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CBSE Class 10 Hindi A Question Paper 2015 (Delhi) with Solutions
          निर्धारित समय : 3 घण्टे
          
          अधिकतम अंक : 80
         
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड – क ( अपठित बोध )
          प्रश्न 1.
          
          निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- [8]
          
          एक साहित्यिक सभा में एक तरुण विद्यार्थी भाषण देने के लिए खड़ा हुआ, पर उसका भाषण जमा नहीं – वह घबरा गया। श्रोताओं ने तालियाँ पीटीं, दस – पाँच वाक्य कहने के बाद ही उसे बैठ जाना पड़ा। मंच पर उसकी कुर्सी हमारी कुर्सी के पास ही थी क्योंकि हमें भी उस सभा में बोलने का निमंत्रण था। अपना पसीना पोंछते हुए उसने मुझसे धीरे से कहा : ” यह मेरा भाषण देने का पहला ही मौका था । ”
          
          ” ऐसा ! तब तो तुमने बड़ी हिम्मत दिखाई। मैं तो अपने पहले भाषण में मुश्किल से तीन वाक्य भी ठीक से नहीं बोल पाया था । शुरु-शुरु में ऐसा होता ही है, पर बाद में आदत होने से यह सब दूर हो जाता है । ‘
          
          ” सच ! ” वह उत्साह से बोल उठा । उसकी परेशानी कुछ कम हुई।
          
          ” बिल्कुल “, मैंने कहा । ” जिन्होंने तालियाँ पीटीं उनमें से ऐसे कितने होंगे जो तुम्हारे जैसे यहाँ खड़े होकर इतने बड़े श्रोता – समुदाय का सामना कर सकेंगे?”
          
          वह आश्वस्त हो गया। उसकी हिम्मत लौट आई और आगे चलकर वह काफ़ी अच्छा वक्ता हो गया। दो-तीन बार उसने मुझे धन्यवाद दिया और कहा कि यदि उस दिन आप मुझे प्रोत्साहन नहीं देते तो शायद मैं भाषण देना ही छोड़ देता। जब लोग त्रस्त हों, पराजित हों या शोकग्रस्त हों तभी उन्हें हमारी सहानुभूति, सहायता या प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है । उस समय उनका आत्मविश्वास लड़खड़ा जाता है। उस समय उनकी खिल्ली उड़ाने का या उनकी परेशानी का मज़ा लूटने का मोह हमें रोकना चाहिए। जो ऐसा करते हैं वे उनके हृदय में हमेशा के लिए स्थान प्राप्त कर लेते हैं, अपनी लोकप्रियता की परिधि विस्तृत करते हैं। दूसरों के सुख-दुःख में सच्चे अंत:करण से दिलचस्पी लेना अच्छे संस्कार का लक्षण तो है ही, साथ ही व्यवहार कुशलता भी है जो लोगों को हमारी ओर आकर्षित करती है। हाँ, इसमें दिखावा, बनावटीपन और ऊपरी – ऊपरी शिष्टाचार नहीं होना चाहिए। जो भावना सच्ची होती है, हृदय से निकलती है, वही हृदय को बाँध भी सकती है।
          
          (i) लेखक ने विद्यार्थी को किस प्रकार उत्साहित किया ?
          
          (ii) लोगों को सहानुभूति तथा प्रोत्साहन की कब आवश्यकता होती है ?
          
          (iii) व्यवहार कुशलता से लेखक का क्या तात्पर्य है?
          
          (iv) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए ।
          
          (v) ‘शिष्टाचार’ तथा ‘प्रोत्साहन’ शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।
          
          उत्तर:
          
          (i) लेखक ने विद्यार्थी से कहा कि उसने भाषण देते हुए अपने साहस को प्रदर्शित किया क्योंकि उसने (लेखक ने ) स्वयं जब पहली बार भाषण दिया था तो वह तीन वाक्य भी ठीक प्रकार से नहीं बोल पाया था । श्रोताओं में ऐसे कितने लोग होंगे जो इस प्रकार इतने बड़े जनसमूह के सामने अपनी बात कह सकते हैं। अतः उसे निराश नहीं होना चाहिए।
          
