2]
          
          (iii) स्वामी प्रणवानन्द योगी परिव्राजक से भूगोलज्ञ कैसे बन गए? [2]
          
          (iv) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए। [1]
          
          (v) ‘निर्भ्रान्त’ तथा ‘संशोधन’ शब्दों का प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए । [1]
          
          उत्तर:
          
          (i) लेखक ने लेनिनग्राद में देखा कि वहाँ गर्मियों के तीन महीनों में रात का अंधकार दृष्टिगत नहीं होती । शाम को दस बजे सूर्यास्त होता है। इसके बाद दो घन्टे तक हल्का प्रकाश रहता है। उसके कुछ समय पश्चात् उषाकाल प्रारम्भ हो जाता है। यहाँ आधी रात को भी घर से बाहर बिना बल्ब की रोशनी के समाचार-पत्र पढ़ा जा सकता है।
          
          (ii) छिपकर की गई यात्राओं में यात्री को अपने पास नक्शा नहीं रखना चाहिए। ऐसी यात्रा में नक्शे वाले यात्री को विदेशी गुप्तचर समझ लिया जाता है तथा उसे दण्डित भी किया जाता है।
          
          (iii) स्वामी प्रणवानन्द ने मानसरोवर प्रदेश के संबंध में अनेक प्रचलित धारणाओं का खण्डन किया। उन्होंने उस क्षेत्र में खोज की तथा योगी परिव्राजक के साथ वे भूगोलज्ञ भी बन गए।
          
          (iv) शीर्षक – देश ज्ञान ।
          
          (v) 1. मैं आपकी धारणा को निर्भ्रान्त नहीं समझता ।
          
          2. मैं अपने प्रस्ताव में संशोधन करने के लिए सहमत
         
 
          प्रश्न 2.
          
          निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- [7]
          
          तिनका तिनका लाकर चिड़िया
          
          रचती है आवास नया।
          
          इसी तरह से रच जाता है
          
          सर्जन का आकाश नया।
          
          मानव और दानव में यूँ तो
          
          भेद नज़र नहीं आएगा।
          
          एक पोंछता बहते आंसू
          
          जीभर एक रुलाएगा।
          
          रचने से ही आ पाता है
          
          जीवन में विश्वास नया।
          
          कुछ तो इस धरती पर केवल
          
          खून बहाने आते हैं।
          
          आग बिछाते हैं राहों में
          
          फिर खुद भी जल जाते हैं।
          
          जो होते खुद मिटने वाले
          
          वे रचते इतिहास नया।
          
          मंत्र नाश का पढ़ा करें कुछ
          
          द्वार-द्वार पर जा करके ।
          
          फूल खिलाने वाले रहते
          
          घर-घर फूल खिला करके ।
          
          (i) सर्जन का नया आकाश कैसे बनता है? [2]
          
          (ii) मानव और दानव में क्या अंतर है? [1]
          
          (iii) जीवन में नया विश्वास किस प्रकार आता है? [1]
          
          (iv) अत्याचार करने वालों का क्या अंत होता है? [1]
          
          (v) ‘नाश का मंत्र पढ़ने’ और ‘फूल खिलाने’ से क्या तात्पर्य है? [2]
          
          उत्तर:
          
          (i) तिनका तिनका जोड़कर जैसे नीड़ बनता है, ठीक उसी प्रकार छोटी-छोटी रचनात्मक वस्तुओं से संसार बनता है।
          
          (ii) दुःखी के आँसू पोंछने वाला मानव एवं दूसरों को जी भर रुलाने वाला दानव कहलाता है।
          
          (iii) रचनात्मक कार्य करने से ही जीवून में विश्वास का संचार होता है।
          
          (iv) इस धरती पर अत्याचार करने वाले एक दिन में नष्ट हो जाते हैं।
          
          (v) नाश का मंत्र पढ़ने का तात्पर्य है दूसरों का अहित करना तथा फूल खिलाना का तात्पर्य है प्रत्येक व्यक्ति तक खुशियाँ पहुंचाने का प्रयास ।
         
खण्ड – ख ( व्यावहारिक व्याकरण )
          प्रश्न 3.
          
          निर्देशानुसार उत्तर दीजिए : 1 × 3 = 3
          
          (क) कुछ भी सीखना हो तो स्कूल जाना ज़रूरी नहीं। ( वाक्य का भेद बताइए )
          
          (ख) इस नहर को अनेक गुमनाम और अनपढ़ माने गए लोगों ने बनाया था। ( मिश्रवाक्य में बदलिए)
          
          (ग) उन्हें लगता था कि नमक कर एक सामान्य – सा मुद्दा है । ( सरल वाक्य में बदलिए)
          
          उत्तर:
          
          (क) मिश्र वाक्य |
          
          (ख) इस नहर को उन लोगों ने बनाया था जो गुमनाम और अनपढ़ माने जाते थे।
          
          (ग) उन्हें नमक कर एक सामान्य-सा मुद्दा लगता था ।
         
          प्रश्न 4.
          
          निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए- 1 × 4 = 4
          
          (क) दादा जी के द्वारा हम सबको पुस्तकें दी गई। ( कर्तृवाच्य में )
          
          (ख) उससे चला नहीं जाता। ( कर्तृवाच्य में )
          
          (ग) वह तो उठ भी नहीं सकती । ( भाववाच्य में )
          
          (घ) उन्होंने उछलकर डोर पकड़ ली। ( कर्मवाच्य में )
          
          उत्तर:
          
          (क) दादा जी ने हम सबको पुस्तकें दी ।
          
          (ख) वह चल नहीं सकता।
          
          (ग) उससे तो उठा भी नहीं जाता।
          
          (घ) उनके द्वारा उछलकर डोर को पकड़ लिया गया।
         
          प्रश्न 5.
          
          रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए- 1 × 4 = 4
          
           कब्रिस्तान
          
          की भूमि को लेकर
          
           छोटे-मोटे
          
          तनाव
          
           होते हैं
          
          । एक ऐसे ही अवसर पर
          
           मुझे
          
          पंचायत में शामिल होना पड़ा।
          
          उत्तर:
          
          कब्रिस्तान-कर्ता, एक वचन, पुल्लिंग।
          
          छोटे-मोटे – विशेषण, परिमाण वाचक, बहुवचन ।
          
          होते हैं – क्रिया, बहुवचन, सकर्मक |
          
          मुझे – कर्ता, सर्वनाम, प्रथम पुरुष, एकवचन ।
         
          प्रश्न 6.
          
          (क) काव्यांश का अलंकार पहचानकर उसका नाम लिखिए- 1 × 4 =4
          
          सागर के उर पर नाच – नाच करती हैं लहरें मधुर गान ।
          
          (ख) जो चाहो चटक न घटे, मैलो होय न मित्त ।
          
          राज राजस न छुवाइये नेह चीकने चित्त ।।
          
          (ग) उत्प्रेक्षा अलंकार का एक उदाहरण दीजिए ।
          
          (घ) अतिश्योक्ति अलंकार का एक उदाहरण दीजिए
          
          उत्तर:
          
          (क) मानवीकरण अलंकार
          
          (ख) श्लेष अलंकार
          
          (ग) सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल ।
          
          बाहर सोहत मनु पियो दावानल की ज्वाल ।।
          
          (घ) ‘जिस दिन जनम लियो आल्हा ने धरती धँसी अढ़ाई हाथ । ‘
         
खण्ड – ग ( पाठ्य-पुस्तक)
          प्रश्न 7.
          
          निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: [5]
          
          वही पुराना बालाजी का मंदिर जहाँ बिस्मिल्ला खाँ को नौबतखाने रियाज़ के लिए जाना पड़ता है। मगर एक रास्ता है बालाजी मंदिर तक जाने का। यह रास्ता रसूलनबाई बौर बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता है। इस रास्ते से अमीरुद्दीन को जाना अच्छा लगता है। इस रास्ते न जाने कितने तरह के बोल – बनाव कभी ठुमरी, कभी टप्पे, कभी दादरा के मार्फत ड्योढ़ी तक पहुंचते रहते हैं। रसूलन और बतूलन जब गाती हैं तब अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है। अपने ढेरों साक्षात्कारों में बिस्मिल्ला खाँ साहब ने स्वीकार किया है कि उन्हें अपने जीवन के आरंभिक दिनों में संगीत के प्रति आसक्ति इन्हीं गायिका बहिनों को सुनकर मिली है।
         