          (ii) जब लोग दुःखी, भयभीत, निराश और पराजित होते हैं तब उन्हें सहानुभूति और प्रोत्साहन की विशेष रूप से आवश्यकता होती है।
          
          (iii) लेखक के अनुसार दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना, उनके साथ सच्चाई और स्नेह का व्यवहार करना ही सच्ची व्यवहार कुशलता है।
          
          (iv) शीर्षक – व्यवहार कुशलता ।
          
          (v) 1. हमें दूसरों से बातचीत करते समय शिष्टाचार का ध्यान रखना चाहिए।
          
          2. हमें बच्चों को उनके बालपन से ही श्रेष्ठ कार्य करने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए ।
         
 
          प्रश्न 2.
          
          निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- [7]
          
          “माँ, कह एक कहानी
          
          ‘बेटा, समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी ?”
          
          ‘कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी ।
          
          कह माँ कर लेटी ही लेटी, राजा था या रानी ?
          
          माँ कह एक कहानी?’
          
          ‘सुन, उपवन में बड़े सवेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे ।
          
          जहाँ सुरभि मनमानी’ । ‘जहाँ सुरभि मनमानी ‘।
          
          हाँ माँ, यही कहानी ।
          
          ‘वर्ण-वर्ण के फूल खिले थे,
          
          झलमल कर हिम – बिन्दु झिल’ थे,’
          
          हलके झाँके हिले – मले थे, लहराता था पानी’ ।
          
          ‘लहराता था पानी ! हाँ, हाँ, यही कहानी । ‘
          
          (i) बेटा माँ को क्या कह रहा है? [1]
          
          (ii) दासी ने बेटे को क्या बताया है? [1]
          
          (iii) माँ कहानी कैसे प्रारम्भ करती है? [2]
          
          (iv) उपवन में कैसे फूल खिले थे और उन पर क्या झलक रहा था? [2]
          
          (v) उपवन में मनमानी किसे कहा गया है? [1]
          
          उत्तर:
          
          (i) बेटा माँ को कहानी सुनाने के लिए कह रहा है।
          
          (ii) दासी ने बेटे को यह बताया कि उसकी माँ उसकी नानी की बेटी है।
          
          (iii) माँ कहानी प्रारम्भ करते हुए कहती है कि सवेरे-सवेरे तेरे पिता उपवन में घूमने जाते थे।
          
          (iv) उपवन में अनेक रंगों के फूल खिले थे जिन पर ओस की बूँदें झलक रही थी।
          
          (v) उपवन में ‘सुरभि’ को मनमानी कहा गया है।
         
खण्ड – ख ( व्यावहारिक व्याकरण )
          प्रश्न 3.
          
          निर्देशानुसार उत्तर दीजिए- 1 × 3 = 3
          
          (क) अपने आत्मकथ्य के बारे में मन्नू भंडारी ने उन व्यक्तियों और घटनाओं के बारे में लिखा है जो उनके लेखकीय जीवन से जुड़े हैं। ( रचना के आधार पर वाक्य भेद लिखिए )
          
          (ख) स्त्री-पुरुषों ने मिलकर आज़ादी के लिए लंबा संघर्ष किया। ( संयुक्त वाक्य में बदल कर लिखिए )
          
          (ग) इन लोगों की छत्र-छाया हटी और मुझे अपने वजूद का एहसास हुआ। ( सरल वाक्य में बदलिए)
          
          उत्तर:
          
          (क) मिश्र वाक्य |
          
          (ख) स्त्री-पुरुष मिले और आज़ादी के लिए लंबा संघर्ष किया।
          
          (ग) इन लोगों की छत्र-छाया हटते ही मुझे मेरे वजूद का एहसास हुआ।
         
          प्रश्न 4.
          
          निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए- 1 × 4 = 4
          
          (क) अनेक श्रोताओं ने कविता की प्रशंसा की। ( कर्मवाच्य में )
          
          (ख) परीक्षा के बारे में अध्यापक द्वारा क्या कहा गया ? ( कर्तृवाच्य में )
          
          (ग) हम इतनी गर्मी में नहीं रह सकते। ( भाववाच्य में )
          
          (घ) चलो, आज मिलकर कहीं घूमा जाए। ( कर्तृवाच्य में )
          
          उत्तर:
          
          (क) अनेक श्रोताओं द्वारा कविता की प्रशंसा की गई।
          
          (ख) परीक्षा के बारे में अध्यापक ने क्या कहा?
          
          (ग) हमसे इतनी गर्मी में नहीं रहा जाता।
          
          (घ) चलो, आज मिलकर कहीं घूमें।
         
          प्रश्न 5.
          
          रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए- 1 × 4 = 4
          
           आजकल हमारा
          
          देश प्रगति के मार्ग पर
          
           बढ़ रहा है
          
          ।
          
          उत्तर:
          
          आजकल कालवाचक, क्रियाविशेषण ‘बढ़ रहा है’ क्रिया की विशेषता ।
          
          हमारा – उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम, बहुवचन, पुल्लिंग।
          
          देश – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन ।
          
          बढ़ रहा है – अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल |
         
          प्रश्न 6.
          
          (क) काव्यांश का अलंकार पहचानकर उसका नाम लिखिए- 1 × 4 = 4
          
          (i) सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।
          
          मनहुँ नीलमनि सैल पर, आप प प्रभात ||
          
          (ii) दादुर धुनि चहुँ दिसा सुहाई ।
          
          बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई ||
          
          (ख) (i) श्लेष अलंकार का एक उदाहरण दीजिए ।
          
          (ii) उत्प्रेक्षा अलंकार का एक उदाहरण दीजिए ।
          
          उत्तर:
          
          (क)
          
          (i) उत्प्रेक्षा अलंकार
          
          (ii) अतिश्योक्ति अलंकार
          
          (ख) (i) मधुबन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियाँ |
          
          (ii) ले चला साथ मैं तुझे कनक, ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक ।
         
खण्ड – ग ( पाठ्य-पुस्तक)
          प्रश्न 7.
          
          निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [5]
          
          आए दिन विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के जमावड़े होते थे और जमकर बहसें होती थीं। बहस करना पिता जी का प्रिय शगल था। चाय-पानी या नाश्ता देने जाती तो पिता जी मुझे भी वहीं बैठने को कहते। वे चाहते थे कि मैं भी वहीं बैठूं, सुनूँ और जानूँ कि देश में चारों ओर क्या कुछ हो रहा है। देश में हो भी तो कितना कुछ रहा था। सन् 42 के आंदोलन के बाद से तो सारा देश जैसे खौल रहा था, लेकिन विभिन्न राजनैतिक पार्टियों की नीतियाँ उनके आपसी विरोध या मतभेदों की तो मुझे दूर-दूर तक कोई समझ नहीं थी। हाँ, क्रांतिकारियों और देशभक्त शहीदों के रोमानी आकर्षण, उनकी कुर्बानियों से ज़रूर मन आक्रांत रहता था।
          
          (क) लेखिका के पिता लेखिका को घर में होने वाली बहसों में बैठने को क्यों कहते थे? [2]
          
          (ख) घर के ऐसे वातावरण का लेखिका पर क्या प्रभाव पड़ा ? [2]
          
          (ग) देश में उस समय क्या कुछ हो रहा था ? [1]
          
          उतर:
          
          (क) लेखिका के पिता लेखिका को घर में होने वाली राजनैतिक पार्टियों की बहसों में बैठने को इसलिए कहते थे क्योंकि वे चाहते थे कि उनकी बेटी को उस समय देश में चल रहे घटनाक्रम तथा गतिविधियों के विषय में जानकारी प्राप्त होती रहे।
         
          (ग) यह घटनाक्रम सन् 1942 का है तथा उस समय तक देश में स्वतंत्रता प्राप्ति का बिगुल बज चुका था।
          
          परिणामस्वरूप आए दिन कुछ न कुछ घट रहा था। समस्त राष्ट्र ब्रिटिश शासन के विरुद्ध खौल रहा था। विभिन्न राजनैतिक पार्टियों में भी आपसी मतभेद ज़ोर पकड़ रहे थे। देश का माहौल बहुत ही आक्रोश वाला हो रहा था।
         
          प्रश्न 8.
          
          निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए। 2 × 4 = 8
          
          (क) लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?
          
          (ख) बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया ? आप इनमें से किन विशेषताओं को अपनाना चाहेंगे? कारण सहित किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए ।
          
          (ग) “उनका बेटा बीमार है, इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फुरसत । ” कथन से लोगों की किस मानसिकता का आभास होता है? ‘बालगोबिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
          
          (घ) ‘लखनवी अंदाज’ के आधार पर बताइये कि लखनऊ के नवाबों और रईसों के बारे में लेखक की क्या धारणा थी ?
          
          उत्तर:
          
          (क) लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति की सही समझ न बन पाने का कारण यही है कि इन शब्दों का प्रयोग तो बहुत अधिक होता है, लेकिन उनके अर्थों को जानने के लिए हम गंभीरतापूर्वक विचार नहीं करते । इस पर भी कई प्रकार के विशेषण, जैसे भौतिक सभ्यता, आध्यात्मिक सभ्यता या हिंदू संस्कृति अथवा मुस्लिम संस्कृति आदि का प्रयोग करके इन शब्दों को और भी उलझा दिया जाता है और बात समझ से बाहर हो जाती है।
         
          (ख) बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ-
          
          (i) वह मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे। हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति के मेलजोल का प्रयास करते थे।
          
          (ii) वह अपने धर्म का पालन करते हुए हिन्दु धर्म, काशी विश्वनाथ जी तथा बालाजी के प्रति श्रद्धा रखते थे।
          
          (iii) वह ‘सादा जीवन उच्च विचार’ वाले थे तथा अभिमान से कोसों दूर थे ।
          
          मैं इन विशेषताओं में से ‘ मिली-जुली संस्कृति’ तथा ‘सादा जीवन उच्च विचार’ को अपनाना चाहूँगा । इसका कारण यह है कि सभी संस्कृतियों का अपना महत्त्व है और सभी धर्म एक जैसी बातें सिखाते हैं। अतः सभी धर्म एक समान हैं। इसी के साथ हमारा जीवन सादा होना चाहिए और सोच-विचार उत्तम होने चाहिएं। तड़क-भड़क और अभिमान भरा जीवन जीने से मनुष्य स्वयं की वास्तविकता ही खो बैठता है। अभिमानी होने से हमारे विचार भी दूषित हो जाते हैं। सबके प्रति हमारी सोच नकारात्मक हो जाती है। जीवन जितना सादा एवं आडंबर रहित होगा विचार उतने ही सकारात्मक होंगे।
          
          ་
          
          (ग) “ उनका बेटा बीमार है, इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फुरसत । ” कथन से लोगों की संवेदनशीलता का बोध होता है। लेखक को कष्ट है कि गाँव में भी भगत जी के बेटे के बीमार होने की किसी को कोई खबर ही नहीं थी क्योंकि लोगों ने उस बात को महत्त्वपूर्ण ही नहीं समझा होगा। वे केवल अपने ही जीवन को महत्त्व देते थे। उन्हें दूसरों की कोई परवाह नहीं थी ।
         
 
          प्रश्न 9.
          
          निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए : [5]
          
          मन की मन ही माँझ रही ।
          
          कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही ।
          
          अवधि अधार आस आवन की तन मन बिथा सही।
          
          अब इन जोग सँदेसनि सुनि- सुनि, बिरहिनि बिरह दही ।
          
          चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही ।
          
          ‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही ।
          
          (क) गोपियों की वियोग-पीड़ा क्यों बढ़ गई ? [2]
          
          (ख) श्रीकृष्ण ने किस मर्यादा का पालन नहीं किया? [1]
          
          (ग) गोपियाँ किस आशा पर विरह के कष्ट को सहन कर रही थीं? [2]
          
          उत्तर:
          
          (क) श्रीकृष्ण से मिलन की आशा को उद्धव के योग संदेश ने समाप्त कर दिया। इसलिए गोपियों की वियोग- पीड़ा बढ़ गई थी।
          
          (ख) गोपियों के अनुसार श्रीकृष्ण ने योग संदेश भिजवा कर प्रेम की मर्यादा का पालन नहीं किया ।
          
          (ग) श्रीकृष्ण ने वचन दिया था कि वह कुछ ही दिनों में मथुरा से लौट आएँगे। गोपियाँ इसी आशा पर विरह के कष्ट सह रही थीं कि श्रीकृष्ण लौटकर उनके पास आ जाएँगे ।
         
          प्रश्न 10.
          
          निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए । 2 × 4 = 8
          
          (क) लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं ?
          
          (ख) फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है ?
          
          (ग) मुरझाकर गिरती पत्तियाँ क्या संदेश देती हैं?
          
          (घ) संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं ?
          
          उत्तर:
          
          (क) लक्ष्मण के अनुसार शूरवीर युद्धभूमि में कर्म करके दिखाते हैं। उनके वीरतापूर्ण कार्य उनका परिचय देते हैं। वे स्वयं अपने मुख से अपने गुणों का बखान नहीं करते । शूरवीर धैर्यवान एवं क्षोभरहित रहते हैं। वीर योद्धा कभी अपशब्द नहीं बोलते। वे अपनी प्रशंसा के पुल नहीं बाँधते । शत्रु को अपने समक्ष देखकर शूरवीर केवल अपनी प्रशंसा नहीं करते वरन् उसको ललकार कर युद्ध के लिए तैयार रहने को कहते हैं । शूरवीरों की विजयगाथा समाज को प्रेरणा देती है। लोगों को केवल अपना क्रोध दिखाकर डराना शूरवीरों को शोभा नहीं देता ।
         
          (ग) मुरझाकर गिरती पत्तियाँ यह संदेश देती हैं कि जीवन में मिलन के क्षण सदैव नहीं रहते। मिलन के बाद बिछुड़ना प्रकृति का अमिट नियम है।
          
          (घ) संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा नुत्यकला तथा व्यापारिक क्षेत्रों में भी दिखाई देते हैं।
         
          प्रश्न 11.
          
          आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है? इसे रोकने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं? [4]
          
          उत्तर:
          
          आज विकास का दौर इतना तीव्र हो गया है कि आज की पीढ़ी प्रकृति से दूर होती जा रही है और इसी कारण उसका प्रकृति से लगाव भी कम होता जा रहा है। लगातार कटते वन, फैक्टरियों से निकलता धुआँ आदि प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं। इसे रोकने में हमारी भूमिका अति महत्त्वपूर्ण है।
          
          (i) हमें वन संरक्षण को महत्त्व देना चाहिए ।
          
          (ii) सीमित प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए ।
          
          (iii) वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए।
          
          (iv) फैक्टरियों से निकलने वाले विषैले धुएँ के रोकथाम के उपाय करने चाहिएं।
         
खण्ड – घ (लेखन)
          प्रश्न 12.
          
          निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 200-250 शब्दों में निबंध लिखिए- [10]
          
          (i) प्लास्टिक की दुनिया
          
          • प्लास्टिक की उपयोगिता
          
          • प्लास्टिक के नुकसान
          
          • उपसंहार |
         
          (ii) मेरे जीवन का आदर्श
          
          • आदर्श व्यक्ति का परिचय, विशेषताएँ
          
          • प्रभावित होने के कारण
          
          • जीवन पर प्रभाव और निष्कर्ष ।
         
          (iii) व्यायाम और स्वास्थ्य
          
          • व्यायाम का महत्व
          
          • स्वास्थ्य पर प्रभाव
          
          • निष्कर्ष ।
          
          उत्तर:
          