          (क) बिस्मिल्ला खाँ कौन थे? बालाजी मंदिर से उनका क्या संबंध है? [2]
          
          (ख) रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर बालाजी के मंदिर जाना बिस्मिल्ला खाँ को क्यों अच्छा लगता था ? [2]
          
          (ग) रियाज़’ से क्या तात्पर्य है? [1]
          
          उत्तर:
          
          (क) बिस्मिल्ला खाँ प्रसिद्ध शहनाई वादक थे। वह किशोरावस्था में बालाजी मंदिर के नौबतखाने में शहनाई का अभ्यास करने जाते थे।
          
          (ख) जब बिस्मिल्ला खाँ बालाजी मंदिर जाते थे तो रास्ते में रसूलनबाई और बतूलनबाई के घर से उनको कभी ठुमरी, कभी टप्पे तो कभी दादरा सुनने को मिलते थे और यही संगीत सुनकर बिस्मिल्ला खाँ को खुशी मिलती थी ।
          
          (ग) ‘रियाज़’ का अर्थ अभ्यास है। कलाकार रियाज़ से ही सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं।
         
          प्रश्न 8.
          
          निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए । 2 × 4 = 8
          
          (क) मन्नू भंडारी के पिता की कौन-कौन सी विशेषताएँ अनुकरणीय हैं?
          
          (ख) शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
          
          (ग) होश संभालने के बाद से ही लेखिका के अपने पिता से किस प्रकार के संबंध थे?
          
          (घ) भगत जी ने बेटे की मृत्यु के बाद क्या किया ?
          
          उत्तर:
          
          (क) मन्नू भंडारी के पिता चाहते थे कि उनकी बेटियाँ उच्च शिक्षा प्राप्त करें तथा जीवन में पर्याप्त ख्याति अर्जित करें। उन्होंने जब देखा कि मन्नू का विद्यालय की छात्राओं पर गहरा प्रभाव है तथा मन्नू देश की स्वतंत्रता के लिए छात्राओं को प्रेरित करती है तो वह बहुत प्रसन्न हुए । उनकी ये विशेषताएँ अनुकरणीय कही जा सकती हैं।
         
          प्रश्न 9.
          
          निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [5]
          
          लखन कहा हसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना ।।
          
          का छति लाभु जून धनु तोरें। देखा राम नयन के भोरें ।।
          
          छुअत टूट रघुपतिहु न दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू ।।
          
          बोले चितै परसु की ओरा । रे सठ सुनेहि सुभाउ न मोरा ||
          
          बालकु बोलि बधौं नहि तोही । केवल मुनि जड़ जानहि मोही ।।
          
          बाल ब्रह्मचारी अति कोही । बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही ||
          
          भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही । बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही ॥
          
          सहसबाहुभुज छेदनिहारा । परसु बिलोकु महीपकुमारा ।।
          
          मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर ।
          
          गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर ||
         
          (क) लक्ष्मण ने परशुराम को कैसे समझाया ? [1]
          
          (ख) ‘का छति लाभु जून धनु तोरें’ कथन से क्या अभिप्राय है? [1]
          
          (ग) ‘छति’ तथा ‘लखन’ शब्दों के तत्सम शब्द लिखिए। [1]
          
          (घ) लक्ष्मण के वचनों में कौन-सा मनोभाव प्रकट हुआ है? [1]
          
          (ङ) ‘रे सठ सुनेहि सुभाउ न मोरा’ में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है ? [1]
          
          उत्तर:
          
          (क) लक्ष्मण ने परशुराम को समझाया कि हे देव! सभी धनुष एक समान हैं । धनुष के टूटने से क्या हानि है तथा न टूटने से क्या लाभ? इसे तो श्रीराम ने नया धनुष समझकर मात्र देखा भर था। अतः उनका कोई दोष नहीं है।
          
          (ख) ‘का छति लाभु जून धनु तोरें’ कथन से अभिप्राय है कि धनुष के टूटने से परशुराम की कोई हानि नहीं थी और धनुष न टूटने से कोई लाभ नहीं था। परशुराम का भला इस धनुष से ही इतना लगाव या इतनी ममता क्यों है?
          
          (ग) ‘छति’ – क्षति, ‘लखन’ – लक्ष्मण
          
          (घ) व्यंग्य और क्रोध ।
          
          (ङ) अनुप्रास अलंकार ।
         
 
          प्रश्न 10.
          
          निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए । 2 × 4 = 8
          
          (क) परशुराम की स्वभावगत् विशेषताएँ क्या हैं? पाठ के आधार पर लिखिए।
          
          (ख) ‘उत्साह’ कविता में बादल को बच्चों की कल्पना के समान क्यों कहा गया है?
          
          (ग) संगतकार की आवाज़ में एक हिचक – सी क्यों प्रतीत होती है?
          
          (घ) कवि के अनुसार फसल क्या है?
          
          उत्तर:
          
          (क) परशुराम अत्यंत बलशाली योद्धा हैं। वे अत्यंत उग्र एवं क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार उन्होंने अनेकों बार पृथ्वी से क्षत्रियों का विध्वंस कर पृथ्वी को ब्राह्मणों को दान में दे दिया था।
         
          प्रश्न 11.
          
          ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में प्रदूषण के कारण हिमपात में कमी पर चिंता व्यक्त की गई है। प्रदूषण के कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं? हमें इसकी रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए । [4]
          
          उत्तर:
          
          (i) प्रदूषण के कारण पहाड़ी स्थानों का तापमान निरंतर बढ़ रहा है जिससे हिमपात कम हो गया है।
          
          (ii) प्रदूषण का दुष्प्रभाव जल, थल तथा वायु सब पर गहरा असर डालता है जिसके कारण मनुष्य अनेक भयावह एवं लाइलाज रोगों से ग्रस्त होता जा रहा है।
          
          (iii) ध्वनि प्रदूषण से शांति भंग होती है । कानों से सम्बन्धित अनेक रोगों का जनक ध्वनि प्रदूषण ही है । औसत से अधिक आवाज़ से बहरेपन का खतरा बढ़ जाता है।
          
          (iv) कई रोगी व्यक्ति शांति प्राप्त करने के लिए एकांत ढूँढते हुए पहाड़ी स्थानों पर जाते हैं, परन्तु वहाँ भी प्रदूषण देखकर उन्हें निराशा का सामना करना पड़ता है।
          
          (v) प्रदूषण के कारण मनुष्य खुशहाल तथा निरोगी जीवन से दूर हो गया है।
         
          प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए जा सकने वाले उपाय- आज विकास का दौर इतना तीव्र हो गया है कि आज की पीढ़ी प्रकृति से दूर होती जा रही है और इसी कारण उसका प्रकृति से लगाव भी कम होता जा रहा है । लगातार कटते वन, फैक्टरियों से निकलता विषैला धुआँ आदि प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं। निम्नलिखित तरीकों से इसे रोकने में हमारी भूमिका अति महत्त्वपूर्ण
          
          (i) हमें वन संरक्षण को महत्त्व देना चाहिए एवं वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए।
          
          (ii) सीमित प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
          
          (iii) फैक्टरियों से निकलने वाले विषैले धुएँ के रोकथाम के उपाय करने चाहिएं।
         
खण्ड – घ ( लेखन)
          प्रश्न 12.
          
          दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 200-250 शब्दों में निबंध लिखिए- [10]
          
          (i) विदेशी आकर्षण
          
          • विदेश के लिए मोह
          
          • सुविधापूर्ण जीवन
          
          • प्रतिष्ठा का प्रश्न
         
          (ii) मुसीबत में ही मित्र की परख होती है
          
          • अच्छे मित्र की पहचान
          
          • मित्र के गुण
          
          • निष्कर्ष
         
          (iii) प्रकृति का प्रकोप
          
          • प्रकृति का दानव स्वरूप
          
          • कारण
          
          • समाधान
          
          उत्तर:
          