          (i) प्लास्टिक की दुनिया
          
          मनुष्य ने अपनी बुद्धि और प्रतिभा से जो नए साधन खोजे हैं, प्लास्टिक उनमें से एक पदार्थ है। यदि आज कहा जाए कि दुनिया ही प्लास्टिक से चल रही है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह पदार्थ वज़न में हल्का, टिकाऊ और रंगबिरंगा होने के गुण के कारण बहुत उपयोगी और लोकप्रिय हो गया है। यह बिजली का कुचालक है इसलिए इसका उपयोग प्रत्येक इलेक्ट्रॉनिक से चलने वाली वस्तुओं में किया जाता है। वाशिंग मशीन, फ्रिज, माइक्रोवेव, कंम्प्यूटर, फर्नीचर, पॉलीबैग से लेकर बच्चों के खिलौनों तक में प्लास्टिक का प्रयोग होता है। खाने-पीने के बरतनों से लेकर दुनिया के जितने भी सुख-सुविधा के लिए साधन बनाए गए हैं, सब में प्लास्टिक का उपयोग होता है। बिजली के तारों तथा उनको ढकने हेतु तथा स्विचबोर्ड आदि में भी प्लास्टिक का उपयोग होता है । अत्यंत हलका होने के कारण इसका रख-रखाव आसान है तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना भी सुगम है। बाज़ार में सारी पैकिंग प्लास्टिक से ही होती है।
         
          (ii) मेरे जीवन का आदर्श
          
          जीवन में प्रत्येक मनुष्य का कोई न कोई आदर्श अवश्य होता है। वह अपना व्यक्तित्व उस आदर्श व्यक्ति के समान बनाना चाहता है और उसके पदचिह्नों पर चलकर अपना जीवन उज्ज्वल बनाता है। मेरे जीवन का आदर्श ‘महात्मा गाँधी’ हैं। वे मेरी प्रेरणा हैं। महात्मा गाँधी को ‘आधुनिक युग का अवतार पुरुष’ कहा जा सकता है। उन्होंने सत्य और अहिंसा का सहारा लेकर भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने में योगदान दिया । अत्यधिक पढ़े-लिखे होने के बावजूद भी वे सादा तथा सात्विक जीवन व्यतीत करते थे। उनके विचार बहुत उच्च थे। उनका व्यवहार अत्यंत नम्र था। वे शान्ति तथा अहिंसा के उपासक थे। उन्होंने कभी अपने आराम एवं खुशी की परवाह न करके दूसरों के लिए अपने समस्त जीवन का त्याग कर दिया। गाँधीजी मानवीय गुणों से परिपूर्ण थे। उन्होंने कभी असत्य का साथ नहीं दिया और न ही कभी किसी वर्ग विशेष अथवा धर्म के साथ कोई पक्षपात किया ।
         
          (iii) व्यायाम और स्वास्थ्य कहा
          
          जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। व्यक्ति का शरीर यदि स्वस्थ न हो तो जीवन उसके लिए भार बन जाता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम का अत्यधिक महत्त्व है। नियमित व्यायाम करने वाला व्यक्ति अनेक घातक रोगों से बचा रहता है। उसके शरीर में रोगों के प्रतिरोधी कीटाणु पर्याप्त मात्रा में होते हैं। व्यायाम करने वाले व्यक्ति का शरीर प्रायः सुदृढ़ होता है। उसकी पाचन शक्ति प्रबल होती है। व्यायाम के अनेक लाभ हैं। व्यायाम करने वाला व्यक्ति तन तथा मन दोनों ही दृष्टि से स्वस्थ रहता है। उस पर आलस्य तथा रोगों की मार नहीं पड़ती।
         
          प्रश्न 13.
          
          नीचे दिए गए समाचार को पढ़िए। इसे पढ़कर जो भी विचार आपके मन में आते हैं, उन्हें किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र के रूप में लिखिए: [5]
          
          चिड़ियाघर में मौत
          
          मंगलवार को दिल्ली के चिड़ियाघर में सफेद बाघ के हाथों हुई एक युवक की मौत खुद में हृदयविदारक घटना है। ज़ू देखने आया कोई युवक सबके देखते-देखते ऐसी दुखदायी मौत का शिकार हो जाए, यह बात कल्पना से भी परे लगती है। इस घटना ने कई ऐसे ज्वलंत सवाल सामने ला दिए हैं जिनकी लंबे समय से अनदेखी हो रही है। चिड़ियाघरों के प्रबंधन में लापरवाही की शिकायतें पहले से आती रही हैं, हालांकि उनका ऐसा हौलनाक नतीजा पहली बार आया है।
          