          (i) विदेशी आकर्षण
          
          वर्तमान युग में सम्पूर्ण विश्व एक विशाल देश की तरह हो गया है। ऐसी स्थिति में विभिन्न देशों का अन्य देशों पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। भारत की भाषा, धर्म तथा संस्कृति का प्रभाव अनेक देशों में देखा जा सकता परन्तु भारत पर विदेशी प्रभाव बहुत अधिक लक्षित होता है। यहाँ की शिक्षा प्रणाली भी विदेशों से विशेष रूप से प्रभावित है। भारत के बड़े शहरों में विद्यार्थी राष्ट्रभाषा के स्थान पर अंग्रेज़ी भाषा पढ़ना तथा बोलना अधिक पसन्द करते हैं। हमारे शहरों, कस्बों में वेशभूषा पर भी विदेशी प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगत होता है। लोग फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि में रुचि लेने लगे हैं।
         
          (ii) मुसीबत में ही मित्र की परख होती है
          
          सच्चा मित्र वह होता है, जिसके पास होने से न तो हमें अकेलापन अनुभव होता है और न ही कोई अनावश्यक परायापन । मित्र के पास होने से हमें ऐसा लगता है मानो हमारी ही आत्मा का विस्तार हो गया हो। मानो हमारा अधूरापन समाप्त होकर भर गया हो। सच्चा मित्र हमारी आत्मा की माँग होता है। वह हमारे सुख-दुख, हमारी भावनाओं को समझता है।
         
          मित्रता अनमोल धन है। इसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती । सच्चा मित्र विश्व की सर्वश्रेष्ठ दवा है। सच्ची मित्रता के कई उदाहरण प्राचीन काल से ही दृष्टव्य हैं, जैसे – कृष्ण और सुदामा, अर्जुन और कृष्ण, विभीषण और राम ।
          
          जिस प्रकार मनुष्य के दोनों हाथ शरीर की अनवरत रक्षा करते हैं, उन्हें कहने की आवश्यकता नहीं होती तथा पलकें भी नेत्रों को धूलि – कणों से बचा लेती हैं, वे तुरन्त बंद हो जाती हैं, ठीक उसी तरह एक सच्चा मित्र विपत्ति में बिना कहे – सुने अपने मित्र का सदैव हित चिंतन करता है।
          
          सच्चा मित्र हमारे सुख-दुख में सदैव हमारी सहायता करता है । जीवन को सरसता और आसानी से जीने के लिए सच्चा मित्र आवश्यक है। मित्र का चुनाव बाहरी चमक-दमक, चटक मटक या वाक्पटुता देखकर नहीं करना चाहिए । मित्रता समानता के आधार पर होनी चाहिए। वह सच्चरित्र, परदुखकातर तथा विनम्र होना चाहिए । विश्वासपात्र मित्र को पा लेना बहुत बड़ी सफलता है।
          
          सच्चा मित्र जीवन में सफलता की कुंजी है। मित्रता वास्तव में एक नई शक्ति की योजना है। अतः कहा जा सकता है कि सच्चा मित्र मिलना कठिन है। लेकिन जब मिल जाता है तो पाने वाले के लिए सौभाग्य की बात होती है। जिसे सच्चा मित्र मिल जाता है, मानो उसने सभी समस्याओं के समाधान पा लिया है। सच्चे मित्र को पा लेने वाला गर्व से कह सकता है
          
          मित्रता बड़ा अनमोल रतन
          
          कब उसे तोल सकता है धन।
         
          (iii) प्रकृति का प्रकोप
          
          प्रकृति का प्रकोप अत्यन्त भयावह होता है। सुनामी, बाढ़, सूखा, भूकंप आदि के रूप में प्रकृति का प्रकोप कई बार लाखों मनुष्यों की मृत्यु का कारण बन जाता है। प्रकृति की विनाशलीला लोगों को पलों में कंगाल बना देती है।
          
          2016 के अगस्त महीने में प्रकृति ने बाढ़ के रूप में अपना विकराल रूप दिखाया। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड आदि राज्यों में बाढ़ के कारण सैकड़ों व्यक्तियों की मृत्यु हुई तथा अरबों रुपयों की धन- सम्पदा की हानि हुई। बिहार तथा मध्य प्रदेश में नदियों के तट के निकट रहने वाले लोगों के कच्चे मकान बाढ़ की भेंट चढ़ गए। इसके अतिरिक्त लाखों लोगों के निवास क्षतिग्रस्त हो गए। बाढ़ के पश्चात् अनेक गांवों में विभिन्न रोगों के कारण भी लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। इस प्राकृतिक आपदा के कारण लाखों लोगों बुरी तरह प्रभावित रहे। बाढ़ के फलस्वरूप खाने-पीने के सामान का अभाव हो गया। लोगों कई-कई दिनों तक भूखा-प्यासा रहना पड़ा। इस भयानक आपदा के समय प्रशासन की ओर से शीघ्रता से कोई कदम नहीं उठाया गया। मीडिया ने जब इस समाचार को प्रसारित किया तो प्रशासन अपनी कुम्भकरणी नींद से जागा और तुरंत अपने अधिकारियों को बाढ़ पीड़ितों की सुध लेने को कहा। तब जाकर लोगों को भोजन एवं साफ पेयजल उपलब्ध करवाया गया।
         
          प्रश्न 13.
          
          नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन की जाँच मशीन पर एक यात्री के भूलवश छूटे एक लाख बीस हजार रुपए को मेट्रो पुलिस ने उसे लौटा दिया। इस समाचार को पढ़कर जो विचार आपके मन में आते हैं, उन्हें किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र के रूप में लिखिए । [5]
          
          उत्तर:
          
          मुख्य सम्पादक
          
          नवभारत टाइम्स
          
          बहादुशाह जफर मार्ग
          
          नई दिल्ली।
          
          दिनांक : 20 अक्टूबर, 20xx
          
          विषय : समाचार पत्र के संपादक को मेट्रो कर्मचारी की ईमानदारी की प्रंशसा हेतु पत्र ।
          
          महोदय
          
          कल आपके समाचार पत्र में एक समाचार पढ़कर अच्छा लगा। नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन की जाँच मशीन पर एक यात्री असावधानीवश अपना बैग भूल गया। इस बैग में एक लाख बीस हज़ार रुपए थे। इस धनराशि को अधिकारियों ने संबंधित व्यक्ति को लौटा दिया। वर्तमान युग में एक ओर जहाँ सामान्य व्यक्ति का मानव मूल्यों से विश्वास उठता जा रहा है। वहाँ ऐसी स्थिति में ईमानदारी की इस प्रकार की घटना सामान्य जनता में मानव मूल्यों के प्रति विश्वास को शक्ति प्रदान करती है।
          
          भवदीय
          
          आलोक वर्मा
          
          21, राजपुर रोड
         
          आपकी अपने प्रिय मित्र से किसी बात पर अनबन हो गई थी किन्तु अब आपको अपनी गलती का एहसास हो गया है। अतः उसे मनाने के लिए पत्र लिखिए।
          
          उत्तर:
          
          923- बी, जवाहर नगर
          
          दिल्ली |
          
          दिनांक : 22 अगस्त, 20xx
          
          प्रिय संकल्प
          
          मधुर स्नेह !
          
          पिछले सप्ताह मैंने तुमसे अनुचित व्यवहार किया । वस्तुतः रितु ने मेरे मन में तुम्हारे प्रति कुछ गलतफहमी उत्पन्न कर दी थी। मुझे जब यह सत्य ज्ञात हुआ तो मैंने ग्लानि का अनुभव किया। मैं जानता हूँ कि तुम मेरे हितचिन्तक हो परतु भ्रमवश मैंने तुमसे अपमानजनक व्यवहार किया। अतः मैं तुमसे हृदय से क्षमाप्रार्थी हूँ। मुझे आशा है कि तुम मुझे अवश्य ही क्षमा कर दोगे ।
          
          तुम्हारा अभिन्न मित्र
          
          हरिशंकर वर्मा
         
 
          प्रश्न 14.
          
          ‘चमक’ टूथपेस्ट की बिक्री बढ़ाने के लिए 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन प्रस्तुत कीजिए । [5]
          
          उत्तर:
         
| : ‘’ : ‘’ ’ 
 
 
 True | 
 
 
 
 