          उत्तर:
          
          सेवा में
          
          संपादक जी
          
          नवभारत टाइम्स
          
          दिल्ली।
          
          दिनांक : 2 अक्तूबर, 20xx
          
          विषय : चिड़ियाघर के प्रबंधन में लापरवाही की शिकायत हेतु पत्र ।
          
          महोदय
          
          मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से चिड़ियाघर के प्रबंधन में हो रही लापरवाही की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। आशा है, आप मेरे पत्र को अपने समाचार – पत्र में स्थान देंगे।
          
          दिल्ली के चिड़ियाघर में आया एक युवक सफ़ेद बाघ द्वारा मौत का शिकार हो गया। उसकी मौत खुद में एक हृदयविदारक घटना है। कोई युवक सबके देखते-देखते अचानक ऐसी दुखदायी मौत का शिकार हो जाए, यह बात कल्पना से भी परे लगती है। इस दुर्घटना का एकमात्र कारण है- प्रबंधन में लापरवाही । यदि प्रबंधकों ने ठीक प्रकार से सुरक्षा के इंतज़ाम किए होते, तो ऐसी दर्दनाक मौत कभी न होती। इस घटना ने कई ऐसे ज्वलंत सवाल सामने ला दिए हैं, जिनकी चिड़ियाघर प्रबंधन लंबे समय से अनदेखी कर रहा है।
          
          मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप अपने समाचार पत्र द्वारा चिड़ियाघर के प्रबंधन – कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रबंधन को प्रेरित करेंगे, जिससे भविष्य में ऐसी खौफनाक घटना की पुनरावृत्ति न होने पाए।
          
          धन्यवाद !
          
          भवदीय
          
          क०ख०ग०
         
          आपकी छोटी बहन की दोस्ती कुछ ऐसी लड़कियों से है, जिनकी पढ़ने में बिल्कुल रुचि नहीं है। अपनी बहन को उसके लक्ष्य की याद दिलाते हुए ऐसी सहेलियों से बचने के लिए कहते हुए एक पत्र लिखिए |
          
          उत्तर:
          
          परीक्षा भवन
          
          नई दिल्ली।
          
          दिनांक : 18 मई, 20xx
          
          प्रिय बहन नीतू
          
          स्नेह !
          
          कल माताजी का पत्र मिला। इसे पढ़कर ज्ञात हुआ कि आजकल तुम्हारा मन पढ़ाई में न लगकर बुरी सहेलियों की संगति में लगता है। यही कारण है कि प्रथम सत्र की परीक्षा में तुम्हारे बहुत कम अंक आए हैं। प्रिय बहन ! बुरे लोगों की संगति से क्षणिक सुख तो मिलता है किन्तु यही संगति भविष्य के जीवन को बरबाद करके रख देती है। इससे तुम्हारा भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। सभी विद्वानों ने सत्संगति का बड़ा महत्त्व बताया है। हमें सज्जनों के वचनों को सुनकर उनका पालन करना चाहिए। कुसंगति तो कालिमा के समान है जिससे हमारा भविष्य अंधकारमय हो जाता है। कहा भी गया है- ‘जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल होत।’ यदि तुमने समय रहते अपने आपको कुसंगति से दूर नहीं किया तो तुम सिविल सर्विसिज़ की परीक्षा उत्तीर्ण करने का अपना सपना कैसे पूरा करोगी? आशा है, तुम अपने लक्ष्य को सर्वोपरि रखकर ऐसी सहेलियों से दूर रहोगी जो तुम्हारी पढ़ाई में बाधा उत्पन्न करती हैं।
          
          तुम्हारी बहन
          
          रवीना
         
 
          प्रश्न 14.
          
          ‘रत्ना’ तेल पर एक विज्ञापन 25-50 शब्दों में प्रस्तुत कीजिए । [5]
          
          उत्तर:
         
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